कहानी: अपमान का प्रतिशोध

प्रस्तावना

दोस्तों, क्या आप जानते हैं सबसे बड़ा जख्म कौन देता है? गरीबी नहीं, भूख नहीं, बल्कि इंसान का अपमान। आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाएंगे जो सेंट जोसेफ स्कूल में घटित हुई और जिसने सभी को हिला कर रख दिया।

पेरेंट्स मीटिंग

सेंट जोसेफ स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग चल रही थी। बच्चे अपने रिजल्ट के साथ बैठे थे, माता-पिता कुर्सियों पर थे, और मंच पर प्रिंसिपल मिसेज कपूर और बाकी टीचर्स मौजूद थे। हॉल में चहल-पहल थी। अचानक, दरवाजे पर एक दुबला-पतला बूढ़ा खड़ा हुआ। यह रामू चपरासी था, जिसके चेहरे पर झुर्रियाँ और आंखों में बेचैनी थी।

रामू ने हिम्मत करके कदम बढ़ाए ही थे कि प्रिंसिपल की तेज आवाज गूंजी, “रामू, तुम यहां क्या कर रहे हो? यह मीटिंग पेरेंट्स के लिए है। तुम्हारे लिए नहीं। बाहर जाओ!” पूरा हॉल सन्न रह गया। कुछ लोग हंस पड़े और फुसफुसाने लगे, “यह तो चपरासी है। अंदर क्या करने आया?”

रामू का अपमान

रामू के होंठ कांपने लगे। उसने झिझकते हुए कहा, “मैडम, मेरी भी बेटी इसी स्कूल में पढ़ती है। आज उसका रिजल्ट है। मैं बस सुनना चाहता हूं।” लेकिन मिसेज कपूर का चेहरा और सख्त हो गया। “तुम्हारी औकात नहीं कि इस मीटिंग में बैठ सको। बाहर जाओ, वरना सिक्योरिटी बुलाऊंगी।”

रामू का गला सूख गया और उसकी आंखों में आंसू भर आए। वह पीछे मुड़ने ही वाला था कि तभी अचानक पीछे से एक तेज आवाज आई। “बस बहुत हो गया!” पूरा हॉल सन रह गया। स्कूल की सबसे सख्त लेकिन ईमानदार टीचर रीमा मैडम मंच के कोने पर खड़ी थी।

रीमा का साहस

रीमा ने गूंजती आवाज में बोली, “मैम, आपको शर्म नहीं आती? जो इंसान इस स्कूल की नींव में पिछले 20 साल से खड़ा है, उसे आप सबके सामने अपमानित कर रही हैं।” मिसेज कपूर भड़क गईं। “रीमा, तुम्हें नहीं पता तुम किससे बात कर रही हो। यह स्कूल का चपरासी है।”

लेकिन रीमा ने बीच में ही हाथ उठाया और बोली, “चुप रहो। अब सच्चाई सबके सामने आएगी।” भीड़ में हलचल मच गई। किसी ने सोचा भी नहीं था कि रीमा मैडम मिसेज कपूर को ऐसे ललकारेंगी।

रामू की कहानी

रीमा रामू के पास गई। उसके कांपते कंधे पर हाथ रखा और सबकी ओर देखकर बोली, “तुम लोग सोचते हो कि यह सिर्फ चपरासी है? किसी को पता है इसकी बेटी कौन है?” चारों तरफ खामोशी छा गई। रीमा की आवाज भारी हो गई। “5 साल पहले इसी स्कूल में एक हादसा हुआ था। उस दिन रामू की पत्नी की मौत हुई। सब ने कहा दिल का दौरा पड़ा लेकिन सच्चाई किसी ने नहीं जानी।”

रामू के आंसू अब बहने लगे। रीमा ने जारी रखा, “उस दिन किसी ने उसकी छोटी बेटी आरती की किताबों में एक चिट्ठी डाली थी। उस चिट्ठी में ऐसा झर लिखा था जिसने उसकी मां की जान ले ली।”

चिट्ठी का राज

“तुम्हारी बेटी अवैध है। उसका बाप कोई और है।” सोच सकते हो किसी मां पर क्या बीतती यह पढ़कर? भीड़ में गुस्से और अविश्वास की फुसफुसाहट। मिसेज कपूर चीखी, “रीमा, तुम यह सब झूठ गढ़ रही हो।”

रीमा ने ठंडी हंसी-हंसते हुए कहा, “झूठ तुम भूल गई हो। उस दिन स्टाफ रूम में मैं थी। मैंने अपनी आंखों से देखा था कि वह चिट्ठी कौन लिख रहा था।”

सच्चाई का सामना

रीमा ने कहा, “तुम सब सोचते हो कि सच्चाई यहीं खत्म हो जाएगी? नहीं। यह तो बस शुरुआत है। उस दिन सिर्फ चिट्ठी नहीं लिखी गई थी। उस दिन एक ऐसा राज बना जिसे सब ने छिपा दिया। लेकिन आज वो राज खुलेगा।”

भीड़ में किसी ने फुसफुसाया, “क्या मिसेज कपूर ही?” रीमा ने कहा, “हां, जिस दिन रामू की पत्नी मरी थी, उस दिन कुछ और भी हुआ था। रामू की पत्नी के पास कुछ ऐसे सबूत थे जो किसी की जिंदगी तबाह कर सकते थे और उसी डर की वजह से यह साजिश रची गई।”

खुलासा

मिसेज कपूर ने चिल्लाकर बीच में टोका, “रीमा, एक और शब्द और मैं तुम्हें नौकरी से निकाल दूंगी।” रीमा ने उसकी आंखों में आंखें डाल दीं। “नौकरी तुम्हारा राज खुलते ही तुम खुद इस स्कूल में नहीं रहोगी।”

हॉल में बैठे लोग सांस रोक कर सुन रहे थे। रामू और उसकी बेटी आरती रो रहे थे। रीमा ने रामू की ओर देखा। “बेटा, डर मत। आज तुम्हारी मां की आत्मा को इंसाफ मिलेगा।”

गवाही

अचानक हॉल के पीछे से किसी और की आवाज आई। “हम भी गवाही देंगे।” सबकी नजरें घूमी। दो पुराने टीचर और चौकीदार अंदर आए। उनके हाथ में एक पुराना लिफाफा था। रीमा मुस्कुराई। “सच सामने आएगा सबूत के साथ।”

रीमा ने कहा, “अब वो नाम सामने आएगा जिसने 5 साल पहले यह सब करवाया और यह नाम सुनते ही सबके होश उड़ जाएंगे।”

सच्चाई का तूफान

रीमा ने गहरी सांस ली। “तुम सब सोचते हो असली गुनहगार सिर्फ चिट्ठी लिखने वाला है। लेकिन कहानी इससे कहीं ज्यादा काली है। उस दिन रामू की पत्नी के पास कुछ ऐसे सबूत थे जो इस स्कूल के बड़े नामों को बेनकाब कर सकते थे।”

रीमा ने लिफाफा खोला। “इसमें फंड के घोटाले के कागज, बच्चों के नाम पर हुई गड़बड़ियां और सबसे बड़ा सच। किसने यह सब प्लान किया?”

बर्बादी का सामना

मिसेज कपूर कांपती आवाज में बोली, “तुम्हें लगता है कोई इन पुराने कागजों पर यकीन करेगा? तुम यह सब मुझे फंसाने के लिए कर रही हो।”

रीमा ने कहा, “मुझे तुम्हें फंसाना नहीं, सच सामने लाना है। और सच यह है कि सिर्फ तुम ही नहीं इस साजिश में कोई और भी शामिल था।”

बड़ा खुलासा

रीमा ने अचानक मंच की ओर इशारा किया। “आओ, खुद बताओ सबके सामने।” दरवाजे से एक शख्स अंदर आया। सबकी आंखें फैल गईं। वो स्कूल का चेयरमैन मिस्टर आनंद थे।

“रीमा, प्लीज यह सब यहीं खत्म कर दो। तुम नहीं जानती सच बाहर आने के क्या नतीजे होंगे।” रीमा ने ठंडी आवाज में कहा, “मिस्टर आनंद, 5 साल पहले की रात को याद करो जब तुमने मिसेज कपूर के साथ मिलकर घोटाले के सबूत मिटाने का प्लान बनाया था।”

अंत की ओर

“रामू की पत्नी ने तुम्हें पकड़ लिया था और तुम लोगों ने उसे डराने की कोशिश की।” आनंद के चेहरे पर पसीना। मिसेज कपूर की सांस तेज।

“तुम दोनों ने मिलकर वह घटिया चिट्ठी लिखी ताकि रामू की पत्नी टूट जाए और सच सामने ना आ सके। लेकिन तुम यह भूल गए कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।”

भीड़ में कुछ लोग खड़े हो गए। “हम अपने बच्चों को जिस स्कूल में भरोसे से भेजते हैं, वहां यह सब होता रहा।”

न्याय की जीत

रीमा ने कहा, “यह तो बस शुरुआत है। यह स्कूल फिर से बनेगा ईमानदारी से। लेकिन असली कहानी अभी बाकी है।”

रीमा ने लिफाफा हवा में उठाया। “इसमें सिर्फ घोटाले के सबूत नहीं। एक और ऐसा राज है जो यहां मौजूद किसी के खून को जमा देगा।”

“रामू की पत्नी की मौत आत्महत्या नहीं थी।” यह सुनते ही पूरा हॉल जैसे रुक गया।

“उस रात जो हुआ वह कत्ल था। और वह कत्ल किसने किया यह अगले खुलासे में बताऊंगी।”

निष्कर्ष

हॉल में चीखें, दहशत, आंखों में सदमा। रामू वहीं जमीन पर बैठ गया। “आपने क्यों किया?” रामू के पास कोई जवाब नहीं था।

मिस्टर आनंद और विक्रम पुलिस के डर से भागने की कोशिश करने लगे। लेकिन बाहर पुलिस आ चुकी थी।

रीमा ने पहले ही सबूत भेज दिए थे। पुलिस अंदर आई। विक्रम, आनंद और कपूर तीनों गिरफ्तार।

रीमा ने आरती का हाथ पकड़ा और कहा, “अब यह स्कूल ईमानदारी से चलेगा। तुम्हारी मां का सपना मैं पूरा करूंगी।”

आरती की आंखों में आंसू थे लेकिन दिल में एक उम्मीद की किरण।

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