कहानी: नैना राठौर की ईमानदारी

प्रस्तावना

क्या आपने कभी सोचा है कि जो महिला साधारण कपड़ों में सड़क किनारे पानी पूरी खा रही हो, वह असल में कोई आम औरत नहीं बल्कि एसपी मैडम भी हो सकती है? यह कहानी एक ऐसे वाकये पर आधारित है जब एक महिला दरोगा ने बाजार में खड़ी एक साधारण सी महिला को थप्पड़ जड़ दिया। उसे क्या पता था कि जिसके गाल पर उसका हाथ पड़ा है, वह उसी की सीनियर अफसर है, जिसके एक इशारे पर उसकी वर्दी भी उतर सकती है।

घटना का आरंभ

बरेली जिले में इन दिनों एक अजीब सी बेचैनी थी। यह बेचैनी इसलिए नहीं थी कि कोई बड़ा जुर्म हुआ था, बल्कि इसलिए कि जिले को एक नई एसपी मिली थी। उनका नाम था नैना राठौर। नैना ने बरेली एएसपी का चार्ज संभाले हुए तीन दिन पूरे कर लिए थे। इन 3 दिनों में उन्होंने सिर्फ फाइलें देखी, पुराने केसों को समझा और अपने मातहत अफसरों के साथ लंबी मीटिंग की।

जब नैना ने पहली बार ऑफिस में कदम रखा, तो सभी अफसरों ने उन्हें पूरा सम्मान दिया। लेकिन नैना जानती थी कि बंद कमरों में जो कहानियां सुनाई जाती हैं, असलियत की गलियों में उनका दम घुट जाता है। उन्होंने तय किया कि अब फाइलों से नहीं, अपनी आंखों से सच्चाई देखने का वक्त आ गया है।

बाजार की ओर

शाम के करीब 5:00 बजे, नैना ने अपनी वर्दी उतार दी और साधारण कपड़े पहन लिए। एक पीला कुर्ता, काली सलवार और एक काला दुपट्टा। उन्होंने एक ऑटो रिक्शा रोका और किला बाजार चलने के लिए कहा। किला बाजार बरेली का सबसे भीड़भाड़ वाला इलाका था।

जब नैना वहां पहुंची, तो उसने देखा कि लोग पानी पूरी के ठेले पर खड़े हैं। उसकी नजर एक कोने में लगे पानी पूरी के ठेले पर पड़ी। ठेले वाला एक अधेड़ उम्र का आदमी था, जिसका नाम राम लहरिया था। नैना ने ठेले के पास जाकर कहा, “एक प्लेट पानी पूरी देना भैया।”

पुलिस की दखलंदाजी

जैसे ही नैना ने पानी पूरी का पहला गोलगप्पा खाया, अचानक बाजार में पुलिस की जीप आ गई। जीप से चार पुलिस वाले उतरे, जिनमें से एक सब इंस्पेक्टर अर्चना चौहान थी। अर्चना चौहान अपने इलाके में अपनी दबंग और तेज तर्रार छवि के लिए जानी जाती थी। उसने सीधे राम लहरिया के ठेले की तरफ बढ़ते हुए कहा, “ओए राम लहरिया, निकाल आज का हफ्ता।”

राम लहरिया ने कांपते हुए कहा, “मैडम, आज कमाई नहीं हुई।” लेकिन अर्चना ने उसकी बात सुनकर ठेले को धक्का दे दिया। सब कुछ जमीन पर बिखर गया। नैना यह सब देख रही थी और उसका खून खौल उठा।

नैना का प्रतिरोध

नैना ने खुद को रोक नहीं पाई। वह अर्चना के सामने जाकर खड़ी हो गई और कहा, “एक्सक्यूज़ मी, ऑफिसर। आप इनसे किस कानून के तहत पैसे वसूल रही हैं?” अर्चना चौहान का अहंकार तिलमिला उठा। उसने नैना को घूरते हुए कहा, “तू कौन होती है मुझसे सवाल करने वाली?”

नैना ने कहा, “मैं इस देश की एक आम नागरिक हूं और एक नागरिक होने के नाते मुझे सवाल पूछने का पूरा हक है।” अर्चना ने गुस्से में आकर नैना को थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ की आवाज पूरे बाजार में गूंज उठी।

नैना की प्रतिक्रिया

नैना ने एक पल चुप रहकर अपने गाल पर लगे थप्पड़ के निशान को महसूस किया। लेकिन उसकी आंखों में ना तो गुस्सा था और ना ही दर्द, बल्कि एक अजीब सी ठंडक थी। उसने अर्चना की तरफ देखा और कहा, “तुमने मुझे पहचाना नहीं। इसलिए तुमने मुझे थप्पड़ मारा। अगर पहचान लेती तो सैल्यूट करती।”

नैना ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक गहरा नीला कार्ड निकाला। उस कार्ड पर लिखा था, “नैना राठौर, आईपीएस, पुलिस अधीक्षक, जिला बरेली।” अर्चना चौहान का चेहरा सफेद पड़ गया।

न्याय की स्थापना

अर्चना ने घुटनों के बल बैठकर माफी मांगना शुरू कर दिया। नैना ने कहा, “तुमने वर्दी की इज्जत नहीं की। तुम सिर्फ रैंक से डरती हो।” उसने तुरंत कंट्रोल रूम को फोन किया और अर्चना और उसके साथियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया।

पुलिस की गाड़ियां सायरन बजाती हुई वहां पहुंच गईं। नैना ने अर्चना और उसके साथियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। जब वे पुलिस की गाड़ी में बैठ रहे थे, तो नैना ने कहा, “यह थप्पड़ मुझे नहीं, इस वर्दी को पड़ा है।”

राम लहरिया की मदद

नैना ने राम लहरिया की तरफ मुड़कर कहा, “आपका नुकसान सरकार करेगी। अगर कोई भी पुलिस वाला आपसे पैसे मांगे, तो आप सीधे मेरे ऑफिस आना।” उसने राम लहरिया को 500 रुपए का नोट दिया और कहा, “यह आपकी बेटी की दवाई के लिए है।”

बदलाव की शुरुआत

नैना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और बरेली की जनता को भरोसा दिलाया कि पुलिस अब हर नागरिक की सुरक्षा करेगी। उसने एक स्पेशल एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर जारी किया।

इस घटना के बाद बरेली पुलिस में एक नया माहौल बन गया। नैना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक संगठित लड़ाई शुरू की। विधायक रामनारायण तिवारी और उसके गुंडे नैना से डरने लगे।

नैना का संकल्प

नैना ने ईमानदार अफसरों को अपनी टीम में शामिल किया और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए। उसने राम लहरिया की सुरक्षा के लिए दो सिपाहियों को नियुक्त किया।

निष्कर्ष

नैना राठौर ने साबित कर दिया कि एक ईमानदार अफसर न केवल कानून की रक्षा कर सकता है, बल्कि समाज में बदलाव भी ला सकता है। उसकी कहानी ने सड़कों पर न्याय की एक नई मिसाल पेश की।

इस घटना ने बरेली के पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया और लोगों में एक नई उम्मीद का संचार किया। नैना राठौर अब केवल एक अफसर नहीं थीं, बल्कि बरेली के लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण बन गई थीं।

याद रखें, एक ईमानदार फैसला किसी की पूरी जिंदगी बदल सकता है।