Flight में अरबपति की बच्ची रो रही थी, फिर गरीब लड़के ने जो किया – देखकर सब हैरान रह गए।
जिंदगी में सबसे बड़े मौके वहां मिलते हैं जहां हम बस किसी की मदद करना चाहते हैं बिना किसी लालच के। यह कहानी एक ऐसे सफर की है, जिसने दो अलग दुनिया के लोगों को मिला दिया और उनकी पूरी लाइफ बदल दी। यह कहानी हमें यह सिखाएगी कि कैसे एक साधारण सा पल किसी की जिंदगी को पूरी तरह बदल सकता है।
राकेश वर्मा की कहानी
राकेश वर्मा, ल्यूमरॉन इंडस्ट्रीज जैसी 8 बिलियन की कंपनी के चेयरमैन थे। वह अपनी पहली क्लास सीट पर बैठे थे। यह एक लंबी इंटरनेशनल फ्लाइट थी। लेकिन राकेश जी का चेहरा थकान और शर्मिंदगी से लाल हो रहा था। उनकी 6 महीने की बेटी, डिया, पिछले 3 घंटे से बिना रुके चीख रही थी। सोचिए, एक फर्स्ट क्लास कैबिन, जहां हर इंसान शांति और आराम चाहता है, वहां 3 घंटे से एक बच्चा रो रहा था।
राकेश जी ने हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने डिया को गोद में लेकर आयल में वॉक किया, बॉटल से दूध पिलाने की कोशिश की, और डायपर चेंज किया। उन्होंने अपने नॉइज़ कैंसिलिंग हेडफोन से हल्का सा म्यूजिक भी सुनाया, लेकिन कुछ काम नहीं आया। उनकी पत्नी सुजाता इमरजेंसी सर्जरी के बाद हॉस्पिटल में थीं, इसलिए राकेश जी को यह 5 दिन का जरूरी बिजनेस ट्रिप अकेले ही डिया के साथ मैनेज करना पड़ रहा था।
सामाजिक दबाव
उनके आसपास के फर्स्ट क्लास पैसेंजर्स गुस्से वाली नजरों से देख रहे थे। पायलट ने भी हल्की सी अनाउंसमेंट कर दी थी कि सभी पैसेंजर्स के आराम का ध्यान रखा जाए। इसको सुनकर राकेश जी समझ गए थे कि यह उन्हीं के लिए मैसेज था। सीट 1 ए पर एक बड़े और अनुभवी बिजनेसमैन, हरीश जी, अपनी पत्नी से धीरे से कह रहे थे कि ऐसे बच्चों को फर्स्ट क्लास में अलाउड ही नहीं करना चाहिए। सीट 3 बी पर विमला देवी, एक सोशलाइट, अपने फोन पर तेजी से टाइप कर रही थीं। शायद वह कंप्लेन कर रही थीं कि कैसे कुछ पेरेंट्स दूसरों के लिए कोई कंसीडरेशन नहीं रखते।
राकेश जी को बहुत शर्मिंदगी हो रही थी। वह इतने बड़े चेयरमैन थे, बिलियन डील्स मैनेज करते थे, लेकिन अपनी छोटी सी बेटी की चिंता को शांत नहीं कर पा रहे थे। डिया का हर रोना उनकी हेल्पलेसनेस को दिखा रहा था। उन्हें यह नहीं पता था कि उनसे तीन रोज पीछे इकोनमी क्लास में 16 साल का अमन सिंह बैठा था।
अमन की कहानी
अमन अपनी चौलिया गांव से निकला था और लंदन जा रहा था इंटरनेशनल मैथमेटिक्स कंपटीशन चैंपियनशिप में हिस्सा लेने। उसका सफर बहुत लंबा था। उसके पास बस एक पुराना बैक पैक था। उसका प्लेन टिकट उसके पूरे कम्युनिटी ने मिलकर खरीदा था। चाय स्टॉल वाले, मंदिर की कमेटी और पड़ोसी सबने उसकी मदद की थी। अमन के लिए यह कंपटीशन एमआईटी जैसी बड़ी यूनिवर्सिटी से फुल स्कॉलरशिप जीतने का एक अकेला चांस था। अगर वह जीत जाता तो उसकी फैमिली और उसकी पूरी कम्युनिटी का फ्यूचर बदल जाता।
2 साल पहले, अमन की सबसे छोटी बहन, मीना, को सीवियर कॉलिक यानी पेट दर्द हुआ था। वह भी घंटों रोती रहती थी, लेकिन फैमिली के पास बड़े डॉक्टर को दिखाने या महंगे इलाज खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। तब अमन ने खुद ही जिम्मेदारी उठाई। उसने अपनी दादी और लोकल वैद्य से सीखा और कॉलिक रेमेडीज पर रिसर्च की। उसने महीनों तक अलग-अलग मसाज टेक्निक्स और होल्डिंग पोजीशंस ट्राई किए। उसे फाइनली एक कॉम्बिनेशन मिल गया था जिसमें हल्का प्रेशर पॉइंट मसाज, एक खास तरह से पकड़ने का तरीका और एक सॉफ्ट लोरी शामिल थी जिससे मीना का रोना कुछ ही मिनटों में रुक जाता था। उसकी दादी तो प्यार से कहती थीं, “अमन के हाथों में जादू है। यह तो किसी भी बच्चे को शांत कर सकता है।”
एक साहसी कदम
जब अमन ने डिया की चीखें सुनीं, तो उसने तुरंत पहचान लिया कि यह कॉलिक टाइप का डिस्ट्रेस है। वह जानता था कि वह हेल्प कर सकता है। लेकिन उसके मन में एक डर भी था। वह एक गरीब लड़का था। इकोनमी क्लास से उसे लगा कि लोग उसे शक की नजर से देखेंगे। 2 घंटे तक अमन सोचता रहा। लेकिन उसकी दया उसके डर पर हावी हो गई। अमन ने अपनी किताब बंद की और खड़ा हो गया। उसने लोगों की क्यूरियस नजरों को इग्नोर किया।
फ्लाइट अटेंडेंट ने उसे शक की निगाह से देखा। “फर्स्ट क्लास में जो बच्चा रो रहा है, मुझे लगता है कि मैं शायद हेल्प कर सकता हूं,” अमन ने धीरे से कहा। फ्लाइट अटेंडेंट को यकीन नहीं हुआ। “नहीं, मैम,” अमन ने अदब से जवाब दिया। “पर मेरी छोटी बहन को भी कॉलिक थी और मैंने कुछ टेक्निक सीखी हैं जो हेल्प कर सकती हैं।” लेकिन इससे पहले कि वह कुछ करती, राकेश वर्मा, जो पूरी तरह से थक चुके थे, रोते हुए डिया को लेकर आयल में आ गए।
सहायता का प्रस्ताव
“मैंने सुना है कि कोई हेल्प कर सकता है?” राकेश जी ने बहुत डेस्पिरेट होकर पूछा। अमन ने एक गहरी सांस ली। “सर, मेरा नाम अमन सिंह है। मैं जानता हूं कि मैं बस एक बच्चा हूं, पर मेरी छोटी बहन को कॉलिक था और मैंने कुछ तरीके सीखे थे जो उसकी हेल्प करते थे।” राकेश जी ने पहली बार अमन को ढंग से देखा। उन्होंने उसकी आंखों में इंटेलिजेंस और डिया के लिए सच्ची चिंता देखी।
“कौन से तरीके?” राकेश जी ने पूछा। “उसके स्पाइन के स्पेसिफिक पॉइंट्स पर हल्का प्रेशर देना और एक खास तरह की होल्डिंग पोजीशन जिससे गैस और डाइजेस्टिव प्रेशर कम होता है,” अमन ने समझाया। “बच्चों को शांति और स्टेडी प्रेशर चाहिए होता है।”
राकेश जी ने फर्स्ट क्लास कैबिन में देखा। सब लोग उम्मीद से देख रहे थे। राकेश जी ने एक फैसला लिया। “प्लीज,” उन्होंने डिया को अमन की तरफ बढ़ाते हुए कहा। “अगर आप इसकी हेल्प कर सकते हैं तो मैं कुछ भी ट्राई करने को तैयार हूं।”
जादुई परिवर्तन
अगले ही पल जो हुआ, वह किसी जादू से कम नहीं था। जैसे ही अमन के एक्सपीरियंस वाले हाथों ने डिया को पकड़ा, उसका रोना कम होने लगा। अमन ने उसे एक ऐसी पोजीशन में पकड़ा जिसे राकेश जी ने कभी नहीं देखा था। कॉलिक वाले बच्चों को अक्सर गैस की प्रॉब्लम होती है। यह पोजीशन प्रेशर रिलीज करने में मदद करती है। डिया की चीखें धीरे-धीरे सिसकियों में फिर हल्की हिचकियों में और फिर कंप्लीट साइलेंस में बदल गईं। पूरा फर्स्ट क्लास हैरानी से देख रहा था।
अमन ने फिर एक सॉफ्ट लोरी गुनगुनाना शुरू किया। “यह गाना कहां से सीखा?” राकेश जी ने पूछा। “मेरी दादी ने सिखाया था,” अमन ने जवाब दिया। डिया पूरी तरह से अमन की गोद में रिलैक्स हो चुकी थी। हरीश जी और विमला देवी भी बहुत इम्प्रेस थे। “कितनी देर तक शांत रहेगी यह?” राकेश जी ने उम्मीद से अमन से पूछा। “अगर इसे वही प्रॉब्लम है जो मुझे लगती है, तो यह आराम से पूरी फ्लाइट सोती रहेगी,” अमन ने कॉन्फिडेंस से कहा।
नई शुरुआत
डिया गहरी नींद में चली गई। अमन ने डिया को वापस राकेश जी की बाहों में दे दिया। राकेश जी अब इस कमाल के लड़के को नई नजरों से देख रहे थे। “अमन, आपने कहा था कि आप लंदन मैथमेटिक्स कंपटीशन के लिए जा रहे हो?” राकेश जी ने धीरे से पूछा। “हां सर, इंटरनेशनल मैथमेटिक्स कंपटीशन चैंपियनशिप, जो टॉप पर आते हैं, उन्हें एमआईटी जैसे बड़े यूनिवर्सिटी से फुल स्कॉलरशिप मिलती है,” अमन ने बताया। राकेश जी इंप्रेस हो गए। “आप मैथमेटिक्स में बहुत अच्छे होंगे।”
अमन ने कहा कि उसे प्रॉब्लम सॉल्व करना पसंद है। “चाहे वह मैथ के इक्वेशंस हों या फिर एक रोते हुए बच्चे की मदद करना। दोनों ही पजल्स हैं जिनको सही अप्रोच चाहिए।” राकेश जी ने अमन को अपने पास बैठने का इशारा किया और उसके बैकग्राउंड के बारे में पूछा। अमन ने बताया कि वह हमेशा से नंबर्स में अच्छा था। पर उसके स्कूल में अच्छा मैथ प्रोग्राम नहीं था। उसने लाइब्रेरी की किताबों और ऑनलाइन रिसोर्सेज से सेल्फ स्टडी की।
सपनों की ओर कदम
उसकी मैथ टीचर ने उसकी एबिलिटी पहचानी और उसे एक्स्ट्रा प्रॉब्लम्स दिए। “मैंने पहले सिटी लेवल कंपटीशन जीता, फिर स्टेट चैंपियनशिप और फिर नेशनल क्वालिफाइंग राउंड्स,” अमन ने बताया। उसे मैथमेटिकल प्रॉब्लम्स में पैटर्न्स दिख जाते हैं जो दूसरों को नहीं दिखते। राकेश जी अब समझ रहे थे कि वह एक मैथमेटिकल प्रोडिजी से बात कर रहे थे।
“आपका लंदन ट्रिप फंड कैसे हुआ?” राकेश जी ने पूछा। अमन का चेहरा थोड़ा सीरियस हो गया। “हमारी कम्युनिटी ने मेरे प्लेन टिकट और रहने के खर्च के लिए पैसे जमा किए। हमारे मोहल्ले के बारबर शॉप वाले, मंदिर के लोग, नेबर्स सबने कंट्रीब्यूट किया क्योंकि उन्हें मेरे पोटेंशियल पर भरोसा है।” राकेश जी के दिल में एक गहरा बदलाव आया। अमन एक पूरी कम्युनिटी की उम्मीदों और सपनों का बोझ अपने कंधों पर लिए हुए था।
भविष्य की योजनाएँ
“अगर आप कंपटीशन जीत जाते हैं तो क्या होगा?” राकेश जी ने पूछा। “फुल स्कॉलरशिप टू एमआईटी या इंडिया के टॉप इंस्टिट्यूट में लिविंग एक्सपेंस के लिए भी पैसा,” अमन ने बताया। “इसका मतलब होगा कि मैं हाईएस्ट लेवल पर पढ़ाई कर सकूंगा और फिर वापस अपनी कम्युनिटी में आकर दूसरे बच्चों के लिए एजुकेशनल प्रोग्राम्स बना सकूंगा।”
डिया अब भी शांति से सो रही थी। राकेश जी ने खुद एक ऐसा फैसला लिया जिसने उन्हें भी हैरान कर दिया। “अमन, मेरे पास तुम्हारे लिए एक प्रोपोजिशन है,” राकेश जी ने कहा। “कैसा प्रोपोजिशन सर?” अमन क्यूरियस था। “मैं लंदन में पांच दिन के लिए आया हूं बहुत ही जरूरी बिजनेस मीटिंग्स के लिए और आप देख सकते हैं कि मैं डिया का ख्याल रखने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूं। मैं तुम्हें डिया का केयर गिवर हायर करना चाहता हूं।”
एक नई राह
“मैं तुम्हें ₹50,000 पर डे दूंगा। तुम्हारी अकोमोडेशन मेरे अजॉइनिंग होटल रूम में होगी और मैं यह इंश्योर करूंगा कि तुम्हें तुम्हारी कंपटीशन के लिए आने-जाने का ट्रांसपोर्ट मिले।” अमन शौक में राकेश जी को देखता रहा। “₹50,000 पर डे? सर, यह तो मेरी मां एक हफ्ते में भी नहीं कमाती। एक प्रोफेशनल नैनी का इतना ही खर्चा होता है। और सच कहूं तो तुमने पहले ही प्रूफ कर दिया है कि तुम किसी भी प्रोफेशनल से ज्यादा स्किल्ड हो डिया के साथ।”
अमन का दिमाग तेजी से दौड़ रहा था। यह पैसे उसकी फैमिली के लिए लाइफ चेंजिंग होंगे। लेकिन उसे अपने कंपटीशन पर फोकस करना था। “मिस्टर वर्मा, मैं आपके ऑफर से बहुत खुश हूं। पर मुझे इस मैथ कंपटीशन के लिए पूरी तरह से तैयार रहना है।” राकेश जी मुस्कुराए। “मैं पूरा समझता हूं। कंपटीशन पहले आता है। मुझे तुम्हारी हेल्प बस मेरी बिजनेस मीटिंग्स के दौरान चाहिए होगी और शाम को। बाकी फ्री टाइम में तुम पूरी तरह से अपनी पढ़ाई और प्रिपरेशन कर सकते हो।”
सपनों की उड़ान
राकेश जी आगे झुके। “अमन, पिछले 3 घंटों में तुमने मुझे कुछ ऐसा दिखाया है जो मुझे अपने बिजनेस करियर में ज्यादा नहीं मिला। एक ऐसा इंसान जो ऐसी प्रॉब्लम सॉल्व कर सकता है जो दूसरे नहीं कर सकते और जो जेन्युइन कंपैशन से काम करता है।” “आपका क्या मतलब है?” अमन ने पूछा। “आप आराम से अपनी इकॉनमी सीट में बैठ सकते थे और एक रोते हुए बच्चे को इग्नोर कर सकते थे। लेकिन आपने रिस्क लिया और एक अनजान की मदद की। ऐसा कैरेक्टर मैथमेटिकल जीनियस से भी ज्यादा रेयर होता है।”
“क्या मैं थोड़ा टाइम ले सकता हूं सोचने के लिए?” अमन ने पूछा। “जरूर,” राकेश जी ने रिप्लाई किया। “पर मैं एक बात और बताना चाहूंगा। मेरी कंपनी लुमरॉन इंडस्ट्रीज का एक फाउंडेशन है जो गिफ्टेड स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप और मेंटोरशिप देता है। आप कंपटीशन में कैसा भी परफॉर्म करें, मैं चाहूंगा कि हम आपकी एजुकेशनल गोल्स को सपोर्ट करने के बारे में डिस्कस करें।”
एक नई शुरुआत
अमन का दिल तेजी से धड़कने लगा। जैसे ही प्लेन लंदन एयरपोर्ट पर उतरा, अमन ने डिसाइड कर लिया था। “मिस्टर वर्मा,” अमन ने धीरे से कहा, “मैं आपका ऑफर एक्सेप्ट करता हूं। मैं आपकी बिजनेस मीटिंग्स के दौरान डिया का ख्याल रखूंगा।” राकेश जी को बहुत सुकून मिला। “एक्सीलेंट,” राकेश जी ने कहा। “हमारे लिए एक कार वेट कर रही है जो हमें होटल ले जाएगी। हम ड्राइव के दौरान अपने अरेंजमेंट की डिटेल्स डिस्कस कर सकते हैं।”
जब वह एयरपोर्ट से बाहर निकल कर चल रहे थे, तो अमन ने नोटिस किया कि सब लोग उन्हें घूर रहे थे। उनके बाहर जो कार वेट कर रही थी, वह अमन ने कभी नहीं देखी थी। वो स्लीक ब्लैक Mercedes थी। “इंटरनेशनल मैथमेटिक्स कंपटीशन कल शुरू हो रहा है,” अमन ने कार में बैठते हुए बताया। “असली कंपटीशन 3 दिन तक चलेगा। आपके स्ट्रांगेस्ट एरियाज क्या हैं?” “नंबर थ्योरी और कॉम्बिनेटोरियल मैथमेटिक्स,” अमन ने कॉन्फिडेंस से रिप्लाई किया। “मैं टाइम प्रेशर में प्रॉब्लम सॉल्विंग में भी अच्छा हूं।”
कंपटीशन का अनुभव
जब वो फाइव स्टार होटल में पहुंचे तो अमन को लगा जैसे वो किसी दूसरी दुनिया में आ गया हो। होटल लॉबी शानदार थी। मार्बल फ्लोर्स और क्रिस्टल चांडलियर्स थे। “आपका रूम उस दरवाजे से है,” राकेश जी ने एडजॉइनिंग स्वीट की तरफ इशारा किया। “आपको कंप्लीट प्राइवेसी, अपना बाथरूम और 24 आवर रूम सर्विस मिलेगी।” अमन रूम की एलगेंस से हैरान हो गया। “मिस्टर वर्मा, यह इनक्रेडिबल है। पर मुझे पूछना पड़ेगा, आप इतने जेरस क्यों हैं? आप मुझे बेरली जानते हैं?”
राकेश जी डिया के लिए बतल तैयार कर रहे थे। “अमन, अपने बिजनेस करियर में मैंने जल्दी से एक्सेप्शनल लोगों को पहचानना सीख लिया है। तुमने प्लेन में जो किया वह सिर्फ बेबी केयर नहीं था। उसने प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स, इमोशनल इंटेलिजेंस और हिम्मत दिखाई। पर इससे ज्यादा तुम मुझे अपनी ही एज में मेरी याद दिलाते हो। मैं भी एक ऐसे बैकग्राउंड से आया था जहां मौके कम थे।”
जीवन के सबक
“आप अमीर नहीं पैदा हुए थे?” अमन इस रेवोलेशन से हैरान हो गया। राकेश जी मुस्कुराए। “मेरे पिताजी फैक्ट्री वर्कर थे और मेरी मां ऑफिस में साफ करती थीं। मैंने स्कॉलरशिप से यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन या आईआईटी दिल्ली में पढ़ाई की और अपनी कंपनी स्क्रैच से बनाई। डिफरेंस यह है,” राकेश जी ने कहा, “मुझे सफर में ऐसे मेंटर्स मिले जिन्होंने मेरे पोटेंशियल पर विश्वास किया। मैं तुम्हारे लिए वही मेंटोर बनना चाहता हूं।”
कंपटीशन का पहला दिन
अगली सुबह, राकेश जी ने ब्रेकफास्ट और शेड्यूल दिया। “आज सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मेरी मीटिंग्स हैं,” राकेश जी ने एक्सप्लेन किया। “डिया टिपिकली 1 से 3:00 बजे तक नैप लेती है, तो तुम्हें 2 घंटे का पूरा टाइम मिलेगा अपनी कंपटीशन पर फोकस करने के लिए।”
इंटरनेशनल मैथमेटिक्स कंपटीशन की ओपनिंग सेरेमनी में अमन का दिल तेजी से धड़क रहा था। वहां 60 अलग-अलग देशों के स्मार्ट यंग माइंड्स थे। कंपटीशन डायरेक्टर ने वेलकम किया। “आप सब मैथमेटिकल रिसर्च का फ्यूचर हैं। अगले तीन दिन आप ऐसी चैलेंजेस फेस करेंगे जो आपके कंप्यूटेशनल स्किल्स ही नहीं बल्कि आपके क्रिएटिविटी, लॉजिक और एबिलिटी को भी टेस्ट करेंगी।”
चुनौतियों का सामना
अमन ने देखा कि कुछ कॉम्पिटिटर्स वेल्थी फैमिली से थे। पर उसने राकेश जी की बात याद रखी कि सक्सेस बैकग्राउंड या रिसोर्सेज से नहीं, प्रॉब्लम सॉल्विंग की एबिलिटी से आती है। कंपटीशन का पहला राउंड इंडिविजुअल प्रॉब्लम सॉल्विंग का था। अमन ने अपनी टेस्ट बुकलेट खोली। पहला प्रॉब्लम नंबर थ्योरी से रिलेटेड था, जो उसका स्ट्रांगेस्ट एरिया था। अगले 4 घंटे अमन पूरी तरह से मैथमेटिकल प्रॉब्लम सॉल्विंग की दुनिया में खो गया। उसने प्रेशर में शांत रहने की दादी से सीखी हुई टेक्निक्स यूज की।
सपनों की दिशा में
पहले राउंड के बाद अमन होटल वापस आया। “कैसा रहा?” राकेश जी ने तुरंत पूछा। “मुझे लगता है कि मैंने अच्छा किया, पर यहां बहुत ही टैलेंटेड कॉम्पिटिटर्स हैं।” राकेश जी ने अमन की आवाज में हल्की सी अनसर्टेनिटी सुनी। उन्होंने अमन को एडवाइस दी, “भरोसा रखो उन स्किल्स पर जो तुम्हें यहां तक लाए हैं।”
अमन का कॉन्फिडेंस वापस आने लगा। अमन ने डिया का ख्याल रखना शुरू किया, जिसमें उसे रिलैक्स्ड और एनर्जी दोनों महसूस हो रहा था। अमन ने डिया को उसके टॉयज से सिंपल मैथमेटिकल कांसेप्ट सिखाए। ब्लॉक्स गिनना, शेप सॉर्ट करना।
टीम प्रॉब्लम सॉल्विंग
कंपटीशन का दूसरा दिन टीम प्रॉब्लम सॉल्विंग का था। अमन जापान, जर्मनी और ब्राजील के कॉम्पिटिटर्स के साथ एक टीम में था। उन्होंने ट्रैफिक फ्लो ऑप्टिमाइज करने के लिए सॉल्यूशन डिजाइन किया। अमन ने रियल इंसानी बिहेवियर को जोड़कर यूनिक अप्रोच थी। अमन नेचुरली अपने टीम में लीडरशिप रोल ले लिया। “अमन, तुम्हारी अप्रोच ब्रिलियंट है,” ब्राजील की मरिया ने कहा। दूसरे दिन के एंड तक अमन की टीम ने टॉप तीन में स्कोर किया था।
भविष्य की योजनाएँ
उस शाम, राकेश जी अमन के पोटेंशियल पर फिर से सोच रहे थे। “अमन, मैं तुमसे कुछ इंपॉर्टेंट डिस्कस करना चाहता हूं,” राकेश जी ने डिया को सुलाने के बाद कहा। “तुम कल फाइनल राउंड में कैसा भी परफॉर्म करो, मैं तुम्हें तुम्हारी एजुकेशन कंप्लीट होने के बाद अपनी कंपनी में एक पोजीशन ऑफर करना चाहता हूं।” “किस तरह की पोजीशन?” अमन हैरान हो गया।
“मैं नया डिवीजन बनाने के बारे में सोच रहा था जो एआई और मैथ मॉडलिंग को सोशल प्रॉब्लम्स जैसे एजुकेशनल इनक्वालिटी, हेल्थ केयर एक्सेसिबिलिटी पर अप्लाई करेगा। तुम्हारे पास थ्यरेटिकल एस्पेक्ट्स और रियल वर्ल्ड चैलेंजेस को समझने का रेयर कॉम्बिनेशन है।” राकेश जी ने कहा, “मिस्टर वर्मा, यह अमेजिंग लगता है। पर मैं अभी सिर्फ 16 साल का हूं।” “एग्जैक्टली,” राकेश जी ने जवाब दिया। “इसलिए मैं तुम्हारी एजुकेशन और डेवलपमेंट को अगले कई सालों तक सपोर्ट करना चाहता हूं। बदले में तुम्हें अपनी स्किल्स को, अपनी कम्युनिटी जैसी कम्युनिटीज को फायदा पहुंचाने के लिए अप्लाई करने का कमिटमेंट देना होगा।”
एक नई शुरुआत
अमन ने रियलाइज किया कि राकेश जी उसे सिर्फ पैसों से ज्यादा कुछ ऑफर कर रहे थे। वह एक पार्टनरशिप ऑफर कर रहे थे। कंपटीशन का तीसरा और फाइनल दिन इंडिविजुअल प्रेजेंटेशंस का था। अमन का प्रॉब्लम था बहुत ज्यादा आबादी वाले शहरों में इनफेशियस डिजीज के फैलने को प्रिडिक्ट और प्रिवेंट करने के लिए मैथमेटिकल मॉडल बनाना। अमन ने अपने चोल के क्राउडेड कंडीशंस और उसकी फैमिली ने झेली हुई हेल्थ प्रॉब्लम्स के बारे में सोचा।
प्रस्तुति का उत्साह
अमन का प्रेजेंटेशन 20 मिनट्स तक चला। उसने उसे कॉन्फिडेंस और क्लेरिटी से डिलीवर किया। जज डॉक्टर रिया शर्मा ने कहा कि उसका स्यूशन ना सिर्फ एडवांस्ड मैथमेटिकल थिंकिंग दिखाता है बल्कि रियल वर्ल्ड एप्लीकेशन्स की भी समझ दिखाता है। “मैम, मैं एक ऐसी कम्युनिटी में बड़ा हुआ जहां हेल्थ केयर एक्सेस लिमिटेड है,” अमन ने जवाब दिया। “मैंने इस प्रॉब्लम को यह सोचकर अप्रोच किया कि मैथमेटिकल मॉडल्स असल में लोगों की हेल्प कैसे कर सकते हैं।”
जजेस ने इंप्रेस होकर एक दूसरे को देखा। जब अमन ने अपना प्रेजेंटेशन फिनिश किया तो उसे कॉन्फिडेंस था कि उसने अपना बेस्ट परफॉर्म किया है। उस शाम, कंपटीशन की क्लोजिंग सेरेमनी में अमन सैकड़ों दूसरे कॉम्पिटिटर्स के साथ बैठा था जब रिजल्ट्स अनाउंस हुए। थर्ड प्लेस जर्मनी को, सेकंड प्लेस साउथ को। अमन का दिल जोर से धड़क रहा था। “और इस साल के इंटरनेशनल मैथमेटिक्स कंपटीशन चैंपियनशिप का विनर इंडिया को रिप्रेजेंट करते हुए अमन सिंह,” ऑडिटोरियम में तालियों की गूंज उठी।
जीत का जश्न
अमन हैरानी में स्टेज की तरफ चला। उसे ट्रॉफी और एमआईटी या उसके चुने हुए टॉप इंस्टिट्यूट से फुल स्कॉलरशिप मिली। डायरेक्टर ने ऑडियंस को बताया कि जजेस को सबसे ज्यादा इंप्रेस अमन की एबिलिटी ने किया कि वह एडवांस्ड कांसेप्ट्स को रियल वर्ल्ड प्रॉब्लम सॉल्व करने में अप्लाई कर सकता है। जब अमन अपनी ट्रॉफी लेकर स्टेज पर खड़ा था, तो उसने ऑडियंस में राकेश वर्मा को उत्साह से तालियां बजाते हुए देखा, जिन्होंने डिया को पकड़ रखा था।
साझा खुशी
उस रात, राकेश जी के होटल स्वीट में अमन और राकेश जी ने शांत डिनर के साथ सेलिब्रेट किया। अमन ने डिया को उठाया। “आपको पता है फनी बात क्या है?” अमन ने डिया को देखते हुए कहा, “यह सब इसलिए शुरू हुआ क्योंकि मैंने प्लेन में एक रोते हुए बच्चे को शांत करने में हेल्प की थी।” “मैं कभी प्रिडिक्ट नहीं कर सकता था कि एक सिंपल एक्ट ऑफ काइंडनेस इस सब में बदल जाएगा।” राकेश जी ने सोचते हुए सर हिलाया। “जिंदगी में ऐसा ही होता है। आप कभी नहीं जानते कि जब आप सही काम करते हैं, तो वह ऐसे दरवाजे खोल देता है जिनकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की थी।”
नए रास्तों की ओर
जब वह अगले दिन वापस जाने के लिए अपनी फ्लाइट की तैयारी कर रहे थे, अमन और राकेश जी दोनों जानते थे कि उनकी लाइफ इस चांस एनकाउंटर से हमेशा के लिए बदल चुकी थी। अमन को मेंटोर और फ्यूचर करियर पाथ मिला। राकेश जी को एक ब्रिलियंट यंग पार्टनर मिला। पर सबसे इंपॉर्टेंट, दोनों ने यह सीखा था कि कभी-कभी सबसे लाइफ चेंजिंग ओपोरचुनिटीज उस सिंपल फैसले से आती हैं कि हमें किसी जरूरतमंद की मदद करनी है, भले ही उससे हमें कोई ऑब्वियस फायदा ना हो।
निष्कर्ष
जब उनका प्लेन लंदन से वापस जा रहा था, अमन ने खिड़की से उस शहर को देखा जिसने उसकी लाइफ बदल दी थी और मुस्कुराया। गरीब लड़का जिसने अनोखा काम किया था, एक करोड़पति के रोते हुए बच्चे को शांत करके, उसने यह डिस्कवर किया था कि एक सिंपल एक्ट ऑफ कंपैशन उसे कितनी दूर तक ले जा सकता था।
तो दोस्तों, आपने देखा कि कैसे एक छोटा सा नेकी का काम एक अनजान जगह पर किसी की भी किस्मत बदल सकता है। सच्चा टैलेंट और अच्छे संस्कार हमेशा अपनी जगह बना ही लेते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी। अगर आपको यह दिल को छू लेने वाली कहानी अच्छी लगी तो प्लीज इस वीडियो को लाइक करें। कमेंट में अपने थॉट्स जरूर शेयर करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल ना भूलें। हमेशा याद रखें, जिंदगी में सबसे बड़े करोड़पति वो नहीं होते जिनके पास सबसे ज्यादा पैसा होता है, बल्कि वह होते हैं जिनका दिल सबसे ज्यादा अमीर होता है।
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