अदालत में सब हँसे… लेकिन बच्चे के पाँच शब्दों ने जज को रुला दिया!” 😢

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भीड़ से भरी अदालत में सन्नाटा था। हर किसी की नजर उस छोटे से लड़के पर थी, जो मुश्किल से 10 साल का लगता था। उसके फटे कपड़े, बिखरे बाल और हाथों में एक पुरानी, घिसी हुई फाइल, मानो उसकी पूरी दुनिया का बोझ समेटे हुए थे। उस लड़के का नाम आर्यन था, और आज वह अपने पिता के लिए न्याय मांगने आया था। उसके छोटे-छोटे कदम, जो आमतौर पर खेल के मैदान में दौड़ते थे, आज अदालत के संगमरमरी फर्श पर धीरे-धीरे बढ़ रहे थे, जैसे हर कदम पर कोई अदृश्य शक्ति उसे खींच रही हो। वह धीरे-धीरे कदम बढ़ाता हुआ जज की मेज के सामने पहुंचा, उसकी नजरें सीधी जज पर टिकी थीं, जिनमें डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी दृढ़ता थी।

कोर्ट रूम में हल्की फुसफुसाहट गूंज उठी। वकील अपनी फाइलों में से सिर उठाकर उसे देखने लगे, पत्रकार अपने नोटपैड पर कुछ लिखने लगे, और आम जनता, जो रोजमर्रा के मामलों को देखने आई थी, अब इस छोटे से लड़के में अपनी सारी दिलचस्पी दिखा रही थी। जज, एक अनुभवी व्यक्ति जिनकी उम्र के साथ-साथ उनके चेहरे पर न्याय की लकीरें खिंच चुकी थीं, ने ऐनक को उतार कर उसे गौर से देखा। उनकी गहरी आंखों में पहले तो हैरानी थी, फिर एक हल्की सी उत्सुकता।

“तुम यहां क्या करने आए हो बच्चे?” जज ने अपनी गंभीर आवाज में पूछा, जिसमें आमतौर पर एक अधिकार होता था, लेकिन आज उसमें एक हल्की सी नरमी थी।

लड़के ने कांपती आवाज में जवाब दिया, “मैं केस दर्ज करवाने आया हूं, सर।” उसकी आवाज इतनी धीमी थी कि कुछ ही लोग उसे सुन पाए।

जज ने अपनी भौंहें चढ़ाईं, “केस? कौन सा केस?”

लड़के ने अपनी आवाज में थोड़ी और हिम्मत भरते हुए कहा, “मेरे पापा की मौत का, सर।”

पूरा कोर्ट रूम कुछ पल के लिए शांत हो गया। एक अजीब सी चुप्पी छा गई, जिसे सिर्फ आर्यन की बात ने तोड़ा था। फिर सामने बैठे एक वकील, जो सिंह इंडस्ट्रीज का प्रतिनिधित्व कर रहा था, और जिसकी महंगी सूट और आत्मविश्वास भरी मुस्कान उसकी हैसियत को दर्शा रही थी, हंसते हुए बोला, “यह बच्चा अदालत में केस लड़ने आया है! लगता है टीवी देखकर हीरो बन गया है।” उसके साथ बैठे कुछ और वकील और पीछे बैठे लोग भी मुस्कुरा उठे, मानो यह कोई नाटक चल रहा हो।

जज ने गंभीर स्वर में कहा, “शांति बनाए रखिए!” उनकी आवाज में अब थोड़ी सख्ती थी। फिर उन्होंने बच्चे की ओर देखकर बोले, “बेटा, तुम्हारे पापा की मौत कैसे हुई?”

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लड़का बोला, “वो सिंह इंडस्ट्रीज में काम करते थे, सर। वहां मशीन खराब थी। उन्होंने कई बार शिकायत की थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अगले दिन वही मशीन फट गई। सब ने कहा हादसा है, लेकिन वह हादसा नहीं था, सर। वो साजिश थी।” उसकी आवाज में अब कोई कंपन नहीं था, सिर्फ सच्चाई का दृढ़ विश्वास था।

यह सुनकर एक ठहाका गूंज उठा। सिंह इंडस्ट्रीज के नाम से ही सब चुप हो गए। वह शहर की सबसे बड़ी कंपनी थी, जिसके मालिक राकेश सिंह थे। उनका नाम लेते ही बड़े-बड़े अफसरों की रफ्तार धीमी हो जाती थी, और उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत कोई नहीं करता था। कंपनी के वकील ने मुस्कुराकर कहा, “माय लॉर्ड, बच्चे की बातों का कोई आधार नहीं। यह सिर्फ एक भावनात्मक कोशिश है। अदालत में सबूत चाहिए, कहानियां नहीं।”

आर्यन ने धीरे से अपनी पुरानी फाइल आगे बढ़ाई। “यह मेरे पापा की डायरी है और यह उनका फोन। उन्होंने कुछ रिकॉर्ड किया था।”

वकील ने फिर से उपहास करते हुए कहा, “माय लॉर्ड, यह तो खिलौना फोन है। इसमें कौन सा सबूत होगा?”

लेकिन जज ने इस बार वकील को रोका और कहा, “चलाइए। देखें क्या है इसमें।” एक पुलिस अधिकारी ने फोन को कोर्ट सिस्टम से जोड़ा। स्क्रीन पर प्ले दबाया गया। कुछ सेकंड बाद आवाज आई, “आर्यन, अगर मुझे कुछ हो जाए तो डरना मत। सच हमेशा जीतता है।” इसके बाद अचानक एक तेज धमाके की आवाज और किसी की चीख सुनाई दी। पूरा कोर्ट हॉल खामोश हो गया। जज की आंखें गंभीर हो उठीं, उनके चेहरे पर एक ऐसी भावना थी जिसे पढ़ना मुश्किल था।

लड़का बोला, “वो मेरे पापा थे, सर। उन्होंने यह रिकॉर्डिंग हादसे से ठीक पहले की थी।”

वकील ने फिर से अपनी चाल चली, “माय लॉर्ड, यह रिकॉर्डिंग किसी भी मोबाइल में डाली जा सकती है। तकनीकी जांच के बिना यह सब झूठ है।”

लड़का बोला, “सर, मेरे पास और भी है। मेरे पापा की डायरी में लिखा है कि उन्होंने रिपोर्ट दी थी, लेकिन कंपनी ने उसे दबा दिया।”

जज ने डायरी को अपने पास मंगवाया। वह एक पुरानी, छोटी डायरी थी, जिसके कुछ पन्ने पुराने थे, कुछ आधे जले हुए थे, और हर पेज पर स्याही फैली हुई थी। लेकिन शब्द साफ थे, “अगर मैंने आवाज उठाई तो मुझे हटाया जाएगा। लेकिन सच बोलना मेरा फर्ज है।” कोर्ट रूम में हवा भारी हो गई, मानो हर कोई उस डायरी के शब्दों को महसूस कर रहा था।

जज ने डायरी को बंद किया और बोले, “बेटा, तुम्हारे साथ कोई वकील नहीं है?”

आर्यन ने सिर हिलाया, “नहीं सर, मैं खुद आया हूं।”

“क्यों?” जज ने पूछा।

“क्योंकि सब डर गए। किसी ने मेरा केस लेने से मना कर दिया। बोले, सिंह इंडस्ट्रीज के खिलाफ लड़ना मुश्किल है।” आर्यन की आवाज में अब कोई डर नहीं था, सिर्फ एक कड़वी सच्चाई थी।

जज कुछ पल के लिए खामोश रहे। फिर बोले, “क्या तुम समझते हो कि अदालत में केस कैसे लड़ा जाता है?”

लड़का बोला, “नहीं सर। लेकिन मैं यह जानता हूं कि अगर मैं चुप रहा तो मेरे पापा का नाम हमेशा गलत कहलाएगा। मैं उन्हें गलत नहीं कहलाने दे सकता।” जज की नजरें गहरी हो गईं, उनके मन में कुछ चल रहा था।

वकील ने फिर बीच में कहा, “माय लॉर्ड, यह भावनात्मक दबाव है। एक बच्चे को अदालत में बोलने देना न्याय व्यवस्था का मजाक बनाना है। मैं निवेदन करता हूं कि यह केस तत्काल खारिज किया जाए।”

जज ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने बच्चे की तरफ देखा। वह खड़ा था, हाथ कांप रहे थे, लेकिन आंखों में आंसू नहीं थे। लड़का धीरे से बोला, “सर, मैं बस इतना चाहता हूं कि मेरे पापा को दोषी न कहा जाए। उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था।” भीड़ में किसी ने ताली बजाने की कोशिश की पर तुरंत रुक गया, शायद अदालत के नियमों का सम्मान करते हुए।

जज ने कहा, “आर्यन, तुम्हारे पापा की मौत की रिपोर्ट हमारे पास है। उसमें हादसे का जिक्र है, हत्या का नहीं।”

लड़के ने कहा, “वो रिपोर्ट झूठी है, सर। उसमें जो नाम लिखा है वो मेरे पापा का नहीं है। उनके हस्ताक्षर तक नकली हैं।”

जज ने रिपोर्ट मंगवाई। कुछ देर बाद दस्तावेज लाया गया। लड़के ने उंगली रखकर कहा, “देखिए, यह साइन उनके नहीं हैं। मेरे पापा का हस्ताक्षर ऐसे होता था।” उसने अपनी डायरी के आखिरी पन्ने पर असली साइन दिखाया। दोनों में फर्क साफ था। वकील का चेहरा थोड़ा उतर गया, उसकी आत्मविश्वास भरी मुस्कान अब गायब हो चुकी थी।

जज ने कहा, “यह रिपोर्ट फॉरेंसिक जांच के लिए भेजी जाएगी।” भीड़ में सरगोशियां होने लगीं। कई लोग पहली बार सोच में पड़ गए कि शायद बच्चा सच बोल रहा है। वकील ने गुस्से में कहा, “माय लॉर्ड, यह सब हमारे क्लाइंट की इज्जत पर धब्बा लगाने की कोशिश है। हम इस बच्चे के खिलाफ मानहानि का केस दायर करेंगे।”

लड़का पीछे हट गया लेकिन फिर बोला, “अगर सच बोलना गुनाह है तो मैं फिर से बोलूंगा।” पूरा कोर्ट रूम सन्न रह गया। वह शब्द छोटे थे, लेकिन उनमें हिम्मत का एक पहाड़ छिपा था।

जज ने धीरे से अपनी गवेल उठाई और कहा, “अगली सुनवाई में और सबूत पेश करें। तब तक यह केस बंद नहीं होगा।” गवेल की ठकठक के साथ अदालत की कार्यवाही खत्म हुई। आर्यन धीरे-धीरे बाहर निकला। बाहर पत्रकारों का झुंड खड़ा था। एक ने पूछा, “क्या तुम्हें लगता है तुम जीत पाओगे?”

आर्यन ने बस मुस्कुरा कर कहा, “मुझे नहीं पता मैं जीतूंगा या नहीं। लेकिन मैं झूठ को जीतने नहीं दूंगा।” उसके चेहरे पर वही मासूमियत थी, पर भीतर एक परिपक्वता थी जो उसकी उम्र से कहीं बड़ी थी। वह भीड़ के बीच से होकर निकल गया। अकेला, लेकिन मजबूत। उस दिन अदालत के कई दिलों में एक सवाल रह गया: क्या सच बोलने के लिए बड़ा होना जरूरी है?

अगली सुनवाई के दिन अदालत पहले से ज्यादा भरी हुई थी। मीडिया, वकील, दर्शक – सब उस छोटे से लड़के को देखने आए थे जिसने पिछली बार पूरी अदालत को चुप कर दिया था। कैमरे चमक रहे थे, फ्लैश की रोशनी से कोर्ट रूम जगमगा रहा था। हर चैनल पर हेडलाइन चल रही थी: “10 साल का बच्चा न्याय की लड़ाई में।”

जज साहब अंदर आए। उनके चेहरे पर गंभीरता थी, लेकिन भीतर कुछ बदल चुका था। पिछली सुनवाई के बाद उन्होंने रात भर आर्यन के केस के बारे में सोचा था, उसके शब्दों और उसकी आंखों में छिपी सच्चाई ने उनके मन को झकझोर दिया था।

“आर्यन,” उन्होंने कहा, “क्या तुम्हारे पास अब कोई नया सबूत है?”

लड़का धीरे-धीरे उठा। उसके हाथ में वही पुरानी फाइल थी, लेकिन इस बार उसकी आंखों में डर नहीं था, बल्कि एक शांत आत्मविश्वास था। “जी सर,” उसने कहा, “मेरे पापा की डायरी के आखिरी पन्ने पर कुछ लिखा है जो सबको जानना चाहिए।” वह डायरी लेकर आगे बढ़ा।

वकील ने तुरंत कहा, “माय लॉर्ड, पिछली बार हमने यह साफ कर दिया था कि यह डायरी प्रमाण नहीं है। यह किसी ने भी लिखी हो सकती है।”

जज ने इस बार वकील को दृढ़ता से रोका, “चलिए, बच्चे को बोलने दीजिए।”

आर्यन ने धीरे से डायरी खोली और पन्ना पढ़ना शुरू किया। उसमें लिखा था, “अगर मुझे कुछ हो जाए तो समझना मैंने सच बोलने की कीमत चुकाई है। लेकिन याद रखना आर्यन, झूठ ताकतवर होता है मगर सच अमर होता है।”

पूरा कोर्ट रूम चुप था। वकील ने हंसने की कोशिश की, एक सूखी, बेजान हंसी। “माय लॉर्ड, भावनाओं से कानून नहीं चलता।”

आर्यन ने सिर उठाकर कहा, “तो क्या इंसानियत भी सिर्फ सबूतों में गिनी जाती है, सर?” यह सवाल सीधा जज के दिल में उतर गया। भीड़ में बैठे लोग अब हंस नहीं रहे थे। हर चेहरा गंभीर था, कुछ लोगों की आंखों में नमी साफ दिख रही थी।

लड़का बोला, “मेरे पापा कंपनी की मशीनों में गड़बड़ी के बारे में बताते थे। उन्होंने कई बार रिपोर्ट दी थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अगले दिन वही मशीन फट गई। सब ने कहा हादसा था, लेकिन सर, हादसा तब होता है जब कोई गलती से मरता है। यहां गलती नहीं, गुनाह हुआ था। जानबूझकर मेरे पापा की जान ली गई, क्योंकि वह सच बोल रहे थे।”

वकील बीच में चिल्लाया, “आपत्तिजनक बयान है यह! बच्चा झूठ फैला रहा है!”

जज ने हाथ उठाकर कहा, “शांति रखिए।” फिर उन्होंने बच्चे से पूछा, “क्या तुम्हारे पास कोई तकनीकी सबूत है?”

आर्यन ने सिर झुका कर कहा, “मेरे पास पैसे नहीं थे, सर। लेकिन मेरे पास मेरे पापा के आखिरी शब्द हैं और मुझे भरोसा है कि वही सबसे बड़ा सबूत है।” वह आगे बढ़ा, जज की तरफ सीधा देखा और बोला, “मेरे पापा निर्दोष थे, सर। उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। वो सिर्फ सच बोलते थे, इसलिए मारे गए।”

भीड़ के बीच से किसी महिला के सिसकने की आवाज आई। मीडिया के कैमरे अब उसकी ओर नहीं, बल्कि जज पर टिके थे, जिनकी आंखों में हल्की नमी थी। वकील ने हार न मानते हुए कहा, “माय लॉर्ड, इस तरह की भावनात्मक बातों से कानून नहीं चलता। यह बच्चा अदालत को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।”

जज ने धीमी आवाज में कहा, “कभी-कभी सच्चाई खुद को साबित नहीं करती, बस महसूस कराई जाती है।” फिर उन्होंने आर्यन से पूछा, “तुम इस केस से क्या चाहते हो?”

लड़का कुछ देर चुप रहा। उसकी आंखें भीगने लगीं, लेकिन उसकी आवाज मजबूत थी। “मैं कुछ नहीं चाहता, सर। बस पांच शब्द कहने हैं।” पूरा कोर्ट रूम खामोश हो गया। सभी कैमरे उसके चेहरे की ओर थे।

आर्यन ने गहरी सांस ली और बोला, “मेरे पापा निर्दोष थे, सर।”

पांच शब्द। पर उनमें ऐसा भार था कि अदालत की हवा बदल गई। जज की उंगलियां कांप गईं। उन्होंने गवेल पर हाथ रखा, लेकिन मारा नहीं। उनकी आंखों से आंसू निकल आए और उन्होंने धीमे स्वर में कहा, “न्याय सिर्फ कानून की किताबों में नहीं होता। कभी-कभी वह एक बच्चे की सच्चाई में छिपा होता है।” वकील कुछ कहने ही वाले थे, लेकिन शब्द गले में अटक गए।

जज ने आदेश दिया, “यह मामला अब बंद नहीं रहेगा। इस दुर्घटना की दोबारा जांच होगी और जिम्मेदारों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।” कोर्ट में तालियां नहीं बजाई जा सकतीं, लेकिन आज किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की। लोगों ने तालियां बजाईं, कुछ ने सिर झुका लिया और मीडिया के कैमरे चमक उठे।

आर्यन खड़ा था। आंखों में आंसू थे, लेकिन होठों पर मुस्कान। वह धीरे से बोला, “धन्यवाद सर। अब मेरे पापा चैन से सो पाएंगे।”

जज ने गवेल मारा, लेकिन इस बार आवाज में कठोरता नहीं, सुकून था। “अदालत स्थगित की जाती है,” उन्होंने कहा और धीरे-धीरे उठे।

जब सब जाने लगे, आर्यन अब भी वहीं खड़ा था। एक रिपोर्टर ने उसके पास आकर पूछा, “तुम्हें कैसा लग रहा है?”

वह मुस्कुराया, “जैसे मैंने अपने पापा की बात सुन ली हो। उन्होंने कहा था, ‘सच की उम्र लंबी होती है।’ आज मुझे समझ आया कि सच कभी मरता नहीं।” वह कोर्ट के बाहर निकला। आसमान में बादल छाए थे, लेकिन हवा हल्की और सुकून भरी थी। सड़क पर कुछ लोग उसे देखकर सिर झुका रहे थे, कुछ बच्चे उसकी ओर देख मुस्कुरा रहे थे। एक बूढ़े चौकीदार ने उसके पास आकर कहा, “बेटा, तेरे पापा बड़े आदमी थे।”

आर्यन ने जवाब दिया, “नहीं चाचा, वो बस अच्छे इंसान थे। और आज दुनिया ने मान लिया।” वह चला गया। हाथ में वही पुरानी डायरी, दिल में अपने पापा की याद लिए। उसके कदम छोटे थे, मगर हर कदम एक कहानी कह रहा था कि जब सच्चाई बोलने की हिम्मत किसी बच्चे में हो तो सबसे बड़ी अदालत भी झुक जाती है। और उस दिन अदालत की दीवारों ने जो सुना, वो इतिहास बन गया। पांच शब्दों की गूंज जिसने एक जज को रुला दिया: “मेरे पापा निर्दोष थे, सर।”