SDM बनते ही, तलाकशुदा पति को गिरफ्तार कराया… Emotional story

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एसडीएम बनते ही, तलाकशुदा पति को गिरफ्तार कराया – एक भावुक कहानी

शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले बस अड्डे पर शाम का वक्त था। हर तरफ लोगों की आवाजाही, भागदौड़ और शोर था। उसी भीड़ में, स्टैंड नंबर दो के किनारे एक साधारण सा ठेले वाला राजकुमार पसीने से भीगा हुआ, थके चेहरे के साथ गरम-गरम पकोड़े तल रहा था। उसके हाथों पर तेल के जलने के निशान थे, कुर्ता पुराना और आंखों में चिंता की गहरी रेखाएं। राजकुमार कभी एक मेहनती किसान का बेटा था। उसने अपनी पत्नी प्रिया की पढ़ाई और उसके अफसर बनने के सपने को पूरा करने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी, यहां तक कि पैतृक जमीन भी गिरवी रख दी थी। लेकिन वक्त ने ऐसा पलटा खाया कि आज वही राजकुमार बस अड्डे पर पकोड़े बेचकर गुजारा कर रहा था।

राजकुमार के दिल में कोई शिकायत नहीं थी। वह जो मिला उसी में खुश रहता था, बस अपनी पत्नी की सफलता की यादों से जीता था, भले ही वह अब उसे भूल चुकी थी। तभी अचानक बस अड्डे पर अफरातफरी मच गई। एक काली सरकारी गाड़ी तेज सायरन के साथ आई और उसके पीछे सिक्योरिटी गार्ड्स दौड़ पड़े। गाड़ी से उतरी एक महिला – लाल रंग की साड़ी, काले चश्मे, चेहरे पर रुतबा और आत्मविश्वास। वह थी एसडीएम प्रिया सिन्हा।

पूरी भीड़ सन्न रह गई। प्रिया का चलना इतना तेज और अधिकारपूर्ण था कि जैसे वह किसी को देखना या पहचानना अपनी शान के खिलाफ समझती हो। लेकिन जैसे ही उसकी नजर राजकुमार पर पड़ी, हवा का रुख बदल गया। दोनों की नजरें मिलीं – एक पल के लिए समय रुक गया। राजकुमार के हाथ रुक गए, दिल की धड़कनें तेज हो गईं। लेकिन प्रिया ने बिना कोई भाव दिखाए, आगे बढ़ गई। जैसे राजकुमार उसके लिए कोई अजनबी हो।

आसपास के लोग फुसफुसाने लगे – “अरे, ये पकोड़े वाला एसडीएम मैडम का पति है क्या?” “देखो कैसे देख रहा था!” “अब मैडम इतनी ऊंची पोस्ट पर है, ऐसे गरीब आदमी को कहां याद रखेंगी!” ऐसी बातें सुनकर राजकुमार के दिल में अपमान की आग भड़क उठी। उसे लगा जैसे उसकी सारी कुर्बानियां व्यर्थ हो गई हों।

तभी दो पुलिस वाले वहां आ धमके। “तू ही राजकुमार है ना?” राजकुमार ने धीमी आवाज में हां कहा। पुलिस वालों ने सख्ती से कहा – “चुपचाप हमारे साथ चल। तेरे खिलाफ कंप्लेंट आई है – बिना परमिशन ठेली लगाना, गंदगी फैलाना और अफसर के सामने बदतमीजी करना।” राजकुमार कुछ समझ नहीं पाया। उसने कहा – “मैंने क्या गलत किया है?” लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी। पुलिस वाले उसे पकड़कर थाने ले गए। वहां उसे जमीन पर बिठा दिया गया। इंस्पेक्टर चिल्लाया – “बड़ा आया एसडीएम का रिश्तेदार! मैडम ने खुद कहा है, इसे सबक सिखाओ ताकि दोबारा ऐसी हिम्मत ना करें!”

राजकुमार ने कहा – “मैं प्रिया का पति हूं। उसने मेरी जिंदगी बदल दी। मैंने क्या अपराध किया है?” लेकिन उसकी बात पूरी होने से पहले ही उसकी पीठ पर लाठी पड़ी। थाने में सब हंसने लगे – “पकोड़े वाला कहता है वो एसडीएम मैडम का पति है!” सब उसका मजाक उड़ाने लगे, गालियां दी, मारपीट की, बेइज्जती की हर हद पार कर दी। लेकिन राजकुमार चुप रहा। उसकी आंखों में अब आंसू नहीं थे, बस एक गहरी उदासी और जलता हुआ गुस्सा था, जो उसे अंदर ही अंदर मजबूत बना रहा था।

अगली सुबह बिना कोई केस दर्ज किए उसे थाने से छोड़ दिया गया। लेकिन राजकुमार का दिल टूट चुका था। वह सीधा कलेक्टर ऑफिस पहुंचा, जहां प्रिया एसडीएम के तौर पर बैठती थी। गेट पर सिक्योरिटी गार्ड्स खड़े थे। “मैं प्रिया से मिलना चाहता हूं। वो मेरी पत्नी है, मुझे अंदर जाने दो।” गार्ड्स हंस पड़े – “फिर आ गया तू! यहां ऐसे मजाक नहीं चलते, निकल यहां से।” एक जूनियर ऑफिसर बाहर आया, राजकुमार की हालत देखी और गुस्से में बोला – “इसे यहां से भगाओ। कौन प्रिया, कौन पति? ऐसे लोग अफसरों की इज्जत खराब करते हैं।” गार्ड्स ने उसे धक्का देकर गेट से बाहर फेंक दिया।

लेकिन इस बार राजकुमार चुप नहीं रहा। उसके दिल में न्याय की आग भड़क चुकी थी। उसने एक आरटीआई फॉर्म भरा – “क्या एसडीएम प्रिया सिंह शादीशुदा हैं? अगर हां, तो उनके पति का नाम क्या है?” कुछ दिनों में वो फाइल प्रिया के ऑफिस पहुंच गई। असिस्टेंट डरते-डरते उनके पास गया – “मैडम, यह आरटीआई आई है, जवाब देना जरूरी है।” प्रिया ने फॉर्म पढ़ा, चेहरा गुस्से से लाल हो गया – “जिसने यह भेजा है, उसे सबक सिखाओ। यह बात बाहर नहीं जानी चाहिए। इसे दबा दो किसी भी तरह।” असिस्टेंट ने कहा – “लेकिन मैडम, कानूनन जवाब देना पड़ेगा, वरना कोर्ट जा सकता है मामला।” प्रिया ने ठंडे स्वर में कहा – “तो जाने दो कोर्ट, हम कोई जवाब नहीं देंगे, मीडिया तक पहुंचने से पहले इसे खत्म करो।”

राजकुमार भी अब चुप नहीं था। उसकी यह जंग शुरू हो चुकी थी। तभी एक लोकल रिपोर्टर ने राजकुमार को ढूंढ निकाला, उसकी कहानी सुनी और कैमरे के सामने रिकॉर्ड किया। राजकुमार ने आंसू भरी आंखों से कहा – “मैं प्रिया का पति हूं। मैंने ही उसे पढ़ाया है, अपनी सारी कमाई उसकी आईएएस कोचिंग पर लगाई, घर-बार गिरवी रखा ताकि वह अफसर बन सके। लेकिन आज वह मुझे पहचानने से इनकार कर रही है, जैसे मैं कभी उसकी जिंदगी का हिस्सा ही ना रहा हो।”

वो वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। लोकल न्यूज़ चैनलों पर हेडलाइंस चली – “क्या पकोड़े वाला एसडीएम का पति है?” “एसडीएम ने अपने पति को बस अड्डे पर इग्नोर किया!” अब मामला थाने या ऑफिस तक सीमित नहीं रहा, यह लोगों के दिलों तक पहुंच चुका था। हर कोई राजकुमार की कहानी सुनकर भावुक हो रहा था। कुछ उसे सपोर्ट कर रहे थे, कुछ प्रिया पर सवाल उठा रहे थे।

राजकुमार ने अब जिला कोर्ट में केस फाइल कर दिया। “मैं एसडीएम प्रिया सिंह का पति हूं। मेरे पास सबूत है – हमारी शादी का सर्टिफिकेट, फोटो, गवाह और दस्तावेज। अगर वह मुझे नकार रही है, तो यह मेरी इज्जत का अपमान है। मुझे न्याय चाहिए।” कोर्ट ने सुनवाई की डेट फिक्स की, खबर मीडिया में फैल गई। अब मामला और बड़ा हो चुका था। एसडीएम ऑफिस की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई थी। राजकुमार को धमकियां मिलने लगीं, किसी ने उसकी ठेली तोड़ दी, लेकिन वह डरा नहीं। बस कोर्ट की तारीख का इंतजार करता रहा।

पहली सुनवाई का दिन आया। कोर्ट में भीड़ इतनी थी कि लगता था जैसे सारा शहर इकट्ठा हो गया हो। प्रिया की तरफ से पांच महंगे वकील आए थे, जबकि राजकुमार अकेला था। उसके हाथ में एक पुरानी फाइल, कुछ कागज और शादी की ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें थीं। जज ने पूछा – “तुम किस आधार पर दावा कर रहे हो कि तुम प्रिया सिन्हा के पति हो? क्या कोई प्रूफ है?” राजकुमार ने चुपचाप जज के सामने शादी की तस्वीरें रख दीं, शादी का रजिस्ट्रेशन पेपर, गांव के मुखिया का सर्टिफिकेट और एक पुरानी चिट्ठी जो प्रिया ने कोचिंग के दिनों में लिखी थी – “राजकुमार, अगर मैं अफसर बन पाई तो वह सिर्फ तेरी वजह से। तेरी कुर्बानियां कभी नहीं भूलूंगी।”

प्रिया के वकीलों ने इन सबूतों को फर्जी बताने की कोशिश की – “अगर शादी हुई भी तो यह आदमी अब प्रिया का पति नहीं।” लेकिन जब कोर्ट ने गवाहों को बुलाया – गांव का मुखिया, राजकुमार का दोस्त, कोचिंग सेंटर का मैनेजर – सभी ने एक सुर में कहा, “हां, प्रिया और राजकुमार की शादी हुई थी। पूरा गांव गवाह है। राजकुमार ने ही सब कुछ त्याग कर प्रिया को यहां तक पहुंचाया। वह उसका पति है और हमेशा रहेगा।”

सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही थी। जज के चेहरे पर हैरानी थी। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ अगली सुनवाई की डेट दी। कोर्ट के बाहर मीडिया का तांता लग गया। अगली सुनवाई के दिन प्रिया अपनी लग्जरी कार से उतरी, लेकिन चेहरे पर अभिमान नहीं, बल्कि टेंशन की लकीरें थीं। दूसरी तरफ राजकुमार फटी शर्ट और पुरानी सैंडल्स में आया, लेकिन चेहरे पर कोई डर नहीं था।

कोर्ट में जज ने पूछा – “क्या तुम इस आदमी को जानती हो?” प्रिया ने ठंडे स्वर में कहा – “नहीं, मैं राजकुमार को नहीं जानती। वह बस कोई सड़क छाप आदमी है।” तभी राजकुमार ने अपनी जेब से एक पुरानी डायरी निकाली, जिसमें प्रिया की लिखी एक और चिट्ठी थी – “राजकुमार, आज मैं इंटरव्यू देने जा रही हूं। तेरी वजह से ही मैं यहां पहुंची हूं। तेरा प्यार हमेशा मेरी ताकत रहेगा। तेरी प्रिया।”

कोर्ट में सन्नाटा छा गया। प्रिया की नजरें नीचे झुक गईं, चेहरा पीला पड़ गया। जज ने फैसला रिजर्व रख लिया। फैसले वाले दिन कोर्ट में इतनी भीड़ थी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। जज ने अपना फैसला सुनाया – “यह साबित हो चुका है कि प्रिया सिंह और राजकुमार की शादी हुई थी। प्रिया ने जानबूझकर अपने पति की पहचान छिपाई, जो अपमानजनक और कानूनन गलत है। कोर्ट राजकुमार को न्याय देता है और प्रिया को अपनी गलती सुधारने का आदेश देता है।”

फैसले के बाद राजकुमार फिर अपनी ठेली पर लौट आया। वह पहले की तरह पकोड़े तल रहा था, लेकिन अब उसके चेहरे पर दुख नहीं, एक शांत मुस्कान थी। जैसे वह जानता हो कि सच्चाई की जीत हो चुकी है। अब हर आने-जाने वाला उसे सम्मान की नजर से देखता था। कोई उसके पास आकर कहता – “राजकुमार भैया, आप जैसे लोग ही सिस्टम से लड़कर बदलाव लाते हैं। आपकी हिम्मत ने हमें सिखाया कि सच्चाई कभी हार नहीं मानती।”

राजकुमार मुस्कुराकर एक पकोड़ा प्लेट में रखता और कहता – “गर्म है, ध्यान से खाना। और याद रखना, जीवन में कुर्बानियां कभी व्यर्थ नहीं जातीं।”

दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई चाहे कितनी भी दबाई जाए, एक दिन वह सामने आ ही जाती है। प्यार की कुर्बानी कभी बेकार नहीं होती, वह हमें मजबूत बनाती है।

क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है, जहां आपके साथ धोखा हुआ हो और आपने सच्चाई के लिए लड़ाई लड़ी हो?
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मिलते हैं अगली कहानी के साथ।

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