जब कंपनी की मालकिन साधारण महिला बनकर इंटरव्यू देने गई मैनेजर ने उसे बाहर निकाल दिया उसके बाद जो हुआ

कंपनी का मैनेजर जिस लड़की को गरीब समझकर सबके सामने मजाक बना रहा था, असल में वह लड़की कोई गरीब नहीं थी। बल्कि वह तो इतनी बड़ी आदमी थी जिसकी कल्पना किसी ने अपने सपने में भी नहीं की थी। और फिर जब उसकी सच्चाई सबके सामने आई तो ऐसा हुआ कि पूरी कंपनी के होश उड़ गए।

कॉर्पोरेट टावर का माहौल

उत्कर्ष समूह के कॉर्पोरेट टावर की 20वीं मंजिल का माहौल पूरी तरह गर्म था। एचआर मैनेजर अक्षत अपने शानदार केबिन में बैठा था। अक्षत ने अपने काम में बहुत सफलता हासिल की थी, लेकिन उसी सफलता ने उसे बहुत अहंकारी बना दिया था। उसे लगता था कि एचआर की कुर्सी पर बैठकर वह एक तरह का देवता है, जिसके सामने आने वाले हर उम्मीदवार को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा।

उसके दिमाग में यही बात घूमती रहती थी। जो छोटी सी असुविधा या इंतजार बर्दाश्त नहीं कर सकता, वह इस कंपनी के प्रेशर को कैसे झेलेगा। उसके लिए हर उम्मीदवार बस एक नंबर था। कोई भावना नहीं, कोई अपवाद नहीं।

वीणा का इंटरव्यू

आज का इंटरव्यू शेड्यूल रखा था। सुबह 11:00 बजे एक महिला वीणा वहां पहुंची। उसका पहनावा सादा लेकिन साफ सुथरा था। चेहरे पर एक शांत आत्मविश्वास था। वह न तो बहुत उत्साहित थी, न ही डरी हुई। लेकिन उसकी सादगी इस कॉर्पोरेट माहौल से मेल नहीं खा रही थी। रिसेप्शनिस्ट, जो किसी से फोन पर बात कर रही थी, बिना ऊपर देखे उंगली से एक ओर इशारा करते हुए बोली, “बैठिए, आपको बुलाया जाएगा।”

वीणा ने धीरे से धन्यवाद कहा और जाकर कुर्सी पर बैठ गई। शुरू में लगा थोड़ी देर की बात होगी, लेकिन वक्त धीरे-धीरे बीतता गया। आधे घंटे से ज्यादा निकल गया। आसपास बैठे उम्मीदवार बेचैन होने लगे। कोई अपनी टाई या जैकेट ढीली कर रहा था, कोई बार-बार मोबाइल में टाइम देख रहा था। सभी के चेहरे पर झुंझुलाहट थी।

अक्षत का अहंकार

बीच-बीच में कोई रिसेप्शन पर जाकर पूछता कि और कितना इंतजार करना होगा, पर जवाब हमेशा एक ही मिलता। “प्रोसेस चल रहा है। आपको बुलाया जाएगा।” वीणा चुपचाप बैठी रही। न उसने कोई सवाल किया, न शिकायत। लेकिन उसके अंदर ही अंदर गुस्से का ज्वाला बन रहा था, जो समय के साथ कभी भी फट सकता था।

तभी उस माहौल में एक अलग सी गर्माहट आई। कंपनी की जूनियर स्टाफ रीना वहां आई। उम्र लगभग 25 साल। चेहरे पर हल्की मुस्कान और आंखों में दयालुता। वह एचआर की असिस्टेंट थी और रिसेप्शन के पास ही उसका डेस्क था। उसने देखा कि वीणा बहुत देर से बैठी है। वह उसके पास आई और नरम आवाज में बोली, “नमस्ते। माफ कीजिए। क्या आपको अंदर किसी ने बुलाया नहीं?”

वीणा ने सिर उठाकर कहा, “नहीं। उन्होंने कहा है कि मुझे बुलाया जाएगा।” रीना ने उसकी फाइल उठाई, जो रिसेप्शनिस्ट ने एक किनारे पर रख छोड़ी थी, और कहा, “लगता है आपकी फाइल अब तक एचआर तक पहुंची ही नहीं।”

वीणा का धैर्य

वह सीधे रिसेप्शनिस्ट के पास गई और बोली, “कृपया इन कैंडिडेट की फाइल तुरंत अक्षत सर को भेजो।” रीना ने फाइल बढ़वाकर वापस वीणा के पास आई। बोली, “आप पानी लेंगी?” और जवाब का इंतजार किए बिना पेंट्री से पानी लाकर दे दिया। “माफ करना आपको इतनी देर इंतजार करना पड़ा। ऐसा नहीं होना चाहिए।”

वीणा ने मुस्कुराकर कहा, “कोई बात नहीं, मुझे इंतजार करने की आदत है।” रीना उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी। उसने बाकी उम्मीदवारों को भी थोड़ा संभाला। उन्हें पानी दिया और समझाया कि इंटरव्यू जल्द शुरू होगा। बाकी स्टाफर्स की इस हरकत को हैरानी से देख रहे थे, जैसे उसने कोई कॉर्पोरेट रूल तोड़ दिया हो।

अक्षत का रवैया

कुछ देर बाद अक्षत ने फोन कॉल खत्म की। एक-एक करके उम्मीदवार अंदर जाते और कुछ ही मिनटों में लौट आते। चेहरों पर निराशा के साथ वीणा का नंबर आया, पर उसे फिर भी रोक लिया गया। रीना बाहर आई और बोली, “मैम, थोड़ी देर और सर किसी जरूरी काम में हैं।”

15 मिनट और बीत गए। अब पूरा हॉल खाली था। सिर्फ वीणा, रिसेप्शनिस्ट और रीना। अक्षत ने जानबूझकर यही चाहा था कि वीणा को इंतजार करवाया जाए। और फिर थोड़ी देर बाद उसने अपने सहायक से कहा, “अब उसे बुलाओ।”

इंटरव्यू की तैयारी

वीणा को अंदर बुलाया गया। उसने दरवाजा खोला और आत्मविश्वास से अंदर गई। अंदर अक्षत अपनी लेदर चेयर पर बैठा था। साथ में दो लोग और। अक्षत ने वीणा के पहनावे को ऊपर से नीचे तक देखा, जैसे वह कोई म्यूजियम पीस हो।

उसने अपनी बंधा के साथ बात कहने से पहले जानबूझकर थोड़ी देर इंतजार किया। “मिस वीणा,” अक्षत ने अपनी आंखें सिकोड़ते हुए कहा, “आपका रेज़्यूमे तो अच्छा है, पर एक बात कहूं, आप जिस पोस्ट के लिए आई हैं, उसके लिए थोड़ा प्रेजेंटेबल होना जरूरी है। क्या आप यह नहीं जानती हैं कि यह उत्कर्ष समूह का कॉर्पोरेट टावर है। कोई सरकारी बैंक नहीं।”

वीणा की प्रतिक्रिया

वीणा ने अपनी साफ सुथरी शर्ट और पैंट पर एक नजर डाली। उसने शांत स्वर में कहा, “माफ कीजिएगा सर। मैंने इंटरव्यू के लिए सबसे अच्छी, साफ और प्रेस की हुई ड्रेस चुनी है। मैं मानती हूं कि मेरा काम मेरे कपड़े से ज्यादा मायने रखता है।”

अक्षत ने उपेक्षा से सिर हिलाया। “ओह हां, काम। लेकिन यहां दिखने का भी काम होता है। जब आप हमारे क्लाइंट से मिलेंगी तो आप उन्हें अपनी सादगी से प्रभावित नहीं कर सकतीं। कॉर्पोरेट दुनिया में आपकी ड्रेस आपकी कीमत बताती है। मैं बस यह कह रहा हूं कि अगली बार अगर आप ऐसे बड़े इंटरव्यू में आएं तो थोड़ा अच्छा पहनकर आएं।”

शिक्षा का अपमान

यह टिप्पणी वीणा की आर्थिक स्थिति पर सीधा हमला थी और उसके बगल में बैठे दोनों इंटरव्यूअर ने भी असहजता से अपनी नजरें नीचे कर लीं। इसके बाद अक्षत ने वीणा के रेज़्यूमे पर अपनी उंगली रखी और एक प्रश्न पूछा जो उसकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित था।

“मिस वीणा,” अक्षत ने अपनी आवाज में हल्की उपेक्षा लाते हुए कहा, “आपने जिस कॉलेज से पढ़ाई की है, मुझे लगता है कि मैंने उसका नाम पहले कभी नहीं सुना। क्या यह कोई सामान्य सा लोकल कॉलेज है?”

वीणा ने शांत रहने की कोशिश की। यह जानते हुए भी कि अक्षत उसकी पृष्ठभूमि पर निशाना साध रहा है। उसने विनम्रता से जवाब दिया, “सर, मेरा कॉलेज शायद उतना प्रसिद्ध न हो, लेकिन वहां की शिक्षा बहुत अच्छी है और मेरा मानना है कि मेरी योग्यता मेरे काम से साबित होगी, न कि मेरे कॉलेज के नाम से।”

अक्षत की उपेक्षा

अक्षत ने अपनी आंखें सिकोड़ी और एक व्यंगात्मक मुस्कान दी। “ओहो, बिल्कुल काम से। पर यह कॉर्पोरेट दुनिया है, मिस वीणा। यहां नाम और ब्रांड की भी वैल्यू होती है। आपको लगता है कि इस छोटे से कॉलेज की डिग्री के साथ आप हमारे जैसे बड़े क्लाइंट्स के सामने खड़ी हो सकती हैं? मुझे तो संदेह है।”

अक्षत ने आखिरी सवाल के लिए अपनी आंखें फिर से वीणा पर केंद्रित की। “ठीक है, वीणा। आखिरी सवाल।” उसने कहा, “आपने अपनी अपेक्षित सैलरी में जो फिगर लिखा है, क्या आपको सच में लगता है कि आपका अनुभव और आपकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि इस तरह की सैलरी को सही ठहराती है? यह हमारे सामान्य वेतन मान से काफी ज्यादा है।”

वीणा का आत्मविश्वास

वीणा ने बिना हिचकिचाहट के जवाब दिया, “सर, मैंने यह फिगर इस पद की जिम्मेदारियों को देखते हुए रखा है। मेरा मानना है कि मेरे पास जो स्किल और एक्सपीरियंस है, वह इस कंपनी को इससे कहीं ज्यादा वापस देगा।”

अक्षत अचानक जोर से हंसा। एक नकली तीखी हंसी। “यह मजाकिया है। आप जैसी एंट्री लेवल कैंडिडेट को लगता है कि आप यहां वैल्यू दे सकती हैं। देखिए, मैं आपको स्पष्ट कर दूं। यहां हम सैलरी कैंडिडेट की हैसियत देखकर देते हैं और अभी आप उस लायक नहीं हैं और अच्छा होगा, अभी आप अपनी उम्मीदें जमीन पर ही रखें।”

वीणा का निर्णय

यह कहकर अक्षत ने अपनी घड़ी देखी और अपनी फाइल बंद कर दी और एक झूठी मुस्कान के साथ कहा, “ठीक है, मिस वीणा। हम आपको बाद में बताएंगे।” वीणा समझ गई कि यह रिजेक्ट करने का ही तरीका है। वह बिना कोई शिकायत किए उठी। बोली, “आपके समय के लिए धन्यवाद” और बाहर चली गई।

रीना उसकी तरफ बढ़ी। चेहरे पर गहरी चिंता और अक्षत के रवैया के प्रति स्पष्ट नाराजगी। “आशा करती हूं सब ठीक रहा होगा।” उसने कहा। वीणा मुस्कुराई, लेकिन वह मुस्कान अब बहुत फीकी थी। “हां, सब ठीक था। लेकिन शायद यह जगह मेरे लिए नहीं है।”

रीना का समर्थन

रीना ने धीरे से कहा, “कोई बात नहीं। आपने कोशिश तो की।” कुछ लोग अक्षत केबिन की ओर देखकर अपनी बात पूरी नहीं की। पर उसका मतलब स्पष्ट था। फिर वह वीणा से बोली, “आप अपनी योग्यता पर संदेह न करें। आपकी विनम्रता और शांति इस जगह से कहीं ज्यादा मूल्यवान है।”

वीणा ने सिर झुकाकर धन्यवाद कहा और लिफ्ट की ओर बढ़ गई। रीना ने उसे जाते हुए देखा। उसके मन में एक गहरी उदासी थी। जैसे किसी अच्छे इंसान को इस जगह के अहंकार ने हमेशा के लिए खो दिया हो।

अगले दिन की हलचल

लेकिन अगले दिन जो होने वाला था, उसकी कल्पना किसी ने अपने सपने में भी नहीं की थी। गुड़गांव स्थित उत्कर्ष समूह के कॉर्पोरेट टावर का माहौल पूरी तरह बदल चुका था। जहां कल लापरवाही और अहंकार था, वहां अब घबराहट और बिजली जैसी फुर्ती थी।

लिफ्ट से लेकर 25वीं मंजिल के एचआर विभाग तक हर कोने में फुसफुसाहट थी। इस हलचल की वजह एक बड़ी खबर थी। कंपनी में आज एक नई सीईओ आने वाली थी। अक्षत का केबिन, जो कल तक फोन कॉल्स और आराम का अड्डा था, आज एक युद्ध कक्ष जैसा लग रहा था।

अक्षत की घबराहट

उसके चेहरे से आत्मविश्वास गायब था। अब वहां तनाव और बेचैनी की लकीरें थीं। सुबह करीब 11:15 बजे कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और सीनियर मैनेजर्स मीटिंग हॉल में जमा होने लगे। अक्षत सबसे आगे बैठा था। उसके हाथ में प्रेजेंटेशन का रिमोट था, पर उंगलियां कांप रही थीं।

11:30 बजे मीटिंग रूम का दरवाजा खुला और श्री अग्रवाल जी अंदर आए। उनके पीछे वह व्यक्ति था जिसके आने से पूरी कंपनी की हवा बदलने वाली थी। नई सीईओ दरवाजे से अंदर आते ही सबकी नजरें उसी पर टिक गईं।

अंशिका का आगमन

अक्षत ने जैसे ही देखा, एक पल के लिए उसकी आंखें स्थिर हो गईं। वह अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। उसका चेहरा पहले सफेद और फिर शर्म और घबराहट से सुर्ख हो गया। श्री अग्रवाल जी ने आगे बढ़े। एक गहरी सांस ली और बोले, “देवियों और सज्जनों, मुझे खुशी है कि मैं आपको हमारी कंपनी की नई सीईओ और मुख्य निवेशक से परिचित करा रहा हूं, जिनका नाम है मिस अंशिका।”

यह कोई और नहीं बल्कि वही अंशिका थी जिसने वीणा बनकर इंटरव्यू दिया था। जैसे ही यह घोषणा हुई, अक्षत कांप उठा और अपने गले को छूने लगा। जैसे सांस लेने में तकलीफ हो रही हो।

अंशिका का भाषण

उसके बगल में बैठे अन्य मैनेजर्स ने एक दूसरे को देखा। उनके चेहरे पर भ्रम और भय साफ झलक रहा था। कल की वही शांत साधी उम्मीदवार आज कंपनी का सबसे बड़ा चेहरा थी। यह विश्वास करना नामुमकिन था। अंशिका आगे बढ़ी और धीरे-धीरे आत्मविश्वास से भरी आवाज में बोलना शुरू किया।

“आप सभी को नमस्कार।” उसने कहा, “मैं कल यहां एक उम्मीदवार के रूप में नहीं, बल्कि एक परीक्षक के रूप में आई थी। मुझे यह देखकर निराशा हुई।” अंशिका ने कहा, “इस कंपनी के उच्च पद पर बैठे लोग चरित्र के मामले में इतने खोखले हैं जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता।”

अक्षत का सामना

“मिस्टर अग्रवाल, क्या आप जानते हैं कि आपके एचआर विभाग का क्या स्टैंडर्ड है? यहां आए लोगों को कैसे जानबूझकर अपमानित किया जाता है? उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि, उनके कपड़े, उनकी मेहनत की कमाई के लिए रखी गई उम्मीदों का कैसे मजाक उड़ाया जाता है?”

अक्षत ने कांपते हुए फुसफुसाकर कहा, “मैम, वह तो सिर्फ प्रेशर टेस्ट था।” अंशिका ने अपनी आंखें सिकोड़ी। “प्रेशर टेस्ट। मिस्टर अक्षत,” उसने जानबूझकर औपचारिक लहजे में कहा, “प्रेशर टेस्ट यह होता है कि आप विपरीत परिस्थितियों में भी एक सच्चे और ईमानदार कर्मचारी की तरह काम करें। आपने जो किया, वह कोई प्रेशर टेस्ट नहीं, बल्कि वह शुद्ध अहंकार और दुर्व्यवहार था।”

अक्षत की बर्खास्तगी

अपनी जगह से चली और सीधे अक्षत की कुर्सी के पीछे खड़ी हो गई। यह एक पावर मूव था जिसने अक्षत को तुरंत कमजोर स्थिति में ला दिया। उसने धीमी लेकिन हॉल में गूंजती आवाज में कहा, “कल मैंने यहां तीन अपमान सहे। पहला, मुझे जानबूझकर इंतजार करवाया गया। दूसरा, मेरे सादे कपड़े और कॉलेज का मजाक उड़ाया गया। और तीसरा, मेरी सैलरी की मांग को खैरात बताकर मेरी मेहनत को नीचा दिखाया गया।”

अंशिका ने अक्षत की तरफ देखा और कहा, “आप जैसी अहंकारी सोच वाला मैनेजर कंपनी की संस्कृति को जहर दे रहा है। और मैं यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकती। मैंने आपको कल ही इंसानियत के लिए रिजेक्ट कर दिया था और आज आप मेरी कंपनी के लिए भी रिजेक्ट हो चुके हैं।”

सन्नाटा और सम्मान

अक्षत कांपते हुए खड़ा हुआ। अंशिका ने बिना किसी भावना के आदेश दिया, “अक्षत, मैं आपको तत्काल प्रभाव से आपके पद से बर्खास्त करती हूं। आप तुरंत अपनी डेस्क खाली करें। हमें तुम्हारे जैसे लोगों की कोई जरूरत नहीं। हमारी कंपनी को ऐसे बॉस नहीं बल्कि ऐसे लोग चाहिए जो दूसरों का सम्मान करना जानते हों।”

हॉल में सन्नाटा छा गया। यह कड़ा सबगा था। अक्षत अपनी हार स्वीकार करते हुए सिर झुका कर और आंसुओं से भरी आंखों से हॉल से बाहर चला गया। उसका घमंड एक सेकंड में टूट चुका था।

रीना का सम्मान

अंशिका वापस सामने आई। उसकी नजरें अब रीना पर टिकी थीं, जो सदमे और खुशी के मिलेजुले भावों के साथ बैठी थी। अंशिका की आवाज अब थोड़ी नरम हुई लेकिन उसमें अभी भी अधिकार था। “अब बात करते हैं सही नेतृत्व की। कल जब पूरा एचआर विभाग अपनी पावर दिखा रहा था, एक व्यक्ति था जिसने बिना किसी पद के सिर्फ इंसानियत के नाते अपना दिल दिखाया। उसने पानी दिया, मदद की और सम्मान किया।”

अंशिका ने मुस्कुराते हुए रीना की ओर इशारा किया। “रीना, मैं आपकी दयालुता, आपकी संवेदनशीलता और आपकी विनम्रता से बहुत प्रभावित हूं। यह कंपनी सिर्फ रेज़्यूमे पर नहीं चलती। यह इंसानियत पर चलती है क्योंकि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।”

रीना की नई जिम्मेदारी

उसने हॉल में घोषणा की, “मैं रीना को उत्कर्ष समूह के नए एचआर हेड के पद पर नियुक्त करती हूं। तत्काल प्रभाव से। वह इस विभाग की संस्कृति को मानवीय बनाएगी। एक साधारण असिस्टेंट से एचआर हेड तक का उनका सफर यह साबित करता है कि पद नहीं बल्कि चरित्र ही असली योग्यता है।”

रीना खुशी के मारे रो पड़ी। हॉल तालियों से गूंज उठा। उसने उठकर अंशिका को धन्यवाद दिया, जिसकी आंखों में एक संतोष भरी चमक थी।

निष्कर्ष

उस दिन से उत्कर्ष समूह में एक नया अध्याय शुरू हुआ। जहां सिर्फ काबिलियत नहीं, इंसानियत को भी उतनी ही अहमियत दी जाती थी। और कहानी यही संदेश देती है: अहंकार हमेशा टूटने के लिए बना होता है, जबकि सच्चा चरित्र ऊंचाई पर पहुंचने का रास्ता बनाता है।

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