“जब IPS मैडम को इंस्पेक्टर ने आम लड़की समझकर एक सेठ के कहने पर किया थाने में बंद”!फिर जो हुआ
आईपीएस प्रिया सिंह एक ईमानदार और निडर महिला अधिकारी थी, जिसकी ईमानदारी और निडरता के लिए वह जानी जाती थी। एक दिन उसने सादी वर्दी में एक थाने का औचक निरीक्षण करने का फैसला किया। जैसे ही वह थाने में घुसी, उसकी नजर हवालात में बंद एक रोती हुई महिला पर पड़ी। महिला को सिर्फ इसीलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि उसने गांव के एक प्रभावशाली व्यक्ति, जो कि एक जमींदार था, के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी। पुलिस ने उलटा उसी को झूठे केस में फंसा दिया था।
पास में ही कुछ पुलिसकर्मी और वह जमींदार, जिसका नाम बलराज था, आपस में हंसी-मजाक करते हुए केस को रफा-दफा करने की बात कर रहे थे। यह देखकर प्रिया का खून खौल उठा। वह आगे बढ़ी और खड़े शब्दों में बोली, “मेरी बहन को तुरंत छोड़ दो और इस बलराज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करो। नहीं तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।”
इस पर पुलिस वालों ने बिना सोचे-समझे प्रिया को भी हवालात में डाल दिया। बाहर पुलिसकर्मी और बलराज एक दूसरे के साथ हंस रहे थे। कुछ देर बाद पुलिसकर्मियों ने औपचारिकता के लिए प्रिया से उसका नाम और पहचान पत्र मांगा। प्रिया ने चुपचाप अपने बैग से अपना आईडी कार्ड निकाला और उनके सामने रख दिया।
जैसे ही पुलिस वालों की नजर आईडी कार्ड पर पड़ी, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। कार्ड पर साफ-साफ लिखा था – इंडियन पुलिस सर्विस प्रिया सिंह, आईपीएस अधिकारी। पूरे थाने में हड़कंप मच गया। जो पुलिसकर्मी कुछ देर पहले उसे धक्का दे रहे थे, वे अब थर-थर कांप रहे थे।
प्रिया के लिए पुलिस की वर्दी सिर्फ एक नौकरी नहीं बल्कि एक जुनून और एक जिद्द थी। बचपन में उसने अपने गांव में जमींदार के हाथों अपने पिता का अपमान होते देखा था और तब पुलिस ने भी जमींदार का ही साथ दिया था। उस दिन उस छोटी लड़की ने अपनी नम आंखों से जो देखा, उसने उसके दिल में सिस्टम को अंदर से बदलने की एक आग जला दी थी।
प्रिया ने बलराज के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। उसने पाया कि जमींदार ने कई गरीबों की जमीनें हड़पी थीं और पुलिस को अपनी जेब में रखा था। प्रिया ने सबूत इकट्ठे किए और बलराज के खिलाफ मजबूत केस बनाया।
विधायक शिवशरण चौबे, जो बलराज का राजनीतिक संरक्षक था, ने प्रिया पर दबाव डालने की कोशिश की। लेकिन प्रिया ने एक नहीं सुनी। उसने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और बलराज और विधायक के काले कारनामों का पर्दाफाश किया।
इसके बाद प्रिया पर जानलेवा हमला हुआ, लेकिन वह नहीं हटी। उसने हार नहीं मानी और अंततः बलराज और विधायक शिवशरण चौबे दोनों को गिरफ्तार करवा दिया।
उस दिन मालतीपुर के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। प्रिया ने दिखाया कि कानून से कोई बड़ा नहीं है, और ईमानदारी से लड़ने पर जीत जरूर मिलती है।
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