आखिर क्यों झुका Inspector गांव की साधारण लड़की के सामने…
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कनिका मेहरा, जिले की सबसे बड़ी अधिकारी, एक साधारण सी लड़की की तरह गुलाबी रंग की सलवार सूट पहने, अपने बूढ़े माँ के लिए चिकन खरीदने बाजार आई थीं। उनका पहनावा और चाल-ढाल देखकर कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यह लड़की कोई आम नहीं बल्कि जिले की सबसे बड़ी अधिकारी डीएम हैं। वह एक छोटी सी दुकान पर रुकीं, जहाँ एक चौसठ वर्षीय आदमी चिकन बेच रहा था।
धीरे से कनिका ने कहा, “भैया, मुझे एक किलो चिकन दे दीजिए।” इतने में एक मोटरसाइकिल दुकान के पास आकर रुकी। उससे उतरते ही इंस्पेक्टर आदित्य रंजन ने कहा, “मेरे लिए दो किलो चिकन पैक कर दो।” दुकानदार ने विनम्रता से कहा, “सर, आप दो मिनट रुक जाइए, पहले मैडम को चिकन दे देता हूँ, फिर आपको भी।”
इंस्पेक्टर आदित्य रंजन का गुस्सा फूट पड़ा। उसने चिल्लाते हुए कहा, “क्या कहा? मुझे दो मिनट रुकना पड़ेगा? तेरे पापा का नौकर हूँ क्या मैं? क्या मैं तुझे दिख नहीं रहा? मैं कौन हूँ? भूल गया क्या? मैं अभी चाहूँ तो तेरी दुकान उठा दूँ। ज्यादा जुबान मत चलाना। जल्दी से मुझे दो, फिर किसी और को देना। समझा?”
कनिका मेहरा खड़ी-खड़ी यह सब सुन रही थीं। उन्होंने देखा कि इंस्पेक्टर दुकानदार से बदतमीजी कर रहा है, गालियाँ दे रहा है और अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने बीच में बोलते हुए कहा, “सर, आप बाद में आए हैं तो आपको थोड़े दिन रुकना होगा। मैं पहले आई हूँ। मुझे पहले लेने दीजिए, फिर आप भी ले लीजिएगा, इसमें कौन सी बड़ी बात है?”
इंस्पेक्टर ने गुस्से में कहा, “अब गवार लड़की, तुझे दिख नहीं रहा मैं कौन हूँ? मैं इंस्पेक्टर हूँ। यहाँ का, समझी? मैं जो कहता हूँ वही होता है। तू मेरे सामने ज्यादा जुबान मत चला। तू जानती नहीं मैं कौन हूँ। अभी इतना मारूँगा कि घर तक चल के नहीं जा पाएगी और मेरे से जुबान चला रही है।”

कनिका अंदर ही अंदर कांप रही थीं, लेकिन कुछ नहीं बोलीं। दुकानदार डर के मारे पहले इंस्पेक्टर को चिकन पैक करके दे दिया। इंस्पेक्टर चिकन लेकर मोटरसाइकिल पर बैठने ही वाला था कि दुकानदार ने कहा, “इंस्पेक्टर साहब, आपने चिकन के पैसे नहीं दिए। प्लीज पैसे दे दीजिए, ₹400 ही हुए हैं।”
इंस्पेक्टर गुस्से से बोला, “अबे साले, तुझे समझ नहीं आता? तू मुझसे पैसे मांगेगा? मैं यहाँ का इंस्पेक्टर हूँ, समझा? जो मैं बोल रहा हूँ वही कर वरना अभी तुझे जेल में डाल दूंगा। समझ बेकार का? तेरा परिवार तो भाड़ में जाएगा ही, ऊपर से तू जिंदगी भर जेल में सड़ेगा। तो इसी में तेरी भलाई है कि मुझे फ्री में चिकन दिया कर। और हाँ, कल भी मैं आऊंगा क्योंकि कल मेरे घर रिश्तेदार आ रहे हैं।”
इंस्पेक्टर ने धमकाते हुए कहा कि कल उसे ज्यादा चिकन चाहिए, पहले से तैयार रखना, वरना इतना मारूँगा कि सोच भी नहीं सकता। यह सब कहते हुए वह मोटरसाइकिल स्टार्ट करके चला गया। कनिका मेहरा इंस्पेक्टर की बदतमीजी और उसके गलत हरकतों को देखकर अंदर ही अंदर कांप रही थीं, लेकिन कुछ नहीं बोलीं।
कुछ देर बाद उन्होंने दुकानदार से कहा, “भाई, यह इंस्पेक्टर आपको चिकन के पैसे नहीं देता। ऐसे तो आपको नुकसान हो गया। क्या वह आपसे ऐसे ही चिकन लेकर जाता है? कभी पैसे नहीं देता क्या?”
दुकानदार ने कहा, “हाँ बहन, यह इंस्पेक्टर कई बार मेरे से चिकन लेकर गया है, लेकिन कभी पैसे नहीं देता। अगर मैं कुछ कहता हूँ तो धमकाता है, कहता है कि तेरा दुकान उठवा दूंगा, तुझे जेल में डाल दूंगा, तेरा परिवार बर्बाद कर दूंगा। ऐसी-ऐसी धमकियाँ देता है कि मैं कुछ बोल ही नहीं पाता।”
कनिका ने गंभीर स्वर में कहा, “नहीं भाई, अब छोड़ना नहीं है। इस इंस्पेक्टर को अब अपनी वर्दी छोड़नी पड़ेगी। उसने ना जाने कितने लोगों को लूटा है और आगे भी लूटता रहेगा। किसी को भी यह अधिकार नहीं कि वह किसी गरीब पर अत्याचार करे या जुल्म ढाए। यह कानूनन अपराध है और यह इंस्पेक्टर अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रहा है। अब मैं इसे इसके कर्मों का फल दूंगी। इसे सस्पेंड करवाऊंगी और इसकी औकात दिखाऊंगी।”
दुकानदार घबरा गया, “दे देखिए बहन, यह थाने का इंस्पेक्टर है, कुछ भी कर सकता है। अगर आप इसके खिलाफ जाएँगी तो हो सकता है कि उल्टा आप पर ही कोई बड़ा मामला डाल दे। ऐसे लोगों से उलझना ठीक नहीं है। रहने दीजिए, इनका हिसाब तो ऊपर वाला ही करेगा।”
कनिका ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कहा, “हाँ ऊपर वाला तो है ही, लेकिन मैं कोई साधारण लड़की नहीं हूँ। मैं इस जिले की सबसे बड़ी अधिकारी डीएम कनिका मेहरा हूँ। मैं जब चाहूँ इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवा सकती हूँ। मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा इसलिए अब तक यह बचा हुआ था, लेकिन अब नहीं बचेगा। यह जो कर रहा है बहुत गलत कर रहा है, गरीबों पर अत्याचार कर रहा है। कल जब आप दुकान पर रहेंगे, मैं भी आपके साथ रहूँगी। उस इंस्पेक्टर की सारी करतूत कैमरे में रिकॉर्ड करूंगी ताकि हमारे पास सबूत हो और आपको भी गवाही देनी पड़ेगी। मैं इस मामले को कोर्ट तक लेकर जाऊंगी और इसे सस्पेंड करवाऊंगी।”
कनिका ने दुकानदार को ₹600 दिए, दोनों के चिकन के पैसे। दुकानदार चौंका, “आप उसके पैसे क्यों दे रही हैं बहन? रहने दीजिए, आप अपने पैसे दीजिए। उसका मैं देख लूंगा।”
कनिका मुस्कुराई और बोली, “देखो भाई, मैं तुम्हें उसके पैसे इसलिए दे रही हूँ ताकि तुम्हें नुकसान ना हो। रख लीजिए काम आएंगे।” यह कहकर वह घर चली गई।
अगले दिन सुबह-सुबह कनिका दुकान पर आ गईं और चुपचाप बैठ गईं। उन्होंने दुकान के सामने एक छोटा कैमरा लगा दिया ताकि इंस्पेक्टर की हर करतूत रिकॉर्ड हो सके। करीब डेढ़ घंटे बाद इंस्पेक्टर आदित्य रंजन अपनी मोटरसाइकिल से आया। उसने दुकानदार से पूछा, “चिकन पैक करके रखा है या नहीं? कल मैंने तुझे बोलकर गया था कि तैयार रखना। कहाँ है मेरा चिकन? जल्दी दे, मेरे मेहमान आ चुके हैं।”
उसकी नजर कनिका पर पड़ी। उसने व्यंग्य करते हुए कहा, “अरे यह लड़की आज फिर यहाँ क्या कर रही है? कहीं दुकानदार के साथ तेरा?” फिर उसने दुकानदार से पूछा, “यह दुकानदार तेरा कौन लगता है जो तू यहाँ बैठी हुई है?”
कनिका ने शांत स्वर में जवाब दिया, “दुकानदार मेरा भाई है, फालतू की बातें मत कीजिए, अपना काम कीजिए।” दुकानदार ने चिकन पैक करके इंस्पेक्टर को थमा दिया।
इंस्पेक्टर चिकन लेकर मोटरसाइकिल की तरफ बढ़ा तो दुकानदार ने कहा, “सर, चिकन के पैसे?” इंस्पेक्टर का पारा चढ़ गया और वह चिल्लाया, “अबे, तुझे कितनी बार समझाऊँ? मुझसे पैसे मांगेगा? मैं यहाँ का इंस्पेक्टर हूँ, डर नहीं लगता? अभी चाहूँ तो तेरी दुकान उठा दूँ और जेल में डाल दूँ। अपनी जुबान बंद रख, बिना वजह मेरा दिमाग मत खराब कर।”
दुकानदार ने घबराकर कहा, “इंस्पेक्टर साहब, आप सुबह-सुबह बिना पैसे दिए चिकन ले जाते हैं। दिनभर मेरे अच्छे ग्राहक नहीं आते। मेरा नुकसान हो जाता है। प्लीज कम से कम आधे पैसे तो दे दीजिए। हमें भी अपने परिवार को चलाना है। आप हमारे पेट पर चोट कर रहे हैं।”
इंस्पेक्टर ने झट से दुकानदार के गाल पर थप्पड़ मार दिया और गुस्से में बोला, “तुझे अक्ल नहीं है क्या? कितनी बार समझाऊँ कि मुझसे बहस मत किया कर। मेरा समय बर्बाद कर रहा है। मेरे घर में मेहमान हैं और तू यहाँ मेरा मूड खराब कर रहा है। मैं तुम्हें कभी पैसे नहीं दूँगा। अगली बार ऐसा कहा तो इतना मारूँगा कि तेरे हाथ-पैर तक नहीं बचेंगे।”
कनिका मेहरा गुस्से से चिल्लाईं, “इंस्पेक्टर साहब, आपको पैसे देने ही पड़ेंगे। आप यहाँ चिकन लेकर जा रहे हैं। चिकन फ्री में नहीं मिलता। इसे खरीद कर लाना पड़ता है। इससे दुकानदार का नुकसान होता है। आप धमका कर वर्दी के दम पर लेकर चले जाते हैं और कभी पैसे नहीं देते। यह कानून का उल्लंघन है। वर्दी पहनकर खुद को कानून का रक्षक समझना कहीं आप पर हक नहीं बनाता। जनता के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए।”
इंस्पेक्टर ने अचानक कणिका के चेहरे पर थप्पड़ जड़ दिया और क्रोध में बोला, “तू खुद को क्या समझती है? मुझे जुबान लड़ाकर बैठी है। तू मुझे जानती नहीं। तेरी अक्ल ठीकाने नहीं है क्या? मुझसे पंगा मत ले, वरना मैं ऐसा मारूँगा कि तू घर तक चलकर नहीं जा पाएगी। और यह दुकान तेरा नहीं है, यहाँ दिमाग मत लगाया कर। हमारे बीच में मत बोल वरना फिर थप्पड़ पड़ेगा। समझी? चुपचाप खड़ी रह।”
कनिका मन ही मन सोच रही थीं, “अब तो यह इंस्पेक्टर बचने योग्य नहीं है। कैमरे में सारी रिकॉर्डिंग हो रही है। इंस्पेक्टर जो भी कर रहा है, सब कुछ लोगों के सामने आएगा और उसे बेनकाब किया जाएगा। सस्पेंड तो होगा ही।”
उन्होंने इंस्पेक्टर को कहा, “इंस्पेक्टर साहब, आप अपनी हद में रहें। यह एक आम जनता की दुकान है और आप यहाँ मुफ्त में सामान नहीं ले सकते। आपको पैसे देने होंगे। कहीं भी कानून में यह नहीं लिखा कि आप अधिकारी होने के नाते किसी दुकान से बिना पैसे के सामान ले सकते हैं। आप गरीबों के पेट पर लात मार रहे हैं। यह अन्याय है और किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।”
इंस्पेक्टर ने धमकाते हुए कहा, “अब समझा यह कौन है? यहाँ मुझसे जुबान लड़ रही है। तुझे डर नहीं लगता? यहाँ से भाग ले, वरना तेरे साथ-साथ तू भी जेल जाएगा।” इतना कहकर वह चिकन लेकर मोटरसाइकिल पर बैठ गया और चला गया।
इंस्पेक्टर के जाने के बाद कनिका ने दुकानदार से कहा, “अब वह सीसीटीवी कैमरा निकाल लीजिए।” दुकानदार ने कैमरा निकाल दिया। कनिका ने कहा, “कल मैं इस मामले को कोर्ट तक लेकर जाऊंगी। आज का काम है कि मैं ऑफिस जाऊंगी और आईपीएस मैडम से बात करके इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवाने की तैयारी करूंगी। आप गवाही के लिए तैयार रहिए।”
दुकानदार ने टेप पर हाथ रखकर कहा, “हाँ बहन, ठीक है। जब आप कॉल करेंगी, मैं आ जाऊंगा गवाही देने के लिए। आप बेफिक्र रहिए, मैं आपके साथ खड़ा हूँ।”
कनिका सीधे घर पहुंची। थोड़ी दावत खुराक करके ऑफिस निकल पड़ी। ऑफिस पहुंचकर उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग देखी। उनका गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने तुरंत एएसपी ऑफिस में कॉल किया और एएसपी मैडम नेहा शर्मा को डीएम ऑफिस बुलाया। कुछ ही मिनटों में नेहा शर्मा डीएम ऑफिस पहुंच गईं।

कनिका ने दुकान पर हुई सारी घटनाएं नेहा शर्मा को बताईं। यह सुनकर नेहा भी क्रोधित हो गईं। कनिका ने वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई। दुकान पर हुई सारी वारदात कैमरे में रिकॉर्ड थी। यह देखकर नेहा बोलीं, “यह तो इंस्पेक्टर ने बहुत गलत किया है। इस दुकानदार के साथ इतना गलत व्यवहार और इतना ही नहीं, उन्होंने एक महिला अधिकारी पर भी हाथ उठाया। यह कानूनी अपराध है। किसी लड़की पर हाथ उठाना कानून के खिलाफ है। मैंने कभी नहीं सोचा कि हमारे थाने में ऐसे इंस्पेक्टर होंगे। वरना मैंने इसे कब का सस्पेंड कर दिया होता। खैर, आपने सही किया कि आपने सबूत इकट्ठा किए हैं। अब मैं इसे सस्पेंड कराऊंगी।”
नेहा शर्मा ने आदेश दिया और एक इंस्पेक्टर को रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सस्पेंड का लेटर और शिकायत का प्रपत्र तुरंत तैयार किया जाए। कनिका ने कहा, “ठीक है, पर अभी आप इंस्पेक्टर के खिलाफ तुरंत रिपोर्ट और सस्पेंड का लेटर तैयार कर दीजिए। कल ही मैं इस मामले को कोर्ट तक ले जाऊंगी और उसे पूरे शहर के सामने सस्पेंड करवाऊंगी।”
नेहा शर्मा ने आश्वस्त स्वर में कहा, “हाँ, ठीक है।” यह कहकर उन्होंने तुरंत कार्यवाही शुरू करवा दी और इंस्पेक्टर आदित्य रंजन के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करवाई।
दूसरे दिन यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया। सुबह से ही कोर्ट में भीड़ लगी थी। पूरे शहर में चर्चा थी कि आज उस इंस्पेक्टर का केस है जिसने एक गरीब दुकानदार और डीएम कनिका मेहरा के साथ बदसलूकी की थी। कोर्ट के बाहर मीडिया वाले कैमरे लिए खड़े थे और अंदर सब अपनी-अपनी जगह ले रहे थे। जज साहब भी आ चुके थे।
कनिका मेहरा सादा कुर्ता पहनकर अपने वकील के साथ आईं। उनका चेहरा शांत था, लेकिन आँखों में गुस्सा और हिम्मत दोनों झलक रहे थे। दुकानदार भी वहीं था जिसने सब देखा था। थोड़ा डर था, पर अब वह सच्चाई बोलने के लिए तैयार था।
इंस्पेक्टर आदित्य रंजन जो पहले बहुत रब में घूमता था, आज कोर्ट में नीचे झुका हुआ बैठा था। चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी।
जज ने कहा, “आज हम यह तय करेंगे कि इंस्पेक्टर ने वाकई अपने पद का गलत इस्तेमाल किया या नहीं और अगर किया है तो उसे क्या सजा दी जाए।” फिर केस शुरू हुआ।
सबसे पहले अभियोजन सरकारी वकील ने वह सीसीटीवी वीडियो दिखाया जो कनिका ने दुकान से निकलवाया था। वीडियो कोर्ट की बड़ी स्क्रीन पर चला। सब खामोश होकर देखने लगे। वीडियो में साफ दिख रहा था कि इंस्पेक्टर कैसे दुकान में गया, दुकानदार से चिकन उठा लिया, पैसे नहीं दिए, फिर गुस्से में धमकाने लगा। जब कनिका ने टोक दिया तो उसने उसे भी डांट दिया और हाथ उठाने की कोशिश की।
वीडियो खत्म हुआ तो कोर्ट में सन्नाटा छा गया। जज ने गहरी सांस ली और बोले, “जो देखा गया है वह बहुत गंभीर है। कनिका मेहरा को गवाह के तौर पर बुलाया गया।”
कनिका ने शांत आवाज में कहा, “माननीय जज साहब, मैंने सब अपनी आँखों से देखा। इंस्पेक्टर ने न सिर्फ दुकानदार को धमकाया बल्कि मुझ पर भी हाथ उठाया। अगर ऐसे अफसरों को नहीं रोका गया तो आम जनता पर अत्याचार बढ़ते रहेंगे।”
इसके बाद दुकानदार की बारी आई। वह थोड़ा कांपते हुए बोला, “साहब, मैं गरीब आदमी हूँ। उस दिन बस यही कहा था कि पैसे दे दीजिए तो उसने गुस्से में थप्पड़ मार दिया। डर के मारे कुछ नहीं बोला, लेकिन जब मैडम ने वीडियो निकाल लिया तो हिम्मत आई।”
अभियोजन पक्ष ने कहा, “माननीय अदालत, यह मामला सिर्फ एक थप्पड़ का नहीं है। यह मामला सत्ता के दुरुपयोग का है। जिसने कानून की रक्षा करनी थी वही कानून तोड़ बैठा।”
अब बचाव पक्ष इंस्पेक्टर का वकील खड़ा हुआ। उसने कहा, “मेरे मुवकिल ने जानबूझकर कुछ नहीं किया। वह उस दिन बहुत तनाव में था। भीड़ जमा हो गई थी। बस गुस्से में गलती हो गई। इसे अपराध नहीं कहा जा सकता।”
जज ने बीच में रोक कर पूछा, “क्या गुस्सा आने पर कोई भी इंस्पेक्टर किसी को थप्पड़ मार सकता है? क्या कानून का रखवाला ही कानून तोड़ेगा?”
बचाव वकील चुप हो गया।
अभियोजन ने फिर से सीसीटीवी की फॉरेंसिक रिपोर्ट दिखाई। रिपोर्ट में लिखा था कि वीडियो असली है, उसमें कोई एडिटिंग नहीं है। साथ ही मेडिकल रिपोर्ट में दुकानदार की चोट का जिक्र भी था।
अब अदालत में फैसला सुनाने का वक्त आ गया था। जज ने कहा, “अदालत के सामने सारे सबूत साफ हैं। इंस्पेक्टर आदित्य रंजन ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। उसने आम नागरिक को धमकाया, मारा और सरकारी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई। यह सिर्फ बदसलूकी नहीं बल्कि कानून के खिलाफ अपराध है।”
जज ने आगे कहा, “कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह आम आदमी हो या पुलिस अफसर। अगर कोई अपने पद का इस्तेमाल गलत काम के लिए करता है तो उसे सजा जरूर मिलेगी।”
इसके बाद उन्होंने आदेश सुनाया, “इंस्पेक्टर आदित्य रंजन को उसके पद से तुरंत सस्पेंड किया जाता है। साथ ही अदालत उसे तीन साल की सजा और जुर्माना सुनाती है। विभाग को आदेश है कि उसे हिरासत में लेकर जेल भेजा जाए और उसके खिलाफ आगे भी जांच जारी रखी जाए।”
यह सुनते ही कोर्ट हॉल में सन्नाटा छा गया। इंस्पेक्टर का चेहरा उतर गया। पुलिस के दो सिपाही आगे आए और उन्होंने उसे हाथकड़ी लगाई। कनिका मेहरा ने नीचे झुकी आँखों से राहत की सांस ली। दुकानदार की आँखों में आंसू थे, लेकिन वह खुशी के आंसू थे।
बाहर मीडिया ने कनिका से पूछा, “मैडम, अब आप क्या कहेंगी?”
कनिका बोलीं, “मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि अब किसी गरीब को डरने की जरूरत नहीं है। कानून सबके लिए एक जैसा है। अगर कोई अधिकारी गलत करेगा तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।”
एसएसपी नेहा शर्मा भी बाहर आईं और बोलीं, “आने साबित कर दिया कि पुलिस सिर्फ वर्दी नहीं, जिम्मेदारी भी है।”
शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई। लोगों ने कहा कि अब सिस्टम में भी कुछ लोग हैं जो सच के साथ खड़े हैं। कोर्ट का फैसला उस दिन सिर्फ एक आदमी के लिए नहीं बल्कि पूरे शहर के लिए मिसाल बन गया।
कनिका मेहरा और दुकानदार दोनों के चेहरे पर सुकून था क्योंकि उन्होंने डर के खिलाफ लड़कर न्याय पाया था।
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