तलाक के सालों बाद डीएम बनी पत्नी, पहुँची पति की झोपड़ी… फिर जो हुआ, सबको रुला दिया
मध्य प्रदेश के हरिपुर नामक छोटे से गांव में अजय नाम का एक साधारण व्यक्ति रहता था। अजय एक सरकारी कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत था। उसके माता-पिता ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन अजय की मेहनत और ईमानदारी ने उसे गांव में एक अच्छी प्रतिष्ठा दिलाई थी। उसकी सादगी और सरलता के कारण गांव वाले उसे बहुत पसंद करते थे। अजय का परिवार छोटा था, लेकिन वे खुश थे।
दूसरी ओर, भोपाल में नेहा नाम की एक युवती रहती थी, जो पढ़ाई में बेहद होशियार थी। उसका सपना था कि वह यूपीएससी परीक्षा पास करके कलेक्टर बने और समाज की सेवा करे। उसके माता-पिता ने उसकी शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी थी। जब नेहा की शादी की उम्र आई, तो उसके माता-पिता ने अजय का रिश्ता चुना।
भाग 2: विवाह का निर्णय
नेहा और अजय की पहली मुलाकात में, नेहा ने स्पष्ट कर दिया कि वह विवाह के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखेगी। अजय ने उसे आश्वासन दिया कि वह उसे पढ़ाई से नहीं रोकेगा। इस वादे के साथ दोनों के विवाह की बात पक्की हो गई। विवाह के बाद नेहा ने हरिपुर गांव में अजय के परिवार के साथ रहना शुरू किया।
नेहा ने अपने नए जीवन को अपनाने की कोशिश की। वह सुबह जल्दी उठती, घर के काम करती और फिर देर रात तक पढ़ाई करती। लेकिन ससुराल में उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अजय के माता-पिता शिक्षा को ज्यादा महत्व नहीं देते थे और नेहा की पढ़ाई को समय की बर्बादी मानते थे।
भाग 3: संघर्ष की शुरुआत
नेहा को तानों का सामना करना पड़ता था। उसकी सास अक्सर कहती, “शादी हो गई है, अब घर परिवार संभालो। जल्दी ही बच्चे होंगे।” अजय का छोटा भाई और बहन भी उसे चिढ़ाते थे। अजय अपनी पत्नी और माता-पिता के बीच फंस गया था।
नेहा ने अजय से अपनी परेशानियों के बारे में बात की, लेकिन अजय ने कहा, “मेरे माता-पिता पुराने विचारों के हैं। लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।” हालात बिगड़ते गए और नेहा के लिए यह स्थिति असहनीय हो गई।
भाग 4: तलाक का निर्णय
एक रात, नेहा ने अजय से गंभीरता से बात की। उसने कहा, “मैं इस माहौल में नहीं रह सकती। अगर तुम मेरे साथ नहीं हो तो हमें अलग हो जाना चाहिए।” अजय ने समझाने की कोशिश की, लेकिन नेहा का धैर्य जवाब दे चुका था। अंततः उन्होंने तलाक का फैसला लिया।
अजय ने नेहा को तलाक के कागजात भेजे, लेकिन नेहा ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। उसने कहा, “मैं अजय से प्यार करती हूं, लेकिन इस माहौल में नहीं रह सकती।” नेहा भोपाल लौट गई और यूपीएससी की तैयारी में जुट गई।
भाग 5: मेहनत और सफलता
नेहा ने कठिन मेहनत की और दो साल बाद यूपीएससी परीक्षा पास की। उसकी पहली नियुक्ति शिवपुरी के उसी सरकारी कार्यालय में हुई जहां अजय लिपिक के पद पर कार्यरत था। जब नेहा कलेक्टर के रूप में कार्यालय पहुंची, तो उसने अजय को देखा।
अजय ने नजरें झुका लीं, लेकिन नेहा ने उसे देखा और बिना कुछ कहे अपने केबिन में चली गई। उसके मन में विचारों का तूफान उठ रहा था। वह सोचने लगी कि कैसे हालात बदल गए हैं। उसने अपने सहायक रवि को अजय के बारे में जानने के लिए भेजा।
भाग 6: अजय की स्थिति
रवि ने बताया कि अजय एक छोटे से किराए के कमरे में अकेला रहता है। यह सुनकर नेहा को आश्चर्य हुआ। उसने सोचा, “क्या अजय ने सचमुच दोबारा विवाह नहीं किया?”
नेहा ने कार्यालय में भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने का निर्णय लिया। उसने संजय नाम के कर्मचारी के खिलाफ जांच शुरू की, जो गरीबों की जमीनें हड़पता था।
भाग 7: अजय का गुस्सा
एक दिन, संजय ने नेहा के बारे में अपशब्द कहे। अजय ने यह सुनकर गुस्से में आकर संजय को धक्का दिया और कहा, “अगर तुमने नेहा मैडम के बारे में फिर कुछ कहा तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा।” यह देखकर कार्यालय में सनसनी फैल गई।
नेहा ने अजय को अपने केबिन में बुलाया और कहा, “तुमने संजय को क्यों मारा? अब लोग हमारे बारे में गलत सोच रहे हैं।” अजय ने कहा, “तुम मेरे जीवन से चली गई हो, लेकिन मेरे दिल से नहीं।”
भाग 8: अजय की चोट
अगले दिन, रवि ने बताया कि अजय पर किसी ने हमला किया है और वह सिटी हॉस्पिटल में भर्ती है। नेहा का दिल धक से रह गया। वह तुरंत अस्पताल पहुंची।
अस्पताल में, नेहा ने अजय को खून से लथपथ देखा। उसकी आंखों में आंसू थे। वह पूरी रात अजय के ठीक होने की प्रार्थना करती रही। जब डॉक्टर ने कहा कि अजय की हालत स्थिर है, तब नेहा ने अजय की देखभाल करने का निर्णय लिया।

भाग 9: पुनर्मिलन
कुछ दिन बाद, नेहा अजय के घर गई। वहां उसने अजय को बेड पर लेटे हुए देखा। नेहा ने अजय से पूछा, “यह हादसा कैसे हुआ?” अजय ने उदास स्वर में बताया कि उसने दोबारा विवाह नहीं किया और तलाक के बाद अपने माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहा।
नेहा ने अपनी पूरी कहानी सुनाई। “मैं तुम्हारे साथ रहकर पढ़ाई करना चाहती थी। लेकिन तुम्हारे परिवार के ताने मुझे बर्दाश्त नहीं हुए।” दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे।
भाग 10: नया जीवन
अगले दिन, नेहा ने रवि को बताया कि अजय उसका पति है और उनका तलाक नहीं हुआ। उसने संजय के खिलाफ जांच शुरू की और उसे कार्यालय से निकाल दिया।
नेहा और अजय का पुनर्विवाह एक भव्य समारोह में हुआ। अजय के माता-पिता भी शामिल हुए और उन्होंने नेहा से माफी मांगी।
भाग 11: समाज सेवा
नेहा ने अपने पद का उपयोग गरीबों की मदद के लिए किया। उसने संजय द्वारा हड़पी गई जमीनें उनके असली मालिकों को लौटाई और कई सामाजिक योजनाएं शुरू की।
भाग 12: नई शुरुआत
अजय ने भी अपने स्तर पर कार्यालय में पारदर्शिता लाने में योगदान दिया। दोनों ने मिलकर न केवल अपने रिश्ते को मजबूत किया, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया।
भाग 13: सच्चा प्यार
नेहा और अजय की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्यार और विश्वास किसी भी बाधा को पार कर सकता है। रिश्तों की कीमत धन, पद या सामाजिक दबावों से नहीं बल्कि प्रेम, समझ और मानवता से तय होती है।
भाग 14: एक प्रेरणा
यह कहानी हमारे समाज का एक दर्पण है जो हमें अपने फैसलों और रिश्तों पर गहराई से विचार करने के लिए प्रेरित करती है। अगर मन में लगन और दिल में प्यार हो तो कोई भी सपना असंभव नहीं है और कोई भी रिश्ता टूटने से बच सकता है।
अंत
दोस्तों, यह थी हमारी आज की कहानी। आप सभी को कैसी लगी? कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें जरूर बताएं। मिलते हैं ऐसी ही दिल को छू लेने वाली कहानी के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद!
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