ऑटो वाले ने आधी रात जिसकी मदद की वो निकला शहर का सबसे बड़ा करोड़पति फिर जो हुआ….
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रात के सन्नाटे में ऑटो वाले रामू ने जिस शख्स की मदद की, वो निकला शहर का सबसे बड़ा करोड़पति – फिर जो हुआ, वह इंसानियत की मिसाल बन गया
दिल्ली की सर्द रात थी। चांदनी चौक से कुछ दूर एक सुनसान सड़क पर एक चमचमाती मर्सिडीज खड़ी थी, जैसे कोई थका हुआ राही सफर के बीच में रुक गया हो। कार के पास खड़ा था राजीव मेहरा – शहर का नामी उद्योगपति, जिसकी दौलत और रुतबे के चर्चे पूरे देश में थे। उसका कीमती सूट, चमकती घड़ी और आलीशान कार सब इस बात के गवाह थे कि वह आम इंसान नहीं, बल्कि करोड़ों का मालिक है। लेकिन उस रात उसकी सारी दौलत बेकार थी, क्योंकि उसकी कार का पेट्रोल खत्म हो चुका था और फोन की बैटरी भी जवाब दे चुकी थी।
राजीव बेचैन होकर इधर-उधर देख रहा था, शायद कोई मदद मिल जाए। तभी सड़क पर एक ऑटो की आवाज गूंजी। एक पुरानी सी ऑटो धीरे-धीरे रुकी और उसमें से उतरा रामू – एक साधारण सा ऑटो ड्राइवर। चेहरे पर थकान थी, लेकिन आंखों में उम्मीद की चमक थी। रामू ने राजीव को देखा और मुस्कुराकर पूछा, “साहब, क्या बात है? गाड़ी खराब हो गई?” राजीव ने झुंझलाते हुए कहा, “गाड़ी खराब नहीं, पेट्रोल खत्म हो गया है। फोन भी डेड है, और आसपास कोई टैक्सी भी नहीं मिल रही।”
रामू ने एक पल के लिए राजीव को गौर से देखा, जैसे उसकी परेशानी को दिल से महसूस कर रहा हो। फिर वह अपनी ऑटो की डिक्की से एक छोटी सी प्लास्टिक की बोतल निकाली, जिसमें थोड़ा सा पेट्रोल था। उसने सहानुभूति भरे लहजे में कहा, “साहब, रात के इस वक्त तो मुश्किल ही है, लेकिन आप चिंता ना करें। मेरे पास थोड़ा पेट्रोल है, आपकी गाड़ी में डाल देता हूं।” राजीव ने हैरानी और राहत के साथ कहा, “तुम्हारे पास पेट्रोल है? अरे, तुम तो मेरी जान बचा रहे हो!”
रामू ने बिना किसी लालच के पेट्रोल की बोतल से राजीव की कार में ईंधन डाला, इतना कि वह नजदीकी पेट्रोल पंप तक जा सके। राजीव ने राहत की सांस ली और रामू की ओर देखकर कहा, “तुमने मेरी इतनी बड़ी मदद की, मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूं।” रामू ने सिर हिलाया और सादगी से जवाब दिया, “नहीं मालिक, मैंने तो वही किया जो इंसानियत का फर्ज था।”
राजीव ने उसकी सादगी देखी और मन ही मन कुछ सोचने लगा। उसने रामू से उसका नाम और पता पूछा, फिर अपनी कार में बैठा और रात के अंधेरे में गायब हो गया। लेकिन यह मुलाकात सिर्फ एक शुरुआत थी। राजीव के मन में रामू के लिए कुछ बड़ा था, जो उस रात की छोटी सी मदद से शुरू हुआ।
रामू की जिंदगी
रामू का जीवन आसान नहीं था। दिल्ली के एक छोटे से झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में उसका घर था – घर क्या, बस एक कमरा, जिसमें वह अपनी पत्नी लक्ष्मी और दो बच्चों, छोटू और रानी के साथ रहता था। कमरे की दीवारें पुरानी थीं, छत से बारिश में पानी टपकता था और बिजली का कनेक्शन भी अक्सर कट जाता था। फिर भी रामू के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी।
वह सुबह जल्दी उठता, अपनी ऑटो को चमकाता और सड़कों पर निकल पड़ता। उसका दिन सुबह से रात तक सवारी ढोने में बीतता था। पैसों की तंगी हमेशा साथ रहती थी। लक्ष्मी घरों में बर्तन मांझने का काम करती थी ताकि बच्चों की स्कूल की फीस और घर का खर्चा चल सके। छोटू और रानी दोनों सरकारी स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन किताबों और यूनिफॉर्म का खर्च रामू के लिए बड़ा बोझ था। फिर भी वह कभी शिकायत नहीं करता था। वह चाहता था कि उसके बच्चे उसकी तरह मुश्किलों में ना जिएं।
रामू का दिल बड़ा था। वह कभी किसी सवारी से ज्यादा पैसे नहीं मांगता था। अगर कोई गरीब या मजबूर दिखता, तो मुफ्त में भी छोड़ आता। लक्ष्मी अक्सर कहती, “रामू, तुम इतना क्यों सोचते हो दूसरों के लिए? अपने बारे में भी तो सोचो।” रामू हंसकर जवाब देता, “लक्ष्मी, अगर हम दूसरों की मदद नहीं करेंगे तो भगवान हमारी मदद कैसे करेगा?”
राजीव मेहरा – करोड़पति का दिल
राजीव मेहरा दिल्ली के सबसे बड़े बिजनेसमैन में से एक था। उसका कारोबार कपड़ा उद्योग से लेकर रियल एस्टेट तक फैला हुआ था। कंपनी ‘मेहरा एंटरप्राइजेस’ ना सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी जानी जाती थी। राजीव की जिंदगी में हर वह चीज थी जिसका सपना लोग देखते हैं – बड़ा बंगला, लग्जरी गाड़ियां, विदेशी छुट्टियां। लेकिन राजीव सिर्फ पैसे वाला इंसान नहीं था, उसके दिल में उदारता थी।
राजीव का मानना था कि पैसा कमाना आसान है, लेकिन उसे सही जगह इस्तेमाल करना कला है। वह अक्सर चैरिटी में बड़ा दान देता था – अनाथालय, स्कूल, अस्पताल – उसकी दान की लिस्ट लंबी थी। लेकिन वह कभी अपने दान का ढोल नहीं पीटता था। उसे दिखावा पसंद नहीं था। वह चाहता था कि उसका पैसा किसी की जिंदगी बदले, ना कि उसकी तारीफ में अखबार छपें।
मदद के बदले मदद
उस रात जब रामू ने उसकी मदद की, राजीव के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने रामू की सादगी और ईमानदारी देखी थी। राजीव जानता था कि रामू ने उसकी मदद सिर्फ इसलिए की क्योंकि उसका दिल साफ था। राजीव ने ठान लिया था कि वह रामू को कुछ ऐसा देगा जो उसकी जिंदगी बदल दे, लेकिन वह यह भी जानता था कि रामू जैसे लोग पैसे के पीछे नहीं भागते। उसे कुछ ऐसा करना था जो रामू की मेहनत और आत्मसम्मान को ठेस ना पहुंचाए।
राजीव ने अपने सेक्रेटरी से रामू का पता ढूंढने को कहा। कुछ ही दिनों में रामू का पता मिल गया। राजीव ने सोचा कि वह रामू को अपने पर्सनल ड्राइवर की नौकरी देगा – यह ना सिर्फ रामू की जिंदगी को बेहतर बनाएगा, बल्कि उसके बच्चों को भी अच्छी शिक्षा और भविष्य देगा।
नई शुरुआत
एक सुबह रामू को राजीव के ऑफिस बुलाया गया। रामू ने अपनी सबसे साफ शर्ट पहनी और ऑफिस पहुंचा। वहां की चमक-दमक उसे अजीब लग रही थी। रिसेप्शन पर नाम बताया, तो उसे राजीव के केबिन में ले जाया गया। राजीव ने मुस्कुराकर स्वागत किया और कहा, “रामू, उस रात तुमने मेरी बहुत बड़ी मदद की थी। मैं तुम्हें एक मौका देना चाहता हूं। क्या तुम मेरे लिए काम करोगे?”
रामू ने आश्चर्य से पूछा, “साहब, मैं तो बस एक ऑटो ड्राइवर हूं। आपके लिए क्या कर सकता हूं?” राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम मेरे पर्सनल ड्राइवर बन सकते हो। तुम्हारी ईमानदारी और मेहनत मुझे पसंद आई। मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ काम करो।”
रामू ने एक पल के लिए सोचा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे। उसने कहा, “साहब, मुझे सोचने का समय चाहिए।” राजीव ने कहा, “ठीक है, रामू। तुम सोच लो। लेकिन याद रखना, मैं तुम्हें सिर्फ नौकरी नहीं दे रहा, मैं तुम्हारी जिंदगी को बेहतर बनाने का मौका दे रहा हूं।”
घर लौटकर रामू ने लक्ष्मी को सब बताया। लक्ष्मी ने आंखें चौड़ी कर पूछा, “रामू, इतने बड़े साहब के साथ काम करना आसान नहीं होगा।” रामू ने जवाब दिया, “लक्ष्मी, मुझे लगता है कि यह मौका हमारे बच्चों के लिए अच्छा हो सकता है।” रात भर दोनों इस बारे में सोचते रहे। आखिरकार, रामू ने फैसला लिया कि वह राजीव का प्रस्ताव स्वीकार करेगा।
बदलती जिंदगी
रामू ने राजीव को फोन किया, “साहब, मैं आपके लिए काम करने को तैयार हूं।” राजीव ने खुशी से जवाब दिया, “रामू, तुमने सही फैसला लिया। कल से तुम मेरे साथ काम शुरू कर सकते हो।” रामू की जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू होने वाला था। उसने अपनी ऑटो को अलविदा कहा और राजीव के साथ काम शुरू किया।
राजीव ने उसे ना सिर्फ अच्छी तनख्वाह दी, बल्कि उसके परिवार को अपने बंगले के पास एक छोटा सा लेकिन आरामदायक घर भी दिया। बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया, उनकी फीस, किताबें, यूनिफॉर्म सबका खर्च उठाया। लक्ष्मी ने पहली बार घर में फ्रिज देखा तो उसकी आंखें भर आईं। छोटू और रानी को यह घर किसी महल से कम नहीं लगता था।
रामू का काम था राजीव को ऑफिस, मीटिंग्स और कभी-कभी शहर से बाहर ले जाना। शुरू-शुरू में उसे नई कार चलाने में डर लगा, लेकिन उसकी मेहनत और सीखने की ललक ने उसे जल्दी ही सब कुछ सिखा दिया। राजीव उसे सिर्फ ड्राइवर नहीं, बल्कि दोस्त मानता था।
इंसानियत की मिसाल
राजीव की उदारता सिर्फ रामू के परिवार तक सीमित नहीं थी। उसने अपने बंगले के कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्कूल शुरू किया, जहां वे मुफ्त में पढ़ सकते थे। रामू को भी उस स्कूल का हिस्सा बनाया। रामू ने अपने अनुभव साझा किए, “साहब, अगर मेरे बच्चों को इतना अच्छा मौका मिल सकता है, तो और बच्चों को भी मिलना चाहिए।”
समय के साथ रामू और राजीव के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया – यह मालिक और नौकर का रिश्ता नहीं था, बल्कि विश्वास और इंसानियत पर टिका दोस्ती का रिश्ता था। एक दिन राजीव ने रामू को अपने चैरिटी फाउंडेशन का हिस्सा बना दिया। रामू ने अपने पुराने मोहल्ले के कई परिवारों को स्कूल और नौकरी के मौके दिलवाए। उसकी मेहनत और सादगी ने कई लोगों की जिंदगी बदल दी।
रामू की जिंदगी अब पहले जैसी नहीं थी। उसका परिवार खुशहाल था। छोटू और रानी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे थे, लक्ष्मी ने अपने घर में सिलाई सेंटर शुरू किया। रामू का चेहरा अब और भी चमकता था, क्योंकि वह ना सिर्फ अपनी जिंदगी को बेहतर बना पाया था, बल्कि दूसरों की जिंदगी में भी बदलाव ला रहा था।
उस रात की छोटी सी मुलाकात ने रामू और राजीव की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। रामू की सादगी और राजीव की उदारता ने एक ऐसी कहानी रची, जो ना सिर्फ उनके परिवारों बल्कि आसपास के लोगों को भी प्रेरणा देती है।
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