ट्रैफिक सिग्नल पर हर दिन मुस्कुराने वाला बच्चा… एक दिन अचानक क्यों गायब हो गया? | Heart Touching..

अनमोल की मुस्कान: एक बच्चे की अद्भुत कहानी

दोस्तों, स्टोरी वाइब एक्सप्लेन में आपका स्वागत है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपके दिल को छू जाएगी। यह कहानी है अनमोल नाम के एक छोटे लड़के की, जिसकी मुस्कान में एक जादू था।

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मल्होत्रा साहब रोज़ सुबह और शाम एक ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी रोकते थे। वहीं पर हमेशा एक छोटा लड़का खड़ा रहता था—अनमोल। उसके हाथ में गुब्बारे होते, लेकिन वह उन्हें बेचता नहीं था। वह बस खड़ा रहता, मुस्कुराता रहता और लोगों को देखता रहता। उसकी मुस्कान में एक अजीब सा सुकून था, जैसे उसे कुछ पता हो जो बाकी दुनिया नहीं जानती।

मल्होत्रा साहब ने एक दिन उससे पूछा, “छोटू, आज क्या स्पेशल है तेरे पास?” अनमोल ने हंसते हुए कहा, “साहब, आज बहुत अच्छा दिन है।” मल्होत्रा साहब ने उसे ₹10 दिए और कहा, “ले बेटा, खा लेना कुछ।” अनमोल ने पैसे लिए, मुस्कुराया और भीड़ में खो गया।

यह रोज़ का नज़ारा था। अनमोल रोज़ उस सिग्नल पर आता, कभी गुब्बारे, कभी फूल लेकर, लेकिन बेचता कम और मुस्कुराता ज्यादा। लोग उसे देखकर खुश हो जाते थे। रतिका मैडम, जो रोज़ उसी रास्ते से ऑफिस जाती थीं, अनमोल को देखे बिना अपना दिन शुरू नहीं करती थीं। वह उससे पूछतीं, “अनमोल बेटा, आज तबीयत कैसी है?” और अनमोल बस मुस्कुरा देता।

लेकिन अनमोल कभी रोता नहीं था, कभी किसी से कुछ मांगता नहीं था। लोग सोचते थे कि शायद उसकी किस्मत अच्छी है या दिल बहुत बड़ा है। लेकिन सचाई कुछ और थी।

एक दिन बारिश हो रही थी, फिर भी अनमोल उसी सिग्नल पर खड़ा था, भीगा हुआ, ठंड में कांपता हुआ, लेकिन मुस्कुराता हुआ। देवांश भैया, जो उसी रास्ते से गुजर रहे थे, ने उसे अपनी गाड़ी में बिठा लिया। उन्होंने पूछा, “बेटा घर नहीं जाना क्या? इतनी बारिश में यहां क्यों खड़ा है?” अनमोल ने पहली बार कुछ कहा, “भैया, मेरा घर तो यहीं है,” और सिग्नल की तरफ इशारा किया।

देवांश भैया का दिल दहल गया। उन्होंने सोचा कि शायद बच्चा बेघर है, लेकिन अनमोल की आंखों में कोई दुख नहीं था, बस वही अजीब सा सुकून था।

अगले दिन अनमोल सिग्नल पर नहीं आया। सभी ने उसे ढूंढना शुरू किया। पान की दुकान वाली सुमित्रा आंटी ने बताया कि वह उस गली की तरफ जाता था। गली में एक टूटे-फूटे घर में एक बूढ़ी औरत रहती थी, जिसने बताया कि अनमोल के माता-पिता दो साल पहले एक्सीडेंट में मर गए थे। अनमोल अकेला वहीं रहता था।

कुछ दिन पहले अनमोल को एक डॉक्टर के साथ जाते देखा गया था। उसकी तबीयत बहुत खराब थी। डॉक्टर ने कहा था कि उसे अस्पताल में भर्ती करना होगा, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे।

जब सब लोग उस टूटे-फूटे घर में गए, तो वहां एक डिब्बा मिला जिसमें गुब्बारे और फूल थे। उस डिब्बे में एक डायरी थी, जिसमें अनमोल ने लिखा था कि उसे पता है कि वह ज्यादा दिन नहीं जी पाएगा, लेकिन वह दुखी नहीं है। वह रोज़ सिग्नल पर इसलिए जाता था क्योंकि वहां लोग उससे प्यार करते थे, उससे बात करते थे, और वह अकेला नहीं महसूस करता था।

डायरी में उसने लिखा था कि वह चाहता है लोग उसे उसकी मुस्कान के लिए याद रखें, न कि उसकी बीमारी के लिए। उसने लिखा, “मैं अमीर नहीं था, मेरे पास कुछ नहीं था, लेकिन मेरी मुस्कान थी, जो मैंने उन सबको दी जिन्होंने मुझे प्यार दिया।”

डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा, लेकिन अनमोल अभी बोल नहीं पा रहा था। वह बार-बार “माफी” शब्द लिखता था। उसने लिखा कि उसने सबको धोखा दिया क्योंकि वह अपनी बीमारी छुपा रहा था। वह अंदर से टूटा हुआ था, लेकिन वह चाहता था कि लोग उसे याद रखें।

अनमोल की मुस्कान ने सबको सिखाया कि मुश्किल वक्त में भी मुस्कुराना कितना जरूरी है। रतिका मैडम, देवांश भैया, मल्होत्रा साहब और बाकी लोग मिलकर “अनमोल की मुस्कान फाउंडेशन” शुरू किया, जिसका मकसद सड़क पर रहने वाले बच्चों की मदद करना था।

कुछ दिन बाद अनमोल को आईसीयू से सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया। वह थोड़ा बेहतर महसूस कर रहा था, लेकिन अभी भी बोल नहीं पा रहा था। एक दिन उसने देवांश भैया को एक कागज दिया, जिसमें लिखा था कि वह सिग्नल पर जाना चाहता है, जहां उसका नाम लिखा बोर्ड लगा है।

जब वह बोर्ड देखा, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसकी मुस्कान फिर से खिल उठी। वहां मौजूद सभी लोग खुश हुए।

लेकिन अचानक अनमोल की तबीयत खराब हो गई। उसने धीरे-धीरे कहा, “मुझे माफ कर दो।” और फिर उसकी सांसें थम गईं।

उसकी मौत ने सबको झकझोर दिया। अगले दिन उस सिग्नल पर लोग फूल, गुब्बारे और मोमबत्तियां लेकर आए। वहां एक बोर्ड लगाया गया जिस पर लिखा था, “अनमोल की मुस्कान, जो हमें सिखाती है कि मुश्किलों में भी जिंदगी खूबसूरत बन सकती है।”

रात को एक छोटी सी हवा चली, गुब्बारे उड़ गए, और लोग बोले, “देखो, अनमोल फिर मुस्कुरा रहा है।”

आज उस सिग्नल का नाम “अनमोल चौक” हो गया है। वहां से गुजरने वाले लोग रुकते हैं, उसकी मुस्कान को याद करते हैं, और मुस्कुराते हैं।

अनमोल की कहानी हमें सिखाती है कि एक छोटी सी मुस्कान कितनी बड़ी ताकत रखती है। वह हमें बताता है कि मुश्किलों के बीच भी उम्मीद और खुश रहना जरूरी है।

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