करु में हुई भीषण भगदड़ पर रिपोर्ट

घटना का सारांश

हाल ही में करु में एक सार्वजनिक रैली के दौरान हुई भगदड़ ने 39 लोगों की जान ले ली। यह रैली टीवीके प्रमुख और अभिनेता विजय द्वारा संबोधित की जा रही थी। पुलिस ने बताया कि इस घटना में 51 लोग विभिन्न अस्पतालों में आईसीयू में भर्ती हैं। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस अरुणा जगदीश की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है।

घटना का विवरण

पुलिस के अनुसार, टीवीके ने इस रैली के लिए 10,000 लोगों की उम्मीद की थी और इसी आधार पर 500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। इनमें से 350 पुलिसकर्मी रैली स्थल पर और 150 रास्ते में तैनात थे। लेकिन रैली में विजय के साथ उनके समर्थकों की संख्या 27,000 से अधिक हो गई, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई। विजय का काफिला निर्धारित समय से 7 घंटे देर से पहुंचा, जिससे स्थिति बिगड़ गई।

पुलिस ने आरोप लगाया कि टीवीके ने रैली के लिए निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण शर्तें थीं: काफिले के पीछे कोई नहीं चलेगा, सार्वजनिक स्वागत नहीं होगा, और रैली में गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और विकलांग लोग नहीं होंगे। पिछले तीन हफ्तों में इन शर्तों का उल्लंघन लगातार होता रहा है।

जांच और प्रतिक्रियाएं

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस त्रासदी पर शोक व्यक्त किया और मृतकों के परिवारों से मिले। उन्होंने घायलों का भी हालचाल लिया। विपक्ष के नेता ईपीएस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह विपक्षी पार्टियों को अनुमति देने में दोहरा मापदंड अपना रही है।

इस बीच, डॉक्टरों और अधिकारियों को करु और आस-पास के जिलों से बुलाया गया है। पुलिस ने टीवीके के करु पश्चिम जिला सचिव माड़ी आलागन के खिलाफ हत्या के प्रयास, हत्या के लिए दोषी ठहराने और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप लगाए हैं।

राजनीतिक दृष्टिकोण

इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। कई राजनीतिक नेताओं ने इस घटना की निंदा की है और इसे सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति लापरवाही का उदाहरण बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, तमिलनाडु के गवर्नर और अन्य नेताओं ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया है। गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है।

निष्कर्ष

यह घटना भारतीय राजनीति के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होने जा रही है। एक राजनीतिक रैली में हुई इस भगदड़ ने 39 लोगों की जान ले ली और कई लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। अब यह देखना होगा कि जांच आयोग इस मामले में क्या निष्कर्ष निकालता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

इस भयानक त्रासदी ने न केवल परिवारों को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे राज्य और देश को एक गहरी चिंता में डाल दिया है। सभी की नजरें इस बात पर हैं कि सरकार और पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।