साहसी एसपी अंजना राठौर की कहानी

सुबह का समय था। पीली साड़ी पहने, बिल्कुल गांव की आम महिलाओं जैसी दिखने वाली एक महिला धीरे-धीरे बाजार की ओर बढ़ रही थी। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह महिला कोई और नहीं, बल्कि जिले की एसपी अंजना राठौर है। अंजना ने जानबूझकर सादा वेश धारण किया था ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। वह अपनी पुरानी यादों में खोई हुई थी और सोचा कि आज पुराने दिनों की तरह सड़क किनारे ठेले से गोलगप्पे खाए जाएं।

थोड़ा आगे बढ़ते ही उनकी नजर एक छोटे से गोलगप्पे के ठेले पर पड़ी, जहां एक लगभग पचास साल के दुबले-पतले अंकल गोलगप्पे बेच रहे थे। अंजना उनके पास पहुंची और बोली, “अंकल, एक प्लेट गोलगप्पे लगा दीजिए।” अंकल मुस्कुराए और जल्दी से तीखे गोलगप्पे उनकी प्लेट में डाल दिए। अंजना जब गोलगप्पे खाने लगीं तो उनके चेहरे पर बचपन वाली खुशी झलक रही थी। ड्यूटी और व्यस्तता के कारण उन्हें ऐसे मौके कम ही मिलते थे।

अभी वे स्वाद का आनंद ले ही रही थीं कि अचानक एक इंस्पेक्टर तीन-चार सिपाहियों के साथ वहां आया। उसने ठेले के पास जाकर गुस्से में कहा, “ओ बुड्ढे, जल्दी से पैसे निकाल।” यह सुनकर अंकल घबरा गए, हाथ कांपने लगे। हकलाते हुए बोले, “साहब, अभी तक तो कुछ कमाया ही नहीं, शाम को आ जाइए, पैसे दे दूंगा।”

इंस्पेक्टर विनोद राणा भड़क उठा और अंकल के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया। यह देखकर अंजना हैरान रह गईं। उन्होंने तुरंत बीच में आकर कहा, “रुकिए इंस्पेक्टर साहब, आप इनसे किस बात के पैसे मांग रहे हैं? किस हक से आपने इन्हें थप्पड़ मारा?” इंस्पेक्टर ने घूरते हुए कहा, “तुम बीच में मत पड़ो, ज्यादा बोलोगी तो गिरफ्तार कर लूंगा।”

अंजना ने गुस्से में कहा, “देखिए, आप जो कर रहे हैं, वह गलत है। कानून में कहीं नहीं लिखा कि आप गरीबों से वसूली करें। इसका अंजाम आपको भुगतना पड़ेगा।” यह सुनकर इंस्पेक्टर और भड़क गया। उसने गुस्से में अंजना के गाल पर भी थप्पड़ मार दिया। अंजना थोड़ी लड़खड़ा गईं, लेकिन खुद को संभाल लिया। उन्होंने कहा, “अब मैं आप पर एफआईआर दर्ज करवाऊंगी।”

इंस्पेक्टर ने धमकी दी, “ज्यादा बोलोगी तो इतना मारूंगा कि घर नहीं जा पाओगी।” फिर उसने अंकल का कॉलर पकड़ लिया, ठेले पर लात मार दी, जिससे ठेला उलट गया और सारे गोलगप्पे सड़क पर बिखर गए। बेचारे अंकल रोने लगे, घुटनों के बल बैठकर गोलगप्पे समेटने लगे। इंस्पेक्टर ने डंडे से उनकी पीठ पर भी मारा। अंकल गिड़गिड़ाने लगे, “साहब, माफ कर दीजिए, शाम को पैसे दे दूंगा।”

अंजना से यह सब सहन नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “अंकल, आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है। ये लोग गरीबों पर जुल्म ढा रहे हैं। इंस्पेक्टर साहब, अब मैं आपको आपकी औकात दिखाऊंगी।” इंस्पेक्टर हंसते हुए बोला, “तेरी इतनी हिम्मत?” और धमकी देते हुए वहां से चला गया।

अंजना अंकल के पास गईं, “अंकल, आप ठीक हैं? चिंता मत कीजिए, मैं इन पुलिस वालों को सबक सिखाऊंगी।” अंकल ने रोते हुए कहा, “बेटा, तू क्या कर लेगी? ये पुलिस वाले सालों से हम पर जुल्म करते आ रहे हैं।” अंजना ने ठान लिया, “अब बहुत हो गया, मैं इन्हें इनके गुनाहों की सजा दिलवाकर रहूंगी।”

अगली सुबह अंजना ने सादा कपड़े पहनकर थाने पहुंचीं। उन्होंने वहां मौजूद हवलदार से पूछा, “इंस्पेक्टर विनोद राणा कहां है?” तभी एसएचओ राकेश वर्मा आया। उसने पूछा, “क्या काम है?” अंजना ने कहा, “मुझे इंस्पेक्टर विनोद राणा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी है। उसने एक बुजुर्ग गोलगप्पे वाले को थप्पड़ मारा, ठेला गिरा दिया, और जब मैंने रोका तो मुझ पर भी हाथ उठाया।”

एसएचओ राकेश वर्मा बोला, “आप किसके खिलाफ रिपोर्ट लिखवा रही हैं? वह यहां का इंस्पेक्टर है, हम उसके खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख सकते। वैसे भी गरीब क्या कर लेंगे?” यह सुनकर अंजना का खून खौल उठा। उन्होंने कहा, “मुझे कानून मत सिखाइए। इस देश में हर नागरिक बराबर है। अगर आपने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो मैं आपके खिलाफ भी कार्रवाई करूंगी।”

राकेश वर्मा गुस्से में बोला, “तेरी इतनी औकात कि तू हम पर रिपोर्ट दर्ज करेगी? ज्यादा जुबान मत चला, वरना अंदर कर दूंगा।” अंजना ने उसकी आंखों में आंखें डालकर कहा, “लगता है तुम्हें और तुम्हारे इंस्पेक्टर को औकात दिखानी ही पड़ेगी। याद रखना, जब मैं लौटूंगी, तब तुम दोनों इस थाने में टिक नहीं पाओगे।” इतना कहकर वह वहां से चली गईं।

अंजना सीधा डीएम विकास यादव के ऑफिस पहुंची। पूरी घटना सुनाई और सबूत भी दिखाए – फोन रिकॉर्डिंग और सीसीटीवी फुटेज जिसमें इंस्पेक्टर की करतूतें साफ दिख रही थीं। डीएम का भी खून खौल उठा। उन्होंने कहा, “इन दोनों को सस्पेंड करना जरूरी है। मैं कल प्रेस मीटिंग बुलाऊंगा और सबके सामने इनकी करतूत उजागर करूंगा।”

अगले दिन जिले के सबसे बड़े ऑफिस में प्रेस मीटिंग रखी गई। मीडिया, नेता, अफसर, पुलिस अधिकारी सभी मौजूद थे। डीएम ने माइक उठाकर कहा, “हमारे जिले के इंस्पेक्टर विनोद राणा और एसएचओ राकेश वर्मा ने पुलिस की वर्दी पर दाग लगाया है।” फिर अंजना ने माइक संभाला, “पुलिस का काम जनता की सेवा है, न कि जुल्म करना। मैंने खुद इनके खिलाफ सबूत इकट्ठा किए हैं।” स्क्रीन पर वीडियो चला, जिसमें इंस्पेक्टर की करतूतें सबके सामने आ गईं।

मीडिया में हंगामा मच गया। नेताओं ने सख्त कार्रवाई की मांग की। डीएम ने तुरंत आदेश दिया, “इंस्पेक्टर विनोद राणा और एसएचओ राकेश वर्मा को तत्काल निलंबित किया जाता है। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। कानून से ऊपर कोई नहीं है, चाहे वह पुलिस ही क्यों न हो।”

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। मीडिया ने अंजना की बहादुरी की खूब तारीफ की। एक वरिष्ठ नेता बोले, “अंजना मैडम जैसी ईमानदार अफसर ही जिले की शान हैं।” अंजना ने कहा, “यह लड़ाई सिर्फ एक ठेले वाले के लिए नहीं थी, बल्कि हर उस गरीब के लिए थी जो सालों से अन्याय सह रहा है। अब किसी गरीब को डरने की जरूरत नहीं। कानून सबके लिए बराबर है।”

इंस्पेक्टर और एसएचओ को पुलिस सुरक्षा में थाने से बाहर ले जाया गया। उनके चेहरे पर शर्म और पछतावा साफ झलक रहा था। अंजना ने मीडिया से कहा, “आज एक मिसाल कायम हुई है। अब जिले में कोई गरीब इंसाफ के लिए दर-दर नहीं भटकेगा। जो भी जनता पर जुल्म करेगा, उसे यही अंजाम मिलेगा।”

उस दिन से पूरे जिले में चर्चा थी – एसपी मैडम ने कर दिखाया। गोलगप्पे वाले अंकल की आंखों में राहत के आंसू थे। अंजना राठौर के साहसिक कदम से पूरे जिले में संदेश गया – कानून सबके लिए बराबर है।