पति ने पूर्व पत्नी को अपनी शादी में बेइज्जती करने के लिए बुलाया फिर जो हुआ

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रात के लगभग नौ बजकर तीस मिनट थे। काव्या की सिलाई मशीन की आवाज़ थम चुकी थी। छोटी सी किराए की कोठरी में उसकी जुड़वा बेटियां, आर्या और आरुषि, अपनी किताबें समेट रही थीं। बाहर की हल्की ठंडी हवा कोठरी के छोटे से खिड़की के पर्दे से छनकर अंदर आ रही थी। तभी काव्या का फोन वाइब्रेट हुआ। स्क्रीन पर एक मैसेज आया — “कल रात 8 बजे मेरी शादी है। तुम भी आना ताकि सबको दिख सके कि हमने तुम्हारे बिना कितना अच्छा चुना।” संदेश भेजने वाला अर्जुन था। काव्या ने स्क्रीन को कुछ सेकंड तक देखा, उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आई, जो कड़वी थी, मगर मजबूत।

आर्या ने मासूमियत से पूछा, “मम्मा, किसका मैसेज था?” काव्या ने फोन पलंग पर रख दिया और कहा, “पुराने दिनों का। अब होमवर्क पूरा करो।” लेकिन भीतर की आवाज़ उसे कह रही थी, “भाग मत, सामना कर।” चार साल पुराने जख्म आज भी ताजा थे। मगर अब काव्या वह कच्ची उम्र की लड़की नहीं थी जो आंसू छिपाकर घर से भाग जाती थी। उसने चुपचाप एक लिफाफा निकाला, जिस पर राजमहल पैलेस का सुनहरा लोगो चमक रहा था। यह लिफाफा उसे अतीत में ले गया।

चार साल पहले की बात थी, जब काव्या और अर्जुन की शादी हुई थी। अर्जुन एक मिडिल क्लास लड़का था, जिसके सपने बहुत बड़े थे। काव्या सरकारी स्कूल की आर्ट टीचर थी। दोनों ने मंदिर में शादी की थी। शुरू के महीनों में सब कुछ ठीक चल रहा था। अर्जुन की नौकरी एक बड़ी टेक कंपनी में लग गई, सैलरी बढ़ी और सपनों का फास्ट फॉरवर्ड बटन दब गया। इसी बीच उसकी मां, शालिनी देवी, ने दखल देना शुरू किया। उसने कहा, “तुम्हारी बीवी ठीक है, पर हमारी बिरादरी में यह लड़की नहीं चलेगी।”

एक रात ऑफिस में चोरी का हंगामा हुआ। कंपनी का 20 लाख का प्रोजेक्ट फाइल लीक हो गया। शक की सुई तुरंत काव्या की तरफ घुमाई गई। कहा गया कि यह आर्ट टीचर हर जगह दखल देती फिरती है, शायद उसने ऐसा किया होगा। अर्जुन ने उस रात वही किया जो कमजोर लोग करते हैं — खुद खड़े होने की जगह भीड़ के पीछे छुप गया। उसने कहा, “काव्या, अभी कुछ दिन मायके रहो। सब शांत हो जाए तो वापस आना।” काव्या की आंखें भर आईं। “मुझ पर भरोसा नहीं,” वह सोचती रही। वह रात आखिरी थी।

अगले दिन काव्या चुपचाप मायके चली गई। एक महीने बाद उसे पता चला कि वह मां बनने वाली है। उसने वापस जाने की हिम्मत नहीं जुटाई। फोन पर भीगी आवाज में खुशखबरी बताई तो दूसरी तरफ से बस इतना ही आया, “अभी मत आना, बातें बिगड़ जाएंगी।” कॉल कट गई। उस दिन काव्या ने फैसला किया कि दुनिया चाहे जो कहे, वह अपने बच्चों को सिर ऊंचा करके पालेंगी।

आज भी वही किराए की कोठरी थी, मगर काव्या अब कच्ची नहीं थी। दिन में वह स्कूल में आर्ट पढ़ाती, रात में बुटीक के लिए डिजाइन बनाती। शादी-ब्याह के ट्रेंड को समझा, हाथ की कढ़ाई को ब्रांडिंग सिखाई। दो साल में उसका बुटीक “फोर लिटिल थ्रेड्स” नाम से खुल गया। उसकी मेहनत रंग लाई। दो बेटियों के नाम पर बनाया गया एक वीडियो रील वायरल हुआ। साड़ी अभी भी क्लासिक थी, और ऑर्डर बरस पड़े।

राजमहल पैलेस शहर का सबसे शाही वेडिंग वेन्यू था। वहीं के मालिक की बेटी की शादी में काव्या ने आउटफिट कंसल्टिंग की। मालिक राजवीर सिंह ने पहली मीटिंग में कहा था, “तुम्हारी आंखों में डर नहीं, यकीन है, जो बिजनेस में चाहिए।” उस प्रोजेक्ट के बाद राजवीर ने उसे इवेंट विंग में छोटी सी हिस्सेदारी की पेशकश की। काव्या ने ईमानदारी से कहा, “सर, मेरे पास पूंजी कम है।” राजवीर हंसे, “तुम्हारा काम ही पूंजी है। हिस्सेदारी तुम कमाओगी, कागज मैं बनाऊंगा।” आज वही कागज उसके लिफाफे में था।

काव्या ने तय किया कि वह जाएगी। क्यों नहीं? क्योंकि भागने पर जख्म सड़ते हैं, सामना करने पर भरते हैं। सुबह उसने बेटियों से कहा, “शाम को एक बड़े फंक्शन में चलना है। अच्छे कपड़े पहनेंगे, पर किसी के लिए नहीं, अपनी खुशी के लिए।” आरुषि उत्साहित हो उठी।

दोपहर में राजवीर का कॉल आया, “कल तुमने वेन्यू चेक किया था, कोई दिक्कत नहीं। आज रात वहां एक और काम भी है।” राजवीर हंसे, “मैं ड्राइवर को लिमोजीन से भेज रहा हूं। हमारी पार्टनर किसी ऑटो में नहीं जाएगी।” काव्या हिचकिचाई, “लोग बातें करेंगे।” राजवीर ने मजाक में कहा, “बातें तो तब भी करते थे जब तुम बस पकड़ती थी।” दोनों हंसे।

शाम के सात बजे, फोर लिटिल थ्रेड्स के तीनों मेंबर — काव्या और उसकी दोनों बेटियां — लाल रंग के सिंपल मगर एलिगेंट आउटफिट में निकल पड़ीं। सड़क पर सफेद लिमोजीन उनके सामने आकर रुकी। पड़ोस की खिड़कियां खुल गईं, किसी ने कहा, “देखा, आखिर अमीर घर की है।” काव्या ने सिर्फ मुस्कुराकर बच्चों का हाथ थाम लिया। उसकी सच्चाई को बिना जाने दुनिया चाहे जो कहे।

राजमहल पैलेस की सीढ़ियां रोशनी से नहा रही थीं। फूलों की कतारें, लाइव सिटार, कैमरों की चमक। मेहमानों के बीच बातें हुईं, “वो देखो, अर्जुन की पहली बीवी और ये दो छोटी लड़कियां कितनी मिलती हैं अर्जुन से।” काव्या के कदम नहीं डगमगाए। उसने गार्ड को स्माइल दी। गार्ड ने कहा, “जी मैडम, उधर, राजवीर सर ने कहा है, मिस पार्टनर के लिए खास एंट्री।” काव्या ने बच्चों से कहा, “यहीं से सीधे अंदर चलो।”

सीढ़ियों के ऊपर से अर्जुन ने उसे पहली बार देखा। वह टक्सडो में था, चेहरे पर आत्मविश्वास था, पर आंखों में एक पल के लिए झटका। यह लिमोजीन, यह ठहराव। बगल में दुल्हन रिया खड़ी थी, शहर के सबसे बड़े बिल्डर की बेटी। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन नजरों में तेजधार चमक। “तुम आ भी गई, अच्छा है, शो शुरू करते हैं,” रिया ने कहा।

रिया ने अपने इवेंट मैनेजर से कहा था कि अर्जुन की एक साई को मेहमान सेवा काउंटर पर लगा देना, “पानी पिला दी, अच्छी लगेगी।” इवेंट मैनेजर ने हंसकर सिर हिलाया, “यादगार मोमेंट बन जाएगा, मैम।” जैसे ही काव्या गेट पर पहुंची, मैनेजर आगे आया, “मिस गेस्ट हेल्प डेस्क उस तरफ।” काव्या ने शांति से कहा, “मैं मेहमान हूं और पार्टनर भी।” मैनेजर चौंका। पीछे राजवीर आ गए, “क्यों पार्टनर को नहीं पहचानते?” मैनेजर की घिगी बंध गई।

रिया दूर से सब देख रही थी। उसके चेहरे पर टेंशन की हल्की रेखा दौड़ी। “यह पार्टनर शब्द कहां से आया?” अर्जुन ने जबरन सहज दिखने की कोशिश की, “काव्या, कैसा चल रहा है?” काव्या ने सिर हिलाया, “ठीक। और तुम्हारी नई जिंदगी मुबारक।” जुड़वा बच्चों ने मासूमियत से अर्जुन को देखा। एक पल को उसके भीतर कुछ टूटा। दोनों के चेहरे उसके बचपन की फोटो जैसे थे। पर उसने खुद को संभाल लिया, “मेरे फैसले सही हैं,” वह मन ही मन बोला।

फोटोग्राफर बार-बार काव्या की ओर कैमरा घुमाता रहा। लोग साइड में खड़े काफ़ी बातें कर रहे थे। अर्जुन ने उसे बुलाकर पब्लिक में नीचा दिखाने की योजना बनाई थी, पर काव्या ने किसी की ओर देखा भी नहीं। वेटरों से सहज होकर बोली, “ध्यान रहे बच्चों के रास्ते में गर्म खाना न आए।” एक वेटर ने धीमे से कहा, “मैडम, आपने पिछले इवेंट में भी यही कहा था। आपके आने से हॉल का रौनक बदल जाता है।” काव्या मुस्कुराई, “इवेंट नहीं, इंसान याद रहते हैं।”

तभी बैकस्टेज से खबर आई, “दही भल्ले का काउंटर मिसअप, मेहमान नाराज हैं।” रिया तमतमा उठी, “कहां है वह हेल्प डेस्क वाली? काव्या उसे बुलाओ।” राजवीर ने कहा, “समस्या है तो मेरी टीम संभालेगी। मिस काव्या मेहमान हैं।” रिया के चेहरे पर झिझक और चिढ़ एक साथ उभरी। “ओ, तो यह आपकी टीम में है?” राजवीर ने ठंडे स्वर में कहा, “मेरी पार्टनर है।”

अर्जुन ने बीच बचाव को हंसी में उड़ाने की कोशिश की, “लेट्स मूव, फेरे का मुहूर्त नजदीक है।” फेरे शुरू होने से पहले स्टेज पर “पुरानी यादें” नाम का छोटा एवी चलना था। रिया ने इसे इसलिए रखा था कि वीडियो के अंत में एक तस्वीर आए — अर्जुन और काव्या की शादी के दिनों की। फिर स्क्रीन काली पड़ जाएगी ताकि सब हँसें, “देखो क्या था और अब क्या है।”

एवी शुरू हुआ। अर्जुन के बचपन, कॉलेज, पहली नौकरी तक सब दिखाया गया। फिर अचानक स्क्रीन पर काव्या की तस्वीर आई, सादगी भरी मुस्कान और एक साधारण मंगलसूत्र। भीड़ में खुसरफुसर हुई। अगली फ्रेम में कैप्शन आना था, “गलत चुनाव।” पर स्क्रीन पर जो उभरा, उसने सबको चौंका दिया — “सही समय पर गलत लोगों को छोड़ देना भी सही चुनाव होता है। क्रेडिट: फोर लिटिल थ्रेड्स एक्स राजमहल इवेंट्स।”

कैमरा रिया पर था, उसकी आंखें फैल गईं। इवेंट टेक्निशियन भागता हुआ आया, “मैम, फाइल ऑटो पुश से बदल गई। सिस्टम में नया ओवरले था, काव्या मैम के अकाउंट से।” रिया ने दांत भांजे। “किसने अनुमति दी?” टेक्निशियन डरते-डरते बोला, “सर, राजवीर का मास्टर एक्सेस और पार्टनर टैग भी।” भीड़ में कान फूंस गए। “पार्टनर? यह तो कहानी पलट गई भाई।”

अर्जुन की धड़कन तेज हुई। उसने काव्या को देखा, जो शांत थी, मगर आंखों में उस रात की सारी यादें धुंध में बदलकर ताकत बन चुकी थीं। फेरे से पहले पंडित ने रीत के अनुसार बड़ों का आशीर्वाद के लिए बुलाया। शालिनी देवी, जो अब नए रिश्तेदारों के बीच अपने ठाट में थी, स्टेज की तरफ बढ़ी। काव्या को देखते ही तिरस्कार उनके चेहरे पर उतर आया। “अच्छा हुआ आ गई, ताकि देख लो कि किस तरह की बहू हमने चुनी है। तुमसे बेहतर।” काव्या ने विनम्रता से कहा, “शादी उनका है, कटाक्ष आपका। फर्क समझना जरूरी है।”

शालिनी देवी बोलीं, “आज भी इतनी ही तेज जबान, इसलिए तो घर नहीं बस पाया।” राजवीर बीच में आए, “दीदी, यहां कटाक्ष की नहीं, खुशियों की रात है।” तभी स्टेज के सामने जुड़वा बच्चियां खड़ी दिखीं। शालिनी देवी की नजर उन पर पड़ी। चेहरे की शक्ल-सूरत, उनकी आंखें अर्जुन की तरह थीं। उनके कदम थम गए। “यह किसके बच्चे हैं?” भीड़ अचानक शांत हो गई।

काव्या ने एक-एक शब्द तौलकर कहा, “मेरी बेटियां हैं, इनका नाम आर्या और आरुषि है। अर्जुन की भी।” अर्जुन के अंदर जैसे कोई बांध टूट गया। वह एक कदम आगे बढ़ा, फिर खुद को रोक लिया। रिया के चेहरे पर संदेह की स्पष्ट रेखा थी। “अर्जुन, यह क्या है?” अर्जुन जवाब खोजने के लिए हठ खोले ही थे कि राजवीर ने हाथ उठाया, “माफ कीजिए, निजी सवालों का मंच अब नहीं बनेगा। रस्में आगे बढ़ाएं।”

लेकिन सवाल हवा में तैरता रहा। रिश्तों का सच किसी भी रस्म से बड़ा होता है। काव्या को याद आया वो आखिरी महीने, जब उसने अर्जुन को गर्भ की बात बताई थी। उसने विश्वास मांगा था, एक फोन कॉल का वादा मिला, फिर लंबी चुप्पी। उस रात अस्पताल के बाहर उसने अकेले कागज भरकर बच्चों का पहला नाम लिखा था। किसी ने हाथ नहीं थामा, बस वार्ड की नर्स ने कहा, “मैडम अकेली नहीं है, भगवान का साथ है।” आज वही बच्चे उसकी उंगली पकड़ रहे थे।

भीड़ में एक और चेहरा था — विक्रम सोढ़ी, वही टेक कंपनी का सीनियर जिसने चार साल पहले अर्जुन को बहकाया था कि काव्या अंदरूनी फाइलें लीक करती है। विक्रम आज रिया के पिता का क्लोज बिजनेस पार्टनर बन चुका था। उसे डर था कहीं पुरानी बात खुल न जाए। वह अर्जुन के पास गया, “सब ठीक है ना? यह दोनों लड़कियां…” अर्जुन ने धीरे से कहा, “लोगों की बातें बस बातें रहती हैं। फेरे होने दो।” विक्रम ने राहत की सांस ली, “रात कट जाएगी, मामला ठंडा पड़ जाएगा।”

इसे क्या पता था कि रात अभी होनी बाकी थी। फेरे शुरू होने से पहले एंकर ने घोषणा की, “लेडीज एंड जेंटलमैन, राजमहल इवेंट्स गर्व से आपका स्वागत करता है। आज की रात को खास बनाने के लिए हमारे साथ है ब्रांड पार्टनर और इस वेन्यू के इवेंट विंग की नई मेजॉरिटी स्टेक होल्डर, मिस काव्या।” आवाज यहीं तक आई थी कि हॉल में सनसनी मच गई।

एंकर ने आगे बढ़ा, “मिस काव्या सिंह, अर्जुन के हाथ से वरमाला हल्की सी फिसल गई।” रिया के चेहरे से मुस्कान सूख गई, “व्हाट? मेजॉरिटी? कैसे?” शालिनी देवी ने कुर्सी का हैंडल कसकर पकड़ा, “यह लड़की…” विक्रम के माथे पर पसीना आ गया। अब मामला सिर्फ इज्जत का नहीं, पावर का हो गया था।

काव्या ने पहली बार हॉल की पूरी भीड़ को देखा। उसने किसी को चुनौती नहीं दी, बस लिफाफा बाहर निकाला। सुनहरा लिफाफा, नीचे स्याही से चमकते दस्तखत — राजवीर सिंह के। वह धीरे-धीरे स्टेज की ओर बढ़ी, जुड़वा बच्ची उसके साथ थी। जैसे दो छोटे नन्हे तारे। भीड़ का शोर उनके आसपास धीमा पड़ गया।

राजवीर ने माइक लिया, “कुछ कागज आज शाम साइन हुए हैं। हमने इवेंट विंग में नई मेजॉरिटी स्टेक होल्डर को वेलकम किया है। वजह — काम, ईमानदारी और हिम्मत।” नाम, काव्या। तालियां हुईं, मगर सबकी सांसें अटकी हुई थीं। रिया के पिता ने पूछा, “मेजॉरिटी कैसे दी जा सकती है? यह तो हमारा इवेंट है।” राजवीर शांत थे, “इवेंट आपका मंच हमारा, और मंच उसी का जो उसे सम्मान दे सके। आज से यह साझेदारी और मजबूत हुई है।”

अर्जुन ने पहली बार सीधे काव्या की आंखों में देखा। “तुम यहां तक पहुंच गई,” और उसके अंदर का अहंकार बर्फ की तरह पिघलने लगा। पर अभी वह बिखरना नहीं चाहता था। “काव्या, क्या यह सब सिर्फ मुझे जवाब देने के लिए?” उसने धीमे स्वर में पूछा। काव्या ने शांत स्वर में कहा, “नहीं, यह सब मुझे खुद को जवाब देने के लिए। तुम्हें तो जिंदगी ने पहले ही जवाब दे दिया है।”

एंकर ने कहा, “अब वरमाला, दूल्हा-दुल्हन स्टेज पर चढ़ें।” भीड़ फिर से शोर करने लगी। तभी हॉल के दूसरे कोने से पुलिस इंस्पेक्टर अंदर आए। उनके साथ कंपनी की लीगल टीम का एक आदमी भी था। रहान, जो चार साल पहले उसी टेक कंपनी में कंप्लायंस देखता था। इंस्पेक्टर ने माइक मांगा, “माफ कीजिएगा, एक जरूरी बात है। हमें चार साल पुराने डाटा लीक केस में कुछ नए सबूत मिले हैं। और यह सबूत बताते हैं कि उस केस में काव्या नाम की लड़की निर्दोष थी। असली आरोपी उसने फाइल पलटी — विक्रम सोढ़ी।”

हॉल में सन्नाटा छा गया। विक्रम के हाथ से ग्लास गिर पड़ा। रिया का चेहरा तमतमा उठा, “डैड, यह क्या हो रहा है?” इंस्पेक्टर ने आगे कहा, “आज रात इसी हॉल में हमें आरोपी की मौजूदगी की सूचना मिली। इसलिए हम उसे हिरासत में लेने आए हैं।” सारे कैमरे विक्रम पर घूम गए। वह अटकते हुए बोला, “यह, यह, यह झूठ है। मैं बस…” इंस्पेक्टर ने दो कांस्टेबल को इशारा किया, “कृपया चलिए।”

अर्जुन का चेहरा पीला पड़ गया। उसे लगा भूमि उसके पैरों तले से खिसक रही है। कांपती आवाज में उसने काव्या से कहा, “मुझे सच नहीं पता था। माने ऑफिस ने इतना बोला।” वह चुप हो गया। काव्या ने हल्के से सिर झुका दिया। सच जानने का मौका हर रोज था — एक कॉल, एक मुलाकात, एक भरोसा। “तुमने किसी को चुना, मुझे नहीं।”

इंस्पेक्टर विक्रम को ले जाने लगे तो भीड़ फुसफुसाई। कहानी पूरी तरह पलट गई। अर्जुन ने एक आखिरी कोशिश में कहा, “फेरे शुरू करें, प्लीज।” पर उसी वक्त राजवीर ने आगे बढ़कर कहा, “फेरे तब होंगे जब इस हॉल में सच की इज्जत बहाल होगी।”

और एक घोषणा और बाकी थी। काव्या ने लिफाफा एंकर को थमाया। एंकर ने पढ़ा, “राजमहल इवेंट्स की नई मेजॉरिटी स्टेक होल्डर मिस काव्या आज रात एक विशेष गेस्ट ऑफ ऑनर को स्टेज पर बुलाना चाहती हैं। जिनका नाम है — आर्या और आरुषि सिंह।” हॉल में हर आंख काव्या पर टिक गई। काव्या ने मंच की रोशनी में अर्जुन को देखा। गला सूख गया, पर आवाज स्थिर रही, “इनके पिता का नाम भी आज यही बताया जाएगा।”

हॉल में पिन ड्रॉप साइलेंस था। एंकर ने दोबारा पूछा, “काव्या जी, आप क्या कहना चाहती हैं?” काव्या ने माइक लिया। उसकी आवाज शांत थी, पर उसमें सालों का दर्द और हिम्मत दोनों थे। “मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आज जिन दो नन्ही जानों को दुनिया अनजाने में किसी की गलती समझती रही, वही मेरे जीवन की सबसे बड़ी जीत हैं। ये आर्या और आरुषि हैं, मेरी बेटियां, और हां, अर्जुन की भी।”

भीड़ में कान्हा फूंसने की आवाज गूंज उठी। “अर्जुन की? मतलब यह उसकी ही बेटियां हैं।” रिया के चेहरे पर बिजली सी चमक गई। “क्या?” अर्जुन के पास कोई जवाब नहीं था। उसने बस धीरे से कहा, “काव्या, मैं माफी चाहता हूं।” काव्या ने आंखें नीची कीं, लेकिन आंसू नहीं गिरे। “माफी उस वक्त देनी चाहिए थी जब किसी को संभालने का मौका होता है। अब तो मैं गिरकर उड़ना सीख चुकी हूं। अर्जुन, अब मुझे सहारे नहीं, सम्मान चाहिए।”

रिया ने अर्जुन का हाथ झटक दिया, “तुमने यह बात मुझसे छिपाई। तुम शादी से पहले बाप बन चुके थे और मुझे तमाशा बना दिया।” अर्जुन ने सफाई देने की कोशिश की, “मैं डर गया था। मां ने कहा था अगर सच बताया तो रिश्ता टूट जाएगा।” रिया चिल्लाई, “तो अब रिश्ते की जरूरत ही क्या है? तुम खुद को अमीर समझते थे, लेकिन असल में तुम सबसे गरीब निकले।” रिया ने वरमाला वहीं फेंक दी।

भीड़ में हलचल मच गई। अर्जुन नीचे झुक गया, हाथ कांप रहे थे। राजवीर मंच पर आए, “काव्या सिन्हा, आज आपने सिर्फ अपने सम्मान की नहीं, हर उस औरत की इज्जत लौटा दी है जिसे दुनिया ने कमजोर समझा।” उन्होंने आगे कहा, “आज से यह हॉल, यह इवेंट कंपनी और यह शहर सब आपको एक नाम से जानेंगे। काव्या, राजवीर सिंह मेरी बिजनेस पार्टनर नहीं, मेरी जिंदगी की प्रेरणा।”

भीड़ में तालियां गूंज उठीं, फ्लैशलाइटें चमकने लगीं। काव्या ने थोड़ा पीछे हटकर कहा, “राजवीर, यह जरूरी नहीं था।” राजवीर मुस्कुराए, “एज छुपाई नहीं जाती, दुनिया को दिखाई जाती है।” सीढ़ियों के पास शालिनी देवी खड़ी थी। वह कांपते हुए काव्या के पास आई, “बेटा, मैं गलत थी। उस दिन अगर मैंने तुझे समझा होता तो आज मेरा बेटा यूं शर्मसार नहीं होता। माफ कर दे।” काव्या ने उनके पैर छुए, “मैंने आपको पहले ही माफ कर दिया था। मांझी, बस अब किसी और काव्या को टूटने मत दीजिएगा।”

शालिनी देवी फूट-फूट कर रोने लगीं। आर्या और आरुषि मंच पर दौड़ कर आईं, “मम्मा, अब सब लोग आपको देख रहे हैं।” काव्या ने दोनों को गले लगाया, “हाँ बेटा, अब वे देख रहे हैं जो सालों से नहीं देख पा रहे थे — सच्चाई और मेहनत की ताकत।” राजवीर मुस्कुराए, “आज से यह दोनों फोर लिटिल थ्रेड्स नहीं, बल्कि टू लिटिल क्वींस की नई फैमिली होंगी।”

कैमरे फिर चमके। काव्या, उसकी दोनों बेटियां और राजवीर, सबकी मुस्कुराहट में रोशनी थी। अर्जुन धीरे-धीरे सबके बीच से निकलने लगा। कोई उसे रोक नहीं रहा था। शालिनी देवी ने उसे पुकारा, “बेटा, रुक जा।” वह थमा, पर पीछे मुड़ा नहीं। काव्या ने सिर्फ इतना कहा, “अर्जुन, जीवन में जो औरत तुमसे हार गई थी, वह आज तुमसे नहीं, अपनी तकदीर से जीत गई है। अब तुम्हारा रास्ता अकेला है, क्योंकि जहां विश्वास मरता है, वहां रिश्ता भी नहीं रहता।”

अर्जुन की आंखों में आंसू थे। वह मुड़ा, बच्चों को देखा और चुपचाप चला गया। छह महीने बाद, फोर लिटिल थ्रेड्स देश के सबसे बड़े डिजाइन ब्रांच में शामिल हो गया। टीवी पर इंटरव्यू में काव्या ने कहा, “हर औरत के जीवन में एक अपमान का पल आता है। लेकिन अगर वह पल झुकने की जगह खड़े होने में बदल जाए, तो वही पल उसका इतिहास लिख देता है।”

इंटरव्यू के अंत में होस्ट ने पूछा, “अगर आज अर्जुन आपसे माफी मांगे तो?” काव्या मुस्कुराई, “माफी देना भी एक ताकत है, और मैंने वह बहुत पहले सीख ली थी जिसे लोग अपमान समझते हैं। वही जिंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान होता है, और जो उस इम्तिहान को पार कर लेता है, वही सम्मान कहलाता है।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर हम हिम्मत और ईमानदारी से अपने रास्ते पर चलें, तो सफलता और सम्मान जरूर मिलता है। संघर्ष से डरे नहीं, बल्कि उससे लड़ें, क्योंकि वही हमें मजबूत बनाता है। काव्या की तरह हर महिला अपने जीवन की नायिका बन सकती है, जो न केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी मिसाल कायम करती है।