रिश्तेदार कर रहे थे बाप की बेइज्जती फिर लड़के ने जो किया किसी ने सोचा भी नहीं था

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आर्यन ने बाप की इज्जत बचाई: रिश्तेदारों की बेइज्जती का जवाब

शादी का भव्य आयोजन था, पूरा शहर इस रस्म में शामिल होने के लिए उमड़ पड़ा था। दूल्हे के घर की भव्यता और आलीशान सजावट हर किसी का ध्यान खींच रही थी। लेकिन इस भरी-पूरी बारात में एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जो किसी के सपने में भी नहीं था। रिश्तेदार, जो खुद को बड़े और समझदार समझते थे, वे एक गरीब दिखने वाले आदमी की, जो कि बारात में दूल्हे के पिता थे, बेइज्जती करने से बाज नहीं आ रहे थे।

विजय और उनका बेटा आर्यन शादी के गेट पर पहुंचे ही थे कि गेट पर खड़ा गार्ड उन्हें देखकर ठिठक गया। उसने कड़क आवाज़ में कहा, “नाम बताइए, अगर गेस्ट लिस्ट में नाम होगा तभी एंट्री मिलेगी, वरना नहीं।” विजय ने हिचकिचाते हुए कहा, “बेटा, बुलावा आया था। दूल्हे के पिता हमारे पुराने रिश्तेदार हैं।” गार्ड ने ऊपर से नीचे तक विजय को देखा, एक तिरछी मुस्कान के साथ कहा, “बुलावा तो सबको आता है साहब, लेकिन लिस्ट में नाम होगा तभी अंदर जाओगे। इस तरह के कपड़ों में तो हमारे स्टाफ भी अंदर नहीं जाते।”

पास खड़े दो वेटर भी उनकी तरफ नजरें टिकाए हुए थे। उनमें से एक ने दूसरे से धीरे से कहा, “लगता है ये गांव के आदमी हैं। कपड़े पहनने का तरीका भी नहीं जानते। इतनी वीआईपी शादी में आ गए, यार थोड़ा तो सोचो।” आर्यन ने यह सब सुना, उसकी आंखों में गुस्सा चमक उठा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

अचानक अंदर से एक रिश्तेदार दौड़ा आया और बोला, “अरे ये हमारे गेस्ट हैं, इन्हें आने दो।” गार्ड ने अनमने ढंग से किनारे हो गया। अंदर घुसते ही सामने वेलकम एरिया सजा था, जहां बड़े-बड़े मेहमानों को फूल मालाएं पहनाई जा रही थीं, कैमरे उनके साथ तस्वीरें खींच रहे थे। लेकिन विजय और आर्यन को कोई देखना जरूरी नहीं समझ रहा था। वे एक तरफ खड़े रह गए।

रिया का कजिन करण अपनी सहेली सोनिया से धीरे से बोला, “इन जैसे लोगों को बुलाने से पूरी क्लास खराब लगती है। देखो ना, कैसी शर्मिंदगी हो रही है।” दोनों हँसी दबाते हुए आगे बढ़ गए। विजय ने यह सब सुना, उनके चेहरे पर उदासी छा गई, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। विजय एक साधारण गांव के आदमी थे, जहां लोग किसी की कपड़ों या बोलचाल का मजाक नहीं उड़ाते थे। लेकिन यहाँ चीजें अलग थीं।

दोनों हॉल के अंदर गए, सामने की पंक्ति में सुंदरता से सजाई गई वीआईपी सीटें थीं। विजय और आर्यन वहां जाकर बैठ गए, लेकिन कुछ देर बाद करण आकर गुस्से से बोला, “अरे ये वीआईपी सीट्स हैं, आपके लिए पीछे वाली चेयर्स हैं, कृपया वहां बैठ जाइए।” विजय चुपचाप उठकर पीछे चले गए। आर्यन उन्हें रोकना चाहता था, लेकिन विजय ने आंखों से इशारा किया, “चुप रहो।”

थोड़ी देर बाद वे डिनर एरिया की ओर गए, जहां लंबी लाइन लगी थी। एक तरफ वीआईपी गेस्ट्स के लिए स्पेशल काउंटर था, दूसरी ओर नॉर्मल बूफे। जब वे वीआईपी काउंटर की लाइन में पहुंचे, तो एक वेटर ने हाथ फैलाकर रोका, “सर, ये लाइन सिर्फ वीआईपी मेहमानों के लिए है, आपकी व्यवस्था पीछे वाले काउंटर पर है।” विजय ने झल्लाकर कहा, “हम भी तो गेस्ट हैं।” वेटर ने बीच में बात काटते हुए कहा, “जी हां, लेकिन आपकी टेबल वहां पीछे है।”

आर्यन ने यह सब देखा। उसकी आंखों में गुस्से की आग भड़क उठी। लेकिन उसने गहरी सांस ली और पिता से कहा, “पापा, सब सह लीजिए, अभी वक्त आएगा जब मैं सबके सामने इनकी बोलती बंद कर दूंगा।” विजय ने बेटे की आंखों में भरोसा देखा, कुछ कह नहीं पाए। वे पीछे वाली लाइन में खड़े हो गए।

हॉल में कहीं हंसी गूंज रही थी, कहीं गपशप। लोग उन्हें तिरछी नजरों से देख रहे थे, जैसे वे मजाक का सामान हों। आर्यन चुप रहा, लेकिन उसकी आंखें सब कुछ याद कर रही थीं। हर हंसी, हर ताना, हर ठहाका उसकी आत्मा पर जख्म बना रहा था। वह जानता था कि यह तो शुरुआत है।

विजय और आर्यन के दिलों में अंधेरा छा चुका था। वे पीछे वाली टेबल पर बैठे थे, जैसे किसी ने उन्हें अलग दुनिया में धकेल दिया हो। सामने की पंक्तियों में शोर था, हंसी थी, गिलासों की छनक थी, लेकिन यहां सन्नाटा था। पास की टेबल पर कुछ रिश्तेदार धीरे-धीरे बातें कर रहे थे, उनकी निगाहें विजय और आर्यन की तरफ थीं। एक ने ताना मारा, “लड़की तो ठीक है, पर ये लोग हमारे लेवल के नहीं हैं। ऐसे लोगों से नाता रखना क्लास गिराना है।”

रिया की सहेली सोनिया ने अपनी दोस्त नेहा से कहा, “आर्यन तो ठीक लग रहा है, लेकिन उसके पिता विजय को देखकर उनकी औकात समझ आ गई।” उनकी हंसी विजय के दिल को चीर गई। विजय ने अनसुना करने की कोशिश की, लेकिन आर्यन ने सब कुछ सुन लिया। उसकी मुट्ठियां कस गईं, आंखों में आग थी, लेकिन उसने होठ भी लिए।

कुछ देर बाद विजय ने वेटर को पानी मांगा। वेटर ने ट्रे उठाई और उनके सामने गिलास रख दिया। थोड़ा पानी छलक गया। पास बैठे एक मेहमान बोला, “लगता है भाई साहब पहली बार फाइव स्टार होटल में आए हैं। कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है।” शब्द सीधे थे, लेकिन उनमें बेइज्जती की बू आ रही थी।

आर्यन ने महसूस किया कि हर कोई तिरछी नजरों से देख रहा है, जैसे वे मजाक का सामान हों। पास से गुजरते हुए करण ने कहा, “इनको बुलाकर गलती की है, अब सब लोग इन्हें देख रहे हैं और सब जगह इनकी बातें होंगी।” आर्यन ने पिता की ओर देखा। उसकी आंखों में खून उतर आया। वह चाहता तो एक झटके में सबकी औकात मिट्टी में मिला सकता था, लेकिन किसी की शादी में बवाल मचाना उनके उसूलों के खिलाफ था। वह नहीं चाहता था कि किसी के शुभ कार्य को बर्बाद करने का कलंक उन पर लगे।

इसी बीच स्टेज पर एक बड़ा बिजनेसमैन आया। उसकी उपस्थिति से हॉल में हलचल मच गई। मीडिया के कैमरे उसकी तरफ घूम गए। लोग उसके साथ तस्वीरें खिंचवाने लगे। आर्यन ने दूर से यह सब देखा, उसके होठों पर हल्की मुस्कान आई। उसने पिता से कहा, “पापा, देखना, अब वक्त बदलने वाला है।”

विजय कुछ समझ नहीं पाए। उन्होंने बेटे की ओर देखा। आर्यन की आंखों में जो चमक थी, उसने बताया कि अगला पल बड़ा होने वाला है। यह बड़ा बिजनेसमैन मशहूर इंडस्ट्रियलिस्ट मल्होत्रा था। जब उसकी नजर आर्यन पर पड़ी, तो वह दो बार ध्यान से देखा, फिर मुस्कुराते हुए बोला, “अरे ये तो वही आर्यन है ना?”

हॉल में अचानक सन्नाटा छा गया। सबकी नजरें उस कोने की तरफ गईं जहां आर्यन बैठा था। विजय ने चौंक कर बेटे की तरफ देखा, “आर्यन, ये तुम्हें पहचानते हैं?” आर्यन ने हल्की मुस्कान दी। मल्होत्रा ने दोबारा कहा, “हां, मैं पहचान गया। यही है आर्यन जिन्होंने कुछ महीने पहले 450 करोड़ की कंपनी खरीदकर पूरे बिजनेस जगत को चौंका दिया था।”

पूरा हॉल स्तब्ध रह गया। भीड़ में खुसरपुसर शुरू हो गई, “क्या ये वही हैं?” “इतने बड़े बिजनेसमैन यहां साधारण कपड़ों में, यकीन नहीं होता।” करण, जो अभी तक ताने मार रहा था, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। सोनिया और नेहा हैरानी से एक-दूसरे को देख रही थीं।

आर्यन ने पूरे हॉल की तरफ देखा। उसकी आंखों में अब भी गुस्सा था। वह धीरे-धीरे खड़ा हुआ। उसकी आवाज गूंज उठी, “हां, मैं वहीं हूं।” यह सुनते ही जो रिश्तेदार हंस रहे थे, वे चुप हो गए। रिया और उसका परिवार पत्थर की तरह खड़े रह गए।

आर्यन ने चारों तरफ देखा, आवाज और तेज की, “औकात कपड़ों से नहीं आंकी जाती। असली दौलत पैसे में नहीं संस्कारों में होती है। ये संस्कार मुझे मेरे पिता से मिले हैं। अगर इनके कारण मैं आज यहां खड़ा हूं, तो इनके सम्मान के साथ खिलवाड़ मैं कभी बर्दाश्त नहीं करूंगा।”

हॉल में बैठे लोगों के चेहरे उतर गए। जिनकी हंसी अभी तक तीर की तरह लग रही थी, अब वे कांप रहे थे। आर्यन ने पिता से कहा, “पापा, किसी की इतनी औकात नहीं कि आपको नीचा दिखाए। मैं चुप था, इसका मतलब ये नहीं कि मैं कुछ कर नहीं सकता।”

फिर वह स्टेज पर गया, माइक थामा और बोला, “अभी तक आपने मेरे पिता के कपड़े देखे थे, अब मेरी औकात देखो।” हॉल एकदम शांत हो गया। सबकी निगाहें उस पर टिक गईं।

आर्यन ने अपने मैनेजर राहुल को फोन किया, “राहुल, होटल के मालिक से बात करो, अभी और इसी वक्त इस होटल का कॉन्ट्रैक्ट फाइनल करो। आज से ये होटल मेरी कंपनी का हिस्सा होगा।”

पूरा हॉल हक्का-बक्का रह गया। लोग एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। होटल स्टाफ की सांसें अटक गईं। आर्यन ने गुस्से में कहा, “आज की शादी का पूरा खर्चा मैं क्लियर कर रहा हूं। जिन लोगों ने मेरे पिता की इज्जत पर हंसी उड़ाई थी, वे सब अब मेरी दावत खाएंगे। याद रखो, ये दावत उस बेटे की तरफ से है जिसकी सबसे बड़ी दौलत उसका बाप है।”

विजय ने सिर झुका लिया। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे, लेकिन वे रो नहीं रहे थे। आज वे गर्व से कांप रहे थे। भीड़ तालियों से गूंज उठी। कैमरे लगातार फ्लैश कर रहे थे। अब हर कोई आर्यन के साथ तस्वीर लेना चाहता था।

आर्यन की नजर मधुसूदन पर पड़ी, वही आदमी जिसने अभी कुछ देर पहले ताना मारा था। अब वह कुर्सी पर पसीना पोंछ रहा था। आर्यन ने सीधे उसकी ओर देखा, फोन उठाया और कहा, “राहुल, मधुसूदन की कंपनी घाटे में है ना?” राहुल तुरंत बोला, “जी सर।” आर्यन की आवाज गूंजी, “आज ही उसकी डील फाइनल करो। कल की हेडलाइन होनी चाहिए।”

आर्यन की कंपनी ने मधुसूदन इंडस्ट्रीज को खरीद लिया। पूरा हॉल एकदम सन्न रह गया। मधुसूदन के चेहरे पर हवाइयां उड़ गईं। वह कुर्सी से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। आर्यन ने चारों तरफ देखा और अंतिम बार कहा, “औकात कपड़ों से नहीं मापी जाती। मेरे पास पैसा भी है और संस्कार भी। लेकिन मेरी सबसे बड़ी दौलत मेरे पिता की इज्जत है। और जिसे आपने भिखारी समझा, वही मेरी दुनिया का राजा है।”

विजय की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने बेटे को गले लगा लिया। भीड़ खड़ी हो गई। तालियों की आवाज इतनी गूंज उठी कि पूरे हॉल की दीवारें हिलने लगीं। जो रिश्तेदार हंस रहे थे, अब सिर झुका कर खड़े थे। रिया और उसका परिवार शर्म से गढ़ गया।

मीडिया कैमरे थामे चिल्ला रहे थे, “आर्यन: सादगी और ताकत का असली चेहरा।” आर्यन ने विजय का हाथ पकड़कर कहा, “पापा, आज आपकी इज्जत लौटा दी। अब कोई भी आपको नीचा दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा।” विजय की आवाज कांपी, “बेटा, आज तूने साबित कर दिया कि असली अमीरी बैंक बैलेंस से नहीं, दिल और संस्कार से होती है।”

आर्यन मुस्कुराया, “पापा, आज आपने मुझे जितना बड़ा बना दिया है, अब कोई हमें छोटा नहीं कर पाएगा।” तालियों की गूंज के बीच विजय और आर्यन साथ-साथ खड़े थे। भीड़ अब उनकी तरफ झुक रही थी। वे सारे लोग, जिन्होंने अपमान किया था, आज गवाह बन गए थे कि इज्जत कभी औकात से नहीं, इंसानियत से कमाई जाती है।

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