अनपढ़ गँवार’ कहकर किया गया अपमान बना ज़िंदगी का मोड़ — अब वही है IAS अधिकारी!

“सपनों की उड़ान – रोहन और नेहा की अधूरी मोहब्बत”
भूमिका
सुबह की नरम धूप शहर की गलियों में फैल रही थी। कहीं पुराने मकान, कहीं नई दुकानें, और इन सबके बीच जीवन अपनी रफ्तार पकड़ रहा था। इसी शहर की एक गली में नेहा शर्मा अपने छोटे से घर से निकली। उसकी आंखों में सपनों की चमक थी – वर्षों की मेहनत और उम्मीदों से बनी चमक।
अध्याय 1: नेहा के सपनों की शुरुआत
नेहा बचपन से ही पढ़ाई में तेज और आत्मनिर्भर लड़की थी। उसका बचपन एक छोटे गांव में बीता, जहां शिक्षा की रोशनी मुश्किल से पहुंचती थी। पिता स्कूल में क्लर्क थे, मां गृहिणी। नेहा रातों को लालटेन की रोशनी में किताबें पढ़ती और उसका सपना था – एक दिन शिक्षिका बनना, ताकि गांव के बच्चों को भी सपनों के पंख मिलें।
आज नेहा के लिए बड़ा दिन था। उसे शिक्षक भर्ती परीक्षा देनी थी। वह जल्दी-जल्दी परीक्षा केंद्र की ओर बढ़ी। रास्ते में उसकी नजर एक ऑटो पर पड़ी, ड्राइवर था – रोहन। साधारण सा लड़का, पर आंखों में संघर्ष की गहरी चमक थी।
अध्याय 2: रोहन की सादगी और संघर्ष
रोहन भी एक छोटे गांव से आया था। मां बीमार थीं, पिता की कमाई कम थी। रोहन ने पढ़ाई छोड़कर परिवार का सहारा बनने के लिए ऑटो चलाना शुरू किया। उसकी जिंदगी में कोई बड़ा सपना नहीं था, लेकिन उम्मीद की किरण हमेशा थी।
नेहा ऑटो में बैठ गई – “भैया, जल्दी चलिए, मुझे परीक्षा देनी है।”
रोहन ने सिर हिलाया और ऑटो दौड़ा दिया। दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई, लेकिन एक अनदेखा रिश्ता पनपने लगा।
अध्याय 3: फाइल की वापसी और पहली मुलाकात
परीक्षा केंद्र पहुंचकर नेहा जल्दी में अपनी फाइल ऑटो में ही भूल गई। शाम को रोहन को फाइल मिली, उसमें नेहा का नाम-पता था। अगले दिन वह नेहा के घर पहुंचा और फाइल लौटाई। नेहा की आंखों में राहत और खुशी थी। उसने चाय के लिए पूछा, रोहन ने विनम्रता से मना कर दिया।
नेहा ने रोहन का नाम-नंबर लिया। यह छोटी सी मुलाकात दोनों के बीच एक नए रिश्ते की शुरुआत थी।
नेहा के दिल में रोहन की ईमानदारी और सादगी की छाप थी। रोहन को नेहा की मेहनत और आंखों की चमक ने छू लिया था।
अध्याय 4: दोस्ती से प्यार और समाज की दीवारें
धीरे-धीरे दोनों में बातचीत शुरू हुई। नेहा को पता चला – रोहन ने परिवार के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी। रोहन को नेहा के सपनों की गहराई समझ आई।
एक दिन दोनों कॉफी शॉप में मिले। नेहा ने अपने गांव की शिक्षा की कमी की कहानी सुनाई, रोहन ने उसे प्रेरित किया।
उनकी मुलाकातें बढ़ने लगीं, एक अनकहा बंधन बन गया।
एक दिन पार्क में रोहन ने कहा, “तुम्हारी आंखों की चमक मुझे हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देती है।”
नेहा ने जवाब दिया, “तुम्हारी सादगी मुझे सिखाती है कि जिंदगी को जटिल बनाने की जरूरत नहीं।”
दोनों को अहसास हुआ – यह रिश्ता अब सिर्फ दोस्ती नहीं, प्यार है।
लेकिन जब नेहा ने अपने परिवार को रोहन के बारे में बताया, तूफान खड़ा हो गया।
मां बोली, “वह ऑटो ड्राइवर है, तुम्हारी जिंदगी उससे बेहतर होनी चाहिए।”
पिता भी सख्त हो गए।
रोहन के परिवार ने भी कहा – “वह पढ़ी-लिखी लड़की है, तुम्हारे साथ खुश नहीं रहेगी।”
अध्याय 5: साहसिक फैसला और शादी
परिवार के विरोध के बावजूद, नेहा और रोहन ने हार नहीं मानी। उन्होंने बिना मंजूरी के शादी करने का फैसला लिया।
एक छोटे मंदिर में, कुछ दोस्तों की मौजूदगी में, दोनों ने शादी कर ली।
घर छोटा था, रोहन का ऑटो ही उनकी संपत्ति थी, पर दिलों में अपार प्यार था।
शादी के बाद नेहा ने पढ़ाई जारी रखी, रोहन दिन-रात मेहनत करता रहा।
नेहा ने शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की और अपने गांव के स्कूल में शिक्षिका बन गई।
गांव के बच्चे उसे मैम कहकर बुलाते, उनकी मुस्कान नेहा का सबसे बड़ा इनाम थी।
अध्याय 6: बदलती प्राथमिकताएं और दूरी
सफलता के बाद नेहा की प्राथमिकताएं बदलने लगीं।
अब उसका ध्यान नौकरी, जिम्मेदारियों, सामाजिक पहचान पर था।
वह धीरे-धीरे रोहन से दूर होने लगी।
पहले रातों को बातें होती थीं, अब नेहा थकान का बहाना बनाकर चुप रहती।
रोहन को समझ नहीं आया – क्या गलत किया?
एक दिन नेहा ने कहा, “रोहन, मैं तुमसे तलाक चाहती हूं। हमारी जिंदगी अब अलग-अलग रास्तों पर है।”
रोहन के लिए यह सबसे बड़ी चोट थी। उसने चुपचाप नेहा को देखा, आंखों में आंसू थे, लेकिन उसने उन्हें रोक लिया।
“जो तुम चाहती हो वही होगा,” कहकर वह कमरे से बाहर चला गया।
अध्याय 7: दर्द से ताकत और नई उड़ान
तलाक के बाद रोहन अकेला रह गया।
उसने ऑटो चलाना छोड़ दिया और अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की।
उसने आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा।
दिन में छोटे-मोटे काम करता, रातों को पढ़ता।
नेहा की बातें उसे और मेहनत करने की प्रेरणा देती थीं।
दो साल की कड़ी मेहनत के बाद रोहन ने आईएएस परीक्षा पास कर ली।
अब वह वही लड़का नहीं था, जिसने ऑटो चलाया था।
वह प्रशासनिक अधिकारी बन चुका था।
अध्याय 8: मुकाम और अधूरी मोहब्बत
रोहन की पहली पोस्टिंग उसी जिले में हुई जहां नेहा शिक्षिका थी।
एक सरकारी समारोह में दोनों आमने-सामने आए।
नेहा ने रोहन को देखा – अब वह प्रभावशाली अधिकारी था।
रोहन ने भी नेहा को देखा, आंखों में पुरानी मोहब्बत की झलक थी, लेकिन अब उसमें नई ताकत थी।
समारोह के बाद नेहा ने कहा, “रोहन, तुमने यह कैसे कर लिया?”
रोहन ने जवाब दिया, “मैंने कभी तुम्हें रोका नहीं नेहा, मैंने खुद को उड़ान दी है।”
नेहा ने अपनी गलती स्वीकार की – “तुम्हारे बिना सब अधूरा था।”
रोहन ने कहा, “जो बीत गया उसे भूल जाओ। हम दोनों ने अपने-अपने रास्ते चुन लिए हैं।”
नेहा की आंखों में आंसू थे, लेकिन उसने रोहन की बात को स्वीकार किया।
रोहन ने भी अपने दिल में नेहा के लिए सम्मान रखा, लेकिन अब वह अपनी नई जिंदगी जी रहा था।
अंतिम संदेश
यह कहानी सिर्फ प्यार की नहीं, बल्कि सपनों, संघर्ष, दर्द और आत्मविश्वास की भी है।
रोहन और नेहा की कहानी सिखाती है कि दर्द और धोखा हमें कमजोर नहीं करते, बल्कि हमें और मजबूत बनाते हैं।
इंसान अपनी तकदीर खुद लिखता है – कोई भी मुश्किल इतनी बड़ी नहीं कि पार न की जा सके।
रोहन की आंखों में अब नफरत नहीं थी, बल्कि नई उड़ान की चमक थी।
नेहा ने भी अपने दर्द से सीखा कि सच्चा प्यार सिर्फ पाना नहीं, बल्कि सम्मान देना भी है।
समाप्त
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