“स्टेशन पर चोरी करते पकड़े गए बच्चे के साथ पुलिस अधिकारी ने जो किया, उसकी नस्लें याद रखेंगी!”

कहानी: एक पुलिस अफसर की दया – राजू का बदला हुआ भविष्य

क्या एक गलती किसी बच्चे के पूरे भविष्य को परिभाषित कर सकती है? क्या कानून का रखवाला सिर्फ सजा देना जानता है, या वह किसी टूटी तकदीर को संवार भी सकता है?

यह कहानी है 10 साल के मासूम राजू की, जिसे भूख और लाचारी ने चोर बना दिया था। और एक ऐसे ईमानदार, रहमदिल पुलिस अफसर की, जिसने उस बच्चे की आंखों में अपराध नहीं, बल्कि एक खोया हुआ भविष्य देखा।

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राजू की कहानी

उत्तर प्रदेश के मुगलसराय जंक्शन पर राजू स्टेशन की पटरियों पर ही जी रहा था। कोई घर नहीं, परिवार नहीं—बस स्टेशन ही उसका घर। कभी मां-बाप थे, लेकिन बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया। चाचा ने उसे शहर लाकर कालू उस्ताद के हवाले कर दिया, जो बच्चों से चोरी करवाता था। भूख, डर, और हर रोज़ का टारगेट—अगर चोरी न हो, तो मार।

राजू कोई पैदाइशी चोर नहीं था। हर चोरी के बाद उसकी आंखों से आंसू बहते। लेकिन किस्मत से वह उस दिन भीड़ के हाथों पकड़ा गया। लोग उसे मारने पर उतारू थे।

हरदेव सिंह – कानून का असली रखवाला

पुलिस अधीक्षक हरदेव सिंह, जिनकी अपनी निजी त्रासदी थी—12 साल का बेटा बीमारी से खो चुका था। प्लेटफार्म पर भीड़ के बीच राजू को बचाने के लिए सबसे आगे वही बढ़े। पुलिस आई कार्ड दिखाया, भीड़ शांत हुई। उन्होंने राजू को भीड़ से बचाया, चौकी में ले गए, और उससे एक पिता की तरह बात की।

राजू फूट-फूटकर रोया, अपनी पूरी कहानी सुनाई। हरदेव सिंह को उसमें अपराधी नहीं, समाज की व्यवस्था की नाकामी दिखी। उन्होंने फैसला किया—राजू को एक मौका देंगे।

एक नई शुरुआत

हरदेव सिंह और उनकी पत्नी सरोज ने राजू को अपना लिया। उसे प्यार, सुरक्षा, और शिक्षा दी। बोर्डिंग स्कूल में दाखिला करवाया। शुरुआत में राजू को मुश्किलें आईं, लेकिन हरदेव सिंह और सरोज का साथ, प्यार और मार्गदर्शन ने उसे बदल दिया।

राजू ने धीरे-धीरे अनुशासन, आत्मसम्मान और मेहनत सीखी। एक दिन उसने कमजोर दोस्त की रक्षा की—अब वह डरता नहीं था, बल्कि दूसरों की मदद करता था।

सपना पूरा हुआ

राजू ने 12वीं अच्छे नंबरों से पास की। जब पूछा गया—”आगे क्या बनना चाहते हो?”—उसने कहा, “पापा, मैं आप जैसा पुलिस अफसर बनना चाहता हूं।”
हरदेव सिंह ने उसे तैयार किया, कानून की शिक्षा दी। राजू ने पहली ही बार में परीक्षा पास की। पासिंग आउट परेड में, सब-इंस्पेक्टर राजकुमार (राजू) ने अपने पिता को सल्यूट किया—जय हिंद सर!

कहानी का संदेश

एक पुलिस अफसर की दया ने एक बच्चा नहीं, एक पूरी नस्ल को सही रास्ता दिखाया। करुणा और दया में दुनिया बदलने की ताकत है। एक सही मौका और मार्गदर्शन किसी भी भटके इंसान को सही रास्ते पर ला सकता है।

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