Ye aadmi Biwi ke saath konsa kaam karta tha ? Jo Allah ka Dardnak Azab aa gaya ? Islamic Story

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कौन सा काम था जो इस आदमी पर अल्लाह का दर्दनाक अजाब आ गया? (इस्लामिक कहानी)

भाग 1: ज़ैनब का घर और उसकी पाकीज़गी

सुबह की पहली किरण ने ज़ैनब के चेहरे को छुआ। वह फजर की नमाज के बाद कुरान की तिलावत करती थी। उसका घर साफ-सुथरा, सादा और तरतीब से भरा था। पौधों को पानी देना, घर को सजाना, सब उसकी इबादत का हिस्सा था। मोहल्ले की बूढ़ी अमजान जब ज़ैनब का जिक्र करती, उनकी आंखें चमक उठतीं। सभी उसकी नेकी, उसकी पाकीज़गी के कायल थे।

ज़ैनब को अपने शौहर जुनैद पर फख्र था। वह समझती थी कि दुनिया में उससे बेहतर शौहर कोई नहीं। हर दुआ में उसका नाम शामिल होता। मगर ज़ैनब की मुस्कान की गहराई में एक उदास सुकून छुपा था।

भाग 2: जुनैद का कारोबार और गुनाह

जुनैद अपनी दुकान पर बैठा मिलावट वाले मसाले बेचता था। “यह तो खालिस है, मैं अल्लाह को गवाह बनाकर कहता हूं,” वह ग्राहक से झूठ बोलता। उसके चेहरे पर चालाकी थी। उसे लगता था कि कारोबार में तरक्की झूठ और धोखे के बिना नामुमकिन है। उसका ईमान सिर्फ नफा-नुकसान तक सीमित था।

शाम को दुकान बंद करके घर लौटते वक्त उसके मन में शक पैदा हुआ—ज़ैनब आजकल कुछ ज्यादा ही खुश है। कल मैंने उसे खिड़की से बाहर देखा था, किसको तलाश कर रही थी? उसका शक उसकी अकल पर पर्दा डाल रहा था।

भाग 3: शक, पाबंदियां और दर्द

घर पहुंचकर ज़ैनब ने उसका स्वागत किया। मगर जुनैद के चेहरे पर शक था। “तुम्हारे कपड़े पर यह दाग कैसे लगा?” ज़ैनब ने मासूमियत से जवाब दिया—खाना पकाते हुए लग गया। मगर जुनैद का शक बढ़ता गया। रात को खाना खाते वक्त ज़ैनब अपनी मां को याद कर रही थी, मगर मायके जाने की इजाजत मांगने से डर गई।

अगले दिन ज़ैनब की मां का फोन आया। ज़ैनब ने हिम्मत करके जुनैद से मायके जाने की इजाजत मांगी। मगर जुनैद का चेहरा अकड़ गया—”अब से तुम अपने मायके नहीं जा सकती, ना ही बाजार जा सकती हो।” ज़ैनब ने गर्दन झुका ली, सब्र किया।

भाग 4: मोहल्ले की अफवाहें और नफीसा की चाल

मोहल्ले की नफीसा आपा को दूसरों के मामलात में दखल देने का शौक था। उसने ज़ैनब के घर का रुख किया। “तुम्हारी जिंदगी गुलामी की है,” उसने तंज कसा। मगर ज़ैनब ने कहा, “मेरा घर ही मेरी जन्नत है।” नफीसा ने अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं—”तुम्हारा शौहर तुम्हें कैद करता है क्योंकि वह जानता है कि तुम बाहर की दुनिया देखोगी तो भाग जाओगी।”

रात को ज़ैनब तहज्जुद की नमाज पढ़ती थी, अल्लाह से दुआ करती थी—”मेरे शौहर के दिल को नरम कर दे।” मगर आने वाले तूफान का इशारा था।

भाग 5: नेकी और सच्चाई की सजा

एक दिन ज़ैनब ने मोहल्ले की बूढ़ी उम्मे अब्दुल्लाह के लिए खाना बनाया। मगर मोहल्ले के एक शख्स ने यह बात जुनैद तक पहुंचा दी—”तुम्हारी बीवी तो हर किसी के घर जा रही है।” जुनैद ने घर आकर ज़ैनब पर पाबंदियां और बढ़ा दीं—अब बिना पर्दे के दरवाजे पर भी नहीं जा सकती।

हलीमा बी, जुनैद की मां, ने बेटे को समझाया—”ज़ैनब सोने की डली है, उसकी कदर कर। अल्लाह से डर।” मगर जुनैद ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया।

भाग 6: बाबा जी का आगमन और नफीसा की साजिश

मोहल्ले में एक नूरानी चेहरे वाले बुजुर्ग बाबा जी आए। उन्होंने जुनैद को समझाया—”तिजारत में ईमानदारी भी इबादत है। दुनिया फानी है, आखिरत के लिए तैयारी कर।” मगर जुनैद ने उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी।

नफीसा ने बाबा जी और ज़ैनब के बारे में झूठी अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं—”मैंने अपनी आंखों से देखा, तुम्हारी बीवी बाबा जी को पानी पिलाती है, घंटों बातें करती है।” अफवाहें पूरे मोहल्ले में फैल गईं।

भाग 7: जुनैद का गुनाह और अल्लाह का अजाब

अफवाहों के असर से जुनैद का शक यकीन में बदल गया। उसने ज़ैनब पर हाथ उठाया, उसे बेगुनाह होते हुए भी बदनाम किया। “तुमने मेरे घर की इज्जत को खाक में मिला दिया,” उसने ज़ैनब को धक्का दिया। ज़ैनब रोती रही, मगर उसके लब पर कोई शिकायत नहीं थी। उसने अल्लाह से दुआ की—”मेरे शौहर को हिदायत दे।”

हलीमा बी ने बेटे को डांटा—”तूने अपनी पाकीजा बीवी पर तहमत लगाई है, यह बहुत बड़ा गुनाह है।” बाबा जी ने भी कहा—”शैतान तेरे घर में घुस आया है।”

भाग 8: बददुआ और बीमारी

एक दिन बाबा जी बेहोश होकर गिर पड़े। ज़ैनब ने इंसानियत के नाते बाहर निकलकर उनकी मदद की। मगर जुनैद ने यह देखकर फिर ज़ैनब पर इल्जाम लगाया। बाबा जी ने अल्लाह से दुआ की—”अगर यह हिदायत के योग्य नहीं, तो इसे ऐसी बीमारी दे कि तेरी तरफ रुजू करे।”

रात को जुनैद के शरीर पर अजीब फोड़े निकल आए। डॉक्टर ने कहा—मेडिकल साइंस में ऐसी कोई बीमारी नहीं। आध्यात्मिक इलाज करवाओ। जुनैद ने महसूस किया कि यह अल्लाह का अजाब है।

भाग 9: तौबा, माफी और रहमत

जुनैद ने ज़ैनब से माफी मांगी। ज़ैनब ने कहा—”अल्लाह माफ करने वाला है। जिसने बीमारी दी है, वही शफा भी देगा।” जुनैद ने बाबा जी को ढूंढने का फैसला किया। सफर में उसने अपनी हराम कमाई दरिया में फेंक दी। बाबा जी से मिला, माफी मांगी। बाबा जी ने दुआ की—”या अल्लाह इसे माफ फरमा।”

जुनैद ने तौबा की, अपने गुनाह कबूल किए। बाबा जी ने कहा—”अब नेकी की राह पर चलना।” जुनैद ने वादा किया, “आज से मेरी जिंदगी बदल जाएगी।”

भाग 10: नई शुरुआत, सब्र का फल

घर लौटकर जुनैद ने ज़ैनब से फिर माफी मांगी। ज़ैनब ने कहा, “मैंने तो पहले ही माफ कर दिया था।” अगले दिन उसके शरीर के फोड़े गायब थे। घर में बरकत आई। जुनैद ने ज़ैनब को मायके ले जाने का वादा पूरा किया। मोहल्ले वाले हैरान थे कि एक बददुआ ने कैसे एक शैतान को फरिश्ता बना दिया।

अब जुनैद की दुकान ईमानदारी की मिसाल बन गई। ज़ैनब के चेहरे पर मुस्कान थी। हलीमा बी की दुआ रंग लाई। बाबा जी की रहमत ने सब बदल दिया।

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