पत्नी की एक गलती की वजह से फौजी पति ने उठाया बड़ा कदम/अंजाम ठीक नहीं हुआ/
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प्रस्तावना
हर इंसान की जिंदगी में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं, जब एक छोटी सी गलती पूरी जिंदगी बदल देती है। खासतौर पर जब मामला रिश्तों, विश्वास और सम्मान का हो। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के बहादुरपुर गांव के प्रताप सिंह की, जो फौज में देश की सेवा करता था। उसकी पत्नी संजना की एक गलती ने पूरे परिवार की किस्मत बदल दी।
1. बहादुरपुर गांव का जीवन
बहादुरपुर गांव, मेरठ—यहां की आबोहवा में सादगी थी, लोग सीधे-सादे थे। मोहर सिंह गांव के पुराने किसान थे, उनके पास आठ एकड़ जमीन थी। खेती-किसानी में ही उनका जीवन बीतता था। पांच साल पहले मोहर सिंह की पत्नी का देहांत हो गया, जिससे वे टूट गए। उनके दो बेटे थे—प्रताप और सुमेर। प्रताप बड़ा था, सुमेर छोटा। सुमेर पढ़ने-लिखने में तेज था, 12वीं में था। प्रताप दो साल पहले फौज में भर्ती हो गया था।
2. प्रताप की शादी और परिवार
मोहर सिंह ने प्रताप की शादी गांव की ही सुंदर, समझदार लड़की संजना से तय कर दी थी। यह शादी प्रताप की छुट्टियों के दौरान धूमधाम से हुई। संजना नए घर में आई, परिवार के साथ रहने लगी। प्रताप की छुट्टियां कब खत्म हो गईं, पता ही नहीं चला। वह वापस फौज में चला गया।
संजना के लिए नया घर, नया परिवार था। पति दूर, ससुर खेत में, देवर स्कूल में—घर में अकेलापन था। वह घर के सारे काम करती, रात को करवटें बदलती, अकेलापन उसे परेशान करता।
3. अकेलापन और गलत राह
समय बीतता गया। संजना का अकेलापन बढ़ता गया। एक दिन, जब सुमेर बाथरूम से तौलिया लपेटकर निकला, संजना की नजर उस पर पड़ी। उसके मन में गलत ख्याल आने लगे। उसने सुमेर को स्कूल न जाने के लिए कहा, घरेलू काम में मदद के बहाने रोक लिया। सुमेर खुश हो गया, छुट्टी मिल गई। लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी भाभी के मन में क्या चल रहा है।
संजना ने सुमेर को अपने पास बुलाया, अकेलेपन का हवाला दिया। लेकिन सुमेर ने हाथ छुड़ाया, कहा, “भाभी, मैं अपने भाई को धोखा नहीं दे सकता।” और घर से निकल गया।
संजना और भी परेशान हो गई। उसने सोचा, “ना देवर काम का, ना पति। कोई दूसरा ठिकाना देखना पड़ेगा।”

4. नया रिश्ता: सुरेश की एंट्री
25 अगस्त 2025, सुबह। संजना कपड़े धोकर छत पर सुखाने गई। पड़ोसी सुरेश, ट्रक ड्राइवर, अपनी छत पर बैठा था। दोनों की नजरें मिलीं। धीरे-धीरे बातचीत शुरू हुई। मोबाइल नंबर एक्सचेंज हुए, घंटों बात होने लगी।
समय बीतता गया। 2 सितंबर को, सुमेर स्कूल, ससुर खेत में। संजना ने सुरेश को फोन किया, “मैं घर में अकेली हूं, आ जाओ।” सुरेश आया, दोनों ने दरवाजा बंद किया, कमरे में चले गए। गलत रिश्ते कायम हुए। संजना की जरूरतें पूरी होने लगीं। वह अब खुश रहने लगी, परिवार का ध्यान रखने लगी, किसी को भनक तक नहीं लगी।
5. और गहराती गलती
अब सुरेश का दोस्त राजू भी कहानी में आ गया। सुरेश ने शराब के नशे में राजू को अपनी प्रेम कहानी सुनाई। राजू ने मिलने की इच्छा जताई। संजना को फर्क नहीं पड़ा, उसने सुरेश से कहा, “कल 11 बजे राजू को लेकर आ जाना।”
अगले दिन, सुरेश और राजू घर आए। संजना ने दोनों को कमरे में बुलाया। तीनों के बीच गलत संबंध बने। अब संजना ने गलत रास्ता चुन लिया था। जब भी मौका मिलता, दोनों को बुलाती, गलत रिश्ते बनाती।
6. सच्चाई का सामना
13 अक्टूबर 2025, सुबह। सुमेर स्कूल से जल्दी लौट आया, तबीयत खराब थी। घर का दरवाजा अंदर से बंद मिला। दस्तक दी, संजना ने कपड़े संभालते हुए दरवाजा खोला। सुमेर ने कमरे में सुरेश को आपत्तिजनक स्थिति में देखा। गुस्से में सुरेश को बाहर निकाला, भाभी को गालियां दीं। संजना हाथ जोड़कर कहने लगी, “अगर ये बात बाहर गई तो बदनामी हो जाएगी।”
सुमेर चुप हो गया। संजना ने ससुर मोहर सिंह को उल्टा इल्जाम लगाया, “सुमेर ने मेरे साथ गलत काम करने की कोशिश की।” मोहर सिंह ने सुमेर को डांटा, उसकी बात पर विश्वास नहीं किया, पिटाई कर दी। संजना ने कहा, “पहली बार माफ कर दो।” सुमेर घर छोड़कर चला गया।
7. फौजी प्रताप की वापसी
19 अक्टूबर 2025, दिवाली की छुट्टियों में प्रताप घर लौटा। पिता, पत्नी, भाई से मिला। पत्नी को शॉपिंग पर ले गया, परिवार के साथ समय बिताया। लेकिन सुमेर उदास था। प्रताप ने पूछा, “क्या बात है?” सुमेर ने कमरे में ले जाकर सच्चाई बताई।
“भाभी गलत रास्ते पर चल पड़ी है। सुरेश के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था। भाभी ने उल्टा इल्जाम लगाया, पिता ने मेरी पिटाई की।”
प्रताप को विश्वास हो गया, उसने भाई की बात सही मानी। उसने फैसला लिया—अब कुछ बड़ा करना होगा।
8. फैसले की घड़ी
22 अक्टूबर 2025। संजना छत पर सुरेश से बात कर रही थी। प्रताप ने देख लिया। उसे यकीन हो गया कि उसकी पत्नी गलत रास्ते पर है। उसने मन ही मन फैसला लिया—अब इस रिश्ते का अंत करना है।
रात को परिवार खाना खाता है। प्रताप सब सामान्य दिखाता है। रात 10 बजे, पत्नी को बेडरूम में ले गया। 11 बजे, संजना के मुंह और हाथ-पैर कपड़े से बांध दिए। रसोई से पीसी लाल मिर्च लाया, पत्नी के संवेदनशील हिस्सों में डाल दी। संजना चीखी, लेकिन आवाज बाहर नहीं गई। प्रताप ने पत्नी का गला दबा दिया, जब तक दम नहीं निकल गया।
9. अंजाम
सुबह 9 बजे तक दरवाजा नहीं खुला। मोहर सिंह ने चिंता जताई, सुमेर को बुलाया। दोनों ने दरवाजा तोड़ा, अंदर संजना की लाश थी। प्रताप पास बैठा था। पुलिस को फोन किया गया, शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, प्रताप गिरफ्तार हुआ।
पूछताछ में प्रताप ने बताया, “पत्नी गलत रास्ते पर थी, सुरेश के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ी गई थी। इसलिए हत्या की।”
पुलिस ने चार्जशीट दायर की, प्रताप जेल गया।
10. सवाल और संदेश
क्या प्रताप ने सही कदम उठाया? क्या एक गलती की इतनी बड़ी सजा होनी चाहिए थी? क्या परिवार, समाज या कानून में ऐसी घटनाओं की कोई जगह है? क्या संवाद, समझदारी, या कानून का सहारा लेना बेहतर होता?
11. निष्कर्ष
यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों में विश्वास, संवाद और धैर्य जरूरी है। एक गलती पूरी जिंदगी बदल सकती है, लेकिन उसका समाधान हिंसा या हत्या नहीं है। हर समस्या का हल बातचीत, कानून और समझदारी से निकलता है।
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