जब इंस्पेक्टर ने आईपीएस मैडम से रिश्वत माँगी, फिर इंस्पेक्टर के साथ जो किया…

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न्याय की लड़ाई: डीएम अभिजीत वर्मा और आईपीएस हानिया अमीर का संघर्ष

जिले के सबसे बड़े अधिकारी, डीएम अभिजीत वर्मा, अपने ऑफिस में फाइलों के ढेर में व्यस्त थे। तभी उनकी टेबल पर एक लिफाफा आया। खोल कर देखा तो उसमें एक चिट्ठी थी, जिसमें साफ लिखा था कि जिले के एक थाने का इंस्पेक्टर जनता से रिश्वत लेता है और गरीबों के साथ अन्याय करता है। अभिजीत वर्मा ने चिट्ठी पढ़ी, थोड़ा सोचा, लेकिन उस समय इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया और फाइलों के बीच रख दिया।

दो दिन बाद फिर एक और पत्र आया, जिसमें वही बातें थीं। लगातार दो चिट्ठियां मिलना अब साधारण बात नहीं लग रही थी। डीएम के मन में शक पैदा हुआ कि शायद इसमें सच्चाई हो। उन्होंने इस मामले की तह तक जाने का निश्चय किया और आईपीएस हानिया अमीर को बुलाया। हानिया अमीर ने सुनते ही गुस्से में कहा, “अगर सचमुच ऐसा हो रहा है तो यह कानून के खिलाफ है और जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात है। हमें इसकी जड़ तक पहुंचना होगा।”

दोनों ने मिलकर एक गुप्त योजना बनाई। वे पति-पत्नी का रूप धारण करेंगे और साधारण कपड़े पहनकर थाने में गुप्त रूप से दाखिल होंगे। डीएम ने अपनी बनियान के अंदर एक छुपा हुआ कैमरा फिट किया ताकि अंदर की सारी हरकतें रिकॉर्ड हो सकें।

दोनों ने अपना रूप रंग पूरी तरह से बदलकर थाने के गेट तक पहुंचे। गेट पर एक हवलदार बैठा था जिसने पैसे मांगे। डीएम ने पैसे दिए लेकिन हवलदार ने और ज्यादा मांगे। अंत में डीएम ने ₹400 हवलदार को थमाए और अंदर चले गए।

Jab inspector Ne IPS madam se rishwat Manga. Fir inspector Ke Sath Jo Kiya

थाने के अंदर का नजारा देखकर दोनों हैरान रह गए। इंस्पेक्टर रणवीर सिंह आराम से कुर्सी पर बैठा था और दो हवलदार उसके सिर और कंधों की मालिश कर रहे थे। माहौल ऐसा था मानो यह थाने का इंस्पेक्टर नहीं बल्कि किसी दबंग का सरगना हो।

जब डीएम ने रिपोर्ट लिखवाने की बात की, तो इंस्पेक्टर ने खुलेआम ₹5000 रिश्वत की मांग कर दी। जब पैसे देने से मना किया गया तो उसने डीएम को थप्पड़ मार दिया। हानिया अमीर का गुस्सा सातवें आसमान पर था, लेकिन उन्होंने संयम रखा क्योंकि उनका मकसद इस भ्रष्टाचार को सबूतों के साथ उजागर करना था।

इंस्पेक्टर ने कहा, “यहां मेरा कानून चलता है। पैसे दो या रिपोर्ट नहीं लिखी जाएगी।” डीएम ने कहा, “हमारे पास ₹2000 हैं, क्या उसमें रिपोर्ट लिखोगे?” इंस्पेक्टर ने गुस्से में थप्पड़ मारा।

यह सब कुछ छुपे हुए कैमरे में रिकॉर्ड हो रहा था। डीएम और आईपीएस ने संयम से काम लिया और ₹4000 इंस्पेक्टर को थमाए। इंस्पेक्टर ने कहा, “अब बताओ रिपोर्ट में क्या लिखवाना है?” डीएम ने बताया कि उनकी जमीन जमींदार ने हड़प ली है और वे न्याय चाहते हैं।

इंस्पेक्टर ने कहा, “सबूत दिखाओ, नहीं तो रिपोर्ट नहीं लिखी जाएगी।” डीएम ने कहा, “आप पुलिस हो, जनता की मदद करो।” इंस्पेक्टर ने गाली दी और रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया।

डीएम और आईपीएस ने थाने से बाहर निकलकर केस की पूरी फाइल तैयार की। अगले दिन कोर्ट में मामला पेश किया गया। कोर्ट में डीएम और आईपीएस ने सबूत पेश किए, जिसमें वीडियो भी शामिल था। वीडियो में साफ दिख रहा था कि इंस्पेक्टर रिश्वत मांग रहा है और थप्पड़ मार रहा है।

जज ने इंस्पेक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया और भ्रष्टाचार के आरोप में दस साल की सजा सुनाई। मीडिया ने इस खबर को बड़ी तेजी से फैलाया। जनता ने डीएम और आईपीएस का स्वागत किया और उन्हें धन्यवाद दिया।

हानिया अमीर ने कहा, “यह जीत सिर्फ हमारी नहीं बल्कि पूरे जिले की है। अब कोई भी अधिकारी जनता के हक के साथ खिलवाड़ नहीं करेगा।” अभिजीत वर्मा ने कहा, “न्याय हमेशा जीतता है। बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर हो, सच और सबूत के आगे उसकी हार निश्चित है।”