DM साहब और SP साहब मजदूर के भेष में थाने पहुंचे, उस दिन जो हुआ, पूरा प्रशाशन हिल गया |.
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DM साहब और SP साहब मजदूर के भेष में थाने पहुंचे, उस दिन जो हुआ, पूरा प्रशासन हिल गया!
छत्तीसगढ़ के एक शहर में हाल ही में कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया। नए नियुक्त जिला मजिस्ट्रेट (DM) प्रकाश रेड्डी और जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) अजय वर्मा ने एक अनोखा कदम उठाया। प्रशासन में लगातार आ रही शिकायतों के बाद दोनों अधिकारियों ने फैसला किया कि वे खुद मजदूरों का भेष बनाकर पुलिस स्टेशन की असलियत जानेंगे।
शिकायतों की शुरुआत
प्रकाश रेड्डी ने चार दिन पहले ही अपना कार्यभार संभाला था। तभी से उनके पास एक पुलिस स्टेशन के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही थीं। शिकायतों में लिखा था कि थाने का स्टाफ रिपोर्ट लिखने के बदले रिश्वत मांगता है, और अगर रिपोर्ट लिख भी ली जाए, तो कार्रवाई नहीं होती। DM साहब ने इन शिकायतों को शुरू में हल्के में लिया, लेकिन जब शिकायतें बार-बार आने लगीं, तो उन्हें यकीन हो गया कि कुछ गड़बड़ जरूर है।
उन्होंने SP साहब को बुलाया और दोनों ने मिलकर इस मामले की गंभीरता को समझा। दोनों ने तय किया कि अगर वे अफसर बनकर थाने जाएंगे, तो सब सतर्क हो जाएंगे। इसलिए उन्होंने मजदूरों का भेष बदलने का फैसला किया।
योजना की तैयारी
अगले ही दिन, DM और SP साहब ने सिर पर पुराना गमछा बांधा, साधारण शर्ट और लुंगी पहनी, और शर्ट के अंदर एक छोटा सा लाइव कैमरा छुपा लिया। उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ियां शहर के बाहर रुकवा दीं और वहां से एक रिक्शा लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे। बाहर खड़े कांस्टेबल ने उन्हें रोकते हुए कहा, “क्या काम है?” DM साहब ने कहा, “हमें रिपोर्ट लिखवानी है।” कांस्टेबल ने ₹100 मांगे, और जब DM साहब ने पैसे दिए, तो उसने और पैसे की मांग की। आखिरकार, SP साहब ने भी ₹100 दिए, तब जाकर कांस्टेबल ने उन्हें अंदर जाने दिया।
थाने का असली चेहरा
दोनों अधिकारी जैसे ही अंदर गए, दरोगा साहब कुर्सी पर पैर फैलाए, खुले बटन वाली शर्ट पहने, चना चबा रहे थे। उनका व्यवहार किसी गली के गुंडे जैसा था। DM साहब ने हाथ जोड़कर कहा, “साहब, हमारी ऑटो रिक्शा चोरी हो गई है, रिपोर्ट लिखवा रहे हैं।” दरोगा साहब ने घमंड से कहा, “रिपोर्ट लिखने के लिए शाम का इंतजाम करो।” जब SP साहब ने सवाल किया, तो दरोगा साहब और गुस्सा हो गए, “तू मुझे कानून का पाठ पढ़ाएगा?” और डंडा लेकर एसपी साहब की ओर बढ़े।
इसी बीच, बाहर से सायरन की आवाज आई। DM साहब की स्पेशल टीम गाड़ियों में आई और पूरे थाने को घेर लिया। अधिकारी अंदर आए और दरोगा साहब को सख्त लहजे में कहा, “जो शख्स तुम्हारे सामने है, वह जिले के SP साहब हैं और उनके साथ DM साहब हैं। तुम्हारी हर हरकत कैमरे में रिकॉर्ड हो रही थी।”
प्रशासन का फैसला
दरोगा साहब के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे, “माफ कर दीजिए साहब, गलती हो गई।” लेकिन SP साहब ने सख्त आवाज में कहा, “सरकार ने तुम्हें पीड़ितों की मदद के लिए नियुक्त किया, ना कि उन्हें परेशान करने के लिए। अब कोई माफी नहीं मिलेगी। तुम्हारे खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”
DM और SP साहब ने दरोगा और पूरे स्टाफ के खिलाफ केस दर्ज करवाया। सारे सबूत वीडियो और ऑडियो फॉर्म में रिकॉर्ड थे, जिससे केस मजबूत बन गया। कोर्ट में पेशी के दौरान जज साहब ने पूरे स्टाफ को तत्काल सस्पेंड करने और नए ईमानदार अफसर नियुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही, ऑपरेशन की वीडियो जिले के हर थाने में भेजने के निर्देश दिए ताकि सबको सबक मिले।
जिले में हलचल
जैसे ही यह खबर फैली, पूरे जिले में हलचल मच गई। जनता खुश थी कि अब सच में कोई ईमानदार अफसर उनकी भलाई के लिए मैदान में उतर चुका है। DM साहब ने सभी थानों के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए—अगर कहीं भी रिश्वत या लापरवाही मिली, तो उससे भी कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा, “हमें अपने कर्तव्य का पूरी ईमानदारी से पालन करना चाहिए। ऐसी हरकतें पूरे पुलिस विभाग को बदनाम करती हैं।”
गर्व का पल
जब यह खबर DM साहब के पिता तक पहुंची, तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उन्होंने भावुक होकर सोचा, “मैंने अपने बेटे को हमेशा ईमानदारी का पाठ पढ़ाया था, और आज वह उसे सच में अपने जीवन में उतार रहा है।” DM साहब अब सिर्फ अधिकारी नहीं, बल्कि सच्चे सेवक बन चुके थे।
कहानी का संदेश
यह कहानी बताती है कि जब प्रशासन सच में जागरूक और ईमानदार हो, तो पूरी व्यवस्था बदल सकती है। DM और SP साहब के साहसिक कदम ने पूरे जिले में एक नई मिसाल कायम की। अब लोग जानते हैं कि अगर वे आवाज उठाएंगे, तो कोई न कोई उनकी सुनने वाला जरूर है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं, लेकिन अगर अफसर ठान लें, तो बदलाव मुमकिन है।
आपकी राय?
दोस्तों, क्या आप भी चाहते हैं कि देश के हर जिले में ऐसे अफसर हों? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर लिखें। इस कहानी का उद्देश्य किसी को अपमानित करना नहीं, बल्कि जागरूकता फैलाना है। अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो लाइक करें और अपने दोस्तों के साथ साझा करें।
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