हेमा मालिनी की असली कहानी: सपनों की ड्रीम गर्ल, दर्द की हकीकत

जब भी बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल का ज़िक्र होता है, सबसे पहले चेहरा सामने आता है हेमा मालिनी का। उनकी मुस्कान, उनकी अदाएं, उनका डांस, उनकी खूबसूरती—सब कुछ आज भी लोगों के दिलों में बसा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस चमकदार दुनिया में हेमा मालिनी ने नाम और शोहरत कमाई, उसी दुनिया के पीछे छुपा है एक दर्द, एक संघर्ष, एक ऐसी कहानी जिसे जानकर हर कोई हैरान हो जाता है। आज हम आपको हेमा मालिनी की असली ज़िंदगी के उन पहलुओं से रूबरू करवाएंगे, जिनके बारे में शायद ही कोई जानता हो।
शुरुआत: एक मासूम तमिल लड़की की कहानी
हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को तमिलनाडु के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन में उन्हें फिल्मों में आने का कोई शौक नहीं था। उनकी मां जया लक्ष्मी का सपना था कि उनकी बेटी बड़े पर्दे की हीरोइन बने। मां ने हेमा को छोटी उम्र से ही डांस सिखाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे एक्टिंग की तरफ धकेलने लगीं। पढ़ाई छोड़नी पड़ी, स्कूल-कॉलेज सब पीछे छूट गया। मां चाहती थीं कि हेमा जल्द-से-जल्द फिल्मों में नाम कमाए।
हेमा जब 12वीं में थीं, उनकी मां ने उन्हें चेन्नई बुला लिया और डांसिंग-एक्टिंग की ट्रेनिंग शुरू करवा दी। बाकी लड़कियां स्कूल के इम्तिहान की तैयारी कर रही थीं, हेमा स्टेज पर नाचने-गाने का अभ्यास कर रही थीं। मां की यह जल्दीबाजी बाद में हेमा की ज़िंदगी में बड़ा ट्विस्ट लेकर आई। जब बच्ची को पढ़ाई करनी चाहिए थी, तब उसे फिल्मी दुनिया की ओर धकेला गया—जहां मुकाबला भी था, राजनीति भी, और कई बार धोखा भी।
पहला अपमान और बॉलीवुड की ओर बढ़ते कदम
हेमा मालिनी की मेहनत रंग लाई और उन्हें पहली बार 1963 में तमिल फिल्म ‘ईदु साथियाम’ में डांसर के रूप में काम मिला। तब हेमा सिर्फ 15 साल की थीं। इसके बाद 1965 में ‘पांडवा वंशम’ जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल मिले। लेकिन इसी बीच एक मशहूर तमिल फिल्म निर्माता सीवी श्रीधर ने हेमा को एक स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया। टेस्ट में उन्होंने हेमा को सबके सामने यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि “इस लड़की में हीरोइन बनने लायक कुछ भी नहीं है। यह लड़की स्क्रीन पर चल भी नहीं सकती।”
यह अपमान हेमा मालिनी के लिए बहुत बड़ा था। वह रोती हुई घर लौटीं और उसी दिन ठान लिया कि अब तमिल फिल्मों में छोटे-मोटे रोल नहीं करेंगी, बॉलीवुड में जाकर हीरोइन बनकर दिखाएंगी। शायद भगवान ने उनके लिए कुछ बड़ा सोच रखा था। जल्द ही उन्हें राज कपूर की फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ में हीरोइन बनने का मौका मिला। यह 1968 की बात है। इसी फिल्म से हेमा मालिनी रातों-रात इंडस्ट्री की स्टार बन गईं।
सुपरस्टार्स के दिल की धड़कन
हेमा मालिनी के पीछे उस समय बॉलीवुड के लगभग हर बड़े एक्टर का दिल आ गया था। राजकुमार, जिन्हें एटीट्यूड का बादशाह कहा जाता था, ने हेमा को शादी का प्रस्ताव दिया, लेकिन हेमा ने उन्हें मना कर दिया। संजीव कुमार भी हेमा को दिल से चाहते थे। जब हेमा ने उन्हें मना कर दिया तो संजीव कुमार ने हेमा का नाम अपने हाथ पर टैटू तक करवा लिया। लेकिन हेमा की मां चाहती थीं कि हेमा फिल्मों में काम करती रहे। संजीव कुमार की मां चाहती थीं कि शादी के बाद हेमा फिल्मों को छोड़ दें। यही कारण रहा कि हेमा ने संजीव कुमार से भी दूरी बना ली।
धर्मेंद्र से मुलाकात, प्यार की शुरुआत
सारी दुनिया के हीरो एक तरफ और धर्मेंद्र एक तरफ। धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की मुलाकात फिल्म ‘शोले’ से पहले हुई थी। दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया और धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं। धर्मेंद्र उस समय शादीशुदा थे और चार बच्चों के पिता थे। लेकिन उन्हें हेमा मालिनी से प्यार हो गया। हेमा भी धर्मेंद्र के लिए अपना दिल हार बैठीं।
इसी दौरान जितेंद्र भी हेमा के करीब आ चुके थे। हेमा के परिवार वालों को जितेंद्र एक बेहतर विकल्प लग रहे थे। यहां तक कि हेमा और जितेंद्र की शादी की तारीख तक निकल गई थी। लेकिन धर्मेंद्र को जब इसकी खबर मिली तो वह आग बबूला हो गए और सीधे शादी की जगह जा पहुंचे। वहां ऐसा बवाल हुआ कि शादी टूट गई। इसके बाद हेमा ने जितेंद्र से दूरी बना ली और धर्मेंद्र के और करीब आ गईं।
शादीशुदा धर्मेंद्र, दो परिवारों के बीच फंसी हेमा
धर्मेंद्र का प्यार अब हेमा के दिल पर पूरी तरह कब्जा कर चुका था। लेकिन धर्मेंद्र की पत्नी प्रकाश कौर ने उन्हें तलाक देने से साफ मना कर दिया। धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने शादी करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल कर लिया। धर्मेंद्र दिलावर खान बन गए और हेमा मालिनी का नाम आयशा हो गया। दोनों ने निकाह कर लिया और हमेशा के लिए एक हो गए।
लेकिन इस शादी के बाद शुरू हुई एक नई मुसीबत। धर्मेंद्र ने अपनी पहली पत्नी को भी नहीं छोड़ा, ना ही हेमा को पूरी तरह अपनाया। बस दोनों को अलग-अलग घर में रख दिया। एक तरफ पत्नी और चार बच्चे, दूसरी तरफ हेमा और उनकी दो बेटियां। धर्मेंद्र दोनों घरों के बीच ऐसे आते-जाते जैसे ट्रेन दो स्टेशनों के बीच चलती है, लेकिन किसी एक स्टेशन पर रुकती नहीं।
अकेलापन, दर्द और समाज की बातें
निकाह के बाद भी हेमा मालिनी को कभी वह जगह नहीं मिली जो एक पत्नी को मिलनी चाहिए थी। धर्मेंद्र कभी खुलेआम हेमा के साथ नजर नहीं आते थे। कभी किसी फंक्शन में उनके साथ खड़े नहीं होते थे। मुंबई की गलियों से लेकर बड़े-बड़े फिल्मी ऑफिस तक सब जानते थे कि धर्मेंद्र दो घरों में बंटकर जी रहे हैं।
सनी देओल और बॉबी देओल ने कभी हेमा की बेटियों को बहन नहीं माना। ईशा देओल की शादी में भी दोनों भाई नहीं पहुंचे थे। बड़े-बड़े फैमिली फंक्शन में भी दोनों परिवार एक-दूसरे से दूर रहते थे। हेमा मालिनी चाहती थीं कि धर्मेंद्र उनके साथ खुले में रहें, दुनिया को बताएं कि हां, यह मेरी पत्नी है। लेकिन धर्मेंद्र ऐसा करने की हिम्मत कभी नहीं जुटा पाए।
फिल्मों से राजनीति तक
हेमा मालिनी के हाथ से धीरे-धीरे अच्छी फिल्में निकलने लगी थीं। उम्र बढ़ रही थी और नए चेहरे इंडस्ट्री में आ रहे थे। डायरेक्टर्स अब उन्हें मां, दादी, बुआ जैसे रोल देने लगे। एक बार तो हेमा को बी ग्रेड फिल्म ‘रामकली’ में तवायफ का रोल करना पड़ा। हेमा ने यह फिल्म सिर्फ पैसों के लिए की थी क्योंकि धर्मेंद्र से मिलने वाला खर्च बहुत कम हो गया था और उन्हें अपनी बेटियों को संभालना था।
इस दौर में हेमा को महसूस होने लगा कि फिल्मों में उनका वक्त खत्म हो रहा है। उन्होंने प्रोडक्शन की तरफ कदम बढ़ाया। ‘दिल आशना है’ जैसी फिल्म बनाई जिसमें शाहरुख खान और दिव्या भारती ने काम किया। लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई और हेमा को काफी नुकसान हुआ। इसके बाद उन्होंने टीवी सीरियल्स बनाए, स्टेज शो किए, लेकिन जीवन में असली मोड़ तब आया जब हेमा ने राजनीति में कदम रखा। बीजेपी ज्वाइन की और 2003 में सांसद बन गईं।
राजनीति में भी विवाद
राजनीति में आने के बाद लोग उम्मीद कर रहे थे कि हेमा अपनी इमेज ठीक करेंगी और जनता के लिए कुछ करेंगी। लेकिन यहां भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। मथुरा की विधवाओं को लेकर दिए बयान पर उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई गई। एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि आपने मथुरा के लिए क्या किया है? हेमा ने कहा, “किया तो बहुत कुछ है पर याद नहीं।” इससे उन पर और ज्यादा सवाल उठने लगे।
जब मथुरा में हादसा हुआ था और कई लोग मर गए थे, तब हेमा मालिनी अपनी फिल्म का प्रमोशन कर रही थीं। लोगों ने कहा कि सांसद होने के नाते उन्हें वहां होना चाहिए था, लेकिन वे फिल्म प्रमोशन में लगी थीं। यह मामला भी बड़ा विवाद बना रहा।
जिंदगी का सबसे दर्दनाक हिस्सा
हेमा मालिनी उम्र के उस पड़ाव तक पहुंच गई थीं जहां इंसान चाहता है कि उसका पति उसके पास बैठकर दो बातें करे, थोड़ा समय दे। लेकिन धर्मेंद्र अब ज्यादातर समय अपनी पहली पत्नी प्रकाश के घर पर बिताते थे। हेमा मालिनी अपनी दोनों बेटियों के साथ अलग घर में रह रही थीं। फिल्में कम, राजनीति में विवाद, पति से दूरी, दोनों बेटियों की जिम्मेदारी और दुनिया की बातें—इन सबके बीच हेमा ने लगभग पूरा जीवन अकेलेपन में गुजारा।
धर्मेंद्र कभी-कभार हेमा के घर जाते थे, त्यौहार पर या किसी जरूरी मौके पर, लेकिन पहले जैसा रिश्ता अब नहीं रहा था। हेमा जिन उम्मीदों के साथ इस रिश्ते में आई थीं, वह पूरी नहीं हुईं। वह चाहती थीं कि धर्मेंद्र खुलेआम कहें कि हां, यह मेरी पत्नी है। लेकिन धर्मेंद्र यह सब कहने से डरते रहे कि कहीं पहली बीवी का घर ना टूट जाए, कहीं बच्चे नाराज ना हो जाएं।
बेटियों की जिंदगी और हेमा का अकेलापन
ईशा देओल ने फिल्मों में कदम रखा, लेकिन वह सफलता नहीं मिली जो बाकी स्टार किड्स को मिली। अहाना ने तो फिल्मों में आने की कोशिश ही नहीं की और अपनी शादी के बाद अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गईं। अब हेमा की जिंदगी बस उनके डांस शो, मंदिरों में कृष्ण भक्ति के कार्यक्रम, सांसद वाली मीटिंग्स और कभी-कभार टीवी पर दिखने तक सीमित रह गई थी।
हेमा अक्सर खाली घर में बैठकर सोचती थीं कि जिंदगी कैसे निकल गई। इतने सारे विवाद, इतनी सारी बातें, इतना शोरशराबा—लेकिन आखिर में साथ कौन है? सिर्फ दो बेटियां और कुछ पुरानी यादें जो कभी खुश कर देती हैं, कभी दर्द दे जाती हैं।
सार्वजनिक विवाद और मीडिया की नजरें
मुंबई में डांस अकादमी के लिए हेमा को सरकार ने करोड़ों की जमीन सिर्फ लाखों में दे दी। मीडिया ने खूब सवाल पूछे कि आखिर क्या वजह है कि इतने कम दाम में इतनी महंगी जमीन सिर्फ इन्हें ही दी गई। यह मामला भी महीनों न्यूज़ में छाया रहा। इतने सारे विवादों के बाद भी हेमा सार्वजनिक रूप से कभी गुस्सा या शिकायत नहीं करती थीं। वह हमेशा कहती थीं कि धर्मेंद्र मेरे पति हैं, मैं उनकी इज्जत करती हूं। लेकिन लोग समझ जाते थे कि उनके अंदर कितना दर्द छुपा है।
अंतिम विदाई: धर्मेंद्र का निधन और हेमा की तन्हाई
धीरे-धीरे धर्मेंद्र और हेमा मालिनी अलग होते गए। जब हाल ही में धर्मेंद्र का निधन हुआ, तब भी दुनिया ने देखा कि हेमा मालिनी सच में कितनी अकेली हो गई हैं। धर्मेंद्र के जाने के बाद हेमा मालिनी की जिंदगी में जो तूफान आया, वह किसी ने सोचा भी नहीं था। चाहे रिश्ते में दूरी रही हो, चाहे दोनों घरों के बीच दीवारें बनी हों, पर एक बात तो पक्की थी कि धर्मेंद्र हेमा मालिनी की जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा थे और उसी हिस्से का अचानक खत्म हो जाना उन्हें अंदर से हिला कर रख गया।
मुंबई में जब धर्मेंद्र की प्रेयर मीट रखी गई थी, पूरा बॉलीवुड उमड़ पड़ा था। सितारे ही सितारे दिखाई दे रहे थे। लेकिन उस भीड़ में ड्रीम गर्ल कहीं नजर नहीं आई। उनकी दोनों बेटियां भी नहीं आईं। लोगों को चुभ गया कि आखिर एक पत्नी अपने पति की अंतिम प्रार्थना सभा में क्यों नहीं पहुंची। पूरा सोशल मीडिया सवालों से भर गया।
सच्चाई का खुलासा
धीरे-धीरे सच सामने आया कि हेमा मालिनी को धर्मेंद्र की प्रेयर मीट में बुलाया ही नहीं गया था। उनके और देओल परिवार के बीच जो दूरियां सालों से थीं, वही दूरियां इस दिन भी दीवार बनकर खड़ी रहीं। हेमा मालिनी उस दिन अपने घर में ही बैठी रहीं और चुपचाप रोती रहीं। उसी दिन उन्होंने अपने घर पर अलग से एक शोक सभा रखी। गीता पाठ और भजन हुआ। घर में हल्की रोशनी थी, माहौल बिल्कुल शांत था। कुछ चुनिंदा लोग पहुंचे थे। देओल परिवार से कोई नहीं आया।
धर्मेंद्र के जाने के बाद भी यह परिवार का झगड़ा खत्म नहीं हुआ, बल्कि और साफ दिखाई देने लगा। हेमा की हालत और भी ज्यादा टूटने लगी थी। वह हमेशा कहती थीं कि जीवन भर उन्होंने सिर्फ इंतजार किया—इंतजार कि शायद एक दिन वह पूरी तरह उनके हो जाएंगे, इंतजार कि शायद एक दिन वह दुनिया के सामने कहेंगे कि हां, यह मेरी पत्नी है, इंतजार कि शायद वह दोनों बेटियों के साथ पूरा समय बिताएंगे। लेकिन यह इंतजार आखिर दम तक सिर्फ इंतजार ही रहा।
यादों की दुनिया और आज की हेमा मालिनी
धर्मेंद्र के निधन के चौथे दिन हेमा मालिनी ने सोशल मीडिया पर लगातार कई पोस्ट डाले। पुराने फोटो शेयर किए जिनमें धर्मेंद्र ईशा और अहाना के साथ दिखाई दे रहे थे। कुछ तस्वीरें ऐसी थीं जो आज तक किसी ने नहीं देखी थी। उन तस्वीरों में हेमा के चेहरे पर एक अलग ही शांति दिखती थी—जैसे वह वही पल याद कर रही हों जो सच में उनके थे और अब सिर्फ याद बनकर रह गए थे।
उन्होंने लिखा कि वह हमेशा मेरे दिल में रहेंगे। यह शब्द पढ़कर हर किसी को लगा कि हेमा इस रिश्ते में कितनी गहराई तक बंधी हुई थीं। हेमा की शोक सभा उनके दर्द का सबूत है, क्योंकि जब इंसान एक ही छत के नीचे आखिरी विदाई नहीं दे पाता तो वह अपने घर में अलग से दीपक जलाकर दिल का बोझ हल्का करता है।
निष्कर्ष: सपनों की ड्रीम गर्ल, हकीकत की तन्हाई
हेमा मालिनी की कहानी सिर्फ सपनों की नहीं, हकीकत की भी है। उन्होंने बॉलीवुड में नाम कमाया, शोहरत पाई, लेकिन निजी जिंदगी में दर्द, अकेलापन और सवालों से जूझती रहीं। उनका रिश्ता धर्मेंद्र से कभी पूरी तरह खुला नहीं था, बेटियों की जिंदगी में भी उतार-चढ़ाव रहे। राजनीति में भी विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा। लेकिन हेमा ने हमेशा अपने आत्मसम्मान को बनाए रखा, कभी सार्वजनिक रूप से शिकायत नहीं की।
आज हेमा मालिनी डांस शो, भक्ति कार्यक्रम, सांसद की जिम्मेदारी और अपने परिवार के साथ जिंदगी बिता रही हैं। उनके पास शोहरत है, नाम है, लेकिन साथ बहुत कम है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि चमकदार दुनिया के पीछे छुपा होता है एक गहरा दर्द, एक तन्हाई, एक संघर्ष। ड्रीम गर्ल की जिंदगी बाहर से जितनी सुंदर दिखती है, अंदर से उतनी ही अकेली है।
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