Dharmendra की लाइफ का सबसे emotional chapter | विजेता और अजीता
देओल परिवार: छिपे हुए चेहरे और उनकी अनकही कहानी
प्रारंभ
जब भी देओल परिवार का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले हमारे दिमाग में चार चेहरे आते हैं: सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल और अहाना देओल। ये चारों चेहरे हमेशा सुर्खियों में रहे हैं और इन्हीं के नामों से देओल परिवार की पहचान बनी है। लेकिन एक परिवार की कहानी केवल उन लोगों से नहीं बनती जो सामने हैं। असली कहानी उन लोगों में छिपी होती है जो चुपचाप पीछे खड़े रहते हैं। देओल परिवार में भी दो ऐसी बेटियां हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं: विजेता देओल और अजीता देओल।
विजेता और अजीता: छिपी हुई बेटियां
विजेता और अजीता देओल, धर्मेंद्र की बेटियां हैं, जो हमेशा परिवार के साथ रहीं लेकिन कभी भी मीडिया की नजरों में नहीं आईं। इनकी चुप्पी और सादगी ने इन्हें हमेशा परछाई में रखा। जबकि सनी और बॉबी ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई, विजेता और अजीता ने एक अलग राह चुनी। उन्होंने अपने पिता धर्मेंद्र को केवल एक स्टार के रूप में नहीं, बल्कि एक भावुक और जिम्मेदार पिता के रूप में देखा।
परिवार का असली रिश्ता
जब कैमरा बंद होता है और ग्लैमर की चकाचौंध हट जाती है, तब केवल परिवार, रिश्ते और प्यार बचते हैं। विजेता और अजीता का अपने पिता के साथ एक सच्चा रिश्ता था जो दुनिया की नजरों से दूर था। जब से सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र साहब की वसीहत की खबरें चल रही हैं, तब से लोग जानना चाहते हैं कि उनकी संपत्ति का वारिस कौन होगा। क्या यह सनी और बॉबी होंगे या ईशा और अहाना? लेकिन अचानक विजेता और अजीता का नाम भी चर्चा में आने लगा।
धर्मेंद्र का दिल
धर्मेंद्र का दिल कभी किसी बच्चे में फर्क नहीं करता था। फर्क सिर्फ इतना था कि कुछ बच्चे लोगों की नजरों में आए और कुछ दिल की नजरों में रहे। कहते हैं कि बेटियां पिता के दिल के सबसे करीब होती हैं, और यह बात धर्मेंद्र के मामले में सच साबित होती है। विजेता और अजीता ने कभी भी पब्लिक प्लेटफार्म पर अपने पिता के बारे में कोई बयान नहीं दिया। वे हमेशा अपने घर को एक सुरक्षित दायरे की तरह रखकर उसी में जिया करती थीं।

दो घरों की कहानी
धर्मेंद्र का जीवन दो जिंदगियों के बीच बंटा हुआ था। एक तरफ उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर और उनके बच्चे थे, दूसरी तरफ हेमा मालिनी और उनकी बेटियां। समाज चाहे जो कहे, लेकिन दो घरों के बीच एक आदमी का बटना केवल बाहर से आसान लगता है। अंदर से वह हर रिश्ते को संभालने की कोशिश करता है और इस कोशिश में अक्सर किसी को कम और किसी को ज्यादा मिल जाता है।
विजेता और अजीता की चुप्पी
विजेता और अजीता कभी भी मीडिया में नहीं आईं, लेकिन उन्होंने अपने पिता के हर संघर्ष को करीब से महसूस किया। जब घर में हालात बिगड़ते थे, जब रिश्तों में दूरी बढ़ती थी, तब सबसे ज्यादा चोट बेटियों को ही लगती है। सनी और बॉबी बाहर की दुनिया में थे, जबकि विजेता और अजीता का संसार सिर्फ उनका परिवार था। इसी वजह से उन्होंने अपने पिता को एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक पिता के रूप में देखा।
हेमा मालिनी से शादी का असर
जब हेमा मालिनी ने धर्मेंद्र से शादी की, तो दुनिया ने सबसे ज्यादा सवाल विजेता और अजीता पर खड़े किए। लोग सोचते थे कि उन्हें गुस्सा आता होगा, या अपने पिता से शिकायत होगी। लेकिन सच तो यह है कि इन दोनों बेटियों ने कभी भी दुनिया को यह जानने नहीं दिया कि उनका दर्द क्या था। बस एक चुप्पी थी जो आज भी कायम है, और इसी चुप्पी ने इन दोनों को और भी रहस्यमय बना दिया।
परिवार की जिम्मेदारियां
धर्मेंद्र अपने बेटों के करियर में शामिल रहे, लेकिन अपनी बेटियों के लिए उनका रिश्ता थोड़ा अलग था। यह रिश्ता लाइमलाइट वाला नहीं था, बल्कि एक घरेलू और सादा रिश्ता था। विजेता और अजीता दोनों ने विदेश में पढ़ाई की और नॉन-फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से शादी की। उन्होंने अपनी जिंदगी को दुनिया से दूर अपने तरीके से जीया, बिना किसी विवाद या चर्चा के।
धर्मेंद्र की संपत्ति
धर्मेंद्र के निधन के बाद, जब लोग उनकी वसीयत की बात कर रहे हैं, तो कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने हर बच्चे के लिए बराबर सोचा था। सनी और बॉबी की जिम्मेदारी उन्हें कभी चिंतित नहीं करती थी क्योंकि वे अपने पैरों पर खड़े थे। ईशा और अहाना अपनी दुनिया में सेटल्ड हैं, लेकिन विजेता और अजीता के बारे में वे हमेशा एक अलग तरह की जिम्मेदारी महसूस करते रहे।
साइलेंट पोजीशन
सोशल मीडिया पर जब लोग धर्मेंद्र की बेटियों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह ध्यान में आता है कि विजेता और अजीता हमेशा ही अपने पिता का वह हिस्सा थीं, जिसे धर्मेंद्र ने दुनिया से बचाकर रखा। धर्मेंद्र का दिल कभी दो हिस्सों में नहीं बटा। लोग सोच लेते हैं कि जब एक आदमी दो घर चलाता है, तो वह आधा इधर और आधा उधर हो जाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि धर्मेंद्र ने अपने हर बच्चे के लिए दिल से जिम्मेदारी निभाई।
अंत में
आज जब दुनिया धर्मेंद्र की वसीयत को लेकर बातें कर रही है, तब यह स्पष्ट है कि विजेता और अजीता केवल वारिस नहीं, बल्कि उस आदमी की भावनाओं का हिस्सा हैं जिसने जिंदगी भर सभी को साथ रखने की कोशिश की। विजेता देओल का नाम सुनते ही हमें धर्मेंद्र के प्रोडक्शन हाउस “विजेता फिल्म्स” की याद आती है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस प्रोडक्शन हाउस का नाम विजेता के नाम पर रखा गया था।
धर्मेंद्र ने अपनी बेटियों को कभी भी लाइमलाइट में नहीं लाना चाहा। विजेता और अजीता ने अपने जीवन को सादगी और शांति से जिया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हर स्टार किड ग्लैमर नहीं चाहता, और कुछ लोग महान सितारों के घर में जन्म लेकर भी अपने भीतर एक अलग दुनिया बनाते हैं।
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