कुत्ता हर दिन रोज गरीब सब्ज़ीवाले को भौंकता था… एक दिन असलियत पता चली तो सबके होश उड़ गए

पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों में सुबह की हल्की धुंध फैली हुई थी। आसमान नीला और गुलाबी हो रहा था, और चिड़ियों की चहचहाट इस सुबह की शांति को और भी मधुर बना रही थी। लेकिन इस शांति को तोड़ने वाला एक काला कुत्ता था, जो हर दिन एक गरीब सब्जी वाले रामू को भौंकता था। रामू, जो अपनी जर्जर ठेला गाड़ी के साथ सब्जियाँ बेचने निकलता था, हमेशा उस कुत्ते से डरता था।

रामू का जीवन:

रामू की जिंदगी बहुत कठिन थी। उसकी झुग्गी, फटे कपड़े और बांस की खड़ाऊं उसकी गरीबी की कहानी बयां करते थे। वह हर सुबह 6:00 बजे अपनी ठेला गाड़ी लेकर निकलता था, जिसमें ताजा सब्जियाँ होती थीं। प्याज, टमाटर, आलू, और मूली, सब कुछ सस्ता और ताजा। लेकिन हर दिन जब वह गली में आता, तो वह काला कुत्ता उसका स्वागत गुस्से से करता।

कुत्ते का डर:

कुत्ता, जिसका नाम शेरा था, रामू पर भौंकता था जैसे वह सिर्फ उसे ही देखता हो। गली के लोग रामू से कहते, “भाई, तू इसे क्यों नहीं खिलाता? क्या तूने इसे कभी प्यार नहीं दिया?” लेकिन रामू हमेशा एक कमजोर मुस्कान के साथ जवाब देता, “क्या पता, साहब? शायद इस बेचारे में कोई दर्द होगा।” लेकिन अंदर से वह बहुत डरता था।

एक दिन का बदलाव:

एक दिन, जब रामू सुबह अपनी ठेला गाड़ी लेकर आया, तो उसने देखा कि शेरा गली में नहीं था। यह पहली बार था जब कुत्ता उसे नहीं भौंक रहा था। रामू ने चारों ओर देखा, लेकिन कुत्ता कहीं नहीं था। तभी अचानक, दूर से एक आवाज आई, “कोई है? मदद करो! यह कुत्ता मर जाएगा!” रामू का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह दौड़ पड़ा।

कुत्ते की हालत:

जब रामू वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि शेरा बुरी तरह घायल था। एक गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी थी, और वह जमीन पर पड़ा हुआ था। उसके शरीर से खून बह रहा था, और उसकी आंखों में डर और पीड़ा थी। गली के लोग दूर खड़े थे, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। रामू ने बिना सोचे-समझे अपने पैरों की खड़ाऊं उतारी और शेरा के पास गया।

इंसानियत की मिसाल:

“सब ठीक है बेटा, सब ठीक है,” रामू ने धीरे से कहा। उसने शेरा को अपनी बाहों में उठाया, और खून उसके कपड़ों पर लग गया। लेकिन उसे परवाह नहीं थी। उसका एक ही मकसद था—इस जानवर की जान बचाना। रामू ने शेरा को पास के पशु चिकित्सालय में ले जाने का फैसला किया।

पशु चिकित्सालय में:

पशु चिकित्सालय में पहुंचते ही रामू चिल्लाया, “डॉक्टर साहब, जल्दी आइए! इसकी जान में खतरा है!” डॉक्टर बाहर आए और रामू को देखकर हैरान रह गए। “क्या तुम इस कुत्ते का मालिक हो?” उन्होंने पूछा। “नहीं, डॉक्टर साहब। लेकिन वह जरूरत में है। कृपया इसे बचा लीजिए,” रामू ने कहा।

डॉक्टर की दया:

डॉक्टर ने रामू की हालत देखी और उनकी आंखों में एक अजीब सी दया का भाव आया। उन्होंने कहा, “इलाज महंगा होगा।” रामू ने अपनी जेब खाली कर दी। “जितना हो सके, यह ले लीजिए। बाकी मैं कर्ज लेकर भी दे दूंगा। कृपया इसे बचा दीजिए।” डॉक्टर ने कुत्ते को देखा और फिर रामू को, और उन्होंने कहा, “ठीक है, मैं इसे बचा दूंगा।”

कुत्ते का इलाज:

10 दिन बीत गए। रामू हर दिन सुबह अपनी सब्जियों की गाड़ी लेकर निकलता था, लेकिन उसका एक हिस्सा हमेशा पशु चिकित्सालय में रहता था। वह अपनी आय का ज्यादातर हिस्सा कुत्ते के इलाज के लिए देता रहा। डॉक्टर ने रामू की मेहनत और समर्पण को देखकर कहा, “रामू, तुम मेरी मेहनत की गवाही हो।”

कुत्ता ठीक हुआ:

10वें दिन, शेरा ठीक हो गया। उसके पैर में प्लास्टर चढ़ा था, लेकिन वह चल सकता था। डॉक्टर ने रामू को बुलाया और कहा, “रामू, तुम्हारा कुत्ता अब घर ले जाने के लिए तैयार है।” रामू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

एक पुराना रहस्य:

जब रामू ने कुत्ते को गाड़ी पर बैठाने लगा, तो डॉक्टर ने पूछा, “यह कुत्ता तुम्हारे पास रहेगा?” रामू ने हंसते हुए कहा, “मेरी झुग्गी तो मेरी छाया के लिए भी काफी नहीं है। लेकिन मैं इसे यह नहीं बताऊंगा।” तभी कुत्ते ने अपनी गर्दन को एक तरफ झुकाया। रामू ने नीचे झुककर देखा, तो उसकी आंखें फटी रह गईं। कुत्ते की गर्दन पर एक पुराना जंग लगा हुआ कॉलर था, जिस पर लिखा था, “शेरा, प्रॉपर्टी ऑफ मोहन लाल।”

पुरानी यादें:

रामू का दिल धड़कने लगा। मोहन लाल, वही नाम जिसने उसके पिता को जेल भिजवाया था। रामू को याद आया, बचपन में मोहन लाल के घर से एक छोटा काला पिल्ला भाग गया था। वह पिल्ला रामू के आसपास घूमता था और रामू को प्यार करता था। लेकिन फिर वह अचानक गायब हो गया।

सच्चाई का सामना:

अब वही पिल्ला, शेरा, सालों बाद रामू के पास लौट आया था। रामू की आंखों से आंसू बहने लगे। अब सब कुछ समझ आ गया था। शेरा रामू को भौंकता नहीं था, वह उसे खोज रहा था।

नई शुरुआत:

गली में लोग हैरान रह गए। रामू, जो हर दिन उस कुत्ते से डरता था, अब उसे अपने घर ले आया। उसने शेरा को अपनी झुग्गी में रखा, उसे अपने खाने में से खिलाया, और रात को शेरा को अपने पास सुलाया।

समझदारी की बात:

गली के लोग कहते, “ओए, यह वही कुत्ता है ना जो रोज भौंकता था और अब यह सब्जी वाला इसे अपने घर में रखता है।” एक बूढ़ी औरत ने कहा, “बेटा, यह कुत्ता तुझ पर भौंकता नहीं था। तुझे ढूंढता था।”

किस्मत का खेल:

कुछ महीने बाद, गली की सड़क पर एक खूबसूरत दृश्य दिखाई देने लगा। रामू अपनी ठेला गाड़ी धकेलते हुए और उसके बगल में शेरा, जो अब सुस्त, मजबूत और खुश दिख रहा था। शेरा रामू के साथ हर जगह जाता।

एक अमीर आदमी की नजर:

एक दिन एक अमीर आदमी गाड़ी के पास रुका। उसने देखा शेरा को और हैरान रह गया। “यह कुत्ता तो मोहन लाल का शेरा है।” रामू ने शांति से कहा, “साहब, कुछ रिश्ते प्यार से बंधे होते हैं, पैसों से नहीं। यह कुत्ता मेरा था और हमेशा मेरा ही था। बस जेल में था।”

सीखने की बात:

यह कहानी हमें सिखाती है कि कभी-कभी जो हमें डराता है, वही हमें पहचानता भी है। अक्सर हम जीवन में ऐसी घटनाओं को समझ नहीं पाते। एक कुत्ता जो हमें भौंकता है, वह हमें काटना नहीं चाहता। वह हमें खोज रहा होता है।

निष्कर्ष:

शेरा और रामू की कहानी हमें याद दिलाती है कि रिश्ते कभी खत्म नहीं होते। वे बस समय के परीक्षण से गुजरते हैं। अगर इस कहानी ने आपके दिल को छुआ है, तो इस चैनल को सब्सक्राइब करें और कमेंट में लिखें, “जो हमें डराता है, वही हमें पहचानता है।”

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