“वो औरत जिसने मोहब्बत के बदले शैतान को चुना — और फिर ज़िंदगी ने उसे ऐसा सबक सिखाया कि रूह कांप उठी”

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाला अदनान अपने खेतों और मेहनत से खुशहाल ज़िंदगी बिता रहा था। उसकी बीवी मरियम, जिसकी आंखों में मोहब्बत से ज्यादा लालच का साया था, शुरू में तो अदनान की दौलत और तोहफों पर फिदा रहती थी। लेकिन किस्मत ने जब करवट बदली, तो वही औरत जिसने कभी अपने शौहर की मोहब्बत को जन्नत समझा था, आज उसे जहन्नुम बनाने पर उतारू हो गई।

एक हादसे ने अदनान को अपाहिज बना दिया। उसका कारोबार तबाह हुआ, टांग टूट गई और वह व्हीलचेयर पर आ गया। जो औरत कभी उसके गले में बाहें डालती थी, अब उसी की मजबूरी पर तंज कसने लगी। “हर वक्त मुझे मत बुलाया करो,” मरियम की ये बातें अदनान के दिल को छलनी कर जातीं। मगर अदनान खामोशी से सब कुछ बर्दाश्त करता रहा।

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इसी बीच उसकी ज़िंदगी में दाखिल हुआ अदनान का दोस्त — समीर। वो अक्सर घर आता, और मरियम की नज़रों में धीरे-धीरे बसता गया। फिर वो दिन आया जब खेतों में दोनों की गुप्त मुलाकात ने सब कुछ बदल दिया। “मैं इस माजूर के साथ ज़िंदगी नहीं काट सकती,” मरियम ने समीर से कहा, और दोनों ने अदनान से पीछा छुड़ाने की साजिश रच ली।

समीर ने झूठे कागजात लेकर अदनान से दस्तखत करवाए। अदनान समझा ये उसके इलाज के कागज़ हैं, लेकिन हकीकत में वो अपनी ज़मीन समीर के नाम कर चुका था। जब सब कुछ लूट लिया गया, मरियम और समीर ने घर छोड़ दिया — बेटी को पीछे छोड़कर। अदनान फूट-फूटकर रोया, मगर उसने अपने अंदर की आग को अपनी बेटी के लिए दुआओं में बदल दिया।

दूसरी तरफ, मरियम अपने नए ख्वाबों की दुनिया में समीर के साथ चली गई। पर उसे क्या मालूम था, जिस पर वो भरोसा कर रही है, वही उसका सौदा कर चुका है। समीर ने उसे एक कोठे पर बेच दिया, जहां नाजली बाई नाम की औरत उसकी नई मालकिन थी। मरियम ने चीखते हुए रहम मांगा, लेकिन जवाब मिला — “घर से भागकर आने वाली औरतों की यही मंज़िल होती है।”

वो रात मरियम के लिए मौत से बदतर थी। जिस गुरूर पर वो नाज़ करती थी, वो मिट्टी में मिल गया। मगर उसने हार नहीं मानी। एक रात उसने अपनी जान जोखिम में डालकर कोठे से भाग निकली। नंगे पांव, खून से सने तलवों के साथ, वो भागती रही जब तक जंगल में गिरकर बेहोश नहीं हो गई।

सुबह जब आंख खुली, तो दुनिया बदल चुकी थी। अब वो न तो किसी की बीवी थी, न किसी की मां — सिर्फ एक गुमनाम औरत। भूख और दर्द से बेहाल, वो शहर की सड़कों पर भीख मांगने लगी। कभी जो दौलत में डूबी थी, आज उसी के आगे हाथ फैला रही थी। हर सिक्के की खनक उसके अतीत का ताना बन चुकी थी।

बरसों बाद एक दिन उसने सड़क पर एक बच्ची को अपनी मां के साथ देखा — वही उम्र, वही मासूमियत। मरियम का दिल तड़प उठा। आंखों से आंसू झरने लगे। उसी वक्त उसने फैसला किया कि अब और नहीं, उसे अपने गांव लौटना होगा।

रिक्शे की हिचकोलों के बीच मरियम अपने पुराने घर पहुंची। दरवाजे पर दस्तक दी — एक 9 साल की बच्ची बाहर आई। वही चेहरा, वही आंखें… उसकी अपनी बेटी। बच्ची ने कहा, “यह रोटी मेरी अम्मी ने भेजी है।” मरियम का कलेजा फट गया। तभी एक और औरत बाहर आई — साफ कपड़ों में, चेहरे पर मुस्कान लिए। वो अदनान की नई बीवी थी।

और तभी घर के बाहर एक कार आकर रुकी। उसमें से अदनान उतरा — बिल्कुल तंदुरुस्त। न वो व्हीलचेयर थी, न कमजोरी। मरियम को उसने पहचाना तक नहीं। वो अब खुश था — अपनी बेटी और नई बीवी के साथ।

मरियम के कदम लड़खड़ा गए। आंखों से आंसू बहते रहे, और होंठों से बस इतना निकला —
“यह सब मेरा ही किया धरा है…”

वो औरत जो मोहब्बत के बदले धोखा चुन बैठी थी, अब ज़िंदगी के बाज़ार में खुद बिक चुकी थी। अल्लाह का इंसाफ चुप नहीं रहता — और मरियम की कहानी इसका ज़िंदा सबूत है।