एक फेरीवाले ने भूखे बच्चे को रोटी दी थी फिर अचानक उसकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया की सब कुछ बदल गया

कोलकाता की गलियों का फेरी वाला: विपिन की नेकी की कहानी

कोलकाता की बारिश भरी गलियों में ट्राम की खड़खड़ाहट, रसगुल्लों की मिठास और किताबों की खुशबू हर कोने में बसी थी। इन्हीं गलियों में एक साधारण फेरी वाला विपिन अपनी मेहनत और हिम्मत से जिंदगी की जंग लड़ रहा था। विपिन का दिल हमेशा दूसरों की मदद के लिए धड़कता था। सुबह से रात तक सड़कों पर फल बेचता और अपने परिवार के सपनों को संजोता। उसका सपना था अपनी छोटी बेटी मिनी को डांसर बनाना और अपनी मां शांति को एक पक्का घर देना।

विपिन का परिवार कोलकाता के बाहरी इलाके दमदम की एक झुग्गी में रहता था। उसकी मां शांति और पांच साल की बेटी मिनी ही उसका संसार थे। विपिन की पत्नी मिनी के जन्म के बाद ही चल बसी थी, तब से शांति ने मिनी को मां का प्यार दिया। मिनी को डांस का शौक था, वह हर शाम अपनी छोटी सी झुग्गी में नाचती। विपिन का सपना था कि मिनी एक दिन बड़ी डांसर बने और वह अपनी मां को एक पक्का घर दे सके ताकि बारिश में उनकी छत ना टपके। मगर फेरी वाले की कमाई इतनी कम थी कि मिनी की डांस क्लास की फीस और शांति की दवाइयां ही मुश्किल से पूरी होती थीं।

फिर भी विपिन कहता, “जब तक मेरी ठेली चलती है, मेरी मिनी के सपने जिंदा हैं।”
एक ठंडी, बारिश भरी रात थी। कोलकाता की सड़कें पानी से लबालब थीं और ट्राम की आवाज बारिश की रागिनी में डूब रही थी। विपिन अपनी ठेली समेटकर श्याम बाजार बस स्टॉप के पास से गुजर रहा था। उसकी ठेली पर कुछ बचे हुए सेब और संतरे थे, और जेब में दो रोटियां और आलू की सब्जी जो वह मिनी और शांति के लिए ले जा रहा था।

तभी बस स्टॉप के एक कोने में एक छोटा बच्चा बैठा बिलख रहा था। उसकी उम्र छह-सात साल होगी। उसके कपड़े गीले थे और वह ठंड और भूख से कांप रहा था।
“बेटा, तू अकेला क्यों रो रहा है?” विपिन ने ठेली रोक कर पूछा।
बच्चा सुबकते हुए बोला, “मुझे भूख लगी है। मम्मी मुझे लेने आएंगी मगर वो अभी तक नहीं आईं।”
विपिन का दिल पिघल गया। उसने बच्चे के पास बैठकर उसका माथा सहलाया। “तेरा नाम क्या है बेटा?”
“सोहन,” बच्चे ने धीरे से कहा।
विपिन ने अपनी थैली खोली, रोटियां निकाली, एक सेब काटा और सोहन को दिया। “लो सोहन, यह खा ले। भूख मिटेगी।”
सोहन ने भूखे भेड़िए की तरह रोटी और सेब खाया। उसकी आंखों में चमक लौट आई। “अंकल, आप बहुत अच्छे हैं।”
विपिन ने मुस्कुराकर कहा, “बेटा, तेरी मम्मी कहां है? मैं तुझे उनके पास छोड़ दूं।”
सोहन ने सिर हिलाया, “वो पास के मंदिर में काम करती हैं। मगर रात हो गई, शायद देर से आएंगी।”
बारिश तेज हो रही थी और बस स्टॉप की छतरी टपक रही थी। विपिन ने अपनी ठेली पर रखा पुराना त्रिपाल निकाला और सोहन को ओढ़ाया। “बेटा, तू यहीं रुक। मैं मंदिर जाकर तेरी मम्मी को ढूंढता हूं।”
सोहन ने उसका हाथ पकड़ा, “अंकल, आप सचमुच भगवान जैसे हैं।”
विपिन ने हंसकर कहा, “बस बेटा, तू ठीक रह।”

वह पास के काली मंदिर की ओर चल पड़ा। मगर बारिश और भीड़ की वजह से मंदिर तक पहुंचने में समय लगा। जब वह मंदिर पहुंचा तो वहां कोई औरत नहीं थी। पुजारी ने बताया कि मंदिर में काम करने वाली औरतें शाम को चली जाती हैं।
विपिन का मन बेचैन हो गया। वह वापस बस स्टॉप की ओर दौड़ा। मगर जब वह पहुंचा तो सोहन वहां नहीं था। त्रिपाल जमीन पर पड़ा था।
“सोहन! सोहन!” विपिन ने आसपास पुकारा, मगर बारिश की आवाज में उसकी पुकार डूब गई। उसने पास के दुकानदारों से पूछा मगर किसी ने बच्चे को नहीं देखा। विपिन का दिल भारी हो गया। क्या सोहन अपनी मां के पास चला गया या उसे कुछ हो गया?

वह थककर अपनी ठेली लेकर घर लौटा। घर पहुंचकर उसने शांति और मिनी को सारी बात बताई। मिनी ने मासूमियत से पूछा, “पापा, वो भैया ठीक होगा ना?”
विपिन ने उसे गले लगाया, “हां बेटी, भगवान ने उसे मेरे पास भेजा था। वो उसे बचाएगा।”
शांति ने सांत्वना दी, “विपिन, तूने जो किया वह बहुत बड़ा काम था। मगर अब खाना खा ले।”
मगर विपिन का मन बेचैन था। सोहन की भूखी आंखें और उसकी मासूम आवाज उसे बार-बार याद आ रही थी।

अगली सुबह वह फिर श्याम बाजार पहुंचा। वह बस स्टॉप पर रुका, यह सोचकर कि शायद सोहन फिर मिल जाए। मगर वहां कोई नहीं था। विपिन ने अपने फल बेचने शुरू किए, मगर उसका ध्यान बार-बार बस स्टॉप की ओर जाता।
दोपहर को जब वह एक ग्राहक को सेब तौल रहा था, एक औरत उसके पास आई। उसकी उम्र 35 के आसपास थी। उसके कपड़े सादे थे, मगर चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी।
उसने विपिन को देखते ही कहा, “तुम विपिन हो ना? कल रात तुमने मेरे बेटे सोहन को रोटी और सेब दिए थे?”
विपिन का दिल जोर से धड़का, “हां मैडम, सोहन ठीक है ना?”
औरत की आंखें नम हो गईं, “हां, वो ठीक है। मेरा नाम राधिका है। मगर मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है। मेरे साथ मंदिर चल सकते हो?”
विपिन का मन सवालों से भर गया, “मैडम, क्या बात है? सोहन कहां है?”
राधिका ने धीरे से कहा, “मैं तुम्हें सब बताऊंगी, मगर पहले मेरे साथ आओ। मेरे पास एक राज है जो तुम्हारी जिंदगी बदल देगा।”

विपिन की ठंडी बारिश भरी रात की नेकी कोलकाता के श्याम बाजार बस स्टॉप पर एक भूखे बच्चे सोहन की भूख मिटाकर ना सिर्फ उसका दिल जीत रही थी, बल्कि अब राधिका के रहस्यमई राज के साथ उसकी जिंदगी में एक अनजाना तूफान ला रही थी। अपनी रोटी, सेब और त्रिपाल देने का उसका बिना स्वार्थ का फैसला अब एक गहरे रहस्य से उलझ रहा था।

राधिका का वह राज क्या था जिसने विपिन के मन में सवालों की बाढ़ ला दी? क्या सोहन की कहानी विपिन के सपनों, मिनी की डांस क्लास और शांति का पक्का घर हकीकत में बदलेगी या उसे किसी ऐसी सच्चाई का सामना करना पड़ेगा जो उसके विश्वास को हिला दे?

कहानी का अगला मोड़

विपिन ने राधिका की ओर देखा, जिसकी आंखें नम थीं मगर चेहरा एक अजीब से संकल्प से भरा था। वह अपनी ठेली पर फल बेच रहा था, मगर राधिका की बातों ने उसे ठिठकने पर मजबूर कर दिया।
“मैडम, सोहन ठीक है ना? और यह राज क्या है?” उसने बेचैनी से पूछा।
अपनी ठेली को एक दुकान के पास खड़ा करते हुए राधिका ने गहरी सांस ली, “विपिन, सोहन मेरे साथ है और वह सुरक्षित है। मगर मेरी कहानी और तुम्हारी नेकी एक पुराने वादे से जुड़ी है। मेरे साथ काली मंदिर चल, वहां मैं सब बताऊंगी।”

विपिन का मन उलझ गया। उसकी ठेली पर बचे फल बिकने बाकी थे और मिनी-शांति घर पर उसका इंतजार कर रहे थे। मगर राधिका की आवाज में एक ऐसी सच्चाई थी जो उसे मना करने से रोक रही थी।
“ठीक है मैडम, मगर ज्यादा देर नहीं।”
राधिका ने सिर हिलाया, “बस थोड़ा वक्त विपिन, यह मुलाकात तेरी जिंदगी बदल देगी।”

विपिन ने अपनी ठेली एक पड़ोसी फेरी वाले को सौंपी और राधिका के साथ काली मंदिर की ओर चल पड़ा। कोलकाता की गलियां बारिश के बाद भी चहल-पहल से भरी थीं। मंदिर पहुंचते ही राधिका उसे एक शांत कोने में ले गई, जहां मां काली की मूर्ति की छाया में एक छोटा सा कमरा था। वहां सोहन बैठा था, एक किताब पढ़ रहा था। उसे देखते ही विपिन की जान में जान आई।
“सोहन!” विपिन ने उसे गले लगाया, “बेटा, तू ठीक है। कल रात तू कहां चला गया?”
सोहन ने मुस्कुराकर कहा, “अंकल, मम्मी मुझे ले गई। आपकी रोटी बहुत टेस्टी थी।”

राधिका ने सोहन को बाहर खेलने भेजा और विपिन को बैठने का इशारा किया। उसने एक पुराना लॉकेट निकाला जिसके अंदर एक छोटी सी तस्वीर थी। तस्वीर में एक आदमी और एक औरत थे।
“विपिन, यह मेरे भाई विश्वनाथ और मैं हूं।”
विपिन ने तस्वीर को गौर से देखा, “आपका भाई… मगर मैडम, यह राज क्या है?”

राधिका की आंखें नम हो गईं।
“विपिन, दस साल पहले मेरा भाई एक डांसर था। वह कोलकाता के थिएटर्स में परफॉर्म करता था। मगर एक रात वह बीमार पड़ गया। उसे तपेदिक था और हमारे पास इलाज के पैसे नहीं थे। मैंने मंदिर में फूल बेचकर कुछ पैसे जुटाए, मगर वह काफी नहीं थे। एक रात वह भूखा और बीमार सड़क पर गिर पड़ा। एक फेरी वाले ने उसे रोटी और फल दिए। उसकी मदद से विश्वनाथ उस रात बच गया।”

विपिन का दिल धक से रह गया।
“मैडम, वो फेरी वाला…”
राधिका ने सिर हिलाया, “विश्वनाथ ने मुझे उस फेरी वाले का नाम बताया था। विपिन, वो तू था।”
विपिन का मन अतीत में खो गया। उसे धुंधली सी याद आई, एक रात जब उसने एक बीमार आदमी को अपनी रोटी और संतरे दिए थे।
“मगर मैडम, मैंने तो बस…”
राधिका ने उसे रोका, “विपिन, उस रात की नेकी ने मेरे भाई को कुछ और दिन दिए। मगर वह बीमारी से नहीं बच सका। मरने से पहले उसने मुझसे वादा लिया कि मैं उस फेरी वाले को ढूंढूंगी और उसका शुक्रिया अदा करूंगी। मैंने सालों तक तुझे ढूंढा, मगर तेरा कोई अता-पता नहीं मिला। कल रात जब सोहन ने मुझे बताया कि एक फेरी वाले ने उसे रोटी और सेब दी और उसका नाम विपिन है, तो मुझे यकीन हो गया कि वह तू ही है।”

विपिन की आंखें नम हो गईं, “माया जी, मुझे नहीं पता था। मैंने तो बस एक भूखे इंसान की मदद की थी।”
राधिका ने एक पुराना लिफाफा निकाला, “विपिन, विश्वनाथ ने अपने डांस ग्रुप के लिए कुछ गाने लिखे थे। मरने से पहले उसने वह गाने एक प्रोड्यूसर को बेच दिए। उसने मुझसे कहा कि अगर कभी पैसे मिले तो वह उस फेरी वाले को दिए जाएं। पिछले हफ्ते उन गानों का एक एल्बम रिलीज हुआ। मुझे पांच लाख रुपये मिले।”

विपिन की सांस रुक गई, “पांच लाख!”
राधिका ने सिर हिलाया, “हां विपिन, मैं चाहती हूं कि तू यह पैसे ले ले। अपनी बेटी मिनी को डांस क्लास में भेज, अपनी मां को पक्का घर दे।”
विपिन ने मना किया, “माया जी, यह पैसे आपके भाई की मेहनत है। मैं कैसे ले सकता हूं?”
राधिका ने उसका कंधा पकड़ा, “विपिन, तूने मेरे भाई की आखिरी रात में उसे सुकून दिया। तूने मेरे बेटे की भूख मिटाई। यह पैसे तेरा हक है। मगर एक और राज है।”

विपिन का मन फिर बेचैन हो गया, “क्या राज, मैडम?”
राधिका ने मंदिर की ओर इशारा किया, “विश्वनाथ का एक दोस्त सुदीप अब एक डांस स्कूल चलाता है। मैंने उसे तेरी और मिनी की बात बताई। वो मिनी को मुफ्त डांस सिखाना चाहता है, मगर एक शर्त है।”
विपिन ने सावधानी से पूछा, “क्या शर्त?”
राधिका ने मुस्कुरा कर कहा, “सुदीप चाहता है कि तू उसके स्कूल में बच्चों को फल बांटे। वह कहता है कि तेरी नेकी बच्चों को प्रेरणा देगी।”

तभी एक अधेड़ उम्र का आदमी मंदिर में आया। राधिका ने उसे देखकर कहा, “विपिन, यह सुदीप है।”
सुदीप ने विपिन को गले लगाया, “विपिन, मैंने विश्वनाथ से तेरी कहानी सुनी थी। तूने कल रात फिर वही नेकी की। मैं चाहता हूं कि तू हमारे स्कूल का हिस्सा बने।”
विपिन का गला भर आया, “सुदीप जी, मैं… मैं तो बस एक फेरी वाला हूं।”
सुदीप ने हंसकर कहा, “और विश्वनाथ एक सड़क पर पड़ा बीमार डांसर था। विपिन, तुझ में वह जज्बा है जो बच्चों को सिखा सकता है कि नेकी कभी बेकार नहीं जाती।”

विपिन की आंखें नम हो गईं। उसने राधिका और सुदीप के पैर छूने की कोशिश की, मगर उन्होंने उसे रोक लिया।
राधिका ने कहा, “विपिन, एक आखिरी बात। मैं चाहती हूं कि तू और तेरा परिवार मेरे साथ रहे। मेरा कोई नहीं है। सोहन को तुझ में एक पिता दिखता है।”

विपिन का मन भर आया, “माया जी, आपने मुझे इतना कुछ दे दिया।”

अंतिम मोड़ और संदेश

अगले कुछ महीनों में विपिन ने राधिका के पैसे से एक छोटा सा पक्का घर खरीदा। मिनी सुदीप के डांस स्कूल में पढ़ने लगी और उसकी पहली परफॉर्मेंस ने कोलकाता के थिएटर में तालियां बटोरी। शांति अब मिनी और सोहन को कहानियां सुनाती थी। विपिन हर सुबह अपनी ठेली पर फल बेचता और दोपहर को सुदीप के स्कूल में बच्चों को मुफ्त फल बांटता।

डांस स्कूल के पहले साल में सुदीप ने एक समारोह में विपिन को मंच पर बुलाया, “यह विपिन है जिसने एक भूखे बच्चे को रोटी दी और आज हमारे बच्चों को प्रेरणा दे रहा है।”
विपिन ने माइक पकड़ा, “मैंने सिर्फ एक बच्चे की भूख मिटाई थी। मगर राधिका जी और विश्वनाथ जी ने मेरे सपनों को पंख दिए। यह मेरी नहीं, मेरी मिनी और कोलकाता के बच्चों की जीत है।”
राधिका ने उसे गले लगाया, “विपिन, तूने मेरे भाई का वादा पूरा किया।”

एक बारिश भरी शाम जब विपिन अपनी ठेली समेट रहा था, एक और बच्चा बस स्टॉप पर रोता दिखा। विपिन ने मुस्कुराकर एक संतरा निकाला, “लो बेटा, खा ले। मैं तेरी मम्मी को ढूंढता हूं।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि एक रोटी, एक छोटी सी मदद किसी की जिंदगी में चमत्कार ला सकती है। विपिन ने सिर्फ एक बच्चे को भूख से बचाया, मगर उसकी नेकी कोलकाता की गलियों से होकर सैकड़ों बच्चों के सपनों तक पहुंच गई।

अगर आप भी मेरी तरह एक भावुक इंसान हैं, तो इस कहानी को जरूर शेयर करें।
समाप्त।