अमिताभ बच्चन: संघर्ष, हादसा और महानता की मिसाल

भूमिका

भारतीय सिनेमा के महानायक, अमिताभ बच्चन का जीवन किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। उनके जीवन में जितने उतार-चढ़ाव, संघर्ष, दर्द और सफलता रही है, उतना ही प्रेरणादायक उनका व्यक्तित्व भी है। उनके जीवन की सबसे बड़ी घटना, 1983 में फिल्म ‘कुली’ के सेट पर हुआ हादसा, आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में टीस पैदा करता है। यह लेख अमिताभ बच्चन के जीवन, परिवार, करियर और उस हादसे के इर्द-गिर्द घूमती उनकी जिजीविषा को समर्पित है।

परिवार और बचपन

अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता, हरिवंश राय बच्चन, हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि थे, जिनकी रचना ‘मधुशाला’ आज भी साहित्य प्रेमियों की जुबान पर रहती है। उनकी मां, तेजी बच्चन, एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं और कराची से ताल्लुक रखती थीं। अमिताभ का असली नाम ‘एकलव्य’ रखा गया था, जो स्वतंत्रता संग्राम के नारे से प्रेरित था, लेकिन कवि सुमित्रानंदन पंत ने इसे बदलकर ‘अमिताभ’ रखा, जिसका अर्थ है ‘शाश्वत प्रकाश’।

बच्चन परिवार ने उपनाम ‘श्रीवास्तव’ छोड़कर ‘बच्चन’ अपनाया, जो अब उनकी पहचान बन चुका है। अमिताभ के छोटे भाई अजीताभ और मां तेजी को थिएटर का बेहद शौक था, जिसने अमिताभ को भी स्टेज और अभिनय की ओर आकर्षित किया।

शिक्षा और शुरुआती संघर्ष

अमिताभ ने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज हाई स्कूल से पढ़ाई की, फिर नैनीताल के शेरवुड कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली। हालांकि, उनका सपना अभिनेता बनने का था। 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता की शिपिंग कंपनी की नौकरी छोड़ दी और मुंबई का रुख किया, जहां उनका संघर्ष शुरू हुआ।

3 जून 1973 को उन्होंने अभिनेत्री जया भादुरी से बंगाली रीति-रिवाज से शादी की। उनके दो बच्चे हैं—श्वेता नंदा और अभिषेक बच्चन। अभिषेक की शादी ऐश्वर्या राय से हुई, और बच्चन परिवार आज भी बॉलीवुड की सबसे मजबूत और प्रतिष्ठित फैमिली में गिनी जाती है।

करियर की शुरुआत और संघर्ष

अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1969 में फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से की। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, लेकिन उन्हें बेस्ट न्यू कमर का नेशनल अवार्ड मिला। इसके बाद 1971 में ‘आनंद’ फिल्म में राजेश खन्ना के साथ सहायक भूमिका निभाई और बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड जीता।

शुरुआती सात साल उनके लिए संघर्ष भरे रहे। ‘परवाना’, ‘रेशमा और शेरा’, जैसी फिल्में फ्लॉप रहीं। लेकिन 1973 में ‘जंजीर’ ने उन्हें ‘एंग्री यंग मैन’ की पहचान दिलाई। प्रकाश मेहरा की इस फिल्म में अमिताभ ने इंस्पेक्टर विजय का किरदार निभाया। इसी साल उनकी शादी जया भादुरी से हुई और दोनों ‘अभिमान’ में साथ नजर आए। ‘नमक हराम’ में फिर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

सुपरस्टार की पहचान

1974-75 में ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘मजबूर’, ‘चुपके-चुपके’, ‘फरार’, ‘मिली’ जैसी दमदार फिल्में आईं। लेकिन ‘दीवार’ और ‘शोले’ ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। ‘दीवार’ में शशि कपूर के साथ और ‘शोले’ में धर्मेंद्र, संजीव कुमार के साथ जय की भूमिका निभाई। ‘शोले’ भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी।

1976 से 1983 तक का समय अमिताभ बच्चन के करियर का स्वर्णिम दौर था। ‘कभी-कभी’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘डॉन’, ‘त्रिशूल’, ‘कसमें वादे’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी फिल्में लगातार हिट होती रहीं। 1978 में तो उन्होंने लगातार चार सुपरहिट फिल्में दीं।

1983: कुली का हादसा और मौत से जंग

26 जुलाई 1983 को बेंगलुरु में ‘कुली’ फिल्म की शूटिंग के दौरान एक सीन में अमिताभ बच्चन को खुद स्टंट करना था। वे मेज पर कूदे, लेकिन कोना उनके पेट पर लग गया और उनकी आंतें फट गईं। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत इतनी गंभीर हो गई कि उनके जीवित रहने की उम्मीदें कम होने लगीं। देशभर में दुआओं का सिलसिला शुरू हो गया। मंदिरों में पूजा, अस्पताल के बाहर प्रशंसकों की कतारें, हर कोई उनकी सलामती की दुआ कर रहा था।

निर्देशक मनमोहन देसाई ने फिल्म का एंडिंग बदल दिया और अमिताभ के किरदार को जिंदा रखा। यह हादसा उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। वे मौत के मुंह से वापस लौटे। इस घटना ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को भावुक कर दिया।

परिवार का संघर्ष और जया बच्चन की मजबूती

इस हादसे के समय अमिताभ बच्चन अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे। उनकी पत्नी जया बच्चन ने बच्चों को किसी भी सदमे से बचाने के लिए अस्पताल जाने को खुशनुमा बनाने की कोशिश की। अभिषेक बच्चन, जो उस वक्त मात्र 6 साल के थे, ने हाल ही में उस दौर के भावुक किस्से साझा किए।

अभिषेक ने बताया कि वे अपनी बहन श्वेता के साथ होटल में थे और पापा के शूटिंग से लौटने का इंतजार कर रहे थे। जब अमिताभ लौटे, तो उनके साथ कई लोग थे जो उन्हें चलने में मदद कर रहे थे। अभिषेक उन्हें गले लगाने गए, लेकिन अमिताभ ने उन्हें धक्का दे दिया, क्योंकि उन्हें बहुत दर्द था। अभिषेक को नहीं पता था कि पापा को चोट लगी है और वे पूरी रात उनसे नाराज रहे।

अभिषेक ने आगे बताया कि उनकी मां जया बच्चन ने बच्चों को अस्पताल की गंभीरता से दूर रखने के लिए उसे खेल बना दिया था। वे मास्क पहनकर डॉक्टर-डॉक्टर खेलते थे और अमिताभ के शरीर में लगी ड्रिप को पतंग बताते थे। जया बच्चन ने कभी भी बच्चों के सामने आंसू नहीं बहाए। अभिषेक ने कहा कि परिवार के एकजुट रहने का असली कारण उनकी मां ही थीं। उन्होंने कभी अपनी मां को रोते या उदास नहीं देखा। जया ने पूरे माहौल को सामान्य बनाए रखा, जबकि अंदर ही अंदर वे सबसे ज्यादा टूट रही थीं।

राजनीति और अन्य उपलब्धियां

अमिताभ बच्चन सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि प्लेबैक सिंगर, प्रोड्यूसर, टीवी होस्ट और सांसद भी रहे हैं। 1984 से 1987 तक वे इलाहाबाद से लोकसभा सांसद रहे। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में उनका “देवियों और सज्जनों” आज भी आइकॉनिक है।

उनका करियर 1969 में ‘सात हिंदुस्तानी’ से शुरू हुआ, लेकिन असली पहचान ‘जंजीर’, ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘डॉन’, ‘त्रिशूल’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘शहंशाह’, ‘अग्निपथ’ जैसी फिल्मों से मिली। आज वे 83 साल की उम्र में भी फिल्मों, टीवी शो और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।

जीवन का संदेश और विरासत

अमिताभ बच्चन का जीवन संघर्ष, हादसा और जीत की मिसाल है। उन्होंने हर कठिनाई का सामना हिम्मत और धैर्य से किया। उनका परिवार, खासकर जया बच्चन, हमेशा उनके साथ मजबूती से खड़ा रहा। उनके बच्चों ने भी परिवार की एकता, प्रेम और संघर्ष से बहुत कुछ सीखा।

उनका जीवन हर किसी को यह संदेश देता है कि कठिन समय में परिवार का साथ, सकारात्मक सोच और जिजीविषा सबसे बड़ी ताकत होती है। अमिताभ बच्चन आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में राज करते हैं और उनकी जिंदादिली, मेहनत और विनम्रता हर किसी के लिए प्रेरणा है।

निष्कर्ष

अमिताभ बच्चन का सफर सिर्फ एक अभिनेता का नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान का है जिसने अपने जीवन में हर मुश्किल को पार किया, हर दर्द को सहा और हर सफलता को विनम्रता से स्वीकार किया। उनका परिवार, उनके प्रशंसक और पूरा देश उनके संघर्ष और महानता को सलाम करता है।

उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हिम्मत, परिवार का साथ और सकारात्मक सोच से सबकुछ पार किया जा सकता है। अमिताभ बच्चन की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी।

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