करोड़पति बेटे ने देखा माँ-बाप को सड़क पर भीख मांगते, आगे जो हुआ सबके लिए सबक बन गया
कभी-कभी किस्मत इंसान को ऐसी जगह पहुंचा देती है, जहाँ उसकी पहचान, रिश्ते और भावनाएँ सब बदल जाती हैं। ऐसी ही एक सच्ची घटना ने सबको चौंका दिया, जब एक करोड़पति बेटे ने अपने ही माँ-बाप को सड़क पर भीख मांगते देखा।
25 वर्षीय अनाविर, इस्लामाबाद के सबसे बड़े मल्टीनेशनल कंपनी के बोर्ड मीटिंग में जा रहा था। उसकी चमचमाती मर्सिडीज कार, डिजाइनर सूट और हाथ में रोलेक्स घड़ी उसकी कामयाबी की पहचान थी। शहर के ट्रैफिक जाम में फंसी कार के भीतर बैठा अनाविर, अपनी प्रेजेंटेशन पर नजर डाल रहा था। तभी अचानक उसकी कार की खिड़की पर हल्की सी दस्तक हुई। पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन फिर दो कमजोर आवाजें सुनाई दीं—”बेटा, थोड़ा मदद कर दो।”
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अनाविर ने शीशा नीचे किया और सामने जो देखा, उसकी आँखें नम हो गईं। सड़क पर भीख मांगते बुजुर्ग कोई और नहीं, बल्कि उसके अपने पिता और सौतेली माँ थे। 13 साल बाद उन्हें इस हाल में देखकर अनाविर स्तब्ध रह गया। माँ-बाप ने उसे पहचाना नहीं, क्योंकि अब उसकी शक्ल बदल चुकी थी। बिना देर किए अनाविर कार से उतरा और बुजुर्गों को पास के रेस्टोरेंट ले गया। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिन से उन्होंने कुछ नहीं खाया था।
खाना खाते वक्त अनाविर अपने आँसू रोक नहीं सका। बुजुर्ग ने पूछा, “बेटा, आप क्यों रो रहे हैं?” अनाविर ने अपनी पहचान छिपाते हुए पूछा, “आप इस हालत में कैसे पहुँचे? क्या आपके कोई बच्चे नहीं?” पिता ने गहरी साँस लेकर बताया, “यह मेरी दूसरी पत्नी है। पहली पत्नी के दो बच्चे थे—एक बेटा और एक बेटी। मैं कभी बहुत बड़ा बिजनेसमैन था, लेकिन एक घटना ने सब बदल दिया। मेरी पत्नी ने बच्चों पर चोरी का झूठा इल्ज़ाम लगाकर उन्हें घर से निकाल दिया। बाद में मुझे सच पता चला, लेकिन मैंने चुप्पी साध ली। शायद अल्लाह को उन मासूम बच्चों पर हुआ जुल्म मंजूर नहीं था। धीरे-धीरे मेरा कारोबार डूब गया, सब कुछ बिक गया और हम सड़क पर आ गए।”
सौतेली माँ ने भी अपनी गलती स्वीकार की, “मैंने लालच में दो मासूम बच्चों को घर से निकाल दिया। आज पछतावे के आँसू बहा रही हूँ।” दोनों की आखिरी इच्छा थी—”मरने से पहले अपने बच्चों से माफी माँगना चाहते हैं।”
अनाविर ने उन्हें अपने आलीशान घर ले जाकर रहने की व्यवस्था की। वहाँ उसका पालक पिता रिज़वान भी रहता था, जिसने 15 साल पहले अनाविर और उसकी बहन को सड़क से उठाकर पाला था। कुछ दिनों बाद, जब असली पिता और रिज़वान बात कर रहे थे, तो सच सामने आया। रिज़वान ने बताया कि अनाविर और उसकी बहन को उसने भूखे-प्यासे पाया था और उन्हें अपनाया। असली पिता समझ गया कि यही उसके खोए हुए बच्चे हैं।
भावुक पल में अनाविर ने अपनी पहचान बताई। माँ-बाप ने उसके पैरों में गिरकर माफी माँगी। अनाविर ने उन्हें उठाया और कहा, “रिश्ते ऐसे नहीं कि आप पैरों में गिरें। आपकी गलती के लिए आप सज़ा भुगत चुके हैं। अब मैं आपके लिए कोई गिला नहीं रखता, लेकिन मेरे लिए पिता हमेशा रिज़वान ही रहेंगे।”
कुछ समय बाद अनाविर की बहन आयशा भी आई और उसने भी माँ-बाप को माफ कर दिया। सबने मिलकर एक नए रिश्ते की शुरुआत की। शुरुआत में माहौल भारी था, लेकिन धीरे-धीरे घाव भरने लगे। रिज़वान की समझदारी और बच्चों के दिल की विशालता ने सबको जोड़ दिया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्ते खून से नहीं, दिल से बनते हैं। गलती किसी से भी हो सकती है, लेकिन सच्ची माफी और इंसानियत ही असली अमीरी है। क्या आप भी मानते हैं कि परिवार और माफ़ी का रिश्ता सबसे बड़ा होता है? अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।
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