DM की माँ जब पैसा निकालने बैंक गई तो भिखारी समझकर स्टाप ने लात मारा,फिर जो हुआ..
सुबह का समय था, और जिले की आईपीएस मैडम वैशाली सिंह एक ऑटो में बैठी हुई थीं। उन्होंने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और देखने में एक आम महिला लग रही थीं। वैशाली अपनी छोटी बहन की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर घर जा रही थीं। ऑटो ड्राइवर को यह नहीं पता था कि उसकी सवारी कोई साधारण महिला नहीं, बल्कि जिले की आईपीएस मैडम है।
भाग 2: ड्राइवर की चिंता
ऑटो चलाते हुए ड्राइवर ने वैशाली से कहा, “मैडम, आपकी वजह से मैं इस रास्ते से जा रहा हूं। लेकिन हो सकता है इस रास्ते में पुलिस हो। हमारे जिले का इंस्पेक्टर बिना वजह चालान काटता है और पैसे लूटता है। पता नहीं, मेरे किस्मत में क्या लिखा है। ऊपर वाला करें कि इस टाइम पर पुलिस ना हो।”
वैशाली ने मन ही मन सोचा कि क्या सच में यहां के थाने का इंस्पेक्टर ऐसा करता है। जैसे ही ऑटो थोड़ी दूर बढ़ी, उन्होंने देखा कि इंस्पेक्टर कैलाश राठौर सिपाहियों के साथ खड़ा होकर चेकिंग कर रहा है।
भाग 3: पुलिस का अत्याचार
जैसे ही ऑटो उनके सामने आई, इंस्पेक्टर ने लाठी का इशारा करके ऑटो को रोक दिया। ड्राइवर ने डरते हुए कहा, “सर, मैंने कोई नियम नहीं तोड़े। आप किस चीज के चालान काट रहे हैं? प्लीज ऐसा मत करें। मेरी कोई कमाई नहीं हुई है।”
इंस्पेक्टर भड़क उठा, “ज्यादा जुबान मत चलाना। पैसे नहीं हैं तो ऑटो क्यों चलाता है? जल्दी से ऑटो का कागज निकालो। कहीं चोरी का ऑटो तो नहीं है?” ड्राइवर ने फटाफट कागज निकालकर दिखाया, लेकिन इंस्पेक्टर ने कहा, “कागज तो है लेकिन फिर भी चालान तुम्हें भरना ही पड़ेगा। अब 5000 नहीं तो 3000 दो वरना तुम्हारी ऑटो सिज होगी।”
भाग 4: वैशाली का हस्तक्षेप
वैशाली सब कुछ सुन रही थी। उसने देखा कि इंस्पेक्टर गरीबों को लूट रहा है। ड्राइवर डरते हुए बोला, “साहब, इतने पैसे कहां से लाएंगे? मेरे छोटे बच्चे हैं।”
इंस्पेक्टर ने गुस्से में ऑटो ड्राइवर के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा और कहा, “जब पैसे नहीं हैं तो ऑटो चलाता क्यों है?”
वैशाली सिंह ने खुद को काबू नहीं कर सकी और इंस्पेक्टर के सामने आकर बोली, “आप बिल्कुल गलत कर रहे हैं। जब ड्राइवर का कोई गलती नहीं है तो आप बिना वजह चालान क्यों काट रहे हैं? यह कानून का उल्लंघन है।”
भाग 5: इंस्पेक्टर की दुविधा
इंस्पेक्टर पहले से ही गुस्से में था। वैशाली की बात सुनकर और भड़क गया और बोला, “अच्छा, तू मुझे सिखाएगा कि कानून क्या होता है। लगता है तुझे भी जेल की हवा चखानी पड़ेगी।”
वैशाली ने देखा कि इंस्पेक्टर किस हद तक गिर सकता है। इंस्पेक्टर ने हवलदार को आदेश दिया और कहा, “चलो इन दोनों को थाने में मजा चखाएंगे।”
भाग 6: थाने का माहौल
थाने पहुंचते ही इंस्पेक्टर ने कहा, “इन दोनों को यहीं बैठा दो। अब देखते हैं, इसकी औकात दिखानी पड़ेगी।” हवलदारों ने दोनों को बैठा दिया। इंस्पेक्टर कैलाश राठौर कुर्सी पर बैठा और चाय पीने लगा।
भाग 7: फोन कॉल
इंस्पेक्टर का मोबाइल बज उठा। उसने कॉल उठाया और बात करने लगा, “हां, सब काम हो जाएगा। बस मेरे पैसे तैयार रखना। आप टेंशन मत लो।” वैशाली और ऑटो ड्राइवर दोनों उसकी बातें सुन रहे थे।
भाग 8: ड्राइवर का डर
ऑटो ड्राइवर डर से कांप रहा था। उसकी आंखों में आंसू थे। वैशाली ने उसे आश्वासन दिया, “आप टेंशन मत लीजिए। यह इंस्पेक्टर कुछ नहीं कर पाएगा। मैं आपके साथ हूं और इसे दिखाऊंगी कि कानून की ताकत क्या होती है।”
भाग 9: ड्राइवर की हिम्मत
ड्राइवर ने कहा, “क्या आप सच में आईपीएस मैडम हैं? तो आपने जब मेरे साथ इतना जुल्म हो रहा था, आपने कुछ क्यों नहीं कहा?” वैशाली ने कहा, “मैंने चुप रहकर देखा ताकि इस इंस्पेक्टर की सच्चाई सामने ला सकूं।”
भाग 10: इंस्पेक्टर का आदेश
कुछ देर बाद, इंस्पेक्टर ने एक हवलदार को बुलाया और कहा, “जाकर ऑटो ड्राइवर को बुलाकर लाओ।” ड्राइवर घबरा गया, लेकिन वैशाली ने उसे विश्वास दिलाया।
भाग 11: ड्राइवर की पेशी
इंस्पेक्टर ने ड्राइवर से कहा, “अगर वांटो को बचाना है तो तुझे 5000 देने ही होंगे। वरना तेरी वांटो सीज हो जाएगी।” ड्राइवर ने रोते हुए कहा, “सर, ऐसा मत कीजिए।”
भाग 12: पैसे की मांग
इंस्पेक्टर ने गुस्से में कहा, “मैं तुम्हारी कोई भी बात नहीं सुनूंगा। पैसे दो। वरना तुम बर्बाद होगे।” डर के मारे ड्राइवर ने RJ 2000 निकालकर इंस्पेक्टर को दे दिए।
भाग 13: वैशाली का सामना
इंस्पेक्टर ने कहा, “ठीक है, जा बाहर जाकर बैठो।” फिर उसने वैशाली को बुलाया। वैशाली बिना हिचकिचाए अंदर गई। इंस्पेक्टर ने कहा, “देखो, ज्यादा अकड़ मत दिखाओ। जल्दी से 2000 निकालो। वरना जेल समझी?”
भाग 14: वैशाली का साहस
वैशाली ने बिना डरते हुए जवाब दिया, “मैं आपको एक भी रुपया नहीं दूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की है। आप मुझसे किस चीज के पैसे मांग रहे हैं?”
भाग 15: इंस्पेक्टर की गलती
इंस्पेक्टर ने गुस्से में कहा, “इस औरत को जेल में बंद कर दो।” हवलदार ने तुरंत वैशाली को लॉकअप में डाल दिया।
भाग 16: विकास का आगमन
कुछ देर बाद इंस्पेक्टर विकास मल्होत्रा थाने पहुंचे। उन्होंने पूछा, “आपने यह क्या किया है? यह हमारे जिले की आईपीएस मैडम है।”

भाग 17: कैलाश की गलती
कैलाश राठौर ने हकलाते हुए कहा, “मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि यह आईपीएस मैडम है।” उसने तुरंत हवलदार को इशारा किया और लॉकअप खोल दिया।
भाग 18: डीएम का आगमन
डीएम सुधीर सक्सेना थाने पहुंचे और मामला देखकर इंस्पेक्टर से कहा, “आपने जो किया है, वह कानून का उल्लंघन है।”
भाग 19: वैशाली का बयान
वैशाली ने कहा, “इस इंस्पेक्टर ने ना जाने कितनों को लूटा है। मैंने उसकी हर चाल और हरकत को देखकर चुप रही ताकि इसे बेनकाब कर सकूं।”
भाग 20: प्रेस मीटिंग
डीएम ने कहा, “कल सुबह प्रेस मीटिंग होगी। इंस्पेक्टर कैलाश राठौर को वहां उपस्थित रहना पड़ेगा।”
भाग 21: जनता की प्रतिक्रिया
यह खबर पूरे शहर में फैल गई। लोग एक दूसरे से बात करने लगे कि इंस्पेक्टर ऐसी हरकतें कर रहा था।
भाग 22: प्रेस मीटिंग का दिन
सुबह हुई और प्रेस मीटिंग शुरू हुई। हॉल के बाहर मीडिया की भीड़ और गाड़ियों की कतार लगी हुई थी।
भाग 23: वैशाली की गवाही
वैशाली ने कहा, “जो कुछ भी हुआ, वह सिर्फ मेरे साथ नहीं बल्कि इस जिले की हर गरीब जनता के साथ हुआ है।”
भाग 24: ड्राइवर की गवाही
ड्राइवर ने कहा, “हम गरीब लोग दिन रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालते हैं। लेकिन इंस्पेक्टर कैलाश राठौर जैसे लोग हमें जीने नहीं देते।”
भाग 25: डीएम का फैसला
डीएम ने कहा, “आज की गवाही ने यह साफ कर दिया है कि इंस्पेक्टर कैलाश राठौर ने अपनी सीमा लांघी है।”
भाग 26: इंस्पेक्टर का निलंबन
डीएम ने कागज पर लिखे आदेश को उठाया और कहा, “इंस्पेक्टर कैलाश राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।”
भाग 27: जनता का समर्थन
हॉल तालियों और नारों से गूंज उठा। जनता चिल्ला उठी, “न्याय मिला, न्याय मिला।”
भाग 28: कैलाश की हार
कैलाश राठौर का चेहरा पीला पड़ गया। उसे तुरंत घेर लिया गया।
भाग 29: वैशाली का संदेश
वैशाली ने कहा, “आज का फैसला सिर्फ कैलाश राठौर की हार नहीं है बल्कि यह इस बात का सबूत है कि अगर हम सब मिलकर अन्याय के खिलाफ खड़े हो तो कोई भी भ्रष्टाचार हम पर हावी नहीं हो सकता।”
भाग 30: निष्कर्ष
इस कहानी ने यह संदेश दिया कि हमें कभी भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। अगर हम सब मिलकर लड़ेंगे, तो हम अपने हक के लिए आवाज उठा सकते हैं।
अंत
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