Esha Deol की एक मांग ने सबको चौंका दिया .

ईशा देओल का बड़ा दिल: धर्मेंद्र की यादों का सफर

प्रारंभ

बॉलीवुड में इन दिनों एक बेहद इमोशनल और दिल छू लेने वाली कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है। यह कहानी है ईशा देओल की, जिन्होंने अपने पिता धर्मेंद्र के निधन के बाद एक ऐसा फैसला लिया, जिसने सभी को चौंका दिया। “गुंडा को माफ कर देना बेटे” जैसे शब्दों के साथ, ईशा ने न केवल अपने पिता की यादों को संजोया, बल्कि यह भी साबित किया कि रिश्ते पैसे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

धर्मेंद्र का निधन

24 नवंबर 2025 का दिन भारतीय सिनेमा के लिए एक काला दिन था। धर्मेंद्र, जो न केवल एक अभिनेता बल्कि एक जिंदा दिल इंसान के रूप में जाने जाते थे, ने 89 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से न केवल उनके परिवार में बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर हैशटैग #RIPDharmendra ट्रेंड करने लगा, और उनके प्रशंसकों ने उनके पुराने फिल्मों के क्लिप्स साझा किए।

ईशा का बचपन और पिता का प्यार

ईशा देओल का जन्म 2 नवंबर 1981 को हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्राप्त की और फिर बॉलीवुड में कदम रखा। ईशा का अपने पिता के साथ हमेशा एक खास रिश्ता रहा। धर्मेंद्र ने उन्हें और उनकी बहनों को हमेशा प्यार दिया। ईशा ने कई बार कहा है कि उनके पिता उनके बेस्ट फ्रेंड थे।

बचपन में, ईशा अपने पिता के साथ लोनावाला के फार्महाउस जाती थीं, जहां वे घुड़सवारी करती थीं और खेती का मजा लेती थीं। धर्मेंद्र की विंटेज कारों का कलेक्शन भी ईशा के लिए खास था। वह हमेशा चाहती थीं कि उनके पिता की पुरानी काली कार उनकी हो, क्योंकि उस कार में उनकी बचपन की यादें बसी हुई थीं।

संपत्ति का मुद्दा

धर्मेंद्र के निधन के बाद, उनकी संपत्ति, जिसकी कीमत लगभग 450 करोड़ रुपये है, एक बड़ा मुद्दा बन गई। जूहू में दो आलीशान बंगले, लोनावाला का 100 एकड़ का फार्महाउस, विंटेज कारों का कलेक्शन और कई व्यवसाय इस संपत्ति में शामिल थे। सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गईं कि सनी और बॉबी अपनी सौतेली बहनों को इस जायदाद से बाहर कर देंगे।

लेकिन ईशा ने एक बड़ा दिल दिखाते हुए कहा कि उन्हें पापा की पुरानी काली कार चाहिए, न कि संपत्ति। उनका यह बयान पूरे सोशल मीडिया को भावुक कर गया। ईशा ने साबित कर दिया कि उनके लिए यादें और रिश्ते पैसे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।

ईशा का बड़ा दिल

ईशा का यह फैसला सभी को हैरान कर गया। उन्होंने जायदाद के बजाय अपने पिता की यादों को प्राथमिकता दी। उनका कहना था कि “पैसे से ज्यादा कीमती हैं वो यादें जो पापा के साथ बिताए पलों में बसी हैं।” ईशा ने अपने पिता की काली कार को पाने की इच्छा व्यक्त की, जिसमें उनके बचपन की सभी यादें कैद थीं।

इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि ईशा देओल सिर्फ एक स्टार नहीं हैं, बल्कि एक सच्ची देओल हैं, जिनके दिल में अपने परिवार के लिए गहरा प्यार है।

धर्मेंद्र की विरासत

धर्मेंद्र ने अपने पीछे एक विशाल संपत्ति छोड़ी, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण उनकी विरासत थी। उन्होंने अपने बच्चों को हमेशा यह सिखाया कि रिश्ते और परिवार सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। उनके लिए जायदाद कभी भी प्राथमिकता नहीं थी।

धर्मेंद्र की पुश्तैनी जमीन, जो उन्होंने अपने भतीजे बूटा सिंह को दान की थी, इस बात का प्रमाण है कि वह कभी भी संपत्ति को लेकर लालची नहीं थे। उन्होंने अपने बच्चों को यह सिखाया कि असली संपत्ति प्यार और रिश्तों में होती है।

निष्कर्ष

ईशा देओल का यह फैसला हमें यह सिखाता है कि जीवन में पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं रिश्ते और यादें। जब हम किसी प्रियजन को खोते हैं, तो हमें उनकी यादों को संजोकर रखना चाहिए और उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए।

इस प्रकार, ईशा का यह कदम एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां परिवार की एकता और प्रेम को प्राथमिकता दी गई है। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें और हमें अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। धन्यवाद!

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