एक छोटी सी गलती, एक नई शुरुआत: मोहन की प्रेरक कहानी

क्या आपने कभी सोचा है कि जिंदगी में हुई एक छोटी सी गलती भी आपके लिए एक बहुत बड़ा मौका बन सकती है? क्या किस्मत के दरवाजे एक गलत रास्ते पर चलकर भी खुल सकते हैं?
यह कहानी है मोहन की, जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता और छोटी बहन राधा के साथ रहता था। परिवार गरीब था, लेकिन प्यार और ईमानदारी से भरा हुआ। मोहन बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ था और उसके शिक्षक कहते थे कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा।

मोहन का सपना था शहर जाकर नौकरी करना और अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालना। पिता ने अपनी सारी जमा पूंजी मोहन को दी, माँ ने रोटियाँ और अचार बांध दिए। मोहन ने वादा किया कि वह उन्हें कभी निराश नहीं करेगा।

शहर जाने के लिए मोहन बस स्टैंड पहुँचा, वहाँ भीड़ देखकर थोड़ा घबरा गया। गलती से वह गलत बस में बैठ गया। जब नींद से जागा तो खुद को एक सुनसान जगह पर पाया। कंडक्टर ने बताया कि वह गलत बस में बैठ गया है और उसे वहीं उतार दिया। मोहन अकेला, निराश और परेशान बस स्टैंड पर बैठ गया।

तभी उसकी नजर एक पुराने बैग पर पड़ी। उसमें कुछ पैसे, फोटो और एक फटी पुरानी डायरी थी। डायरी में लिखा था कि अक्षय नाम के व्यक्ति ने दौलत के पीछे भागकर अपना परिवार खो दिया। मोहन को अक्षय की कहानी ने बहुत प्रभावित किया। बैग में मिले बिजनेस कार्ड से मोहन अक्षय के घर पहुँचा। वहाँ एक बूढ़े आदमी ने बताया कि अक्षय बहुत दुखी है, उसने अपनी गलती से सब कुछ खो दिया।

मोहन ने अक्षय से मुलाकात की, बैग लौटाया। अक्षय ने मोहन को गले लगाकर कहा, “तुम मेरे बेटे जैसे हो।” मोहन ने कहा, “मैं आपका बेटा नहीं, लेकिन आपकी सेवा करूंगा।” मोहन ने अक्षय की देखभाल शुरू कर दी। अक्षय ने मोहन को अपनी दौलत देने की पेशकश की, लेकिन मोहन ने सिर्फ एक नई शुरुआत की सलाह दी।

अक्षय ने अपने बेटे को ढूंढा, दोनों का पुनर्मिलन हुआ। अक्षय ने मोहन को भी बेटे की तरह अपनाया। मोहन ने अपने माता-पिता को शहर बुला लिया। अब वे सब मिलकर खुशहाल जीवन जीने लगे।

**सीख:**
यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। छोटी सी गलती भी एक नई शुरुआत बन सकती है। हमें अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।

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