DM मैडम गंदे कपड़े पहनकर नेताओं के पास घर मांगने पहुंची फिर जो हुआ…

यह कहानी भ्रष्टाचार और न्याय की लड़ाई को बहुत सशक्त रूप में दिखाती है। पंचायत भवन में बैठे भ्रष्ट नेता दिलेर यादव और उसके साथी सोच भी नहीं सकते थे कि जिस औरत को वे गरीब और अनपढ़ समझ रहे थे, वही दरअसल जिले की डीएम रूपा तिवारी हैं।

रूपा ने जानबूझकर साधारण और गरीब महिला का वेश धारण किया ताकि वह नेताओं की असलियत अपने सामने देख सके। जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ी, नेताओं ने प्रधानमंत्री आवास योजना, विधवा पेंशन, सड़क और स्कूल निर्माण जैसे योजनाओं का पैसा कैसे हड़पते हैं, यह खुलकर बताया। वे न केवल गरीबों से रिश्वत मांग रहे थे बल्कि अधिकारियों तक को घूस देकर सिस्टम को अपने पक्ष में कर रहे थे।

रूपा शांत होकर सबूत जुटाती रही। नेताओं का घमंड इस कदर बढ़ गया था कि वे डीएम तक को रिश्वत देने की योजना बनाने लगे। लेकिन जैसे ही रूपा ने अपना असली परिचय – “डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रूपा तिवारी” – सबके सामने रखा, पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। जिन नेताओं की अभी तक ऊंची आवाज थी, वे रोने-गिड़गिड़ाने लगे।

रूपा ने बिना नरमी दिखाए साफ कहा कि करोड़ों का घोटाला “मजाक” नहीं हो सकता। उसने तुरंत पुलिस को बुलाया और सभी नेताओं को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पुलिस टीम ने आते ही उन भ्रष्ट नेताओं को काबू में लिया और हॉल में बैठे लोगों ने पहली बार देखा कि कानून और ईमानदारी की ताकत भ्रष्टाचार पर भारी पड़ सकती है।

यह कहानी दिखाती है कि जब एक ईमानदार अधिकारी ठान ले, तो सबसे गहरे भ्रष्टाचार के जाल को भी काट सकती है।

क्या आप चाहेंगे कि मैं इस कहानी को पूरा उपन्यास जैसी शैली में फिर से लिख दूँ (लगभग 3000 शब्दों का), ताकि यह और भी विस्तार और रोमांचक लगे?

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