SDM साहिबा” 12 वर्ष के लड़के से की शादी, लेकिन अगले ही रात लड़के ने जो किया उससे पूरा सिस्टम हिल उठा

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एसडीएम साहिबा ने 12 साल के लड़के से शादी की, लेकिन अगली ही रात लड़के ने जो किया, उससे पूरा सिस्टम हिल उठा | भावनात्मक कहानी |

शहर के बीचों-बीच स्थित पुरानी कोठी के आंगन में सन्नाटा पसरा हुआ था। हल्की हवा के झोंके पुराने पेड़ों की पत्तियों को हिलाकर सरसराहट पैदा कर रहे थे। कोठी की दीवारों पर चढ़ी बेलें इस जगह के पुराने इतिहास की गवाही दे रही थीं। उसी कोठी के अंदर बैठी थी 28 वर्षीय एसडीएम आर्या वर्मा, जिनके नाम से बड़े-बड़े माफिया कांपते थे। उनके फैसलों में कोई दखल पसंद नहीं करता था, लेकिन आज उनके चेहरे पर अजीब सी गंभीरता थी, जैसे कोई भारी फैसला ले लिया हो।

टेबल पर रखा सिंदूर और छोटा सा मंगलसूत्र इस बात के गवाह थे कि अभी-अभी उन्होंने ऐसा कदम उठाया है जो पूरे जिले में हलचल मचा देगा। दरवाजे पर खड़ा था 12 साल का दुबला पतला लड़का, सूरज। उसकी आंखों में मासूमियत, चेहरे पर घबराहट थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे और क्यों हुआ। अभी कुछ घंटे पहले वह सड़क के किनारे भीख मांग रहा था, अचानक किसी ने उसे बुलाया, कार में बैठाया और अब वह यहां था।

आर्या ने सूरज को अंदर बुलाया। उनकी आवाज में आदेश और सुकून का मिश्रण था। सूरज धीरे-धीरे अंदर आया, नजरें जमीन पर गड़ी थीं। आर्या ने कहा, “डरो मत, अब तुम मेरे साथ हो।” लेकिन सूरज के चेहरे पर उलझन और डर दोनों थे। वह सोच भी नहीं पा रहा था कि एक बड़ी अधिकारी उससे शादी क्यों करेगी।

आर्या के मन में पिछले हफ्ते की एक गोपनीय फाइल घूम रही थी, जिसमें एक बड़े माफिया का नाम था। उसी माफिया के पास सूरज से जुड़ा एक ऐसा राज था, जो उजागर हो जाता तो कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती। आर्या जानती थीं कि अगर उसने सूरज को अपनी कानूनी सुरक्षा में नहीं लिया तो उसकी जान खतरे में पड़ जाएगी। शादी करना ही एकमात्र तरीका था जिससे वह तुरंत और पूरी तरह से उसे अपने अधिकार में ले सकती थी।

बाहर मीडिया को भनक लग चुकी थी। गेट के पास फोटोग्राफर खड़े थे, लेकिन गार्ड उन्हें रोक रहे थे। अंदर, ड्राइंग रूम में आर्या ने सूरज से पानी पीने को कहा। “तुम्हें पता है, मैंने तुमसे शादी क्यों की?” सूरज ने सिर हिलाकर ना में जवाब दिया। आर्या ने लंबी सांस ली, “तुम्हारी जान खतरे में थी और मैं चाहती थी कि तुम मेरी सुरक्षा में रहो। लेकिन तुम्हारे बारे में बहुत कुछ है जो तुम्हें भी नहीं पता।” सूरज के चेहरे पर सवाल तैरने लगे, लेकिन आर्या ने हाथ उठाकर उसे चुप करा दिया। “अभी नहीं, सही समय आने पर सब बताऊंगी।”

रात धीरे-धीरे गहराने लगी। कोठी के बाहर का शोर थम गया, लेकिन अंदर आर्या के मन में तूफान चल रहा था। वह अपने अतीत के उस काले पन्ने को बार-बार सोच रही थी जहां एक मासूम बच्चे की किस्मत ने उसकी जिंदगी की दिशा बदल दी थी। नौकरानी ने बताया कि खाना तैयार है। आर्या ने कहा, “सूरज को पहले खाना दो और उसके लिए ऊपर वाले कमरे में बिस्तर लगाओ।” नौकरानी ने कहा, “मैडम, यह बच्चा डरा हुआ है, शायद आपको ही इसे अपने पास सुलाना चाहिए।” आर्या कुछ पल चुप रहीं, फिर बोली, “ठीक है, इसे मेरे कमरे में ले आओ।”

यह सुनकर सूरज की आंखों में डर और गहरा हो गया। वह सोच रहा था कि यह औरत इतनी मेहरबान क्यों है और शादी का मतलब आखिर क्या होता है। रात के 10 बजे आर्या अपने कमरे में आ गईं। सूरज धीरे-धीरे दरवाजा खोलकर अंदर आया, हाथ में उसकी छोटी गठरी थी जिसमें शायद कोई पुरानी टीशर्ट और टूटा खिलौना था। आर्या ने उसे बिस्तर पर बिठाया, “डरने की जरूरत नहीं, यहां तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा।”

सूरज ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी आंखें दरवाजे पर टिकी थीं, जैसे वह भाग जाने का मौका ढूंढ रहा हो। आर्या ने लाइट बंद कर दी, कमरे में हल्की सी पीली नाइट लैंप की रोशनी बची थी। सूरज धीरे-धीरे लेट गया, लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। आर्या जानती थी कि असली परीक्षा कल रात नहीं, बल्कि आने वाली रात में शुरू होगी। क्योंकि सूरज के अतीत का वह राज जो उसे भी नहीं पता, शायद उसी रात खुद सूरज के अंदर से बाहर आ जाएगा।

रात का समय था। कोठी के चारों ओर गहरा सन्नाटा फैला हुआ था। ऊपर वाले कमरे में हल्की सी पीली रोशनी जल रही थी। आर्या बिस्तर के किनारे लेटी थीं और सूरज उनके पास। उनके बीच एक अजीब सी चुप्पी थी, जैसे दोनों अपने-अपने विचारों में खोए हों। आर्या की आंखें बंद थीं, लेकिन नींद उनसे दूर थी। वह दिनभर की घटनाओं को अपने दिमाग में दोहरा रही थीं—मीडिया के कैमरे, अचानक उठे सवाल और सबसे ज्यादा सूरज की मासूम और उलझी हुई निगाहें।

सूरज चुपचाप लेटा था, लेकिन उसका शरीर हल्का सा कांप रहा था। आर्या ने धीरे से पूछा, “ठंड लग रही है?” सूरज ने सिर हिलाया, “ना।” लेकिन उसकी सांसों की हलचल ने बता दिया कि वह बेचैन है। आर्या ने सोचा शायद डर की वजह से ऐसा है। आखिर इस उम्र में किसी अजनबी माहौल में, शादी जैसे अनजाने रिश्ते में आ जाना आसान नहीं। उसने कंबल उसकी तरफ खींच दिया।

कुछ पल के लिए कमरे में शांति रही। लेकिन फिर अचानक सूरज ने हल्की आवाज में कहा, “मैडम, आप सच में मुझसे शादी क्यों की?” यह सवाल आर्या के लिए अप्रत्याशित नहीं था, लेकिन इस वक्त उसके मुंह से सुनना उसे चुभ गया। उसने धीरे से कहा, “मैंने पहले ही कहा था, तुम्हारी जान खतरे में थी और तुम अब मेरे साथ सुरक्षित हो।” सूरज कुछ क्षण चुप रहा, फिर बोला, “आप तो मुझे गोद भी ले सकती थीं, फिर शादी क्यों?”

यह सवाल सुनकर आर्या के गले में जैसे कोई चीज अटक गई। सच तो यह था कि गोद लेना भी एक विकल्प था, लेकिन उसकी योजना के लिए शादी ही सबसे कारगर तरीका था। कानूनी तौर पर शादी के बाद वह सूरज की पूरी जिम्मेदारी और सभी निर्णयों पर बिना किसी हस्तक्षेप के हकदार थी। और यह सुरक्षा उसे माफिया के हाथों से बचाने के लिए जरूरी थी। लेकिन यह सब एक 12 साल के लड़के को समझाना असंभव था। उसने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “कुछ बातें अभी तुम्हें समझ नहीं आएंगी, लेकिन मैं वादा करती हूं, सही समय आएगा तो सब बताऊंगी।”

सूरज ने अपनी नजरें फेर ली, पर उसके चेहरे पर कुछ अजीब था। जैसे वह कुछ छुपा रहा हो। और फिर आधी रात के करीब वो घटना हुई जिसने आर्या को भीतर तक झकझोर दिया। आर्या करवट बदल रही थी कि अचानक उसने महसूस किया कि सूरज धीरे-धीरे उसकी तरफ खिसक आया है। पहले तो उसने सोचा शायद डर की वजह से वह करीब आ रहा है। लेकिन अगले ही पल सूरज का छोटा सा हाथ उसके हाथ पर आ गया, उसकी पकड़ में हल्का सा कंपन था।

आर्या ने पहले तो इसे मासूमियत समझकर नजरअंदाज किया। लेकिन फिर सूरज ने बहुत धीमे स्वर में कहा, “मैडम, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं, पर आप नाराज मत होना।” आर्या ने कहा, “कहो।” सूरज ने धीरे से कहा, “मुझे आज पहली बार ऐसा लग रहा है कि मैं किसी अपने के पास हूं, जैसे मेरी मां होती थी।” यह सुनते ही आर्या का दिल सिकुड़ गया। उसकी सांसें भारी हो गईं। उसने बिना कुछ कहे सूरज का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया। सूरज का सिर अब उसके कंधे पर था।

इसी के साथ आर्या को उसके सीने की तेज धड़कन महसूस हुई। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह मासूमियत है या उसके अंदर का डर। सूरज ने फुसफुसाते हुए कहा, “जब मैं छोटा था, तो रात में मेरी मां मुझे ऐसे ही पकड़ कर सुलाती थी। फिर एक दिन वह चली गई और मैं अकेला रह गया।” आर्या के गले में कुछ अटकने लगा। उसने उसकी पीठ सैलाते हुए कहा, “अब तुम अकेले नहीं हो।” सूरज ने हल्की मुस्कान दी।

कुछ देर बाद उसके व्यवहार में फिर बदलाव आया। वह बार-बार बिस्तर में करवट बदलने लगा, जैसे बेचैन हो। अचानक उसने कहा, “मैडम, क्या मैं आपको एक राज बता सकता हूं?” आर्या ने तुरंत कहा, “हां, जरूर।” सूरज ने बहुत धीमी आवाज में कहा, “कल रात जब वे लोग मुझे पकड़ने आए थे, उन्होंने कहा था कि अगर मैं आपको देखूं तो उनसे कहूं…” वह रुक गया। उसकी आंखें डर से फैल गईं। आर्या ने गंभीर स्वर में कहा, “क्या कहूं, आगे बोलो।” सूरज ने आंखें झुका ली, “उन्होंने कहा था कि आप मेरी असली मां हैं…”

सुबह का सूरज कोठी के हर कोने को छू रहा था, लेकिन आर्या के मन में अब भी पिछले रात की अधूरी बात गूंज रही थी। सूरज ने अपने होठों से कुछ कहना शुरू किया था, पर बाहर के शोर ने सब बिगाड़ दिया। वह जानती थी कि यह बच्चा कुछ ऐसा जानता है जो पूरे खेल का रुख बदल सकता है।

सुबह का नाश्ता करते समय उसने सूरज को बार-बार गौर से देखा। वह चुपचाप रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े तोड़कर खा रहा था। उसकी नजरें कभी भी आर्या से नहीं मिलीं। आर्या ने धीरे से कहा, “सूरज, कल रात तुम जो कह रहे थे, वह क्या था?” सूरज ने तुरंत सिर झुका लिया, “कुछ नहीं मैडम, बस मुझे कुछ याद आ गया था।” उसकी आवाज में डर और टालमटोल दोनों थे। आर्या ने समझ लिया कि अभी वह बात नहीं करेगा। लेकिन उसे भी जल्दबाजी नहीं करनी थी।

दिनभर उसने अपने ऑफिस का काम निपटाया, लेकिन हर वक्त उसका ध्यान उस बच्चे पर ही टिका रहा। शाम होते-होते उसने सोचा कि आज रात ही उसे सच बुलवाना होगा। रात का खाना खत्म होने के बाद उसने नौकरों को जल्दी सो जाने का आदेश दिया ताकि कोई बीच में दखल न दे। कमरे में लौटकर उसने बिस्तर पर हल्की सी पीली रोशनी वाले लैंप को ऑन रखा और दरवाजा बंद कर दिया। सूरज पहले से ही वहां बैठा था, हाथ में वही छोटी गठरी जिसमें उसका पूरा संसार समाया हुआ था।

आर्या ने उसके बगल में बैठते हुए कहा, “आज मैं चाहती हूं कि तुम मुझसे सच-सच कहो—जो भी हुआ, जो भी तुम जानते हो सब।” सूरज ने होंठ काटे, उसकी आंखें भीगने लगीं। “अगर मैं बताऊं तो आप मुझसे नाराज तो नहीं होंगी?” आर्या ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “नहीं, बिल्कुल नहीं।” वह कुछ देर चुप रहा, फिर धीमे स्वर में बोला, “मैडम, आपने जो मुझसे शादी की है, वो सिर्फ मुझे बचाने के लिए नहीं है बल्कि…” वह रुक गया। उसकी सांसें तेज हो गईं। आर्या ने धीरे से कहा, “बल्कि क्या?” सूरज ने कांपते हुए कहा, “क्योंकि मैं आपका बेटा हूं।”

यह सुनकर आर्या का पूरा शरीर जैसे पत्थर हो गया। उसके कानों में गूंज सिर्फ उस एक वाक्य की थी—मैं आपका बेटा हूं। उसका दिल धड़कना भूल गया, चेहरा पीला पड़ गया। वह बोलना चाहती थी लेकिन शब्द गले में अटक गए। “तुम… तुम क्या कह रहे हो?” उसकी आवाज फुसफुसाहट से भी धीमी थी। सूरज की आंखों से आंसू बहने लगे, “मैं झूठ नहीं बोल रहा। उन्होंने मुझे कल रात यही कहा था कि मैं तुम्हारा बेटा हूं और तुमसे बदला लेने के लिए मुझे इस्तेमाल करेंगे।”

आर्या के हाथ कांपने लगे। उसका दिमाग तेजी से पीछे भागा—12 साल पहले की एक घटना की तरफ, जब उसकी उम्र सिर्फ 16 साल की थी। एक हादसा, एक खोया हुआ बच्चा। वह बच्चा जो कभी नहीं मिला और वह मान बैठी कि वह मर चुका है। “किसने कहा तुम्हें यह?” सूरज ने रुलाई भरी आवाज में कहा, “वह लोग जो मुझे पकड़ कर ले जाने आए थे।”

आर्या ने उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। उसका मन जैसे बिखर गया था, लेकिन साथ ही एक आग भी जलने लगी। अगर यह सच है, तो इन सालों में किसने उसके बेटे को उससे दूर रखा और क्यों? उस रात की भावनाओं का सैलाब इतना गहरा था कि दोनों कुछ देर तक बस एक दूसरे को पकड़े रहे।

लेकिन इसी दौरान सूरज के हाथ ने एक हल्की सी हरकत की। उसने अपनी छोटी हथेली आर्या के गाल पर रखा और धीरे से कहा, “मुझे ऐसे ही पकड़ कर सोना अच्छा लगता है।” उसकी आवाज में मासूमियत थी, लेकिन उस स्पर्श में एक अनकहा रिश्ता जुड़ गया। आर्या ने लाइट धीमी कर दी और दोनों बिस्तर पर लेट गए। सूरज बिल्कुल उसके करीब आकर लेटा, जैसे वह दूरी से डरता हो। उसका सिर आर्या के गर्दन के पास था और वह धीमे-धीमे उसकी सांसों की गर्माहट महसूस कर रही थी।

बाहर की हवा खिड़की से होकर अंदर आ रही थी, लेकिन कमरे के भीतर का माहौल एकदम भारी था। धीरे-धीरे उसकी पकड़ और मजबूत होने लगी। आर्या को महसूस हुआ कि यह सिर्फ डर नहीं बल्कि वह उसे खोने के डर से जकड़े हुए था। आधी रात के समय सूरज अचानक उठ बैठा। उसकी सांसें तेज थीं। उसने धीरे से कहा, “मां, अगर कल फिर वह लोग आ गए, तो आप मुझे कहीं मत भेजना।” उसकी आंखों में डर साफ था। आर्या ने वादा किया, “मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगी।”

सूरज फिर उसके पास लेट गया, लेकिन इस बार उसने अपनी छोटी हथेलियों से उसका चेहरा थाम लिया, जैसे वह यह यकीन दिलाना चाहता हो कि वह सच में उसकी है। आर्या की आंखों से आंसू निकल आए। यह लम्हा उसके लिए उतना ही दर्दनाक था जितना सुकून देने वाला। वह समझ चुकी थी कि अब उसकी जिंदगी की दिशा पूरी तरह बदल चुकी है। यह बच्चा सिर्फ उसकी जिम्मेदारी नहीं बल्कि उसका खोया हुआ खून है और अगला कदम होगा उन लोगों तक पहुंचना जिन्होंने उसके बेटे की मासूमियत के साथ खेला।

लेकिन उस रात बिस्तर पर सोते समय जो हुआ, उसने उनके रिश्ते की गांठ को और मजबूत कर दिया। वो एहसास जो सिर्फ मां-बेटे का हो सकता है, और उसी एहसास में दोनों नींद में डूब गए। इस अनजान खतरे से बेखबर कि आने वाली रात और भी बड़ा तूफान लेकर आने वाली है।

सुबह की हल्की रोशनी खिड़की से छनकर कमरे में आ रही थी, लेकिन आर्या की आंखें रात भर की जाग से लाल थीं। वह सूरज के चेहरे को देख रही थी, जो उसके सीने पर सिर रखकर गहरी नींद में था। अब उसे पूरा यकीन हो चुका था कि यह बच्चा उसका ही खोया हुआ बेटा है। उसकी आंखों में, मुस्कान में और यहां तक कि उसकी आदतों में भी वही झलक थी जो उसने सालों पहले अपने नवजात में देखी थी। लेकिन सवाल यह था कि उसे इतने सालों तक किसने और क्यों उससे दूर रखा। वह जानती थी कि जवाब पाना आसान नहीं होगा, पर अब उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं था।

उसने धीरे से सूरज का माथा चूमते हुए कहा, “अब कोई तुम्हें मुझसे नहीं छीन सकता।” सूरज नींद में भी उसकी बात सुनकर हल्के से मुस्कुराया और फिर गहरी नींद में खो गया। लेकिन दिन के उजाले के साथ-साथ कोठी के बाहर का माहौल बदलने लगा। गेट पर एक काली एसयूवी आकर रुकी। उसमें से तीन आदमी उतरे। उनके कपड़ों और चाल-ढाल से साफ था कि वे पेशेवर गुंडे हैं। गार्ड ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उनमें से एक ने जेब से एक लिफाफा निकाल कर कहा, “यह एसडीएम मैडम को दे दो। हमारे बॉस ने भेजा है।”

गार्ड ने लिफाफा लेते ही उसे आर्या तक पहुंचाया। उसने लिफाफा खोला तो अंदर एक पुरानी धुंधली फोटो थी, उसके गोद में एक छोटा बच्चा और पीछे लिखा था—हम जानते हैं कि यह कौन है, अगर इसे बचाना चाहती हो तो अकेले आज रात पुराने गोदाम में आना। फोटो देखते ही आर्या के हाथ कांप गए। यह वही तस्वीर थी जो उसने सालों पहले खोई थी। उसकी आंखों में गुस्सा और डर एक साथ उमड़ आया। उसने तुरंत तय कर लिया कि वह आज रात वहां जाएगी, लेकिन सूरज को अकेला नहीं छोड़ेगी।

शाम होते-होते उसने घर के सभी स्टाफ को छुट्टी पर भेज दिया। रात करीब 10 बजे उसने एक साधारण सलवार कमीज पहनी, कमर में पिस्तौल खोसी और सूरज का हाथ पकड़ कर कार में बैठ गई। रास्ते में सूरज ने पूछा, “हम कहां जा रहे हैं, मां?” आर्या ने बस इतना कहा, “तुम्हें सच दिखाने।”

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