कहानी का नाम: “अंधेरे से उजाले तक”
अंधेरे कोर्ट रूम में सन्नाटा पसरा था। रिया घुटनों पर झुकी खड़ी थी, उसकी आंखों से आंसू लगातार गिर रहे थे। जज साहब ने फांसी की सजा सुनाई। वह शब्द रिया के दिल को चीर गए। लेकिन उस पल को कोई नहीं जानता था कि आगे क्या होने वाला है। रिया की कहानी एक छोटे से गांव से शुरू होती है, जहां गरीबी और दर्द उसका बचपन था। मां की गोद में खेलती रिया, पिता शराबी थे। मां ने सिलाई करके उसे पाला, लेकिन कैंसर ने मां को छीन लिया। रिया बस 12 साल की थी, अकेली, भूखी और दुनिया की क्रूरता से अनजान।
गांव वालों ने मदद का वादा किया लेकिन असल में उसे भेड़ियों की तरह नोचा। एक चाचा ने नौकरी के बहाने शहर भेजा, लेकिन वहां ट्रैफिकिंग का जाल बिछा था। रिया को बेच दिया गया एक अंधेरी कोठरी में, जहां हर रात उसकी चीखें दीवारों से टकराती थीं। दर्द इतना गहरा था कि वह खुद को भूल गई। साल बीते, रिया बड़ी हुई लेकिन आत्मा टूट चुकी थी। एक दिन वह भागी, शहर की सड़कों पर भटकती रही। भूख से मरती, हताशा में उसने चोरी की—एक अमीर आदमी का पर्स छीना। आदमी गिरा, सिर पर चोट लगी और अस्पताल में उसकी मौत हो गई। रिया को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की मार, पूछताछ, यातनाएं—सब सहा। लेकिन दिल में एक राज दबा रखा था।
महीनों ट्रायल चला, गवाह आए, सबूत पेश हुए। रिया चुप रही। उसकी आंखों में दर्द था, बचपन की खुशियां, मां की यादें और वह रातें जो कभी भूल नहीं सकती थी। कोर्ट का आखिरी दिन था। जज साहब राजेश, सख्त इंसान, जिनकी अपनी जिंदगी भी दर्द से भरी थी। उनकी पत्नी और नवजात बेटी 20 साल पहले एक एक्सीडेंट में खो गई थी। बेटी गायब हो गई थी, सालों तलाश की लेकिन कुछ नहीं मिला। फैसला सुनाते वक्त उनकी आवाज कांपी नहीं, लेकिन दिल में एक खालीपन था। कातिल को फांसी। कोर्ट रूम में तालियां बजीं। लेकिन रिया ने सिर उठाया, दुपट्टा हटाया, चेहरा दिखाया और जज साहब की आंखें फटी की फटी रह गईं। वह चेहरा, वह आंखें—इतनी मिलती-जुलती जैसे कोई पुरानी याद जीवित हो गई हो।
रिया बोली, “जज साहब, क्या आप मुझे पहचानते हैं?” जज साहब का चेहरा सफेद पड़ गया। कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया। उन्होंने कोर्ट स्थगित किया और अपने चेंबर में चले गए। रिया को वापस हवालात में ले जाया गया। उसकी आंखें गीली थीं, लेकिन चेहरे पर अजीब सी शांति थी। वह अपनी मां की दी हुई चूड़ी को सहला रही थी। उसमें एक छोटा सा लॉकेट था जिसमें एक धुंधली तस्वीर थी। रिया को याद था कि उसकी मां ने कहा था, “तुम्हारे पापा तुम्हें हमेशा ढूंढ लेंगे।”
जज साहब अपने चेंबर में अकेले थे। उनकी पत्नी और बेटी की तस्वीर वाला लॉकेट खुला था। वह तस्वीर 20 साल पुरानी थी, जब उनकी जिंदगी में रंग थे। एक्सीडेंट की रात उनकी आंखों के सामने घूम रही थी। पुलिस ने कहा था कि बच्ची मलबे में दब गई, कोई सबूत नहीं मिला। राजेश ने सालों तलाश की थी, हर गली, हर शहर, हर अनाथालय में। लेकिन कुछ नहीं मिला। लॉकेट हमेशा उनके पास था, उम्मीद की तरह। रिया का चेहरा क्यों इतना पहचाना लग रहा था? क्या यह सिर्फ संयोग था या कोई पुराना घाव फिर से हरा हो गया था?
कोर्ट के गलियारों में अफवाहें फैलने लगीं। एक पत्रकार अजय ने रिया के अतीत की तहकीकात शुरू की। उसने रिया के गांव का पता लगाया, लेकिन जन्म प्रमाण पत्र गायब था। गांव वालों ने बात करने से इंकार कर दिया। जैसे कोई साजिश थी। जज साहब घर पहुंचे, पत्नी की डायरी खोली। उसमें एक पुराना पत्र था—”अगर कभी हम बिछड़ गए तो याद रखना, तुम्हारे पापा तुम्हें ढूंढ लेंगे।” राजेश की आंखें नम हो गईं। क्या रिया वही बेटी थी? लेकिन इतने साल कहां थी?
रिया हवालात में बैठी थी। उसने चूड़ी में छुपे लॉकेट को देखा। उसमें एक तस्वीर थी, शायद उसके माता-पिता की। लेकिन वह तस्वीर धुंधली थी। सिर्फ एक नाम गूंजता था—पापा। उसने दीवार की ओर देखा और फुसफुसाया, “अगर तुम वहीं हो तो मुझे बचाओ।” जज साहब की रात कट रही थी, घर की दीवारें उन्हें घूर रही थीं। उन्होंने लॉकेट को बार-बार देखा। रिया की आंखें, नाक का नक्शा—सब कुछ वैसा ही था।
अगली सुबह जज साहब ने रिया से मिलने का फैसला किया। पुलिस स्टेशन पहुंचे, रिया को एक कमरे में बुलाया गया। जज साहब ने पूछा, “तुमने कल क्या कहा था? मुझे पहचानती हो?” रिया ने सिर झुका लिया। “मां ने कहा था कि मेरे पापा बड़े आदमी हैं। लेकिन वह मर गई, मैं खो गई।” जज साहब ने रिया की चूड़ी देखी, वही चूड़ी जो उन्होंने अपनी पत्नी को दी थी। “तुम्हारा जन्म कब हुआ था? कहां?” रिया ने वही तारीख और शहर बताया जो जज साहब की बेटी की थी। बातचीत लंबी चली। रिया ने अपनी दर्दनाक कहानी सुनाई—ट्रैफिकिंग, यातनाएं, भूख, हादसा। जज साहब सुनते रहे, उनके अंदर का पिता जाग रहा था। लेकिन जज का कर्तव्य उन्हें रोक रहा था।
पत्रकार अजय ने रिया के गांव में खोज की। एक बूढ़ी औरत ने कहा, “रिया यहां की नहीं थी। उसे 20 साल पहले कोई शहर से लाया था।” एक पुराने अनाथालय में रिया का नाम पहले आराध्या था। उसे एक्सीडेंट साइट से बचाया गया था। रिकॉर्ड्स अधूरे थे। अजय को लगा यह केस सिर्फ हत्या का नहीं, बड़ी साजिश है। क्या ट्रैफिकर्स ने रिया को जानबूझकर फंसाया था?
जज साहब ने डीएनए टेस्ट का आदेश दिया। कोर्ट में हलचल थी। रिया की आंखों में पहली बार उम्मीद की किरण थी। डीएनए टेस्ट का नतीजा आया—रिया उनकी बेटी थी। लेकिन जज साहब के सामने दो रास्ते थे—या तो बेटी को बचाएं, या कानून का पालन करें। रिया ने गार्ड को चिट्ठी देकर लिखा, “मुझे बचाएं, मैं कुछ बताना चाहती हूं।”
अजय को धमकी मिली, “रिया के केस से दूर रहो वरना अंजाम बुरा होगा।” लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने रिया से मिलने की कोशिश की। रिया ने बताया, “रवि मेहरा इसका सरगना है।” अजय ने रवि मेहरा और उसकी पार्टनर अनीता की तस्वीरें और डायरी हासिल की। डायरी में लिखा था कि रिया को जानबूझकर अनाथालय से चुराया गया था और ट्रैफिकिंग रैकेट में बेच दिया गया था। अनीता, जज साहब की साली थी, जो उनकी पत्नी से जलती थी। उसने बदला लेने के लिए रिया को चुराया।
अजय ने सबूत जज साहब तक पहुंचाए। कोर्ट में रिकॉर्डिंग और दस्तावेज पेश किए गए। रिया ने कोर्ट में कहा, “मैं बेगुनाह हूं। रवि मेहरा और उसके रैकेट ने मुझे फंसाया।” अनीता ने कबूल किया, “मैंने बदला लिया, आराध्या को चुराया और रवि मेहरा को दे दिया।” कोर्ट में सन्नाटा छा गया। जज साहब का दिल टूट गया।
रवि मेहरा और अनीता को गिरफ्तार कर लिया गया। रिया को रिहा कर दिया गया। जज साहब ने उसे घर ले गए। पहली बार रिया ने अपने पिता की गोद में सिर रखा और दोनों रो पड़े। “पापा, मुझे पता था आप मुझे बचा लेंगे।” जज साहब ने कहा, “यह तुम्हारी मां की चूड़ी है, अब तुम मेरी हो।”
लेकिन खतरा अभी टला नहीं था। रवि मेहरा के लोग बाहर थे। अजय ने अपनी कहानी प्रकाशित की, पूरे देश में हलचल मच गई। रिया और जज साहब ने नई जिंदगी शुरू की, लेकिन साए में एक अनजाना डर था।
कहानी यहीं समाप्त होती है। सच्चाई, न्याय और रिश्तों की ताकत हमें सीख देती है कि अंधेरे से उजाले तक का सफर मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं।
अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो लाइक करें, शेयर करें, सब्सक्राइब करें और अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जय हिंद, जय भारत।
News
कहानी: अधूरे रिश्तों का रहस्य – जयपुर की रातें
कहानी: अधूरे रिश्तों का रहस्य – जयपुर की रातें जयपुर की गुलाबी नगरी की चमकदार इमारतों और रौनक भरी सड़कों…
कहानी: अरबपति भिखारी – इंसानियत की असली विरासत
कहानी: अरबपति भिखारी – इंसानियत की असली विरासत शहर की चमक-धमक के बीच, जहां हर रात करोड़ों सपने पलते थे,…
कहानी: वापसी का सच
कहानी: वापसी का सच चार साल बाद विक्रम अपने देश लौटा था। विदेश की चमक-धमक छोड़कर जब उसने एयरपोर्ट पर कदम…
कहानी: गुमनाम वारिस
कहानी: गुमनाम वारिस रजन मल्होत्रा, एक 82 वर्षीय अरबपति, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर खड़े थे। उनकी हवेली में आज…
ममता का दिया: एक बेटी, दो मां और समाज की सोच
ममता का दिया: एक बेटी, दो मां और समाज की सोच 1. गांव की परछाईं हरियाणा के एक समृद्ध गांव…
डिलीवरी बॉय की कहानी: एक रात, एक बदलाव
डिलीवरी बॉय की कहानी: एक रात, एक बदलाव 1. मुंबई की रात और विशाल का संघर्ष रात के 11 बजे…
End of content
No more pages to load