SP मैडम का पति पंचरवाला, SP मैडम की आँखें फटी रह गई, जब पंचरवाला निकला उनका पति आखिर क्या थी सच्चाई

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एसपी मैडम का पति पंचरवाला – एक भावनात्मक कहानी

शहर की तेजतर्रार एसपी आराध्या सिंह आज यूनिफॉर्म में नहीं, बल्कि एक आम महिला की तरह सजी-धजी अपनी रिश्तेदार की शादी में जा रही थी। नीली सिल्क की साड़ी, हल्के झुमके और चेहरे पर मुस्कान लिए वह अपनी गाड़ी खुद चला रही थी। ड्यूटी से छुट्टी मिलना मुश्किल था, लेकिन आज वह सिर्फ आराध्या थी – अपने परिवार के लिए, अपनी छोटी बहन रिया की शादी के लिए।

रास्ता लंबा था, लेकिन मन उत्साहित। किशोर कुमार के पुराने गाने गूंज रहे थे। अचानक, गाड़ी का पिछला टायर डगमगाने लगा। गाड़ी रोककर देखा तो टायर पंचर था। ड्राइवर भी साथ नहीं था और सड़क सुनसान। मोबाइल नेटवर्क गायब। आराध्या ने मन ही मन भगवान को याद किया, “अब क्या करूं?”

तभी दूर एक टीन की छत वाली पंचर की दुकान दिखी। उसने राहत की सांस ली और वहां पहुंच गई। दुकान पर एक बूढ़ा बैठा था। आराध्या ने कहा, “मुझे जल्दी शादी में पहुंचना है, टायर ठीक कर दीजिए।” बूढ़े ने जवाब दिया, “बिटिया, मेरा कारीगर आता ही होगा, बस 5 मिनट बैठिए।”

कुछ देर बाद एक दुबला-पतला मजदूर, चेहरे पर मास्क और सिर पर गमछा बांधे, दुकान पर आया। उसने बिना कुछ बोले टायर निकालना शुरू किया। आराध्या उसे गौर से देख रही थी। उसके हाथों की हरकतें, काम करने का तरीका – सबकुछ जाना पहचाना सा लगा। उसने पूछा, “मास्क क्यों पहना है?” मजदूर बोला, “सर्दी है, धूल मिट्टी से एलर्जी है।”

आराध्या को शक हुआ। उसने सख्त लहजे में कहा, “मास्क उतारो।” मजदूर पहले मना करता रहा, लेकिन एसपी के दबाव में कांपते हुए मास्क उतार दिया। जैसे ही चेहरा सामने आया, आराध्या के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह मजदूर कोई और नहीं, बल्कि उसका पति रोहन था – जिसे 16 साल पहले एक हादसे में मरा हुआ मान लिया गया था।

आराध्या की आंखों में आंसू आ गए। उसने कांपती आवाज में पूछा, “तुम जिंदा हो? इतने साल कहां थे?” रोहन फूट-फूटकर रोने लगा। आराध्या उसके पास गई, उसके कंधे पर हाथ रखा। “सच बताओ, आखिर क्या हुआ?”

रोहन ने टूटी आवाज में सच बताया – “वो एक्सीडेंट कोई हादसा नहीं था, बल्कि एक साजिश थी। मैं एक सिविल इंजीनियर था। नासिक के एक सरकारी हाईवे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। मुझे वहां भ्रष्टाचार का पता चला। मुंबई का बड़ा गैंगस्टर पाटिल सरकारी पैसे हड़प रहा था। मैंने सबूत इकट्ठे किए, लेकिन पाटिल के आदमी हर जगह थे। एक रात मुझे अगवा कर लिया गया। पाटिल ने कहा – या तो अपनी बीवी के साथ मर जाओ, या हमेशा के लिए गायब हो जाओ। तुम्हारी बीवी पुलिस अफसर है, अगर तुम जिंदा रहे तो वह मेरे पीछे पड़ जाएगी।”

“मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। मैंने तुम्हारी जिंदगी चुनी। उन्होंने मेरी जगह एक लावारिस लाश को मेरे कपड़े पहनाकर गाड़ी में बिठाया और पहाड़ी से नीचे गिरा दिया। मैं दूर से अपनी मौत का तमाशा देखता रहा। उसके बाद उन्होंने मुझे किसी अनजान शहर में फेंक दिया, धमकी दी कि अगर कभी अपनी पहचान जाहिर की तो तुम्हें मार देंगे। मैं मजदूरी करता रहा, पंचर बनाता रहा। हर रोज तुम्हारी खबरें अखबार में पढ़ता था। जब तुम इंस्पेक्टर से एसपी बनी तो मुझे गर्व हुआ, लेकिन दुख भी कि तुम्हारे साथ नहीं हूं।”

“तीन महीने पहले खबर आई कि पाटिल गैंग वॉर में मारा गया। अब मैं आजाद था। लेकिन तुम्हारे पास आने की हिम्मत नहीं थी। सोचा, एक बड़ी अफसर और मैं मामूली पंचर वाला – कैसे मिलूं?”

आराध्या सुनती रही, उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उसने रोहन का चेहरा अपने हाथों में लिया, “तुमने मेरी जान बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी कुर्बान कर दी। मैं तुम्हारे बिना कैसे जिंदा रही, यह सिर्फ मैं जानती हूं।”

शादी की देरी, फंक्शन सब बेमतलब हो चुका था। आराध्या ने रोहन का हाथ पकड़ा, “घर चलो रोहन। यही मेरी सबसे बड़ी खुशी है।” दोनों घर पहुंचे। वही पुराना बंगला, दीवार पर उनकी शादी की तस्वीर और रोहन की तस्वीर पर सूखा हुआ हार। रोहन तस्वीर के सामने बैठ गया, “मैं तो मर चुका हूं।” आराध्या ने उसे उठाया, “नहीं, तुम जिंदा हो। यह सब एक बुरा सपना था।”

रोहन ने घर के हर कोने को देखा – बुक शेल्फ, बालकनी, किचन। आराध्या ने उसके लिए चाय बनाई। दोनों बालकनी में बैठे, चाय पीते हुए चुपचाप आसमान के रंग बदलते देख रहे थे। रोहन ने पूछा, “अब आगे क्या होगा? मैं कानूनी तौर पर मर चुका हूं।”

अब आराध्या एसपी की तरह सोच रही थी। “हमें कोर्ट में जाना होगा, डीएनए टेस्ट, गवाहियां – सब जुटानी होंगी। पाटिल मर चुका है, लेकिन उसके कुछ आदमी जिंदा हैं। हमें साबित करना होगा कि तुम्हें धमकी दी गई थी। वक्त लगेगा, लेकिन मैं तुम्हें तुम्हारी पहचान, तुम्हारा नाम वापस दिलाऊंगी।”

रोहन डर गया, “कहीं दूर चले जाएं?” आराध्या ने प्यार से उसका सर सहलाया, “हम भाग नहीं सकते। हमने कुछ गलत नहीं किया। तुम पीड़ित हो, अपराधी नहीं। दुनिया का सामना करेंगे, एक साथ।”

अगले दिन वे रोहन के माता-पिता के पास गए। खुशी, हैरानी और आंसुओं के बीच परिवार फिर से एक हो गया। मीडिया में खबर फैली – एसपी का पति 16 साल बाद जिंदा मिला। कोर्ट में केस चला, सबूत पेश हुए। आखिरकार रोहन को कानूनी पहचान वापस मिली।

आराध्या और रोहन ने मिलकर अपने पुराने घर को फिर से सजाया। अब उनके पास सिर्फ एक-दूसरे का साथ था। दुनिया की मुश्किलें, समाज की बातें – सब पीछे छूट गईं। उनके प्यार की चिंगारी 16 साल बाद भी बुझी नहीं थी। आराध्या ने कहा, “तुम मेरे लिए हीरो हो, रोहन।”

इस कहानी ने पूरे शहर को एक नया संदेश दिया – सच्चा प्यार, त्याग और विश्वास कभी हार नहीं मानता। आराध्या और रोहन की कहानी सिर्फ एक पंचर की दुकान से शुरू होकर एक नई जिंदगी की ओर बढ़ गई। उनकी जंग अभी बाकी थी, लेकिन अब वे दोनों साथ थे।

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