जब कलेक्टर मैडम ने मरे हुए पति को टपरी पर बर्तन धोते देखा? फिर…
कलेक्टर मैडम और बर्तन धोने वाला ‘मरा हुआ’ पति – एक चौंकाने वाली सच्चाई
नागपुर शहर की कलेक्टर पूजा एक बड़ी चोरी के केस में उलझी हुई थीं। सुबह से शाम हो गई थी, थकान हावी थी। पूजा ने अपने ड्राइवर से कहा, “चलो, कहीं अच्छी कड़क चाय मिलती हो वहां ले चलो। आज एक चाय पीने के बाद ही सारा थकान दूर होगा।”
ड्राइवर ने मुस्कराते हुए बताया कि पास में एक बहुत फेमस चाय की टपरी है। दोनों वहां पहुंचे। टपरी पर भीड़ थी, लेकिन पूजा को चाय की तलब थी। उन्होंने खुद जाकर दो कड़क चाय मांगी।
चाय पीने के बाद पूजा ने अपना गिलास खुद धोना चाहा। उनकी आदत थी कि वे कभी भी अपना झूठा बर्तन किसी से नहीं धुलवाती थीं। जब पूजा टपरी के पास पहुंचीं, वहां एक आदमी बैठा-बैठा बर्तन धो रहा था। पूजा ने उससे थोड़ा पानी मांगा, उसने पानी का जग भरकर दे दिया। पूजा ने गिलास धोया और जैसे ही उस आदमी का चेहरा देखा, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
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वह कोई और नहीं, बल्कि उनका ‘मरा हुआ’ पति विशाल था, जो 15 साल पहले एक हादसे में मरा घोषित कर दिया गया था।
पूजा की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने हिम्मत जुटाकर पूछा, “विशाल, तुम जिंदा हो? तुम कैसे जिंदा हो सकते हो?”
लेकिन वह आदमी बोला, “मैडम, मैं विशाल नहीं हूं।”
पूजा ने अपना फोन निकाला, शादी के फोटो दिखाए, और कहा, “अगर तुम मेरे पति हो, तो तुम्हारी पीठ पर चोट का निशान होगा।”
आदमी ने अपनी शर्ट के बटन खोले और पीठ दिखाई। वही टांकों का निशान देखकर पूजा को यकीन हो गया कि यही उनका विशाल है।
पूजा ने उसे गले लगा लिया, दोनों की आंखों में आंसू थे। टपरी पर खड़े लोग हैरान थे – एक कलेक्टर, एक बर्तन धोने वाले को गले क्यों लगा रही है?
पूजा ने पूछा, “तुम इतने साल कहां थे? मुझे पहचान क्यों नहीं पा रहे हो?”
विशाल की आंखों में भी आंसू थे। उसने बताया, “जब तुम्हारे ससुराल में तुम्हें पढ़ाई नहीं करने दी जा रही थी, और तुम अपना सपना छोड़ रही थी, तो मैंने अपनी कार को खाई में गिरा दिया ताकि सबको लगे मैं मर गया हूं। मैं चाहता था कि तुम आज़ाद होकर अपना सपना पूरा करो। मैं छुपकर महाराष्ट्र आ गया और छोटा-मोटा काम करने लगा। जब मुझे पता चला कि तुम दिल्ली में UPSC की तैयारी कर रही हो, तो मैं बहुत खुश हुआ। मैंने तुम्हें दूर से देखा, तुम्हारी सफलता देखी।”
पूजा फूट-फूट कर रोने लगी। एक पति ने अपनी मौत का नाटक किया ताकि उसकी पत्नी कलेक्टर बन सके।
फिर दोनों साथ रहने लगे। पूजा ने कहा, “इन 15 सालों में भले ही मैं कलेक्टर बन गई हूं, लेकिन तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी खाली थी। अब तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे।”
इस तरह पूजा और विशाल की कहानी ने सबको चौंका दिया – मरा हुआ पति एक बर्तन धोने वाले के रूप में मिला, और दोनों फिर से एक हो गए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार, त्याग और सपनों की ताकत कितनी बड़ी होती है।
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