दिल का डॉक्टर: राजेश और सीमा की कहानी

प्रस्तावना

राजेश एक बड़े शहर के नामी अस्पताल में डॉक्टर था। बाहर से उसकी जिंदगी बेहद व्यवस्थित और सफल दिखती थी, मगर भीतर से वह टूट चुका था। कुछ साल पहले उसका अपनी पत्नी सीमा से तलाक हो गया था। सीमा उसे बहुत प्यार करती थी, लेकिन गलतफहमियों और अहंकार ने दोनों को अलग कर दिया। राजेश अब दिन-रात मरीजों की सेवा में लगा रहता, लेकिन दिल के अंदर एक गहरा खालीपन था।

अधूरी मुस्कान

अस्पताल में राजेश की बहुत इज्जत थी। लोग उसे अपना भगवान मानते थे, क्योंकि वह हर मरीज को अपने परिवार की तरह मानकर इलाज करता था। उसकी आवाज में अपनापन था, आंखों में दया थी, मगर चेहरे पर हमेशा एक हल्की उदासी तैरती रहती थी। कोई नहीं जानता था कि इतने सफल डॉक्टर की मुस्कान अधूरी क्यों है। असल में राजेश के दिल में एक बड़ा तूफान था—अपनी पत्नी से बिछड़ने का दर्द।

शादी के शुरुआती दिन बेहद खुशहाल थे। सीमा उसकी जिंदगी का सहारा थी। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। उनकी हंसी-खुशी देखकर हर कोई कहता, “ये दोनों तो सचमुच एक-दूजे के लिए बने हैं।” लेकिन किस्मत ने उनकी खुशियों को छीन लिया। छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे। अहंकार और जिद ने प्यार की मिठास छीन ली। सीमा को लगता, राजेश सिर्फ अपने काम में डूबा रहता है, उसकी भावनाओं की परवाह नहीं करता। राजेश को लगता, सीमा उसकी मेहनत और संघर्ष को समझ नहीं रही। धीरे-धीरे दरारें इतनी गहरी हो गईं कि दोनों का रिश्ता टूट गया और तलाक हो गया।

अकेलापन और सेवा

तलाक के बाद राजेश ने खुद को काम में झोंक दिया। वह दिन-रात मरीजों की सेवा करता, ताकि अपने भीतर के खालीपन को भूल सके। लेकिन जब भी अकेला होता, उसकी आंखें भर आतीं। उसे हमेशा यही लगता कि उसका जीवन अधूरा है, क्योंकि सीमा उसके साथ नहीं है। अस्पताल में उसकी बहुत इज्जत थी, लेकिन घर की खामोशी उसे चुभती थी। वह चाहता था कोई उसके दिल की सुनने वाला हो, मगर अब उसके पास कोई नहीं था।

किस्मत का मोड़

एक दिन अस्पताल में अचानक हड़कंप मच गया। एंबुलेंस तेज सायरन बजाती हुई आई। नर्सें भागती हुई इमरजेंसी वार्ड की ओर गईं। राजेश भी तुरंत वहां पहुंचा। उसे बताया गया कि एक प्रेग्नेंट औरत को गंभीर हालत में लाया गया है, जिसे तुरंत इलाज की जरूरत है।

राजेश अपने स्टेथोस्कोप और उपकरण लेकर वार्ड में घुसा। लेकिन जैसे ही उसने मरीज का चेहरा देखा, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह और कोई नहीं, बल्कि उसकी तलाकशुदा पत्नी सीमा थी। राजेश का चेहरा पीला पड़ गया, हाथ कांपने लगे, दिल की धड़कन तेज हो गई। कुछ पल के लिए वह समझ ही नहीं पाया कि क्या करे। यह वही सीमा थी जिसे उसने कभी अपना सब कुछ माना था, और आज वही सीमा उसके सामने एक मरीज बनकर लेटी थी।

भावनाओं की जंग

राजेश का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसकी सांसें तेज हो गई थीं। मन में सवालों का तूफान उठने लगा—सीमा यहां कैसे आई? उसकी हालत इतनी खराब क्यों है? उसके पेट में बच्चा किसका है? पिछले सालों में उसकी जिंदगी में क्या-क्या घटा है?

नर्स ने आवाज दी, “सर, मरीज की हालत बहुत खराब है। हमें तुरंत इलाज करना होगा।” राजेश को जैसे नींद से जगाया गया। उसने खुद को संभाला और डॉक्टर बनकर आगे बढ़ा। लेकिन भीतर का आदमी टूट चुका था।

डॉक्टर का धर्म

सीमा की सांसें कमजोर हो रही थीं। पूरे कमरे में तनाव था। राजेश कुछ पल तक वहीं खड़ा रह गया, जैसे उसकी सांस ही रुक गई हो। जिस औरत को उसने अपनी जिंदगी से दूर कर दिया था, आज वही औरत उसकी आंखों के सामने दर्द से कराह रही थी। उसका चेहरा पीला पड़ गया था, होंठ सूख गए थे, आंखें बंद हो रही थीं। नर्सें चिल्ला रही थीं, “सर, जल्दी कीजिए!” राजेश ने स्टेथोस्कोप लगाया, लेकिन उसके कानों में मशीनों की आवाज के साथ अतीत की गूंज सुनाई देने लगी।

उसे वो दिन याद आ गया जब उसने पहली बार सीमा का हाथ थामा था। शादी के पल, साथ जीने-मरने की कसमें, लेकिन वही कसमें वक्त की आंधी में बिखर गईं। आज सीमा उसके सामने एक मरीज बनकर लेटी थी।

राजेश का दिल रोना चाहता था, लेकिन डॉक्टर होने का फर्ज उसे मजबूत बनाए हुए था। उसने नर्स को आदेश दिया, “ब्लड प्रेशर चेक करो, ऑक्सीजन लगाओ।” फिर खुद सीमा का इलाज शुरू कर दिया।

सवालों का बवंडर

सीमा की हालत नाजुक थी। वह बीच-बीच में आंखें खोलने की कोशिश करती, मगर शरीर इतना कमजोर था कि बोल नहीं पा रही थी। राजेश के मन में सैकड़ों सवाल थे—क्या सीमा ने किसी और से शादी कर ली है? या फिर यह बच्चा उसकी ही यादों का नतीजा है? लेकिन उस समय सवालों का कोई जवाब नहीं था। राजेश ने खुद से कहा, “अभी सवालों का वक्त नहीं है। अभी तेरे सामने एक जान है, और तेरा फर्ज है उसे बचाना।”

राजेश ने पूरी ताकत लगा दी। इंजेक्शन लगाया, दवाइयां दी, नर्सों को आदेश देता रहा। लगभग आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सीमा की धड़कन थोड़ी स्थिर हुई। कमरे में मौजूद हर किसी ने राहत की सांस ली। लेकिन राजेश के दिल की धड़कन अभी भी तेज थी।

मुलाकात: आंसुओं के साथ

राजेश ने धीरे से सीमा का हाथ पकड़ा। वह कांप रहा था। सीमा ने मुश्किल से आंखें खोलीं। उसकी नजर जैसे ही राजेश पर पड़ी, आंखों से आंसू निकल पड़े। उसने बहुत धीमी आवाज में कहा, “तुम… राजेश…”

राजेश का दिल टूट गया। सालों बाद जब उसने सीमा की आवाज सुनी, उसके भीतर का सारा गुस्सा, सारा अहंकार पिघल गया। उसने कांपती आवाज में कहा, “हां सीमा, मैं हूं। चिंता मत करो, मैं हूं ना तुम्हारे साथ। कुछ नहीं होने दूंगा।”

सीमा की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। वह कुछ कहना चाहती थी, मगर बोल नहीं पा रही थी। उसने बस इतना ही कहा, “बच्चा…”
राजेश ने उसका माथा सहलाया, “कुछ नहीं होगा। तुम और बच्चा दोनों सुरक्षित रहोगे। मैं वादा करता हूं।”

अतीत की गलती

रात भर राजेश चैन से नहीं बैठा। वह बार-बार सीमा के कमरे में जाता, उसकी हालत देखता, नर्सों से पूछता। हर बार जब वह सीमा को देखता, उसे पुराने दिन याद आ जाते—सीमा पहली बार उसके लिए खाना लेकर अस्पताल आई थी, राजेश ने गुस्से में कहा था, “मुझे अपने काम में दखल पसंद नहीं।” सीमा चुपचाप लौट गई थी। उस दिन की कड़वाहट ने धीरे-धीरे उनके बीच दूरी बढ़ा दी।

राजेश को एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती की थी। काम और अहंकार के चक्कर में उसने अपनी पत्नी को खो दिया, और अब वही पत्नी मौत और जिंदगी के बीच जूझ रही थी।

जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा

रात के दो बजे सीमा की हालत अचानक बिगड़ गई। उसका ब्लड प्रेशर गिरने लगा। नर्सें घबरा गईं। राजेश तुरंत हरकत में आया। उसने खुद ऑपरेशन थिएटर तैयार करवाया। वह खुद अपनी पत्नी का ऑपरेशन करने जा रहा था।

नर्सों ने कहा, “सर, क्या आप कर पाएंगे? यह आपकी पत्नी है।”
राजेश ने दृढ़ आवाज में कहा, “हां, करूंगा। क्योंकि अगर मैं नहीं करूंगा, तो कोई और शायद उतनी मेहनत ना कर पाए। यह सिर्फ एक मरीज नहीं है, यह मेरी जिंदगी है।”

ऑपरेशन थिएटर की लाइटें जल उठीं। राजेश ने गाउन पहना, मास्क लगाया और ऑपरेशन शुरू किया। उसका दिल कांप रहा था, मगर हाथ बिल्कुल स्थिर थे। वह अपनी पूरी जान लगाकर सीमा और उसके बच्चे को बचाना चाहता था।

घंटों तक संघर्ष चला। बाहर अस्पताल के गलियारे में सन्नाटा था। नर्सें प्रार्थना कर रही थीं। हर कोई यही सोच रहा था—क्या डॉक्टर राजेश अपनी पत्नी और बच्चे को बचा पाएगा?

नई जिंदगी की शुरुआत

ऑपरेशन थिएटर की तेज रोशनी के नीचे राजेश अपने जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा दे रहा था। उसके हाथ में चाकू था, सामने उसकी पत्नी सीमा थी। बाहर सब इंतजार कर रहे थे। राजेश जानता था, यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला है।

आखिरकार घंटों की मेहनत के बाद कमरे में एक नन्ही सी किलकारी गूंज उठी। वह आवाज सुनते ही राजेश की आंखों से आंसू फूट पड़े। उसने पहली बार अपने बच्चे को देखा—नन्हा सा मासूम चेहरा, गोल-मटोल हाथ, रोने की आवाज पूरे कमरे को जीवन से भर रही थी।

राजेश ने बच्चे को गोद में उठाया, उसका दिल खुशी और दर्द दोनों से कांप रहा था। उसने नर्स को बच्चा थमाया और तुरंत सीमा की ओर ध्यान दिया, क्योंकि उसकी धड़कन अभी भी कमजोर थी। राजेश ने और मेहनत की। अंत में मशीन पर स्थिर होती हुई रेखा ने संकेत दिया कि सीमा की जान अब सुरक्षित है। उसके चेहरे पर लालिमा लौट आई थी, सांसे स्थिर हो गई थीं।

राजेश ने राहत की लंबी सांस ली। उसकी आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। उसने मास्क उतार दिया और वहीं बैठकर रो पड़ा। बाहर खड़े लोग भी भावुक हो गए। हर कोई जानता था कि आज राजेश ने सिर्फ एक मरीज की नहीं, अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग जीत ली है।

रिश्तों की कीमत

कुछ देर बाद सीमा को कमरे से बाहर लाया गया। वह बेहोश थी, लेकिन अब उसकी हालत स्थिर थी। नर्स ने नन्हे बच्चे को उसकी गोद में रखा। उसकी आंखें धीरे-धीरे खुलीं और उसने सबसे पहले अपने बच्चे को देखा। आंखों से आंसू बहने लगे, फिर उसने राजेश को देखा। दोनों की नजरें मिलीं और सालों पुराना दर्द और बिछड़न घुलकर मिट गया।

सीमा ने कांपती आवाज में कहा, “राजेश, तुमने मुझे और मेरे बच्चे को बचा लिया। मैं तुम्हारी आभारी हूं।”
राजेश ने उसका हाथ थामा, “सीमा, आभार मत जताओ। यह मेरा फर्ज था। लेकिन आज मुझे एहसास हुआ कि तुम मेरे जीवन का वह हिस्सा हो जिसे मैं कभी खोना नहीं चाहता था। मैंने बहुत गलतियां की। अहंकार में आकर तुम्हें दूर किया। तुम्हारे दर्द को नहीं समझा। लेकिन आज जब तुम्हें मौत से जूझते देखा, तो समझ आया कि तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है।”

सीमा की आंखों से आंसू बह निकले। उसने कहा, “राजेश, मैंने भी कई बार गुस्से में तुम्हें गलत समझा। तुम्हारे काम के बीच खुद को अकेला महसूस किया, और वह अकेलापन हमें यहां तक ले आया। लेकिन सच यह है कि मैं आज भी तुम्हें उसी तरह चाहती हूं जैसे पहले चाहती थी।”

दोनों की आंखों से बहते आंसू सालों की दूरी को बहा ले गए। नन्हा बच्चा उनके बीच मुस्कुरा रहा था, मानो वह दोनों को फिर से जोड़ने आया हो। उस कमरे में मौन ही सबसे बड़ा संवाद था।

दूसरा मौका

राजेश ने अपने बेटे को गोद में लिया। उसके छोटे-छोटे हाथ उसकी उंगली पकड़ने लगे। उस मासूम ने मानो पिता के टूटे हुए दिल को जोड़ दिया था। राजेश ने मन ही मन भगवान का धन्यवाद किया। उसने महसूस किया, जिंदगी ने उसे दूसरा मौका दिया है—अपने रिश्ते को संभालने का, अपनी गलतियों को सुधारने का।

अस्पताल के उस कमरे में सिर्फ एक मां का जीवन ही नहीं बचा था, बल्कि दो बिछड़े हुए दिल भी फिर से एक हो गए थे। राजेश अब पहले वाला कठोर और व्यस्त डॉक्टर नहीं रहा। वह अब एक संवेदनशील पति और जिम्मेदार पिता बन चुका था।

निष्कर्ष

कुछ दिनों बाद सीमा डिस्चार्ज हुई। उसने राजेश का हाथ पकड़कर कहा, “अगर तुम चाहो तो हम फिर से साथ रह सकते हैं। हमारे बेटे को पूरा परिवार मिल सकता है।”
राजेश ने उसका हाथ कसकर थाम लिया, “सीमा, यही तो मैं चाहता हूं। जिंदगी ने हमें दूसरा मौका दिया है और मैं इसे कभी खोना नहीं चाहूंगा।”

दोनों ने आंसुओं के बीच मुस्कुराकर एक नया सफर शुरू करने का फैसला किया। उनके बेटे की मुस्कान उनकी नई दुनिया की पहली सुबह बन गई।

सीख:

रिश्तों की कीमत सबसे बड़ी होती है।
अहंकार और गलतफहमियां दूर कर सच्चा प्यार फिर से जुड़ सकता है।
जिंदगी कभी-कभी दूसरा मौका देती है, उसे पहचानना चाहिए।
सेवा और संवेदनशीलता से इंसान न सिर्फ दूसरों, बल्कि अपनी भी जिंदगी बदल सकता है।