Safai wala Samjh Kr Insult Kr Di Lekin Haqeeqat Jaan kr sb Hairan Reh Gy
सुबह का समय था। इमारत के सामने लोग अपनी गाड़ियों से उतर रहे थे। सूट, टाई और चमकते जूते उनकी शख्सियत को नुमाया कर रहे थे। हर एक के चेहरे पर जल्द ही मुकाबले और कामयाबी की भूख साफ झलक रही थी। उसी भीड़ में एक नौजवान खामोश कदमों से चलता हुआ इमारत के केंद्रीय दरवाजे पर पहुंचा। उसके कंधे पर पुराना सा बैग था, कपड़ों पर हल्की सी शिकन और जूते इतने घिसे हुए जैसे बरसों से सफर करते चले आ रहे हों। उसका नाम आर्यन था। किसी ने उस पर तवज्जो नहीं दी क्योंकि उनकी निगाहों में वह बस एक मामूली मजदूर लग रहा था। लेकिन हकीकत यह थी कि आर्यन आम नहीं था। वह उसी कंपनी का असल वारिस और आने वाला मालिक था।
आर्यन की पहचान छिपाना
बाहर के मुल्क से तालीम पूरी करके लौटा था। बड़े इदारे में इंटर्नशिप भी की थी। मगर अपनी असलियत छुपा ली। उसने फैसला किया कि अगर उसे कयादत संभालनी है तो सबसे पहले यह जांचे कि उसकी टीम हकीकत में कैसी है। कौन ईमानदार है, कौन चापलूस और कौन अपनी कुर्सी के नशे में इंसानियत को भूल चुका है। इसीलिए उसने खाकरू का भेष अपनाया। हाथ में झाड़ू पकड़ा, कमर झुकाई और इमारत के अंदर कदम रखा।
पहली मुलाकात
दरवाजे के भीतर दाखिल होते ही उसे तेज कदमों की आहट सुनाई दी। एक औरत हाई हील पहने उसकी तरफ बढ़ रही थी। उसका नाम संजना था। कंपनी की असिस्टेंट मैनेजर, सख्त मिजाज, रबदार और अपने मातहतों पर धौंस जमाने में मशहूर। उसकी निगाहें आर्यन पर पड़ते ही तेज हो गईं। उसने ऊपर से नीचे तक उसे घूरा और सख्त लहजे में बोली, “यहां क्यों खड़े हो? फौरन सफाई करो। यह जगह तुम्हारे खड़े होने की नहीं है।” आर्यन ने सर झुका लिया। लम्हा भर के लिए दिल में चुभन सी उठी। मगर चेहरे पर सुकून रखा।
अपमान सहना
खामोशी से झाड़ू उठाया और कोने की तरफ बढ़ गया। उसके लिए यह जिल्लत बर्दाश्त करना आसान नहीं था। लेकिन वह जानता था कि असल मकसद कुछ और है। यह खेल नहीं बल्कि एक बड़ा इम्तिहान है जिसमें कामयाब होना जरूरी है। संजना ने जाते-जाते तंजिया अंदाज में कहा, “यहां सफाई करने वाले पुराने खाकरूब की तरह सुस्ती मत दिखाना, वरना ज्यादा दिन नहीं चल सकोगे।” उसके अल्फाज सुनकर इर्द-गिर्द के कुछ मुलाजिम मुस्कुराए। किसी ने ज़ेरलब हंसी छुपाई और कोई अपनी फाइलों में मुंह का बचवा के आकर निकल गया।
खाने का समय
पेंट्री का माहौल हमेशा की तरह शोर घोल से भरा हुआ था। कुछ मुलाजिम कहके लगा रहे थे। कुछ कॉफी के मग हाथ में लिए गपशप कर रहे थे। आर्यन खामोशी से झाड़ू लिए एक कोने में सफाई में मशरूफ था। उसकी निगाहें जमीन पर थीं लेकिन कान हर बात सुन रहे थे। अचानक एक खातून ने जोर से कहखा लगाया और इशारा करते हुए बोली, “अरे देखो नया खाकरू बिल्कुल देहाती लग रहा है। शायद पहली बार किसी बड़ी इमारत में आया है।” उसके साथ बैठी दूसरी लड़की ने फौरन जुमला कसा, “हां बिल्कुल। लगता है लिफ्ट का बटन दबाना भी नहीं आता होगा।”
तौहीन का सामना
इन सबकी हंसी एक साथ गूंजी। माहौल में तहकीर और तकब्बुर की बू फैल गई। लेकिन आर्यन ने सर ना उठाया। उसके होठों पर हल्की सी खामोश मुस्कान थी। दिल ही दिल में वह इन सबके चेहरे याद करता रहा। वह जानता था कि ऐसे ही लम्हात असल इम्तिहान होते हैं जहां इंसान के किरदार का पता चलता है।
संजना का अहंकार
शाम ढलने लगी। दफ्तर के दरवाजे के बाहर रोशनियों के दरमियान एक चमकती हुई कीमती गाड़ी आकर रुकी। आर्यन ने दूर से देखा कि संजना फोन कान पर लगाए गाड़ी में बैठ रही है। उसके चेहरे पर गरूर और अंदाज में तकबुर नुमाया था। करीब खड़े सिक्योरिटी गार्ड ने दरवाजा खोला और वह मुस्कुरा कर अंदर बैठ गई। फोन पर उसके अल्फाज़ आर्यन के कानों तक पहुंचे, “हां हनी। आज रात मुझे एक फाइव स्टार रेस्टोरेंट ले जाना। मैं कोई सस्ता सा कैफे बर्दाश्त नहीं कर सकती।”
आर्यन का संकल्प
आर्यन ने लम्हा भर के लिए उस मंजर को गौर से देखा। फिर आहिस्ता से अपनी निगाहें झुका ली। उसके दिल में एक ही ख्याल आया, “यह गुहरूर ज्यादा दिन नहीं चलने वाला। ताकत और हैसियत इंसान को हमेशा नहीं बचा सकती। एक दिन सच्चाई सबके सामने आएगी।” वह खामोश कदमों से इमारत से बाहर निकला। शाम की ठंडी हवा ने उसके थके जिस्म को छुआ। मगर उसकी आंखों में एक अज्म की चमक थी। यह शुरुआत थी एक तवील खेल की जिसमें हर झूठ, हर गहरूर और हर नाइंसाफी बेनकाब होनी थी।
फिरोज से मुलाकात
आर्यन की मुलाकात एक सीनियर खाकरू फिरोज से हुई। फिरोज बरसों से कंपनी में था। वह सादा सा आदमी था, कम बोलने वाला लेकिन दिल का साफ। वह हमेशा मेहनत करता और कभी किसी से झगड़ा नहीं करता था। मुलाजिम अक्सर उसका मजाक उड़ाते। कोई उसे बूढ़ा खाकरूप कह देता तो कोई उसके कपड़ों पर तंज कसता। मगर फिरोज ने कभी बुरा ना माना। आर्यन को फिरोज में एक अलग रोशनी नजर आई।
ईमानदारी की मिसाल
आर्यन ने फिरोज से पूछा, “भाई, तुम इतने बरसों से यहां हो। कभी बुरा नहीं लगता जब लोग तुम्हें यूं बेइज्जत करते हैं?” फिरोज मुस्कुराया और बोला, “बेटा, इज्जत देने वाला ऊपर वाला है। ये लोग जो आज हंसते हैं, कल भूल जाएंगे। मगर अगर हम अपना काम ईमानदारी से करें तो दिल मुतमिन रहता है।”
सच्चाई की खोज
आर्यन ने खुद से वादा किया कि वह एक दिन ना सिर्फ फिरोज बल्कि हर उस शख्स का हक दिलाएगा जिसे यहां सालों से दबाया जा रहा है। लेकिन वह जानता था कि अभी यह वक्त नहीं। उसे और सहना होगा और सही मौके का इंतजार करना होगा। दिन गुजरते गए और आर्यन ने दफ्तर के हर कोने में होने वाली हरकतों को करीब से देखना शुरू कर दिया।
जाली रिपोर्टों का पर्दाफाश
एक दिन दोपहर के वक्त कंपनी की कोऑपरेटिव सोसाइटी के कमरे से खबर आई कि वहां से कुछ रकम गायब हो गई है। खबर सुनते ही दफ्तर में हलचल मच गई। सब लोग अपनी मेजों से उठकर बातें करने लगे। कोई कह रहा था कि शायद कागजात में गलती हुई है तो कोई कह रहा था कि यह यकीनन किसी अंदरूनी मुलाजिम का काम है।
संजना का आरोप
अभी शोर जारी था कि संजना तेज कदमों के साथ हॉल में दाखिल हुई। उसके हाथ में कागजात थे और चेहरे पर गुस्से की लाली। उसने सबके सामने जोर से कहा, “हमें सब मालूम है कि पैसे किसने चुराए हैं। यह हरकत किसी और की नहीं बल्कि फिरोज की है।” फिरोज जो उस वक्त पानी का गैलन उठाए कमरे में आया था, हैरत से संजना की तरफ देखने लगा।
फिरोज का अपमान
उसकी आवाज कांपने लगी। “मैडम, मैंने कुछ नहीं किया। मैं तो सिर्फ पानी रखने आया था। पैसों को हाथ भी नहीं लगाया।” मगर संजना ने एक ना सुनी। उसने सबके सामने फिरोज को सख्त अल्फाज में लताड़ा। “बस करो, तुम जैसे लोग ही कंपनी की बदनामी का सबब बनते हैं। तुम्हें तो यहां से निकाल देना चाहिए।”
आर्यन का गुस्सा
आर्यन दूर खड़ा यह सब मंजर देख रहा था। उसका दिल टूट गया। वह जानता था कि फिरोज बेकसूर है। मगर सबने बस अपनी आंखें फेर ली। रात को जब दफ्तर खाली हो गया तो आर्यन खामोशी से सिक्योरिटी रूम में दाखिल हुआ। उसने कंप्यूटर पर जाकर कमरे के कैमरे की रिकॉर्डिंग खोली। स्क्रीन पर वाजे था कि फिरोज कमरे में आया, गैलन रखा और फौरन वापस निकल गया। उसने पैसों के डिब्बे को छुआ तक नहीं।
सच्चाई का सबूत
यह देखकर आर्यन ने सुकून की सांस ली। मगर साथ ही दिल में गुस्से की एक आग भड़क उठी। उसने फौरन वीडियो कॉपी करके अपने पास महफूज़ कर ली। उसने खुद से कहा, “अक्त बदलने वाला है। यह जुल्म ज्यादा देर नहीं चल सकता।” वह रात आर्यन के लिए फैसला कुन थी।
संजना का खेल
संजना के रवैये में भी बदलाव आ गया था। अब वह आर्यन को बार-बार निशाना बनाने लगी। कभी उस पर चिल्लाती कि उसने मग ठीक से साफ नहीं किया। कभी दूसरों के सामने उसे बेइज्जत करती कि उसका काम सुस्त और निकम्मा है। बाकी मुलाजिम या तो चुपचाप तमाशा देखते या हंसकर माहौल में और तजलील का रंग भर देते।
आर्यन का संकल्प
आर्यन ने यह सब बर्दाश्त किया। लेकिन उसके अंदर एक मंसूबा परवान चढ़ने लगा। वह जानता था कि अगर खामोश रहा तो ना सिर्फ फिरोज बल्कि हर कमजोर मुलाजिम यूं ही दबाया जाता रहेगा। लिहाजा उसने फैसला किया कि अब वक्त है कि हकीकत को सबके सामने लाया जाए।
खुफिया ईमेल
अगली सुबह दफ्तर का माहौल हमेशा की तरह मामूल के मुताबिक था। मुलाजिम अपनी-अपनी मेजों पर बैठे थे। अचानक 9:00 बजे के करीब सबके कंप्यूटर पर एक ही वक्त में एक खुफिया ईमेल नुमाया हुई। उस ईमेल में संजना के जाली बोनस और रिपोर्टों की तफसील थी।
संजना की बेनकाबि
पूरे दफ्तर में खलबली मच गई। मुलाजिम एक दूसरे से सरगोशियां करने लगे। “क्या यह सच है? यह तो बड़ी गड़बड़ है। यह सब कैसे मुमकिन है?” संजना का चेहरा एकदम जर्द पड़ गया। उसने फौरन ईमेल बंद करने की कोशिश की मगर अब देर हो चुकी थी।
आर्यन का प्रवेश
आर्यन कमरे में दाखिल हुआ। मगर अब वह महज खाकरूब नहीं था। उसने एक नया नाम अपना रखा था। रियाज हफिया। ऑडिट टीम के मुआविन की हैसियत से वहीं मौजूद था। सब हैरान रह गए कि यह खाकरूब अचानक ऑडिट टीम में कैसे शामिल हो गया।
सच्चाई का खुलासा
आर्यन ने खामोशी से एक फाइल मेज पर रखी। “यह देख लीजिए। यह वो सबूत हैं जिनमें रिश्वत के ट्रांसफर्स और जाली दस्तख्त सब कुछ वाजे हैं।” कमरे में सन्नाटा छा गया। सब ने कागजात पर निगाहें दौड़ाई। वहां साफ दिखाया गया था कि संजना ने कई प्रोजेक्ट्स में गैरकानूनी कमीशन वसूल किए और रकम अपने जाती अकाउंट में मुंतकिल करवाई।
संजना की हार
संजना के हाथ कांपने लगे। उसने रोने के अंदाज में कहा, “यह सब मेरे खिलाफ साजिश है। कोई अंदर से मेरा दुश्मन है।” मगर उसकी आवाज कमजोर थी। अब किसी को उसके अल्फाज़ पर यकीन ना आया। एचआर मैनेजर ने कुर्सी से झुककर कहा, “हम मजीद तहकीकात करेंगे।”
अंतिम फैसला
लेकिन इब्तदाई शवाहिद आपके खिलाफ हैं। फिलहाल आपकी तमाम मरात और बोनस मुंजमिद किए जाते हैं। संजना की आंखों में खौफ उतर आया जो कल तक सबको नीचा दिखाती थी। आज खुद सबके सामने बेनकाब हो रही थी। आर्यन ने दिल ही दिल में सोचा, “यह तो सिर्फ आगाज है। असल खेल अभी बाकी है।”
कंपनी का नया अध्याय
संजना के खिलाफ तहकीकात ने दफ्तर के माहौल को बदल डाला था। वह जो कभी सब पर रब डालती थी, अब खुद एक मुजरिम की तरह दबक कर रहने लगी थी। मुलाजिमों के दरमियान सरगोशियां बढ़ने लगीं। कोई कहता, “अब देखना, इसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा,” तो कोई सर हिलाकर जवाब देता, “ऐसे लोग ज्यादा दिन नहीं बच सकते।”
आर्यन की नई योजना
चंद दिन बाद कंपनी के तमाम मुलाजिमों को एक हंगामी पैगाम भेजा गया। सबको बड़े हॉल में जमा होने का हुक्म दिया गया था। फजा में अजीब सा खौफ और तजसुस था। लोग सोच रहे थे कि शायद यह सब संजना के केस से मुताल्लिक है।
आर्यन का खुलासा
स्टेज पर सीनियर डायरेक्टर खड़े हुए। उनके चेहरे पर संजीदगी झलक रही थी। उन्होंने माइक के करीब जाकर कहा, “दोस्तों, इस कंपनी को सालों पहले एक ख्वाब की तरह तामीर किया गया था। मगर ख्वाब सिर्फ मेहनत और ईमानदारी से हकीकत बनते हैं। कुछ वक्त पहले कंपनी के असल वारिस ने एक फैसला किया कि वह आप सबका असली किरदार देखना चाहता है। उसने अपनी पहचान छुपाई।”
सच्चाई की जीत
यह सुनते ही हॉल में खलबली मच गई। सबकी निगाहें एक दूसरे पर जमी थीं। फिर पर्दा हटा और एक नौजवान सूट पहने स्टेज पर नुमाया हुआ। वही आर्यन था जिसे सबने अब तक खाकरूब समझा था। हॉल में सन्नाटा छा गया। आर्यन ने माइक थामा। उसकी आवाज पुरसुकून थी।
नया अध्याय
“मेरा नाम आर्यन है। मैं इस कंपनी का वारिस हूं। मैंने खाकरूब का रूप इसलिए अपनाया ताकि देख सकूं कि आप में से कौन इंसानियत की इज्जत करता है और कौन ताकत के नशे में अंधा है।” उसने सबके सामने एक फाइल खोली जिसमें संजना की बदमलियों के सबूत थे। “संजना, तुमने अपने ओहदे को ढाल बनाकर कमजोरों को दबाया। झूठ बोले और कंपनी को नुकसान पहुंचाया। आज के बाद तुम इस दफ्तर का हिस्सा नहीं हो। तुम्हें इसी लम्हे बरतरफ किया जाता है।”
नया जीवन
हॉल में एकदम शोर मच गया। तालियों की गूंज हर तरफ सुनाई दी। आर्यन ने फिरोज को अपने दफ्तर बुलाया। फिरोज झिझकते हुए अंदर आया। आर्यन ने मुस्कुराकर कहा, “भाई फिरोज, आज से आप इस कंपनी के लॉजिस्टिक कोऑर्डिनेटर हैं। यह ओहदा आपकी ईमानदारी और मेहनत की बदौलत है।”
संजीवनी का अवसर
आर्यन ने संजना को भी जिंदगी का एक मौका दिया। एक दिन कैफे में उससे मिला और कहा, “जिंदगी खत्म नहीं हुई। अगर बदलना चाहो तो यह कार्ड है। हमारे तरबियती प्रोग्राम में शामिल हो जाओ। वहां से नए सिरे से शुरुआत कर सकती हो।”
निष्कर्ष
कंपनी अब वाकई एक खानदान बन चुकी थी। वहां हर कोई जान गया कि असल ताकत गुरूर में नहीं बल्कि सच्चाई, सब्र और इंसाफ में है। आर्यन ने साबित कर दिया कि पहचान का सफर कभी खत्म नहीं होता, और असली मूल्य हमेशा सामने आता है।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि इंसान की असली पहचान उसके चरित्र और उसके कार्यों में होती है, न कि उसके कपड़ों या पैसे में। हर किसी को सम्मान देना चाहिए, क्योंकि कौन जानता है कि कौन सा व्यक्ति असल में क्या छिपाए हुए है।
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