तलाकशुदा पत्नी जब ट्रैन मेें मिली एक ही कंबल मे में रात का सफ़र बहुत ही प्यारी कहानी

पहली मुलाकात और शादी

अनामिका और शंकर की पहली मुलाकात 8 साल पहले हुई थी। अनामिका एक छोटे से कस्बे की पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर लड़की थी, जो अपने परिवार के लिए एक आदर्श बेटी थी। शंकर एक बड़े शहर में काम करने वाला युवक था, जो अपने आत्मविश्वास और खुशमिजाज स्वभाव के लिए जाना जाता था। दोनों की शादी पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुई थी।

शुरुआती दिनों में उनकी शादीशुदा जिंदगी बहुत खुशहाल थी। दोनों ने एक-दूसरे के साथ समय बिताया, सपने देखे और भविष्य की योजनाएं बनाईं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, उनकी जिंदगी में छोटी-छोटी गलतफहमियां और झगड़े शुरू हो गए।

गलतफहमियां और अलगाव

शंकर की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी शराब पीने की आदत थी। वह अक्सर दोस्तों के साथ देर रात तक पार्टी करता और घर लौटते समय नशे में धुत रहता। अनामिका को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं था। वह चाहती थी कि शंकर अपनी जिम्मेदारियों को समझे और अपनी आदतों में सुधार करे।

शंकर को लगता था कि अनामिका उसे बदलने की कोशिश कर रही है। वह इसे अपनी आजादी पर हमला मानता था। दोनों के बीच झगड़े बढ़ते गए। परिवार के हस्तक्षेप के बावजूद, उनकी समस्याएं सुलझ नहीं पाईं। आखिरकार, शादी के दो साल बाद, उन्होंने तलाक ले लिया।

तलाक के बाद की जिंदगी

तलाक के बाद, अनामिका अपने माता-पिता के घर लौट आई। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक स्कूल में शिक्षिका की नौकरी करने लगी। उसने अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश की, लेकिन कहीं न कहीं, शंकर के साथ बिताए पलों की यादें उसे परेशान करती थीं।

दूसरी तरफ, शंकर ने भी अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश की। तलाक के बाद, उसे एहसास हुआ कि उसकी शराब पीने की आदत ने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया। उसने खुद को बदलने का फैसला किया। उसने शराब छोड़ दी और अपनी मेहनत से एक छोटी सी जींस फैक्ट्री शुरू की।

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फिर से मुलाकात

6 साल बाद, एक ठंडी सर्दियों की रात, हावड़ा जंक्शन पर एक ट्रेन दिल्ली जाने के लिए तैयार खड़ी थी। स्टेशन पर सैकड़ों लोग थे, और उन्हीं में से एक अनामिका भी थी। वह दिल्ली अपनी एक दोस्त से मिलने जा रही थी, जिसने उसके लिए एक शादी का प्रस्ताव रखा था।

शंकर भी उसी ट्रेन से दिल्ली जा रहा था। उसका टिकट एसी डिब्बे का था, लेकिन स्टेशन पर उसकी नजर अनामिका पर पड़ी। वह उसे देखकर चौंक गया। इतने सालों बाद उसे देखकर उसकी पुरानी यादें ताजा हो गईं।

शंकर ने बिना कुछ सोचे-समझे अपना एसी डिब्बे का टिकट छोड़ दिया और स्लीपर डिब्बे में चढ़ गया। वह अनामिका के पास जाकर बैठने की कोशिश करने लगा।

पहला संवाद

ट्रेन चलने लगी। अनामिका खिड़की के बाहर देख रही थी, और शंकर उसकी बगल वाली सीट पर बैठने की कोशिश कर रहा था। अनामिका ने उसे देखा और तुरंत पहचान लिया। वह कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गई।

शंकर ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “कैसी हो, अनामिका?”
अनामिका ने ठंडी आवाज में जवाब दिया, “ठीक हूं।”
शंकर ने फिर पूछा, “दिल्ली क्यों जा रही हो?”
अनामिका ने कहा, “बस, एक काम से।”

शंकर ने महसूस किया कि अनामिका उससे बात करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने धीरे-धीरे अनामिका से बातचीत शुरू की।

पुरानी यादें और सुलह

बातचीत के दौरान, शंकर ने अनामिका से कहा कि उसने शराब पीना छोड़ दिया है। उसने बताया कि तलाक के बाद उसे अपनी गलतियों का एहसास हुआ और उसने अपनी जिंदगी को सुधारने का फैसला किया।

अनामिका को शंकर की बातें सुनकर खुशी हुई, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को छिपा लिया। उसने शंकर से कहा, “काश, तुमने यह सब पहले किया होता।”

शंकर ने कहा, “मुझे अपनी गलतियों का एहसास बहुत देर से हुआ। लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम जानो, मैंने सच में खुद को बदल लिया है।”

दिल्ली पहुंचने के बाद

दिल्ली पहुंचने के बाद, अनामिका ने शंकर से कहा कि वह अपनी दोस्त से मिलने जा रही है। शंकर ने उसे छोड़ने की पेशकश की, लेकिन अनामिका ने मना कर दिया।

शंकर उदास मन से वहां से चला गया। लेकिन उसके दिल में अनामिका के लिए प्यार अभी भी जिंदा था।

एक नया मौका

कुछ दिनों बाद, अनामिका की दोस्त जूली, जो शंकर की फैक्ट्री में काम करती थी, ने दोनों को फिर से मिलाने की योजना बनाई। उसने अनामिका को शंकर की फैक्ट्री में बुलाया और दोनों की मुलाकात करवाई।

शंकर ने अनामिका से कहा, “मैं जानता हूं कि मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ दी है। लेकिन मैं सच में बदल गया हूं। क्या तुम मुझे एक और मौका दे सकती हो?”

अनामिका ने कुछ देर तक सोचा और फिर कहा, “मैंने तुम्हें माफ कर दिया है। लेकिन मैं यह मौका सिर्फ इसलिए दे रही हूं क्योंकि मैं देख सकती हूं कि तुमने सच में खुद को बदल लिया है।”

खुशहाल अंत

अनामिका और शंकर ने दोबारा शादी की। इस बार, उन्होंने अपने रिश्ते को समझदारी और परिपक्वता के साथ संभाला। शंकर ने अपनी फैक्ट्री को और भी बड़ा बनाया, और अनामिका ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया।

उनकी जिंदगी अब खुशहाल थी। उन्होंने अपने अतीत की गलतियों से सीख ली थी और एक नई शुरुआत की थी।

संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में हर किसी को दूसरा मौका मिल सकता है। अगर हम अपनी गलतियों को सुधारने और एक नई शुरुआत करने का साहस रखते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है।