Dipika Kakar & Shoaib Ibrahim Gift ₹51 Lakhs To Nephew, Sister Saba Ibrahim Gets Emotional

भाई-बहन का रिश्ता बहुत खास होता है, लेकिन जब ननद और भाभी के बीच सच्चा प्रेम हो, तो वह रिश्ता और भी अनमोल हो जाता है। भारतीय समाज में अक्सर ससुराल के रिश्तों को लेकर कई तरह की बातें होती हैं – जलन, तकरार, तुलना या टकराव। लेकिन जब कोई ऐसा उदाहरण सामने आता है जहां रिश्तों में केवल प्रेम, अपनापन और निस्वार्थ भाव हो, तो वह दिल को छू जाता है। ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब टेलीविज़न की लोकप्रिय अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ ने अपनी ननद सबा इब्राहिम और उसके नवजात बेटे हैदर को ऐसा तोहफा दिया, जिसे जानकर हर कोई भावुक हो गया।

दीपिका कक्कड़, जो ‘ससुराल सिमर का’ सीरियल से घर-घर में मशहूर हुईं, और उनके पति शोएब इब्राहिम सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। शोएब की बहन सबा इब्राहिम भी एक जानी-मानी यूट्यूबर हैं और हाल ही में उन्होंने अपने पहले बेटे को जन्म दिया। यह उनके जीवन का सबसे बड़ा और सुखद पल था। लेकिन इसी बीच एक और सच्चाई यह भी थी कि उसी दौरान दीपिका खुद गंभीर बीमारी – कैंसर – से जूझ रही थीं और अस्पताल में भर्ती थीं।

सबा के लिए यह वक्त बहुत ही मिश्रित भावनाओं वाला था। एक तरफ मातृत्व का सुख था, तो दूसरी ओर भाभी की बीमारी का दर्द। सबा ने यह भी बताया कि जब उनके बेटे का जन्म हुआ, तब उन्होंने कोई बड़ा जश्न नहीं मनाया, क्योंकि उनके दिल में यह बात थी कि उनकी भाभी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही हैं। ऐसे समय में जश्न मनाना उन्हें ठीक नहीं लगा। यह दिखाता है कि उनके रिश्ते में दिखावा नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा हुआ अपनापन है।

कुछ समय बाद, जब दीपिका की तबीयत में सुधार हुआ और वह अस्पताल से घर लौटीं, तब एक खास अवसर पर हैदर के नाम से एक छोटा सा पारिवारिक फंक्शन रखा गया। यह फंक्शन हैदर के जन्म के बाद का पहला आयोजन था। दीपिका और शोएब भी उसमें पहुंचे, लेकिन फंक्शन के बीच ही उनका बेटा रोहान थोड़ी देर के लिए अस्वस्थ हो गया, जिसकी वजह से उन्हें कार्यक्रम बीच में छोड़कर वापस जाना पड़ा।

इस घटना के बाद दीपिका के लिए एक और खुशी की खबर आई – उनके YouTube चैनल पर 4 मिलियन सब्सक्राइबर पूरे हो गए। यह उनके लिए गर्व और जश्न का क्षण था, लेकिन उन्होंने इसे अपने परिवार के साथ साझा करने का निर्णय लिया। दीपिका अगला दिन और भी खास बनाने के लिए सीधे अपनी ननद सबा इब्राहिम के घर पहुंच गईं।

इस दौरान एक बेहद भावुक पल आया जब शोएब ने अपनी बहन सबा को एक लिफाफा थमाया। सबा को लगा शायद इसमें कोई सामान्य गिफ्ट होगा – जैसे कपड़े, गहने, या पैसे। लेकिन जब शोएब ने उसे समझाया, तो सबा के चेहरे पर हैरानी, खुशी और आंसू – सब एक साथ आ गए। शोएब और दीपिका ने हैदर के नाम पर ₹51 लाख की बीमा पॉलिसी कराई थी, जिसका प्रीमियम वे खुद भरेंगे। यह पॉलिसी तब मैच्योर होगी जब हैदर 25 साल का होगा और तब उसे पूरे ₹51 लाख मिलेंगे।

यह कोई साधारण गिफ्ट नहीं था। यह एक ऐसा तोहफा था जिसमें सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि भावनाएं, सोच, दूरदृष्टि और निस्वार्थ प्रेम शामिल था। शोएब ने खुद कहा कि गहने और कपड़े तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन ऐसा कुछ देना जो बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करे – वही असली तोहफा होता है।

इस मौके पर सबा खुद को रोक नहीं पाईं और उनकी आंखों से आंसू झरने लगे। दीपिका ने उन्हें गले लगा लिया और यह नजारा देखकर दीपिका की सास भी भावुक हो गईं। यह परिवारिक दृश्य बहुतों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। दीपिका और शोएब के इस कदम की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हो रही है। लोग कह रहे हैं कि अगर हर किसी को दीपिका जैसी भाभी और शोएब जैसा भाई मिल जाए, तो यह दुनिया सच में खूबसूरत बन जाए।

दीपिका और शोएब की कहानी सिर्फ एक जोड़े की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन रिश्तों की मिसाल है जो खून के रिश्तों से भी गहरे होते हैं। दीपिका खुद एक समय पर एक्टिंग छोड़ चुकी हैं और अब यूट्यूब और परिवार में समय देती हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझते हुए भी उन्होंने जिस तरह से सबा और उनके बेटे हैदर के लिए सोचा, वह दिखाता है कि उन्होंने केवल एक ‘भाभी’ की भूमिका नहीं निभाई, बल्कि एक सच्ची मां, बहन और दोस्त की भूमिका अदा की।

हमारे समाज में ननद-भाभी के रिश्ते को अक्सर तकरार भरा दिखाया जाता है, खासकर टीवी शोज़ और फिल्मों में। लेकिन असल जिंदगी में दीपिका और सबा का रिश्ता यह साबित करता है कि यह रिश्ता बेहद खूबसूरत हो सकता है – अगर उसमें प्यार, समझदारी और अपनापन हो।

₹51 लाख की यह पॉलिसी सिर्फ एक गिफ्ट नहीं, बल्कि एक संदेश है – कि परिवार का मतलब केवल एक छत के नीचे रहना नहीं होता, बल्कि एक-दूसरे के भविष्य की चिंता करना, बुरे वक्त में साथ देना और खुशियों को एक साथ मनाना होता है।

आज जब रिश्तों में स्वार्थ, ईर्ष्या और दूरी बढ़ती जा रही है, तब दीपिका और शोएब जैसे लोगों की कहानियां उम्मीद की एक किरण बन जाती हैं। यह हमें सिखाती हैं कि ‘देना’ सिर्फ पैसे का नाम नहीं है, बल्कि दिल से कुछ देने का भाव ही सच्चा उपहार होता है।

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