“भेष बदले आईपीएस मैडम को मारा दरोगा ने थप्पड़, फिर जो हुआ उसने पूरे सिस्टम को हिला दिया.

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भेष बदले आईपीएस मैडम और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई

शाम का समय था। हाईवे पर ट्रकों की लंबी कतारें थीं। गाड़ियों का शोर और हॉर्न की आवाजें माहौल को बेचैन कर रही थीं। लेकिन इस भीड़भाड़ के बीच एक ऐसा दृश्य रोज की तरह दोहराया जा रहा था, जो वहां से गुजरने वाले हर ड्राइवर की आदत बन चुका था। हाईवे के बीचों-बीच खड़ा था एक दरोगा। उसकी शक्ल पर हिकारत और जीत का मिलाजुला भाव था। वह हर गाड़ी को रोकता और पैसे वसूलता। कागज पूरे होने के बावजूद ड्राइवरों से रिश्वत ली जाती।

दरोगा का आतंक

दरोगा के लिए यह ड्यूटी नहीं बल्कि एक धंधा था। हर आने-जाने वाले से कोई न कोई कमी निकालना उसकी आदत बन चुकी थी। इंश्योरेंस की तारीख हो या गाड़ी के कागजों में मामूली गलती, वह कुछ न कुछ ऐसा ढूंढ ही लेता जिससे सामने वाला झुक जाए। जो ड्राइवर पैसे देने से मना करता, उसकी गाड़ी जब्त कर ली जाती। महीनों तक वह गाड़ी थाने में धूल खाती खड़ी रहती और ड्राइवर अपने मालिक की गालियां सुनता। ट्रक ड्राइवरों के लिए यह जगह एक डर का नाम बन चुकी थी। उनकी आंखों में बेबसी साफ झलकती थी।

एक साधारण सी महिला की एंट्री

इसी डर और मजबूरी के बीच एक सफेद रंग की कार धीरे-धीरे हाईवे पर आती दिखी। उसमें बैठी थी एक साधारण सी महिला। सूट-सलवार पहने, चेहरे पर हल्का सा दुपट्टा डाले जैसे किसी घर की गृहणी बाजार से लौट रही हो। उसके चेहरे पर थकान नहीं बल्कि एक शांत आत्मविश्वास था। उसने कार को धीमा किया और जैसे ही दरोगा ने हाथ उठाकर इशारा किया, उसने तुरंत गाड़ी रोक दी।

दरोगा अपने घमंडी अंदाज में आगे बढ़ा। उसकी नजर महिला के कपड़ों पर पड़ी और उसने मन ही मन सोचा, “आज तो आसानी से चढ़ जाएगी।” उसने वही पुराना रटा-रटाया सवाल किया, “कागज दिखाओ।” महिला ने बैग से फाइल निकाली और एक-एक करके सारे दस्तावेज उसके सामने रख दिए। आरसी, इंश्योरेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट—सब कुछ पूरा था।

दरोगा की धौंस

दरोगा ने फाइल पलटते हुए नाक-भौं सिकोड़कर कहा, “यह तो सब ठीक है, लेकिन…” वह जानता था कि “लेकिन” के बाद सामने वाला कुछ न कुछ दे ही देगा। उसने बनावटी सख्ती के साथ कहा, “लाइट का चालान बनेगा। सीधी बात करो, गाड़ी थाने जाएगी।”

महिला ने शांत स्वर में जवाब दिया, “सारे कागज पूरे हैं साहब। आप देख सकते हैं।”

दरोगा मुस्कुराया। मगर यह मुस्कान उसकी धौंस का हिस्सा थी। उसने धीमी आवाज में कहा, “देखो बहन जी, पूरे हो या अधूरे, यहां का कानून हम बताते हैं। समझदारी इसी में है कि थोड़ा बहुत कर दो वरना गाड़ी जब्त हो जाएगी।”

पास खड़े उसके चारों साथी सिपाही भी मुस्कुराते हुए तमाशा देख रहे थे। उन्हें पता था कि यह महिला भी अंत में हार मान जाएगी जैसे बाकी सब करते हैं। मगर महिला की आंखें अभी भी शांत थीं।

महिला का थप्पड़

दरोगा ने अपनी टोपी ठीक की और ऊंची आवाज में बोला, “जल्दी फैसला करो। गाड़ी थाने भेजनी है या यहीं पर बात खत्म करनी है।” उस पल हवा में अजीब सी खामोशी भर गई। सड़क पर खड़े ट्रक ड्राइवर दूर से यह मंजर देख रहे थे। उन्हें लगा कि यह औरत भी वहीं करेगी जो सब करते हैं—कुछ नोट चुपचाप बढ़ाकर मामला खत्म।

लेकिन अचानक महिला ने तेजी से अपना हाथ उठाया और दरोगा के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया। उस थप्पड़ की आवाज ने पूरे हाईवे का शोर दबा दिया। पलक झपकते ही माहौल बदल गया। ट्रक ड्राइवर और राहगीर दंग रह गए। सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं।

दरोगा की घमंड की हार

दरोगा हक्का-बक्का रह गया। उसका हाथ अनायास अपने गाल पर चला गया। थप्पड़ इतना जोरदार था कि उसके कानों में सीटी बजने लगी। उसकी घमंडी मुस्कान गायब हो चुकी थी और चेहरे पर हैरानी के साथ गुस्से की लाली फैल गई। उसके साथी सिपाही भी कुछ पल के लिए जड़ हो गए। उन्हें समझ नहीं आया कि अभी-अभी हुआ क्या है।

महिला ने ठंडी आवाज में कहा, “अबकी बार अगर किसी से वसूली करने की हिम्मत की तो यह तमाचा याद रहेगा।”

उसकी आवाज में ऐसा ठहराव था कि दरोगा का गुस्सा और भी भड़क गया। मगर भीड़ का रुख अब बदल चुका था। वो भीड़ जो अब तक खामोश रहती थी, पहली बार आवाज उठाने लगी।

महिला की असली पहचान

तभी हाईवे पर एक पुलिस जीप आकर रुकी। उसके भीतर से कुछ अफसर बाहर उतरे। उन्होंने भीड़ को हटाया और सीधा उस महिला के पास पहुंचे। “मैडम,” उनमें से एक ने झुककर कहा, “आप ठीक हैं।”

भीड़ की सांसें थम गईं। सबने सुना कि उसने इस महिला को “मैडम” कहा। लोगों में सनसनी फैल गई। “मैडम कौन मैडम? यह तो कोई अफसर लगती है।”

महिला ने कोई बड़ा ऐलान नहीं किया। बस हल्की सी मुस्कान के साथ जीप की ओर बढ़ी। भीड़ अब समझ चुकी थी कि यह साधारण औरत नहीं बल्कि जिले की नई आईपीएस अधिकारी हैं।

दरोगा और उसके साथियों की गिरफ्तारी

कुछ ही देर में आदेश आया कि दरोगा और उसके चारों साथी हथकड़ी लगाकर थाने ले जाएं। भीड़ जयकारे करने लगी। मीडिया के लोग जो वहां मौजूद थे, उन्होंने कैमरे ऑन कर दिए। इस हाईवे पर पहली बार जनता ने देखा कि इंसाफ ने खुद आकर उनके डर को तोड़ा है।

महिला ने बस इतना कहा, “यह तो बस शुरुआत है।”

थाने में सच्चाई का खुलासा

थाने में पहुंचने के बाद, आईपीएस मैडम ने सख्ती से जांच शुरू की। उन्होंने सारे रिकॉर्ड और फाइलें मंगवाईं। जांच में पाया गया कि दरोगा ने सालों से जनता को लूटने का खेल खेला था। हर गाड़ी से वसूली की जाती थी। अलमारी से लाखों रुपए की नकदी और अवैध हथियार बरामद हुए।

मैडम ने तुरंत आदेश दिया कि सारी जब्त गाड़ियां उनके मालिकों को वापस की जाएं।

जनता की जीत

भीड़ के बीच से किसान, ड्राइवर और छोटे व्यापारी अपनी शिकायतें लेकर आगे आए। सबने एक सुर में कहा, “हमने वर्षों तक इस अन्याय को सहा। आज पहली बार हमें न्याय मिला है।”

आईपीएस मैडम ने उनकी ओर देखा और कहा, “यह लड़ाई मेरी नहीं, हमारी है। अब से यह थाना जनता का है।”

न्याय की मिसाल

उस दिन हाईवे पर जो थप्पड़ गूंजा, उसने पूरे सिस्टम को हिला दिया। यह कहानी सिर्फ एक भ्रष्ट दरोगा की नहीं थी, बल्कि उस तंत्र की थी जिसने जनता को वर्षों तक दबाया। लेकिन एक महिला की हिम्मत ने यह साबित कर दिया कि सच और न्याय की ताकत सबसे ऊपर होती है।

यह घटना पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई। अखबारों की सुर्खियों में लिखा गया, “भ्रष्टाचार के खिलाफ नई आईपीएस का बड़ा एक्शन।”

उस शाम सूरज ढल रहा था। लेकिन जिले के लोगों के दिलों में पहली बार रोशनी जल उठी थी। आज उन्होंने देखा था कि एक अकेली औरत अगर सच और हिम्मत के साथ खड़ी हो तो पूरे तंत्र को हिला सकती है।

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