Govinda With Sunita Ahuja Make First Appearance Amid Divorce On Ganesh Chaturthi WithSon Yashvardhan
हर वर्ष भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को जब गणेश चतुर्थी का पर्व आता है, तो पूरे देश में भक्ति, उल्लास और श्रद्धा की एक अलग ही लहर दौड़ जाती है। विशेष रूप से मुंबई जैसे शहरों में, जहां हर गली, हर घर में बप्पा का स्वागत होता है, वहां यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव बन जाता है। ऐसे ही एक भक्तिपूर्ण और भावनात्मक अवसर पर गोविंदा और उनकी पत्नी सुनीता आहूजा के घर गणपति बाप्पा की स्थापना ने मीडिया और आम जनता का ध्यान आकर्षित किया।
ईश्वर का आशीर्वाद ही सबसे बड़ा संबल
कार्यक्रम की शुरुआत में गोविंदा का एक प्रेरणादायक वक्तव्य सुनने को मिला। उन्होंने कहा, “भगवान का अगर आशीर्वाद रहे, उसे कोई नहीं छोड़ सकता, उसे कोई छू भी नहीं सकता।” यह वाक्य न केवल उनकी आध्यात्मिक सोच को दर्शाता है, बल्कि इस बात पर भी ज़ोर देता है कि मनुष्य के जीवन में भाग्य और आशीर्वाद की अहम भूमिका होती है। गोविंदा ने आगे कहा कि यदि आप जीवन में कुछ ऐसा पाना चाहते हैं जो किसी ने ना पाया हो, तो उसका रास्ता मां-बाप की सेवा से होकर जाता है।
गोविंदा की बातों से स्पष्ट था कि वह आज भी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और विशेष रूप से अपनी मां के आशीर्वाद को देते हैं। उन्होंने बताया कि जब तक मां का आशीर्वाद है, कोई बाधा जीवन में टिक नहीं सकती। उनका यह विश्वास दर्शाता है कि सफलता केवल कड़ी मेहनत से नहीं, बल्कि संस्कारों और परिवार से जुड़ी भावनाओं से भी आती है।
सुनीता आहूजा की भावना और बेटे यशवर्धन का करियर
इस अवसर पर सुनीता आहूजा ने भी मीडिया से खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि इस बार गणपति बाप्पा को उनके बेटे यशवर्धन घर लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि जब गोविंदा का करियर शुरू हुआ था, तब उनकी मां और सास ने घर में गणपति स्थापना की परंपरा शुरू की थी। अब वही परंपरा उन्होंने अपने बेटे के साथ आगे बढ़ाई है। यशवर्धन का अगला महीना फिल्म शूटिंग से शुरू होने वाला है, और उसी की सफलता के लिए बप्पा का आशीर्वाद लेने यह विशेष आयोजन किया गया।
सुनीता जी ने कहा, “जैसे-जैसे यश आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे हमारे बप्पा भी बाल स्वरूप से युवावस्था में आएंगे।” यह भावुक बयान एक मां के विश्वास को दर्शाता है जो अपने बेटे के भविष्य को लेकर आशान्वित है और बप्पा से उसकी सफलता की प्रार्थना कर रही है।
मां-बाप की सेवा और कर्म का महत्व
गोविंदा का एक और संदेश जो युवाओं को प्रेरित करता है, वह था: “कर्म करते रहो, लेकिन अगर किस्मत से चमत्कार की उम्मीद है, तो मां-बाप की सेवा करो।” उनका यह कथन एक गहरी सामाजिक और आध्यात्मिक सीख देता है। आज की युवा पीढ़ी जहां तेजी से आगे बढ़ रही है, वहीं गोविंदा का यह संदेश उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा देता है।
सोशल मीडिया, व्लॉग्स और लोकप्रियता
गणपति उत्सव के दौरान सुनीता आहूजा ने बताया कि उन्होंने अपने परिवार के साथ कई व्लॉग्स बनाए हैं, जिनमें से एक अमृतसर ट्रिप का व्लॉग है जिसमें वह राज कुंद्रा और गीता बसरा के साथ नजर आएंगी। उन्होंने यह भी साझा किया कि उनका गणपति व्लॉग गोविंदा और उनके बच्चों के साथ जल्द ही रिलीज होगा।
वह अपने व्लॉग्स को लेकर काफी उत्साहित थीं और उन्होंने बताया कि उन्हें 2 लाख से ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि डिजिटल मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए आज लोग कितनी तेजी से अपनी बात दुनिया तक पहुँचा सकते हैं।
नई पीढ़ी का समर्थन और अफवाहों का खंडन
सुनीता जी ने सोशल मीडिया पर अपने द्वारा किसी युवा अभिनेता को लेकर दिए गए बयान के बारे में स्पष्टता दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी आहान पांडे या किसी अन्य नए कलाकार के खिलाफ कुछ नहीं कहा, बल्कि वह नई पीढ़ी के हर उस बच्चे का समर्थन करती हैं जो मेहनती है और नाम कमाना चाहता है।
उन्होंने कहा, “अब पुराने लॉट को छोड़ो यार, नया टैलेंट देखो।” इस वाक्य से उनका यह नजरिया सामने आता है कि बदलाव को स्वीकार करना और नए चेहरों को मंच देना जरूरी है।
गोविंदा और सुनीता के रिश्ते पर अफवाहें
जब मीडिया ने उनके और गोविंदा जी के संबंधों को लेकर फैली अफवाहों पर प्रतिक्रिया मांगी, तो सुनीता जी ने बड़े आत्मविश्वास और स्पष्टता से कहा, “मेरा गोविंदा सिर्फ मेरा है, और किसी का नहीं।” उनका यह जवाब न केवल एक पत्नी के अधिकार की भावना को दर्शाता है, बल्कि मीडिया को यह संकेत भी देता है कि किसी के निजी जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप करना सही नहीं।
भक्ति, संस्कृति और स्वास्थ्य की सीख
कार्यक्रम के अंत में सुनीता जी ने एक प्यारा संदेश भी दिया कि “मोदक कम खाइए, वेट पुट ऑन होता है भैया।” यह बात हंसी में कही गई थी, लेकिन इसके पीछे एक गंभीर संदेश था कि त्यौहारों का आनंद जरूर लें, लेकिन स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।
निष्कर्ष
यह पूरा आयोजन न केवल एक धार्मिक अवसर था, बल्कि एक परिवार की एकजुटता, उनके मूल्यों, भक्ति और सामाजिक सरोकारों का प्रतीक भी था। गोविंदा और सुनीता आहूजा के इस कार्यक्रम से यह संदेश साफ निकल कर आता है कि जीवन में सफलता केवल मेहनत से नहीं, बल्कि संस्कार, भक्ति और परिवार के आशीर्वाद से भी मिलती है।
गणपति बाप्पा की इस पावन उपस्थिति में, जहां आशीर्वाद की वर्षा हुई, वहां से एक बार फिर यही उद्घोष सुनाई दिया –
गणपति बाप्पा मोरया! मंगल मूर्ति मोरया!
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