SP मैडम हर रोज एक भिखारी को खाना देती थी, एक दिन भिखारी ने कुछ ऐसा माँगा फिर मैडम ने जो 

एक एसपी मैडम के पति को गुजरे हुए पूरे 2 साल हो चुके थे। एसपी नंदिनी रोजाना चौराहे पर एक भिखारी को दान दिया करती थी। लेकिन एक दिन उस भिखारी ने अचानक एसपी मैडम से कहा, “मैडम, मैं आपके साथ एक रात बिताना चाहता हूं। पत्नी की तरह आपकी बाहों में, भले ही बाद में आप मुझसे शादी कर लीजिए।” दोस्तों, इसके बाद एसपी मैडम ने उस भिखारी के साथ क्या किया? यह वाकई हैरान कर देने वाला था। यह पूरी कहानी इतनी दिलचस्प और रहस्यमय है कि आखिर में कहानी जिस मुकाम पर खत्म होती है, उसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।

चौराहे का नजारा

शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर, जहां हर वक्त ट्रैफिक का शोर और हॉर्न की गड़गड़ाहट गूंजती रहती थी, एक सिग्नल था। उस सिग्नल पर हर सुबह एक खास नजारा दिखाई देता। नंदिनी, जिन्हें लोग सम्मान से एसपी मैडम कहते थे, अपनी काली स्कॉर्पियो से उतरती और वहां बैठे एक भिखारी को रोज कुछ पैसे देती। यह उनकी रोजमर्रा की आदत बन चुकी थी। भिखारी, जिसका चेहरा धूल-मिट्टी से सना था और जिसके कपड़े पुराने व फटे हुए थे, हर बार पैसे लेते हुए सिर झुकाकर बस शुक्रिया कहता। नंदिनी हल्की मुस्कान देती और फिर गाड़ी में बैठकर थाने की ओर रवाना हो जाती।

नंदिनी का दुख

नंदिनी एक तेजतर्रार, निडर और ईमानदार पुलिस अधिकारी थी। 2 साल पहले उनके पति अर्जुन मालहोत्रा, जो खुद एक सफल व्यापारी थे, एक रहस्यमय हादसे का शिकार हो गए थे। अर्जुन की अचानक मौत ने नंदिनी की दुनिया हिला दी थी। लेकिन उन्होंने अपने गहरे दुख को अपने काम में दबा दिया। फिर भी हर सुबह उस भिखारी को पैसे देना उनके लिए एक अनकही राहत का साधन बन गया था। शायद उसकी उदास आंखों में उन्हें कुछ ऐसा दिखाई देता था जो उन्हें अपने बीते वक्त से जोड़ देता था।

भिखारी का प्रस्ताव

एक दिन हल्की बारिश की फुहारों के बीच जब नंदिनी ने हमेशा की तरह उसे पैसे दिए, तो भिखारी ने कुछ ऐसा कह डाला जिसने उन्हें चौंका दिया। उसकी कर्कश और धीमी आवाज गूंजी, “मैडम, मैं आपके साथ एक रात बिताना चाहता हूं। पत्नी की तरह आपकी बाहों में, भले ही बाद में आप मुझसे शादी कर लीजिए।” नंदिनी ने उसकी तरफ देखा, मानो यह जानना चाहती हो कि वह मजाक कर रहा था या सचमुच गंभीर था। हल्का हंसते हुए उन्होंने कहा, “तुम भी ना, कैसी बातें करते हो। यह लो, कुछ और पैसे जाकर कुछ खा लो।”

लेकिन उस दिन भिखारी ने पैसे लेने से इंकार कर दिया। उसने केवल गहरी नजरों से नंदिनी को देखा और चुपचाप सिर झुका लिया। थाने तो नंदिनी गई, लेकिन दिमाग बार-बार उसी भिखारी की कही बात पर अटकता रहा। उसकी आंखों में कुछ ऐसा था जो उन्हें अर्जुन की याद दिला रहा था। रात को घर लौटते समय उन्होंने सोचा शायद मैं बेवजह सोच रही हूं।

रहस्य का खुलासा

अगले दिन उन्होंने फिर पैसे देने की कोशिश की, लेकिन इस बार भी उसने हाथ नहीं बढ़ाया। उल्टा बोला, “मैडम, मैं आपके लिए कुछ कर सकता हूं। बस एक मौका दीजिए।” नंदिनी को गुस्सा आया। उन्होंने कड़े स्वर में कहा, “देखो, मैं तुम्हारी मदद करती हूं। इसका मतलब यह नहीं कि तुम कुछ भी कहोगे। अपनी हद में रहो।” लेकिन वह भिखारी डटा रहा। “मैडम, मुझे पता है आपको लगता है कि मैं पागल हूं। लेकिन मेरी बात सुन लीजिए। मैं आपके लिए ऐसा कर सकता हूं जो कोई और नहीं कर सकता।”

भिखारी की जानकारी

उसके लहजे में एक अजीब आत्मविश्वास झलक रहा था। नंदिनी ने एक लंबी नजर से उसकी ओर देखा और बोली, “ठीक है, बताओ तुम क्या कर सकते हो?” भिखारी बोला, “मैडम, शहर में बड़ा अपराध होने वाला है। मैं आपको इसकी खबर दे सकता हूं।” नंदिनी को हंसी आ गई। भिखारी और अपराध की खबर, लेकिन उनकी पुलिस प्रवृत्ति ने उन्हें गंभीर कर दिया। “अच्छा तो बताओ, क्या खबर है?” भिखारी धीरे से बोला, “कल रात मैंने सिग्नल के पास वाले गोदाम में कुछ लोगों को देखा हथियारों के साथ। वे किसी बड़े प्लान की तैयारी में थे।” उसने जगह और कुछ लोगों के हुलिए का भी जिक्र किया।

पुलिस की कार्रवाई

नंदिनी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया, पर सावधानी वश अपने एक जूनियर अफसर को वहां जांच के लिए भेजा। अगले दिन पुलिस ने छापा मारा और वहां से बड़ी मात्रा में गैरकानूनी हथियार बरामद किए। नंदिनी दंग रह गई। एक भिखारी इतनी सटीक जानकारी कैसे दे सकता है? अगले दिन वे सीधे सिग्नल पर पहुंची और उससे सवाल किया, “तुमने यह जानकारी कैसे दी? असल में तुम हो कौन?” भिखारी मुस्कुराया और बोला, “मैडम, मैं वही हूं जो आपको नजर आता हूं। लेकिन इस शहर को मैं आपसे बेहतर जानता हूं।”

एक अजीब रिश्ता

उसकी बातें रहस्यमयी थीं। आने वाले हफ्तों में वह बार-बार नंदिनी को अपराधों की खबर देता रहा और हर बार उसकी जानकारी सच निकली। अब नंदिनी उसे सिर्फ भिखारी नहीं मानती थी। उन्हें यकीन हो चला था कि इस शख्स के पीछे कोई बड़ा राज छिपा है। समय के साथ दोनों के बीच एक अजीब रिश्ता बनने लगा। नंदिनी अब उसे पैसे नहीं देती थी, बल्कि उससे बातें करती। कई बार उसकी बातें उन्हें अर्जुन की याद दिला देती।

एक रात का रहस्य

एक रात जब नंदिनी देर से थाने से घर लौट रही थी, उनकी गाड़ी अचानक खराब हो गई। बाहर तेज बारिश हो रही थी और सड़क सुनसान थी। तभी वह भिखारी अचानक प्रकट हुआ, मानो पहले से जानता हो कि उन्हें मदद चाहिए। उसने गाड़ी ठीक करने में हाथ बटाया और बोला, “मैडम, आप इतनी रात को अकेली मत निकला कीजिए।” उसकी आवाज में एक अजीब सी चिंता थी। उस रात नंदिनी ने उसे अपने घर चलने का निमंत्रण दिया। पहले तो उसने मना किया, लेकिन फिर उनकी जिद पर मान गया।

भिखारी का खाना

घर पहुंचकर नंदिनी ने उसे खाना परोसा। खाना खाते हुए भिखारी बोला, “मैडम, इस खाने का स्वाद बहुत पुरानी याद दिला रहा है।” नंदिनी का दिल तेजी से धड़कने लगा। मगर उन्होंने चुप्पी साधे रखी। अगले ही दिन उन्होंने अपने पुराने दोस्त और फॉरेंसिक विशेषज्ञ करण मेहरा को बुलाया और उसे भिखारी की वह तस्वीर दिखाई जो उन्होंने चुपके से खींची थी। करण मेहरा ने तस्वीर को गहराई से निहारा और धीरे से बोला, “नंदिनी, इस आदमी का चेहरा कहीं ना कहीं देखा हुआ लगता है। लेकिन मैं पक्के तौर पर कुछ कह नहीं सकता। मुझे कुछ टेस्ट करने होंगे।”

डीएनए परीक्षण

करण मेहरा ने नंदिनी से कहा कि किसी तरह उस भिखारी के कुछ नमूने इकट्ठे करें, जैसे उसके कपड़े या कोई सामान, जिससे डीएनए टेस्ट कराया जा सके। लेकिन उनके मन में एक उलझन थी। वे नहीं चाहती थीं कि भिखारी को आभास हो कि उस पर शक किया जा रहा है। कुछ सोचने के बाद नंदिनी ने एक योजना बनाई। एक दिन उन्होंने उस भिखारी को अपने घर बुलाकर कहा, “मैं चाहती हूं कि तुम नई जिंदगी की शुरुआत करो। तुम चाहो तो यहां मेरे साथ रह सकते हो।”

रमेश का नाम

भिखारी ने पहले इंकार किया, लेकिन फिर मान गया। नंदिनी का विचार था कि अगर वह उसे पास रखेगी तो शायद उसकी असली पहचान उजागर हो पाएगी। भिखारी, जिसने अपना नाम रमेश बताया था, अब नंदिनी के घर आने-जाने लगा। उन्होंने उसे घर के पिछले हिस्से में एक छोटा कमरा दे दिया। शुरू में रमेश ने बहुत मना किया, लेकिन अंततः नंदिनी की जिद ने उसे मानने पर मजबूर कर दिया। नंदिनी का उद्देश्य केवल उसकी मदद करना नहीं था, उनके मन में यह सवाल लगातार उठ रहा था कि यह आदमी जो सड़कों पर भीख मांगता है, आखिर इतनी सटीक जानकारियां कैसे देता है जो बार-बार उन्हें अपने पति अर्जुन की याद दिला देती हैं।

रमेश का रहन-सहन

लेकिन हर बार वे खुद को समझातीं, “नहीं, अर्जुन मर चुका है।” अब रमेश नंदिनी के घर में रहने लगा। मगर दिन का अधिकांश समय वह बाहर ही बिताता। सुबह सिग्नल पर जाकर अपने पुराने ढंग से भीख मांगता और शाम को चुपचाप लौट आता। कई बार नंदिनी ने उससे पूछा, “रमेश, अब भी सिग्नल पर क्यों जाते हो? मैं तुम्हें सब कुछ दे सकती हूं।” हर बार रमेश मुस्कुराकर जवाब देता, “मैडम, सिग्नल ही मेरी असली दुनिया है।”

आग का हादसा

इसी बीच एक दिन थाने से नंदिनी को आपातकालीन कॉल आया। बताया गया कि शहर के बड़े व्यापारी अमित चौधरी के गोदाम में भीषण आग लग गई है। यह वही गोदाम था जहां कुछ हफ्ते पहले रमेश की सूचना पर पुलिस ने छापा मारा था। नंदिनी तुरंत मौके पर पहुंची। आग इतनी भयंकर थी कि गोदाम का आधा हिस्सा राख में बदल चुका था। लेकिन मलबे में कुछ ऐसा मिला जिसने उनके दिल की धड़कनें तेज कर दीं। आग से बचे हुए कागजों में एक पुरानी तस्वीर थी जिसमें खड़ा आदमी हूबहू अर्जुन जैसा दिख रहा था। तस्वीर के पीछे लिखा था “अर्जुन 2018, मेहता एंटरप्राइजेस।”

नंदिनी की दुविधा

नंदिनी के हाथ कांपने लगे। तस्वीर को उन्होंने बैग में छुपाया और थाने लौट आई। उस रात उन्हें नींद नहीं आई। मन में सवाल उमड़ते रहे। “क्या यह सचमुच अर्जुन है? लेकिन यह कैसे संभव हो सकता है? अर्जुन की मौत तो कार हादसे में हुई थी। पुलिस ने शव की शिनाख्त भी की थी। फिर यह तस्वीर यहां कैसे पहुंची और अमित चौधरी का इससे क्या रिश्ता हो सकता है?” अगले दिन उन्होंने रमेश से इस बारे में पूछने का निश्चय किया। लेकिन सिग्नल पर रमेश नहीं था। उन्होंने उसे ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह जैसे हवा में गायब हो गया हो।

रमेश का अचानक प्रकट होना

शाम को जब नंदिनी घर लौटी, तो देखा कि रमेश दरवाजे के बाहर बैठा है। उसका चेहरा थका हुआ था और कपड़े और भी मैले हो चुके थे। नंदिनी ने झुंझलाते हुए पूछा, “कहां थे रमेश? मैं तुम्हें ढूंढ रही थी।” रमेश ने धीमी आवाज में कहा, “मैडम, मुझे कुछ काम था। आप परेशान मत होइए।” नंदिनी ने ठान लिया कि अब वे सीधे सवाल करेंगी। उन्होंने पूछा, “रमेश, क्या तुम अमित चौधरी को जानते हो?” रमेश ने एक पल उनकी आंखों में देखा। फिर नजरें झुका ली। “मैडम, इस शहर में कौन उसे नहीं जानता? वह बड़ा आदमी है।”

जांच की गहराई

उसके अंदाज में कुछ ऐसा था जिससे नंदिनी के शक और गहरे हो गए। कुछ ही दिनों में जांच से यह सामने आया कि गोदाम की आग कोई हादसा नहीं थी। किसी ने जानबूझकर आग लगाई थी। गवाहों के मुताबिक रात को वहां एक रहस्यमयी शख्स को देखा गया था। नंदिनी ने इंस्पेक्टर दीपक को रमेश पर नजर रखने का आदेश दिया। दीपक ने बताया कि रमेश हर रात चौराहे के पास बने एक पुराने खंडहर में जाता है और वहां कुछ अजनबी लोगों से मिलता है।

खंडहर का रहस्य

जब नंदिनी खुद वहां पहुंची तो उन्हें पुराने कागजात मिले जिनमें मेहता एंटरप्राइजेस के गैर कानूनी सौदों का जिक्र था। सबसे चौंकाने वाला एक पत्र था, “अर्जुन, तुम्हें सच छिपाना होगा। मेहता तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा।” नंदिनी का दिमाग शून्य हो गया। “क्या अर्जुन सचमुच जिंदा है या फिर यह किसी गहरी साजिश का हिस्सा है?” उन्होंने निश्चय किया कि अब सीधे अमित चौधरी से सामना करना होगा। लेकिन उससे पहले रमेश से सच उगलवाना जरूरी था।

अर्जुन का रहस्य

रात को नंदिनी ने रमेश को बुलाकर अर्जुन की तस्वीर दिखाई और कठोर स्वर में पूछा, “यह कौन है रमेश? और तुम असल में कौन हो?” रमेश ने तस्वीर को गौर से देखा और बोला, “मैडम, कुछ सवालों के जवाब सिर्फ वक्त देता है, लेकिन इतना वादा करता हूं कि मैं आपका कभी नुकसान नहीं करूंगा।” नंदिनी का धैर्य टूट गया। उन्होंने कहा, “अगर सच नहीं बताया तो मैं तुम्हें गिरफ्तार कर लूंगी।” रमेश बस हल्के से मुस्कुराया और बोला, “मैडम, अगर आपने मुझे गिरफ्तार किया, तो वह सच कभी सामने नहीं आएगा जिसकी आप तलाश कर रही हैं।”

तहखाने का रहस्य

इसी दौरान रमेश ने एक अहम राज खोला। “अमित चौधरी के दफ्तर में एक गुप्त तहखाना है जहां वह अपने गैरकानूनी दस्तावेज छिपाता है।” नंदिनी ने फौरन टीम तैयार की और वहां छापा मारा। तहखाने से कई महत्वपूर्ण सबूत बरामद हुए और इसके बाद अमित चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया। फिर भी नंदिनी के मन का संदेह मिटा नहीं। उन्होंने अपने फॉरेंसिक मित्र करण मेहरा को रमेश के डीएनए टेस्ट के लिए कुछ नमूने सौंप दिए। लेकिन रिपोर्ट आने में वक्त था।

जान का खतरा

इसी बीच एक दिन नंदिनी को अनजान नंबर से फोन आया। दूसरी तरफ भारी आवाज गूंजी, “एसपी मैडम, आप वाकई होशियार हैं, लेकिन सच के करीब जाने की कीमत चुकानी पड़ती है। रमेश को छोड़ दीजिए।” फिर कॉल अचानक कट गया। नंदिनी को अब पूरा यकीन हो गया था कि रमेश कोई साधारण भिखारी नहीं है। मगर साथ ही उसे यह भी समझ आ चुका था कि अब पीछे हटना उसके लिए नामुमकिन है। उसका दिल और दिमाग रमेश की रहस्यमयी दुनिया में गहराई से उलझ चुका था।

रमेश की पहचान

हर रात वह यही सोचते हुए करवटें बदलती। आखिर रमेश कौन है? उसकी बातों और उसके टोरडीक में ऐसा क्या है जो बार-बार उसे अर्जुन की याद दिला देता है? लेकिन उसे यह भी आभास था कि रमेश का सच इतनी आसानी से सामने आने वाला नहीं। दूसरी ओर रमेश, जो अब नंदिनी के घर में रह रहा था, पहले से कहीं ज्यादा रहस्यमय हो गया था। दिन में वह चौराहे पर जाकर लोगों से भीख मांगता और रात को चुपचाप घर लौट आता। उसकी आंखों में अब एक अजीब सा ठहराव था। मानो उसे किसी बड़े सवाल का उत्तर मिल चुका हो।

खतरे का संकेत

इसी बीच नंदिनी को एक गुमनाम कॉल आया। “रमेश को फौरन अपने घर से निकाल दो, वरना तुम्हारी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।” नंदिनी ने सख्त आवाज में जवाब दिया, “जो भी हो, मुझसे दोबारा बात करने की हिम्मत मत करना। मैं डरने वालों में से नहीं हूं।” इसके बाद कॉल अचानक कट गई। नंदिनी ने फौरन अपनी टीम को अलर्ट कर दिया और उस नंबर को ट्रेस करने का आदेश दिया। ट्रेस से पता चला कि कॉल एक पुराने गोदाम से की गई थी जो अमित चौधरी की कंपनी के नाम पर दर्ज था।

साजिश का खुलासा

नंदिनी को पूरा यकीन हो गया कि मेहता की गिरफ्तारी के बावजूद उसका नेटवर्क अब भी सक्रिय है और शायद रमेश भी उसी जाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उधर अर्जुन, जो रमेश की पहचान में जी रहा था, भिखारी का भेष धारण कर चौराहे पर जो जानकारी इकट्ठी की थी, उससे साफ हुआ कि अमित चौधरी तो महज एक मोहरा था। असल खेल कोई और रच रहा था। वह जो अर्जुन के व्यापार और उसकी पूरी जिंदगी को बर्बाद करना चाहता था और अब वही शख्स नंदिनी को भी निशाना बना रहा था।

नंदिनी का निर्णय

अर्जुन ने तय किया कि अभी वह नंदिनी को सच्चाई नहीं बताएगा क्योंकि ऐसा करने से उसकी जान को और बड़ा खतरा हो सकता था। लेकिन वक्त भी हाथ से निकल रहा था। उसने नंदिनी तक खबर पहुंचाई कि पुराने कारखाने में मेहता के आदमी एक बड़ा हथियारों का सौदा करने वाले हैं। नंदिनी ने फौरन अपनी टीम के साथ वहां छापा मारा। कई गुंडे गिरफ्तार किए गए। लेकिन इस बार नया खुलासा हुआ। उनमें से एक ने बताया कि इस सौदे का असली सरगना कोई बड़ा आदमी है जो कभी सामने नहीं आता। लेकिन रमेश के बारे में सब जानता है।

अंतिम सामना

नंदिनी हैरान रह गई। अब उसके मन में सवाल था क्या रमेश खुद खतरे में है या वह इस पूरे षड्यंत्र का हिस्सा है? उसका मन बार-बार रमेश पर भरोसा करना चाहता था क्योंकि उसी की मदद से कई बड़े अपराध रोके गए थे। लेकिन रमेश का बार-बार गायब हो जाना और उसका रहस्यमय बर्ताव उस पर शक भी पैदा कर रहा था। उसने अपने फॉरेंसिक एक्सपर्ट दोस्त करण मेहरा को फोन कर पूछा, “डीएनए रिपोर्ट कब तक आएगी?” करण मेहरा ने जवाब दिया, “नतीजे दो दिन में मिल जाएंगे।”

रमेश का गायब होना

नंदिनी ने सोचा शायद यही रिपोर्ट रमेश की असलियत का राज खोल दे। उस रात जब वह घर लौटी तो रमेश वहां नहीं था। मेज पर सिर्फ एक छोटा सा नोट रखा था, “मैडम, मुझे कुछ दिनों के लिए जाना होगा। मैं जरूर लौटूंगा।” नंदिनी का दिल बैठ गया। उसे लगा रमेश फिर किसी खतरनाक राह पर बढ़ गया है। मगर अब वह इंतजार करने को तैयार नहीं थी। उसने निश्चय किया कि खुद रमेश का पीछा करेगी।

नंदिनी की योजना

उसने अपने सबसे भरोसेमंद इंस्पेक्टर दीपक को बुलाया और योजना बनाई। दीपक ने बताया कि रमेश को आखिरी बार शहर के बाहरी इलाके में पुराने कारखाने के पास देखा गया था। वही कारखाना जहां हाल ही में छापा पड़ा था। नंदिनी ने टीम तो तैयार की लेकिन इस बार अकेले जाने का फैसला किया। उसे लगा अब रमेश से आमने-सामने बात करना ही एकमात्र रास्ता है।

खतरनाक रात

उसने अपनी सर्विस रिवॉल्वर चेक की, फोन में ट्रैकर ऑन किया और कार में बैठकर उस कारखाने की ओर निकल पड़ी। रात का अंधेरा और सन्नाटा कारखाने के माहौल को और भयावह बना रहा था। नंदिनी को अंदाजा नहीं था कि यह रात उसकी जिंदगी की दिशा हमेशा के लिए बदल देगी। वह चुपके से कारखाने के पिछले दरवाजे से अंदर घुसी। अंदर का दृश्य देखकर उसके कदम ठिठक गए। रमेश एक पुरानी मेज के पास खड़ा था और उसके सामने एक आदमी खड़ा था जिसे नंदिनी तुरंत पहचान गई। वह था दीपक चौधरी।

दीपक का गुस्सा

दीपक को पुलिस ने कभी गंभीरता से नहीं लिया था क्योंकि वह हमेशा अपने ताकतवर भाई की छाया में दबा रहा। मगर इस वक्त वह गुस्से में रमेश पर बरस रहा था। “तुमने मेरे भाई को जेल भिजवाया और मेरे सारे प्लान चौपट कर दिए। आखिर तुम हो कौन? तुम्हें सब कैसे पता चला?” रमेश ने गहरी आवाज में जवाब दिया, “तूने मुझे मारने की साजिश रची थी। लेकिन भूल गया कि मैं अर्जुन मालहोत्रा हूं। मैं जिंदा हूं और अब तेरा खेल खत्म करने आया हूं।”

नंदिनी का विश्वास

नंदिनी का दिल एक पल को थम गया। “अर्जुन मालहोत्रा।” उसका पति! उसका दिमाग तेजी से दौड़ने लगा। “क्या यह सच है? क्या रमेश सचमुच अर्जुन ही है?” उसने खुद को संभाला, रिवॉल्वर निकाली और सामने आकर बोली, “हाथ ऊपर करो दीपक और तुम रमेश या अर्जुन, अब सच साफ-साफ बताओ।” अर्जुन ने उसकी ओर देखते हुए कहा, “नंदिनी, मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें सब कुछ बताना चाहता था। लेकिन पहले असली सच सामने लाना जरूरी था।”

संघर्ष का अंत

इसी बीच दीपक ने मौका पाकर जेब से पिस्तौल निकालने की कोशिश की। मगर नंदिनी ने फौरन गोली चला दी। गोली उसके हाथ पर लगी और पिस्तौल नीचे गिर पड़ी। नंदिनी ने अपनी टीम को अंदर बुलाया जो बाहर इंतजार कर रही थी। दीपक को हथकड़ियां पहनाकर ले जाया गया। अब कारखाने में सिर्फ नंदिनी और अर्जुन रह गए। नंदिनी ने उसकी ओर देखा, आंखों से आंसू बह रहे थे। “तुम जिंदा थे तो मुझे क्यों नहीं बताया?”

पुनर्मिलन

अर्जुन ने नरमी से कहा, “नंदिनी, मुझे लगा तुमने मेरे साथ धोखा किया। मुझे शक था कि मेरी मौत की साजिश में कहीं तुम्हारा भी हाथ है। लेकिन सच्चाई यह है कि इस सबके पीछे दीपक था। उसने मेरे व्यापार पर कब्जा करने के लिए मेरी हत्या की साजिश रची।” नंदिनी की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। उसने अर्जुन को गले लगा लिया और कहा, “तुमने मुझे बहुत दुख दिया। लेकिन मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहती।”

नई शुरुआत

अर्जुन ने उसे मजबूती से अपनी बाहों में भर लिया। “नंदिनी, अब मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगा।” इसके बाद अर्जुन ने अपनी असली पहचान दुनिया के सामने उजागर की और नंदिनी के साथ नई जिंदगी की शुरुआत की। वह चौराहा, जो कभी उनके दर्द और रहस्यों का गवाह था, अब उनकी मोहब्बत की यादगार बन गया।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज की यह रहस्यमयी कहानी आपको पसंद आई हो तो वीडियो को एक लाइक और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। कभी-कभी जिंदगी में हमें ऐसे मोड़ मिलते हैं, जहां हमें अपने अतीत का सामना करना पड़ता है। नंदिनी और अर्जुन की कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार और विश्वास की ताकत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

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