सिर्फ काम मांगने आई थी… करोड़पति ने जो किया, इंसानियत हिल गई
रीमा, मुश्किल से 25 साल की एक साधारण महिला। उम्र अभी ज़्यादा नहीं थी, लेकिन ज़िंदगी ने जितने ज़ख्म दिए थे, शायद कोई और सह भी न पाता। सात साल पहले उसकी शादी हुई थी और सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। पति कमाने वाले थे, एक छोटी-सी प्यारी बेटी उनकी ज़िंदगी की रौनक थी। मगर अचानक एक बीमारी ने उसके पति को छीन लिया। पल भर में उसकी दुनिया उजड़ गई।
रीमा के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि वह अकेली बेटी की परवरिश कैसे करेगी। दुख और सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि ससुराल वालों ने साफ़ कह दिया – “अगर तेरे पेट से बेटा हुआ होता तो तुझे रख लेते। लेकिन तू सिर्फ बेटी की माँ है, हमारे लिए बोझ है।” इन शब्दों ने रीमा के दिल को चकनाचूर कर दिया। वह अपनी मासूम बच्ची को सीने से लगाकर बहुत रोई, लेकिन आंसुओं का कोई मोल नहीं था। आखिरकार उसे घर से निकाल दिया गया।
मायके से भी उम्मीद टूटी
बेटी को गोद में उठाकर वह मायके पहुँची। सोचा माँ-बाप सहारा देंगे। पर वहाँ भी हालात अलग ही थे। बूढ़े माँ-बाप पहले ही गरीबी से जूझ रहे थे। भाई और भाभी का व्यवहार तो और भी कठोर था। भाभी ताने देती – “कितने दिन और हमारे घर पर बोझ बनकर रहोगी? अपनी ज़िंदगी खुद संभालो।”
रीमा चुपचाप सुन लेती और आँसू पी जाती। पर अंदर से वह टूट रही थी। उसे लगने लगा कि अगर यहाँ रही तो उसके माँ-बाप को भी ताने झेलने पड़ेंगे। एक रात जब सब सो रहे थे, रीमा ने अपनी बच्ची को गोद में उठाया और घर से निकल गई। उसके मन में बस एक ही निश्चय था – चाहे जैसे भी हालात हों, लेकिन वह अपनी बेटी को पालकर दिखाएगी।
संघर्ष की शुरुआत
कुछ दिनों तक यहाँ-वहाँ भटकने के बाद रीमा शहर पहुँची। उसने एक छोटा-सा कमरा किराए पर लिया और घर-घर जाकर काम करने लगी। सुबह से शाम तक झाड़ू-पोछा, बर्तन साफ़ करना, कपड़े धोना – जो भी काम मिलता, करती। बदले में जो पैसे मिलते, उससे अपनी बेटी का पेट पालती।
लेकिन यह सब आसान नहीं था। लोग उसे नीची नज़र से देखते। बच्चे कहते – “यह तो हमारी नौकरानी है।” रीमा अपमान सह लेती, पर अपनी बच्ची की खातिर हर दर्द झेल जाती। धीरे-धीरे दिन गुज़रते गए, मगर मुश्किलें कम नहीं हुईं। कभी बेटी के लिए दूध लाना मुश्किल होता, तो कभी मकान का किराया देना। वह हर पल दोराहे पर खड़ी रहती – बेटी का पेट भरे या मकान मालिक का बकाया चुकाए।
मकान मालिक का प्रस्ताव
एक दिन मकान मालिक उसके कमरे में आया और बोला – “अगर और काम की ज़रूरत हो तो मैं जानता हूँ एक अमीर आदमी है। उसे घर में नौकरानी चाहिए। चाहो तो वहाँ काम कर सकती हो।”
रीमा ने सोचा कि यह उसके और उसकी बेटी के लिए नया मोड़ हो सकता है। उसने हामी भर दी। अगले दिन मकान मालिक उसे उस बड़े मकान तक ले गया।
वीरान हवेली और अकेला मालिक
मकान शहर की भीड़-भाड़ से दूर था। बाहर लंबा-चौड़ा आंगन, ऊँची दीवारें और अंदर गहरा सन्नाटा। जैसे यह घर सिर्फ अमीरी ही नहीं, वीरानी की भी कहानी कह रहा हो।
दरवाज़ा खोला एक लंबे, गोरे-चिट्टे युवक ने। उसकी उम्र मुश्किल से 28 साल रही होगी। चेहरा खूबसूरत था लेकिन आँखों में गहरी उदासी। मकान मालिक ने कहा – “भाई साहब, यह है रीमा। बहुत मजबूर है। अगर चाहें तो यह आपके घर का काम संभाल सकती है।”
युवक ने धीमी नज़र से रीमा को देखा और फिर उसकी गोद में सिमटी बच्ची को। रीमा बोली – “मैं झाड़ू-पोछा, खाना बनाना सब काम कर दूँगी। बस मुझे और मेरी बेटी को रहने और खाने का सहारा मिल जाए।” कुछ पल की चुप्पी के बाद युवक बोला – “अंदर आइए।”
अभय की अधूरी कहानी
घर अंदर से बेहद बड़ा था लेकिन हर जगह वीरानी पसरी थी। धूल जमी चीज़ें, बंद खिड़कियाँ और एक दीवार पर टंगी तस्वीर। उस तस्वीर में वही युवक अपनी पत्नी और बेटी के साथ मुस्कुरा रहा था।
रीमा ने देखा और समझ गई कि इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे गहरा दर्द छिपा है। युवक ने धीरे से कहा – “मेरा नाम अभय है। कुछ महीने पहले एक हादसे में मेरे माता-पिता, पत्नी और बेटी – सब मुझसे छिन गए। तब से यह घर वीरान है, और मैं अकेला हूँ।”
रीमा सुनकर सन्न रह गई। उसने अपनी बेटी को कसकर सीने से लगा लिया। अभय की नज़रें उस बच्ची पर टिक गईं। उसने पूछा – “इसका नाम क्या है?”
रीमा बोली – “अनवी।”
अभय हल्का-सा मुस्कुराया – “बिल्कुल मेरी गुड़िया जैसी।”
नई रोशनी
रीमा ने उस घर में काम करना शुरू किया। सुबह झाड़ू-पोछा, फिर खाना बनाना, और पूरे दिन उस वीरानी को मिटाने की कोशिश। लेकिन असली रोशनी आई उसकी बेटी अनवी से।
अनवी की मासूम चहचहाट पूरे घर में गूंजने लगी। कभी आंगन में गुड़िया से खेलती, कभी भागती-दौड़ती। अभय चुपचाप देखता और उसकी आँखों में नमी आ जाती। उसे लगता मानो उसकी खोई हुई बेटी लौट आई हो।
एक दिन अनवी गिर गई और घुटने से खून निकल आया। अभय दौड़कर उसे गोद में उठा लिया – “कुछ नहीं होगा मेरी गुड़िया को।” यह सुनकर रीमा का दिल पिघल गया। यह पहली बार था जब अभय ने अनवी को अपनी बेटी की तरह पुकारा।
रिश्ता बदलने लगा
धीरे-धीरे अभय का लगाव सिर्फ अनवी तक नहीं रहा, बल्कि रीमा तक भी पहुँचने लगा। वह सोचता – यह औरत कितनी मजबूत है, जिसने सबकुछ खोकर भी हिम्मत नहीं छोड़ी।
एक दिन उसने कहा – “पहले यह घर वीरान था, लेकिन अब यहाँ हंसी गूंजती है। तुम्हारी बेटी मुझे जीने की वजह देती है, और तुम्हारी हिम्मत इंसानियत पर विश्वास दिलाती है।”
रीमा की आँखें भर आईं। उसे लगा कि शायद उसकी जिंदगी अब एक नई दिशा लेने लगी है।
इंसानियत से आगे…
दिन बीतते गए। अभय अब अनवी को स्कूल छोड़ने खुद जाने लगा। कभी-कभी खिलौने लाता, उसे गोद में झुलाता। सब देखकर यही लगता कि वह उसकी ही बेटी है। रीमा के मन में सवाल उठता – क्या भगवान ने इस आदमी को सच में मेरे जीवन का सहारा बनाकर भेजा है?
एक दिन जब रीमा बीमार पड़ गई, अभय ने उसका पूरा ख्याल रखा। उसके माथे पर पट्टी रखता और कहता – “अब तुम्हें किसी तकलीफ का अकेले सामना नहीं करना पड़ेगा।” रीमा ने आँसुओं से भीगे स्वर में कहा – “आपने जो मेरे और मेरी बेटी के लिए किया है, मैं कभी नहीं भूलूँगी।”
अभय ने धीरे से कहा – “रीमा, यह सिर्फ इंसानियत नहीं है… मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूँ।”
नया मोड़
समय बीतने के साथ वह घर चारदीवारी से एक परिवार में बदल गया। अब वहाँ हंसी, प्यार और अपनापन था।
एक दिन अभय ने कहा – “रीमा, अगर मैं कहूँ कि यह घर अब सिर्फ मेरा नहीं, तुम्हारा भी है… क्या तुम इस घर की मालकिन बनोगी?”
रीमा चौंक गई – “मैं? मैं तो बस एक नौकरानी हूँ।”
अभय ने उसका हाथ थाम लिया – “नौकरानी नहीं, तुम मेरे टूटे घर की रौनक हो। तुम्हारी बेटी अब मेरी भी बेटी है। हम तीनों एक परिवार की तरह रहेंगे।”
रीमा की आँखों से आंसू बह निकले। उसे याद आया, जब पति मरा था तो सबने उसे ठुकरा दिया था। लेकिन आज वही रीमा किसी के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी थी।
नया परिवार
कुछ ही दिनों बाद मोहल्ले के मंदिर में सादे तरीके से शादी हुई। रीमा ने लाल साड़ी पहनी, अभय ने साधारण कुर्ता। पंडित जी ने जब सात फेरे पूरे कराए, तो अनवी खिलखिलाकर बोली – “पापा!”
अभय ने आँसुओं से भरी आँखों के साथ बच्ची को सीने से लगाया – “हाँ मेरी गुड़िया, आज से मैं सचमुच तुम्हारा पापा हूँ।”
मंदिर में मौजूद लोग भावुक हो उठे। जिस औरत को कभी बोझ कहा गया था, आज वही किसी की ज़िंदगी का सहारा बन गई थी।
Play video :
News
IPS अफसर की कार के सामने भीख माँगने आई महिला, निकली उसकी माँ! | दिल छू लेने वाली सच्ची कहानी”
IPS अफसर की कार के सामने भीख माँगने आई महिला, निकली उसकी माँ! | दिल छू लेने वाली सच्ची कहानी”…
रेखा को पति अमिताभ बच्चन के साथ अस्पताल से छुट्टी मिली
रेखा को पति अमिताभ बच्चन के साथ अस्पताल से छुट्टी मिली बॉलीवुड की सदाबहार अदाकारा रेखा एक बार फिर सुर्ख़ियों…
पिता की आखिरी इच्छा के लिए बेटे ने 7 दिन के लिए किराए की बीवी लाया… फिर जो हुआ, इंसानियत हिला गई
पिता की आखिरी इच्छा के लिए बेटे ने 7 दिन के लिए किराए की बीवी लाया… फिर जो हुआ, इंसानियत…
सिर्फ काम मांगने आई थी… करोड़पति ने जो किया, इंसानियत हिल गई
सिर्फ काम मांगने आई थी… करोड़पति ने जो किया, इंसानियत हिल गई रीमा की उम्र मुश्किल से पच्चीस बरस रही…
बुजुर्ग को संसद से धक्के देकर निकाला लेकिन जब फाइल खुली राष्ट्रपति ने पैरों में गिरकर
बुजुर्ग को संसद से धक्के देकर निकाला लेकिन जब फाइल खुली राष्ट्रपति ने पैरों में गिरकर कहते हैं न, जिंदगी…
धर्मेंद्र को किन कर्मो की मिली सजा | क्या इनकी ज़िन्दगी का हकीकत | Bollywood Actor Dharmendra
धर्मेंद्र को किन कर्मो की मिली सजा | क्या इनकी ज़िन्दगी का हकीकत | Bollywood Actor Dharmendra . . The…
End of content
No more pages to load