Rahul पिटने,सर फुड़वाने,जेल जाने को तैयार | इस नेता ने बताया उस रात क्या हुआ

शिवानंद तिवारी का ‘विस्फोटक’ दावा: क्या तेजस्वी यादव ने ठुकरा दिया था राहुल गांधी का ‘सड़क पर उतरो, जेल भरो’ का प्रस्ताव?

 

बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की करारी हार के बाद, जहां एक ओर लालू परिवार आंतरिक कलह (जूते-चप्पल चलने और बेटी रोहिणी आचार्य के परिवार से अलग होने) के चलते सुर्खियों में है, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने एक चौंकाने वाला राजनीतिक खुलासा किया है।

लालू यादव के पुराने और खासमखास समाजवादी सहयोगी रहे शिवानंद तिवारी ने दावा किया है कि राहुल गांधी ने RJD नेता तेजस्वी यादव को चुनाव से पहले मतदाता सूची के मुद्दे पर सड़क पर उतरने, पुलिस की लाठी खाने और जेल जाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे तेजस्वी यादव ने आखिरी वक्त में ठुकरा दिया


राहुल गांधी का प्रस्ताव: सड़क पर उतरने का वक्त

 

शिवानंद तिवारी ने अपनी एक सुबह की पोस्ट में यह बड़ा खुलासा करते हुए लिखा कि उन्होंने तेजस्वी यादव को सलाह दी थी कि मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण (SIR) लोकतंत्र के विरुद्ध एक साजिश है। इस गंभीर मुद्दे पर:

“इसके खिलाफ राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरो, संघर्ष करो, पुलिस की मार खाओ, जेल जाओ।”

तिवारी ने आगे बताया कि राहुल गांधी भी इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने और चुनाव आयोग पर दबाव बनाने के लिए तैयार थे। लेकिन तिवारी के अनुसार:

“लेकिन वो तो सपनों की दुनिया में मुख्यमंत्री का शपथ ले रहा था। उसको झकझोर कर उसके सपनों में मैं विघ्न डाल रहा था।”

तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि इस पूरे घटनाक्रम को लालू यादव ने पुत्र मोह में देखते रहे और “धृतराष्ट्र की तरह बेटे के लिए राज सिंहासन को गर्म कर रहे थे।”


क्यों हटाया गया शिवानंद तिवारी को?

 

शिवानंद तिवारी, जो RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे थे, ने बताया कि उन्हें इस सलाह के कारण ही पद से हटा दिया गया। उन्होंने लिखा:

“तेजस्वी ने मुझे ना सिर्फ उपाध्यक्ष से हटाया बल्कि कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी। ऐसा क्यों? क्योंकि मैं कह रहा था कि मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण लोकतंत्र के विरुद्ध साजिश है।”

तिवारी के अनुसार, तेजस्वी यादव ने अपनी टीम (संजय यादव और रमीज) पर भरोसा जताया, जिन्होंने टिकट वितरण से लेकर प्रचार रणनीति तक हर महत्वपूर्ण फैसले पर मनमाना प्रभाव डाला, जिसका नतीजा पार्टी की मात्र 25 सीटों की करारी हार के रूप में सामने आया।


क्या वोट चोरी का मुद्दा छोड़ना भारी पड़ा?

 

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि RJD के कुछ बड़े नेताओं ने तेजस्वी को सलाह दी थी कि वे ‘वोट चोरी’ (SIR) जैसे मुद्दे से दूरी बनाकर रखें, ताकि सरकार को पलायन और बेरोजगारी जैसे स्थानीय मुद्दों से निकलने का मौका न मिले। इस वजह से राहुल गांधी भी बिहार के चुनावी प्रचार से कुछ समय के लिए दूर हो गए थे।

हालांकि, शिवानंद तिवारी जैसे पुराने समाजवादी नेता की नजर में, SIR जैसे ‘संवैधानिक खतरे’ पर मुखर होकर सड़क पर संघर्ष न करना एक बड़ी राजनीतिक भूल थी। उनका मानना है कि अगर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पुलिस की लाठी खाकर जेल भरते, तो वह आंदोलन बिहार से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन सकता था।

फिलहाल, RJD को न तो सड़क पर संघर्ष का फायदा मिला और न ही चुनाव में जीत। चुनावी नतीजों ने यह साबित कर दिया कि तेजस्वी यादव बिहार की राजनीतिक ज़मीन को पढ़ने में नाकाम रहे, और अब वह परिवार और पार्टी दोनों के निशाने पर हैं।