Dharmendra’s Property worth Crores not going to Hema Malini or anyone,Left Property to Someone else!

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धर्मेंद्र की करोड़ों की संपत्ति – न हेमा मालिनी, न बच्चों को, बल्कि किसी और को दी गई पुश्तैनी जायदाद!

24 नवंबर 2025 को बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के निधन ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री और उनके करोड़ों प्रशंसकों को गमगीन कर दिया। धर्मेंद्र का जीवन पंजाब के छोटे गांव से शुरू होकर मुंबई के चमकदार फिल्मी दुनिया तक पहुंचा, लेकिन उन्होंने अपनी जड़ों और परिवार की विरासत को कभी नहीं भुलाया। उनकी संपत्ति को लेकर जो खुलासा हुआ है, उसने सभी को चौंका दिया है।

पुश्तैनी जायदाद का असली वारिस कौन?

धर्मेंद्र के निधन के बाद उनके परिवार, फैंस और मीडिया में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि उनकी करोड़ों की संपत्ति किसे मिलेगी। क्या यह हेमा मालिनी, सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा या अहाना को मिलेगी? लेकिन अब सामने आया है कि धर्मेंद्र ने अपनी पुश्तैनी जायदाद अपने किसी बच्चे या पत्नी को नहीं, बल्कि अपने चाचा के पोते यानी अपने भतीजों को सौंप दी थी।

धर्मेंद्र का मूल गांव पंजाब के लुधियाना जिले का डांगो है, जहां उन्होंने अपने बचपन के तीन महत्वपूर्ण साल बिताए थे। उन्होंने अपनी वसीयत करीब आठ से दस साल पहले ही बना ली थी, जब उनकी तबीयत पूरी तरह ठीक थी। उनके इस फैसले के पीछे कोई भौतिक लालच या विवाद नहीं था, बल्कि पारिवारिक जिम्मेदारी और परंपरा के प्रति सम्मान था।

परिवार और विरासत के प्रति धर्मेंद्र का नजरिया

धर्मेंद्र हमेशा अपने परिवार और विरासत के प्रति बेहद संवेदनशील रहे हैं। उन्होंने इस संपत्ति को अपने चाचा के पोते—जिनमें बूटा सिंह शामिल हैं—को सौंप दिया, जो आज भी लुधियाना के एक टेक्सटाइल मिल में काम करते हैं। धर्मेंद्र का मानना था कि मुंबई में बसे उनके बच्चे गांव और जमीन की देखभाल नहीं कर पाएंगे, जबकि उनके भतीजे वहीं रहते हैं और पुश्तैनी घर की देखभाल करते हैं।

धर्मेंद्र के पिता ने उन्हें बचपन से ही परिवार और रिश्तों की अहमियत सिखाई थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए धर्मेंद्र ने अपनी वसीयत तैयार की और करोड़ों की संपत्ति अपने भतीजों को सौंप दी। यह संपत्ति लगभग 2.5 एकड़ में फैली हुई है और इसकी कीमत आज करोड़ों रुपये आंकी जाती है।

संपत्ति का बंटवारा – परिवार में कोई विवाद नहीं

धर्मेंद्र के इस फैसले से उनके परिवार में कोई विवाद नहीं हुआ। सनी देओल, बॉबी देओल, हेमा मालिनी, ईशा और अहाना ने उनके निर्णय का सम्मान किया। परिवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक, धर्मेंद्र ने अपने बच्चों को हमेशा मेहनत और खुद की पहचान बनाने की सीख दी थी। वे चाहते थे कि उनके बच्चे फिल्मी दुनिया में अपने दम पर आगे बढ़ें और पुश्तैनी जमीन का हक उन लोगों को मिले जो वास्तव में उसकी देखभाल करते हैं।

धर्मेंद्र का यह कदम बॉलीवुड के अन्य परिवारों के लिए भी मिसाल है, जहां अक्सर संपत्ति को लेकर विवाद होते रहते हैं। उनका मानना था कि संपत्ति का असली हकदार वही है जो उसकी देखभाल करता है और परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाता है।

बूटा सिंह – विरासत के असली रक्षक

धर्मेंद्र के भतीजे बूटा सिंह आज भी लुधियाना के टेक्सटाइल मिल में काम करते हैं। उन्हें कभी नहीं लगा था कि इतनी बड़ी संपत्ति उनके नाम हो जाएगी। धर्मेंद्र ने उन्हें हमेशा परिवार का हिस्सा माना और उनकी जिम्मेदारी को समझते हुए यह संपत्ति उन्हें सौंप दी। बूटा सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, “चाचा जी ने हमें जो दिया है, वह सिर्फ जमीन नहीं, बल्कि परिवार की विरासत है। हम इसका सम्मान करेंगे और इसे संभालकर रखेंगे।”

धर्मेंद्र की सोच – जड़ों से जुड़े रहना

धर्मेंद्र ने अपने पूरे जीवन में अपने गांव, जमीन और जड़ों से जुड़ाव बनाए रखा। मुंबई की चमक-धमक के बीच भी वे अक्सर अपने गांव जाते थे। उनके लिए गांव की मिट्टी, परिवार और परंपरा सबसे ऊपर थी। उन्होंने अपने बच्चों को भी यही सीख दी कि चाहे जितनी भी ऊंचाई हासिल कर लो, अपनी जड़ों को कभी मत भूलो।

उनकी वसीयत में यह साफ लिखा था कि पुश्तैनी संपत्ति उनके भतीजों को मिलेगी, क्योंकि वे ही उसकी देखभाल कर सकते हैं। धर्मेंद्र का यह फैसला आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग उनकी सोच की तारीफ कर रहे हैं।

बॉलीवुड में संपत्ति को लेकर विवाद – धर्मेंद्र की मिसाल

बॉलीवुड में अक्सर संपत्ति को लेकर विवाद होते रहते हैं। कई बार परिवारों में कोर्ट-कचहरी तक की नौबत आ जाती है। लेकिन धर्मेंद्र ने अपने फैसले से यह साबित कर दिया कि संपत्ति का बंटवारा दिलों की रजामंदी से होना चाहिए, न कि कागजों की लड़ाई से। उनके बच्चों ने भी उनके फैसले का सम्मान किया और परिवार में कोई कलह नहीं हुई।

धर्मेंद्र के फैसले ने बॉलीवुड के अन्य परिवारों के लिए भी एक नई दिशा दिखाई है। उन्होंने दिखा दिया कि संपत्ति सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और विरासत है, जिसे सही हाथों में सौंपना चाहिए।

निष्कर्ष

धर्मेंद्र की करोड़ों की पुश्तैनी संपत्ति न तो हेमा मालिनी को मिली, न सनी या बॉबी देओल को, और न ही ईशा या अहाना को। उन्होंने अपनी वसीयत के जरिए यह संपत्ति अपने चाचा के पोते यानी भतीजों को सौंप दी, जो आज भी लुधियाना में रहते हैं और परिवार की विरासत की देखभाल कर रहे हैं। धर्मेंद्र का यह कदम परिवार, परंपरा और जिम्मेदारी की मिसाल है।

उनकी सोच ने साबित कर दिया कि असली विरासत वही है, जो जड़ों से जुड़ी हो। धर्मेंद्र के फैसले ने बॉलीवुड और समाज को एक बड़ा संदेश दिया है – संपत्ति का असली हकदार वही है, जो उसकी देखभाल करे और परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाए।

समाप्त

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