No one noticed Hema Malini sacrifice! Hema Malini, Prakash Kaur, Sunny Deol, Dharmendra, bobby Deol

.
.

हेमा मालिनी: एक सौतन की कुर्बानी, जिसे आज भी कोई नहीं समझ पाया

भूमिका

भारतीय समाज में ‘सौतन’ शब्द हमेशा से विवाद और नकारात्मकता का प्रतीक रहा है। जब भी किसी परिवार में दूसरी पत्नी आती है, उसे अक्सर घर तोड़ने वाली, गाली की तरह देखा जाता है। यह धारणा इतनी गहरी है कि सौतन का नाम सुनते ही लोगों के मन में नकारात्मक भावनाएँ जाग जाती हैं। लेकिन बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी ने इस शब्द को न सिर्फ नया अर्थ दिया, बल्कि अपनी ज़िंदगी और व्यवहार से सौतन को सम्मान और समझदारी का प्रतीक बना दिया।

धर्मेंद्र और हेमा मालिनी का रिश्ता

हेमा मालिनी, अपने दौर की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री थीं। उनकी खूबसूरती, अदाकारी और स्टारडम के आगे सब नतमस्तक थे। धर्मेंद्र, जो पहले से प्रकाश कौर से शादीशुदा थे, हेमा मालिनी के प्यार में पड़ गए। हेमा मालिनी भी जानती थीं कि धर्मेंद्र पहले से शादीशुदा हैं और उनका एक बड़ा परिवार है। इसके बावजूद, दोनों ने शादी करने का फैसला लिया।

यह फैसला आसान नहीं था; हेमा मालिनी जानती थीं कि उन्हें धर्मेंद्र के पहले परिवार के साथ तालमेल बैठाना होगा। अगर चाहतीं, तो अपनी प्रसिद्धि और ताकत के बल पर धर्मेंद्र को उनके पहले परिवार से अलग कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

हेमा मालिनी की कुर्बानी

हेमा मालिनी ने कभी अपने अधिकारों के लिए धर्मेंद्र के पहले परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाया। उन्होंने कभी प्रकाश कौर के घर जाकर विवाद नहीं किया, न ही उनके परिवार से कोई वास्ता रखा। जब भी धर्मेंद्र के भाई अजीत देओल (जो अभय देओल के पिता हैं) हेमा और धर्मेंद्र के बीच पुल का काम करते, हेमा मालिनी ने कभी इसका गलत फायदा नहीं उठाया।

धर्मेंद्र को हमेशा यही सलाह दी कि वे अपने पहले परिवार के साथ समय बिताएँ, उनकी गरिमा बनाए रखें। हेमा मालिनी ने अपने हिस्से का समय धर्मेंद्र से लिया, लेकिन कभी परिवार की एकता को नुकसान नहीं पहुँचाया।

परिवार को जोड़ने की मिसाल

जहाँ आजकल दूसरी पत्नियाँ पहले परिवार को तोड़कर अपने पति को पूरी तरह अपने घर में रखती हैं, वहीं हेमा मालिनी ने नई मिसाल पेश की। उन्होंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि धर्मेंद्र के पहले परिवार को प्राथमिकता मिले। अपने बेटियों के साथ-साथ सनी देओल और बॉबी देओल को भी बेटे की तरह प्यार दिया। जब भी मौका मिला, धर्मेंद्र के साथ खड़ी रहीं।

हेमा मालिनी ने कभी प्रकाश कौर या उनके बच्चों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया। सिमी ग्रेवाल के टॉक शो में भी उन्होंने कहा, “उनका परिवार बहुत अच्छा है, सनी और बॉबी बहुत प्यारे हैं। वे रक्षाबंधन पर अपनी बहनों से मिलने आते हैं।” हेमा हमेशा बाहरी लाइन के अंदर रहीं, कभी अपने अधिकारों के लिए परिवार में दरार नहीं डाली।

समाज की नजरें

आज सोशल मीडिया पर हेमा मालिनी को अक्सर ‘सौतेली’ कहकर नकारा जाता है। धर्मेंद्र के दोनों बेटे उन्हें प्रेयर मीट में नहीं बुलाते हैं, और हेमा मालिनी अकेले घर में रोती हैं। वह इस इंतजार में रहती हैं कि धर्मेंद्र के चाहने वाले कभी उनके पास आ जाएँ। लेकिन सच यही है कि धर्मेंद्र के पहले परिवार की तरफ ही सबका झुकाव रहता है।

हेमा मालिनी ने पूरी ज़िंदगी अकेलेपन में बिताई। जब भी थोड़ा समय मिला, धर्मेंद्र ने उन्हें दिया, लेकिन एक पत्नी के तौर पर जो पूरा समय मिलना चाहिए, वह हमेशा आधे हिस्से में बँटकर ही आया। आज उम्र के इस पड़ाव पर हेमा मालिनी अकेले बैठी हैं, उनकी कुर्बानी को कोई नहीं देखता।

क्या हेमा मालिनी को सम्मान मिलेगा?

यह सवाल आज भी बना हुआ है कि क्या सनी देओल अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए हेमा मालिनी को सम्मान देंगे? क्या हेमा मालिनी को उनकी कुर्बानी का सही मूल्य मिलेगा? उन्होंने जिस तरह सौतन के मायने बदल दिए, वह आज भी मिसाल है।

हेमा मालिनी ने कभी अपने अधिकारों के लिए लड़ाई नहीं की, कभी परिवार को तोड़ने की कोशिश नहीं की। उन्होंने हमेशा परिवार को जोड़ने, सम्मान देने और रिश्तों की गरिमा बनाए रखने की कोशिश की।

निष्कर्ष

हेमा मालिनी की कहानी आज के समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित कर दिया कि सौतन का मतलब सिर्फ घर तोड़ना नहीं होता, बल्कि परिवार को जोड़ना भी होता है। उनकी कुर्बानी, उनकी समझदारी और उनका संयम हर भारतीय महिला के लिए मिसाल है।

जहाँ आज रिश्तों में स्वार्थ और अधिकार की लड़ाई आम हो गई है, हेमा मालिनी ने अपनी गरिमा, आत्म-सम्मान और परिवार की एकता को सबसे ऊपर रखा। उनकी कुर्बानी को भले ही आज कोई न देखे, लेकिन उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगी।

समाप्त

.