SDM Riya Mishra की सच्ची कहानी | अकेली महिला अधिकारी ने हिला दिया पूरा थाना।
रिया मिश्रा, एक एसडीओ ऑफिसर, अपनी सहेली की शादी में जा रही थी। उसने आम लड़की की तरह कपड़े पहने हुए थे। न कोई सरकारी गाड़ी, न कोई सुरक्षा, बस एक आम लड़की की तरह मोटरसाइकिल चला रही थी। जब वह मुगलपुर शहर के पास पहुंची, तो आगे एक पुलिस चेक पोस्ट दिखाई दिया। वहां तीन-चार पुलिसकर्मी चेक पोस्ट के बाहर सड़क पर खड़े थे। उनके बीच में इंस्पेक्टर मुकेश अपनी वर्दी में खड़ा था।
भाग 2: पुलिस चेक पोस्ट
इंस्पेक्टर ने हाथ में लाठी उठाकर रिया को रोकने का इशारा किया। रिया ने मोटरसाइकिल सड़क से किनारे लगाई और खड़ी हो गई। इंस्पेक्टर मुकेश ने सख्त आवाज में पूछा, “कहां जा रही हो?” रिया ने बहुत शांत स्वर में जवाब दिया, “एक सहेली की शादी है, वहीं जा रही हूं।”
इंस्पेक्टर ने उसे सिर से पांव तक देखा। वह 28 साल की एक खूबसूरत महिला थी। फिर वह हंसते हुए बोला, “अच्छा, सहेली की शादी में खाना खाने जा रही हो? लेकिन हेलमेट क्यों नहीं पहना? बाइक भी बहुत तेज चला रही थी। चलो, अब चालान कटेगा।”
भाग 3: मुसीबत की शुरुआत
रिया समझ चुकी थी कि उसकी नियत ठीक नहीं है और यह सब एक बहाना है। उसने कहा, “सर, मैंने कोई कानून नहीं तोड़ा है।” इंस्पेक्टर चिल्लाकर बोला, “हमें कानून मत सिखाओ। इसे सबक सिखाना होगा।” अचानक इंस्पेक्टर ने जोर से एक थप्पड़ मारा रिया के गाल पर।
रिया का सिर एक पल के लिए घूम गया, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया। उसकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। इंस्पेक्टर हंसते हुए बोला, “अब भी इसकी आंखों में घमंड है। ऐसे कितनों को ठीक कर चुका हूं। इसे अच्छी तरह से सबक सिखाना होगा।”
भाग 4: थाने की ओर
एक कांस्टेबल आगे आया और बोला, “सर, इसे थाने ले चलते हैं। वहीं इसका इलाज होगा।” तब रिया ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से में बोली, “हाथ लगाने की कोशिश मत करना, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।”
इंस्पेक्टर और भड़क गया। उसने एक और कांस्टेबल को कहा, “देखो इसका घमंड।” कांस्टेबल ने रिया का बाल पकड़कर खींचने लगा। रिया दर्द से कराह उठी। फिर भी उसने अब तक अपनी असली पहचान नहीं बताई थी।
भाग 5: पुलिस की नीचता
इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने गुस्से में उसकी बाइक पर लाठी मार दी और ऊंची आवाज में बोला, “बड़ी आई साधु बनने वाली। अब तुझे खिलौना बनाकर खेलेंगे।” रिया अब अच्छे से समझ चुकी थी कि उसके साथ क्या होने वाला है और यह लोग कितना नीचे गिर सकते हैं।
इंस्पेक्टर की आंखों में गुस्सा भरा था। वह जोर से चिल्लाया, “तेरे जैसे कई होशियार देखे हैं। पुलिस से पंगा लेगी। आज मजा चखाएंगे। चलो, इसे थाने ले चलते हैं।”
भाग 6: थाने में
थाने में घुसते ही इंस्पेक्टर जोर से चिल्लाया, “ओए, कहां गए सब? चाय पानी लगाओ जल्दी। आज एक खास माल आया है।” रिया अब भी कुछ नहीं बोली। बस थाने की दीवारों को देखती रही।
तभी एक कांस्टेबल इंस्पेक्टर मुकेश की ओर झुक कर फुसफुसाया, “क्या केस है सर?” इंस्पेक्टर ने हंसते हुए कहा, “अरे कुछ नहीं। स्पीड ब्रेक करो या हेलमेट का बहाना मारो। जो मन हो लिख दो। बस अनवर करना है और इसका घमंड तोड़ना है।”
भाग 7: रिया की चुप्पी
रिया सब कुछ सुन रही थी। उसकी आंखें अब भी चुप थीं। मानो वह चाहती थी कि पुलिस की यह गिरावट खुद उनके ही मुंह से उजागर हो। इंस्पेक्टर कुर्सी पर बैठा। हाथ में पेन लिया और टेबल पर घुमाने लगा। फिर रिया की ओर देखकर पूछा, “नाम क्या है? कहां रहती है? किसकी बेटी है?”
रिया चुप रही। फिर इंस्पेक्टर बोला, “सुनाई नहीं देता, नाम क्या है तेरा?” लेकिन रिया की चुप्पी अब भी पत्थर की दीवार जैसी अडिग थी। तभी इंस्पेक्टर ने जोर से मेज पर हाथ मारा।
भाग 8: पहचान का खुलासा
गुस्से से चिल्लाया, “सुनाई नहीं देता, नाम बता जल्दी!” रिया ने मुंह घुमाकर शांत स्वर में उत्तर दिया, “जी, सुजीता शर्मा।” इंस्पेक्टर उसके चेहरे की ओर देखकर हंसते हुए बोला, “ओ बड़ी चालाक लड़की है तू। झूठ बोलने में तुझे खासा तजुर्बा है। लेकिन याद रख, ज्यादा होशियारी महंगी पड़ती है।”
फिर रिया मिश्रा को जबरदस्ती उस सड़ी हुई हवालात में डाल दिया गया जहां पहले से दो कैदी मौजूद थे। उनमें से एक कैदी ने रिया की ओर देखते हुए पूछा, “बहन, तूने क्या गुनाह किया है?” रिया ने हल्की सी मुस्कान दी, लेकिन कुछ नहीं बोली।
भाग 9: सिस्टम का सड़ना
अब वह बस देख रही थी। यह पूरा सिस्टम कितना सड़ चुका है। अगर एक एसडीओ को बिना वजह अंदर किया जा सकता है तो आम आदमी की हालत तो सोच पाना भी मुश्किल है। अब वह उस कोठरी के कोने में बैठी थी। सब कुछ देख रही थी, सुन रही थी और हर एक हरकत को समझ रही थी।
उधर इंस्पेक्टर मुकेश एक झूठी रिपोर्ट बना रहा था। उसने आदेश दिया, “इसके ऊपर चोरी और ब्लैकमेलिंग का केस ठोक दो।” और फाइल पर हाथ मारते हुए बोला, “चलो जल्दी!” एक कांस्टेबल ने हिचकते हुए पूछा, “लेकिन सर, बिना सबूत?”
भाग 10: सीनियर इंस्पेक्टर की एंट्री
मुकेश हंसते हुए बोला, “इस थाने में सबूत लाए नहीं जाते, बनाए जाते हैं।” कुछ देर बाद एक कांस्टेबल कोठरी में आया और रिया के कंधे पर जोर से हाथ मारा। तभी दरवाजे पर एक भारी कड़क आवाज गूंजी, “रुको!”
सभी लोग घूमकर दरवाजे की ओर देखने लगे। वहां सीनियर इंस्पेक्टर राकेश सिंह खड़ा था। उसकी छवि बाकी अफसरों से कुछ बेहतर मानी जाती थी। उसने अंदर झांका और महिला की हालत देखकर उसके माथे पर बल पड़ गया।
भाग 11: सच्चाई का सामना
उसने सख्त स्वर में पूछा, “यह सब क्या हो रहा है?” मुकेश हंसते हुए बोला, “कुछ नहीं सर। एक सड़क की औरत ज्यादा अकड़ दिखा रही थी। सबक सिखा रहा हूं।” राकेश सिंह ने रिया को ध्यान से देखा। उसका व्यवहार किसी आम महिला जैसा नहीं लग रहा था।
उसने पूछा, “इसका अपराध क्या है?” मुकेश थोड़ा घबरा गया और बोला, “अब सर, चेकिंग में बदतमीजी कर रही थी।” अब राकेश सिंह को शक होने लगा।
भाग 12: रिया की पहचान
उसने रिया से सीधे पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” रिया फिर भी चुप रही। मुकेश हंसते हुए बोला, “देखिए सर, नाम भी नहीं बता रही है।” अब राकेश सिंह पूरी तरह सतर्क हो गया। उसने सख्त आदेश दिया, “इसे अलग कोठरी में रखो अकेले।”
मुकेश चौंक गया। लेकिन सर, राकेश सिंह ने कठोरता से कहा, “मैं खुद इसके पास रहूंगा।” उसके आदेश पर रिया को एक और अलग कोठरी में ले जाकर बंद किया गया।
भाग 13: सड़ते सिस्टम का चेहरा
वह कोठरी पहले वाली से भी ज्यादा बदबूदार और अंधेरी थी। रिया ने चारों ओर नजर दौड़ाई। एक कोने में एक टूटी हुई मेज पड़ी थी और पास ही एक जंग लगी लोहे की छड़। अब वह इस सड़े गले सिस्टम का असली चेहरा और भी करीब से देख रही थी।
हर एक पल उसकी आंखें यह समझ रही थीं कि कानून अब सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गया है। इसी बीच एक कांस्टेबल दौड़ते हुए आया और बोला, “सर, बाहर एक बड़ी गाड़ी खड़ी है।” मुकेश चौंक गया और पूछा, “कौन सी गाड़ी?”

भाग 14: कमिश्नर की एंट्री
कांस्टेबल घबराते हुए बोला, “सर, सरकारी गाड़ी।” मुकेश तुरंत बाहर गया। गाड़ी के अंदर झांकते ही उसके होश उड़ गए। वह भाग कर वापस आया और धीमी आवाज में बोला, “सर, कमिश्नर साहब आए हैं।”
मुकेश का चेहरा पड़ गया। सीनियर इंस्पेक्टर राकेश सिंह भी सतर्क हो गया। अब मामला सीधे ऊपर तक पहुंच चुका था। कमिश्नर साहब थाने में दाखिल हुए। उनकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था।
भाग 15: कमिश्नर का गुस्सा
उन्होंने मुकेश की ओर देखकर सख्त स्वर में पूछा, “इंस्पेक्टर मुकेश, यह क्या तमाशा चल रहा है यहां?” मुकेश घबरा गया और बोला, “कुछ नहीं सर, एक छोटा सा केस है बस।” कमिश्नर साहब ने टेबल से फाइल उठाई और ध्यान से पढ़ने लगे।
उनके माथे पर शिकन आ गई। फिर वह कोठरी की तरफ झांके और बोले, “यह कौन है?” मुकेश तुरंत बोला, “सर, इस महिला पर 420 और धोखाधड़ी का केस है।”
भाग 16: मुसीबत में मुकेश
कमिश्नर ने सीधा सवाल किया, “तुम्हारे पास सबूत है?” फिर दोबारा बोले, “कोई भी सबूत है तुम्हारे पास?” अब मुकेश पूरी तरह फंस चुका था। कमिश्नर साहब ने सीधे महिला की ओर देखा और पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”
तभी पहली बार रिया मिश्रा ने हल्की सी मुस्कान दी और कहा, “एसडीओ रिया मिश्रा।” थाने में एकदम सन्नाटा छा गया। हर चेहरा पीला पड़ गया। मुकेश के हाथ-पांव कांपने लगे।
भाग 17: सच्चाई का खुलासा
जिस महिला को वह एक मामूली अपराधी समझ रहा था, वह थी वही अधिकारी जो पूरे जिले की प्रशासनिक व्यवस्था संभालती थी। जब यह सच्चाई सबके सामने आई, पूरे थाने में हड़कंप मच गया। सभी कांस्टेबल्स स्तब्ध हो गए।
कमिश्नर साहब ने तेज गुस्से से भरी नजर से इंस्पेक्टर मुकेश की ओर देखा और गरजते हुए बोले, “मुकेश, तुझ में इतनी हिम्मत आई कैसे कि तू एक सीनियर ऑफिसर पर झूठा आरोप लगाने की जरूरत कर बैठा?”
भाग 18: रिया का फैसला
मुकेश कुछ बोलने की कोशिश कर ही रहा था कि तभी पास में खड़े सीनियर इंस्पेक्टर राकेश सिंह जोर से बोले, “सर, मैंने पहले ही कहा था कि यहां कुछ ना कुछ गड़बड़ है।”
अब मुकेश पूरी तरह अकेला पड़ चुका था। तभी पहली बार रिया मिश्रा ने अपनी शांत लेकिन दृढ़ आवाज में सीधा फैसला सुना दिया, “मुकेश, अब तेरी नौकरी गई। तेरा सस्पेंशन पक्का और तेरे खिलाफ अब केस भी चलेगा।”
भाग 19: मुसीबत में मुकेश
यह सुनते ही मुकेश का चेहरा जैसे सफेद पड़ गया। सांस अटकने लगी। बाकी पुलिसकर्मी भी उससे नजरें चुराने लगे। राकेश सिंह ने तुरंत आदेश दिया, “हवलदार साहब, इसे पकड़ो और लॉकअप में डालो।”
लेकिन तभी मुकेश ने अपनी जेब से एक मुड़ा हुआ कागज निकाला और मुस्कुराते हुए बोला, “रुको मैडम, यह पहले देख लो फिर जो करना हो कर लेना।” उसने कागज आगे बढ़ाया।
भाग 20: ट्रांसफर ऑर्डर
कमिश्नर और रिया दोनों की नजरें एक साथ उसकी ओर गईं। मुकेश बोला, “यह लो, मेरा ट्रांसफर ऑर्डर। तीन दिन पहले ही मेरा तबादला हो चुका है। अब चाहे तुम जितना भी गुस्सा करो, मुझे नौकरी से नहीं निकाल सकती।”
पूरे थाने में फिर एक बार सन्नाटा छा गया। रिया ने वह कागज हाथ में लिया और ध्यान से पढ़ा। कमिश्नर ने राकेश सिंह की ओर तीखी नजर डालते हुए कहा, “जाओ, देखो यह कागज असली है या सिर्फ दिखावा।”
भाग 21: असली सच
राकेश सिंह ने कंप्यूटर रिकॉर्ड खंगाला और फिर सिर उठाकर बोला, “सर, यह असली है। लेकिन अब तक इसने नए इंस्पेक्टर को चार्ज नहीं सौंपा है। यानी अभी तक यहां का आधिकारिक इंस्पेक्टर यही है और सारे कुकर्म इसी के कार्यकाल में हुए हैं। अब इसे कोई नहीं बचा सकता।”
रिया मिश्रा ने मुकेश की आंखों में आंखें डालकर कहा, “अब तेरा नया ठिकाना वहीं होगा जहां तू दूसरों को डाला करता था।” कमिश्नर ने भी सिर हिलाकर उसकी बात पर अपनी मोहर लगा दी।
भाग 22: गिरफ्तारी
जैसे ही दो कांस्टेबल उसे पकड़ने आगे बढ़े, मुकेश फिर से चाल चल गया और जोर से बोला, “रुको मैडम। मैडम, मैं अकेला नहीं हूं। क्या आपको लगता है कि सारा दोष सिर्फ मेरा है?”
फिर वह थाने के बाकी पुलिस वालों की ओर इशारा करते हुए बोला, “यह सब मेरे साथ थे। ऊपर तक सब शामिल है।” इतना कहते ही कुछ पुलिसकर्मियों के चेहरों का रंग उड़ गया।
भाग 23: थाने की सफाई
सीनियर इंस्पेक्टर राकेश सिंह हालात को भांप कर एक-एक करके सभी की ओर शक की नजरों से देखने लगे। रिया मिश्रा ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कमिश्नर की ओर देखते हुए कहा, “अब इस पूरे थाने को साफ करना होगा। कोई नहीं बचेगा।”
कमिश्नर ने भी सिर हिलाते हुए कहा, “जो हुकुम मैडम, अब एक-एक करके सबका हिसाब लिया जाएगा।” यह बात मुंह से निकलते ही थाने के भीतर बिजली सी गिर गई।
भाग 24: पत्रकारों की एंट्री
थाने के बाहर कुछ पत्रकार पहले से खड़े थे। उन्हें पहले से ही शक था कि थाने के अंदर कोई बड़ा घोटाला चल रहा है। जैसे ही उन्हें खबर मिली कि पूरा थाना लाइन हाजिर किया गया है, उन्होंने तुरंत मोबाइल से ब्रेकिंग न्यूज़ वायरल करना शुरू कर दिया।
भाग 25: एसपी की एंट्री
उसी वक्त एक चमचमाती गाड़ी थाने के सामने आकर रुकी। दरवाजा खुला और स्वयं एसपी साहब बाहर आए। चारों ओर नजर दौड़ाई। हर चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी। थाने के सारे अफसर एक तरफ चुपचाप खड़े थे।
भाग 26: एसपी का सवाल
एसपी साहब ने तीखे स्वर में पूछा, “यहां कब से तमाशा चल रहा है?” लेकिन कमिश्नर और थाना इंचार्ज दोनों एकदम चुप थे। तभी रिया मिश्रा ने सीधे एएसपी की आंखों में आंखें डालकर कहा, “क्या तुम्हें लगता है तुम बच जाओगे?”
भाग 27: सबूत का खुलासा
राकेश सिंह तुरंत एक फाइल निकालकर रिया मिश्रा के हाथ में थमा दी। यह वही फाइल थी जिसमें एसपी साहब के सारे काले कारनामों का पर्दाफाश है। रिया ने वह फाइल एसपी साहब की ओर बढ़ाते हुए कहा, “लो, देखो इसमें तुम्हारे हर गुनाह का किराया लिखा है।”
भाग 28: गिरफ्तारी का आदेश
एसपी साहब के माथे से पसीना बहने लगा। कमिश्नर ने बिना एक पल गवाए तेज आवाज में आदेश दिया, “पकड़ो इसे, तुरंत गिरफ्तार करो।” पूरा थाना स्तब्ध रह गया। इतने बड़े अफसर को किसी ने पहली बार खुलेआम इस तरह चुनौती दी थी।
भाग 29: तूफान का आगाज़
एसएपी की गिरफ्तारी के साथ ही पूरे जिले में तूफान आ गया। मामला दिल्ली तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री तक खबर पहुंच चुकी थी और वहां से सीधे आदेश आया कि जिले में जितने भी अफसर मिलकर गड़बड़ कर रहे थे, सबको गिरफ्तार करो।
भाग 30: बदलाव की शुरुआत
अगले दो ही दिनों में पूरे जिले से 40 से ज्यादा पुलिस अफसर, 10 से ज्यादा बड़े अधिकारी और कुछ राजनीतिक नेता भी गिरफ्तार कर लिए गए। मुगलपुर जिले की हवा ही बदल गई। अब चारों तरफ सिर्फ एक ही नाम था, एसडीओ रिया मिश्रा।
भाग 31: साहस का प्रतीक
उनकी ईमानदारी और साहस की चर्चा हर जुबान पर थी। वह महिला जिसने पूरे सड़े गले सिस्टम को हिलाकर रख दिया था। अब प्रशासन में एक नई गति, एक नई सोच और सबसे अहम, एक नया डर आ गया था। अब कोई भी यह नहीं कह सकता था, “मुझे कुछ नहीं होगा।”
भाग 32: रिया का मिशन
रिया मिश्रा का काम पूरा हो चुका था। उन्होंने साबित कर दिया था कि अगर मन साफ हो, नियत सच्ची हो तो पूरा देश भी सुधारा जा सकता है।
भाग 33: निष्कर्ष
इस कहानी ने यह संदेश दिया कि अगर हम अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं और सच्चाई के साथ रहते हैं, तो हम न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बदलाव ला सकते हैं। रिया मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि साहस और ईमानदारी से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
अंत
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