फांसी से पहले बस अपने कुत्ते को देखना चाहता था | फिर जो हुआ…

राहुल एक छोटे से शहर में रहता था। उसका जीवन साधारण था, लेकिन उसमें एक खास बात थी—उसका कुत्ता, शेरू। शेरू सिर्फ एक जानवर नहीं था, वह राहुल का सबसे अच्छा दोस्त, साथी और परिवार का हिस्सा था। दोनों का रिश्ता इतना गहरा था कि वे एक-दूसरे की भावनाओं को बिना कहे समझते थे। जब भी राहुल किसी परेशानी में होता, शेरू हमेशा उसके पास होता।

राहुल की जिंदगी में एक दिन ऐसा मोड़ आया जब उसे झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसे हत्या के मामले में फंसाया गया और अदालत ने उसे 7 साल की सजा सुनाई। उस समय राहुल ने महसूस किया कि उसे सबसे ज्यादा जरूरत किसकी थी—शेरू की। जब वह जेल गया, तो शेरू ने उसकी तलाश नहीं छोड़ी। हर दिन वह जेल के बाहर बैठता, राहुल की वापसी का इंतजार करता।

भाग 2: जेल की जिंदगी

जेल की जिंदगी कठिन थी। हर दिन राहुल को अपने जीवन के बारे में सोचते हुए बिताना पड़ता था। वह अपने परिवार से दूर था और हर कोई उसे एक अपराधी मानता था। लेकिन शेरू की यादें उसे हमेशा मजबूत रखती थीं। जब भी वह अकेला महसूस करता, वह शेरू के साथ बिताए गए समय के बारे में सोचता।

राहुल की जिंदगी में एक दिन ऐसा आया जब उसे फांसी की सजा सुनाई गई। यह सुनकर उसके दिल में डर और निराशा का साया छा गया। लेकिन उसने एक आखिरी इच्छा जताई—”मुझे सिर्फ शेरू को देखना है।” यह सुनकर सभी लोग हैरान रह गए। एक इंसान जो अपनी अंतिम घड़ियों में था, वह अपने कुत्ते को देखना चाहता था।

भाग 3: शेरू का आगमन

जेल के अधिकारियों ने राहुल की इस इच्छा को पूरा करने का फैसला किया। उन्होंने शेरू को जेल में लाने का आदेश दिया। जब शेरू जेल के मैदान में आया, तो उसका काला और भूरा रंग सुबह की रोशनी में चमक रहा था। उसकी दुम खुशी से हिल रही थी। राहुल ने अपने घुटनों पर बैठकर शेरू को गले लगाया।

लेकिन अचानक शेरू का व्यवहार बदल गया। उसने दारोगा शर्मा को देख लिया और घुर्राने लगा। राहुल ने समझा कि कुछ तो गड़बड़ है। शेरू की यह घुर्राहट किसी कारण से थी। वह जानता था कि दारोगा शर्मा उस रात वहां मौजूद था जब राहुल को गिरफ्तार किया गया था।

भाग 4: सच्चाई की खोज

राहुल ने अपने कुत्ते की समझ पर विश्वास किया। उसने तय किया कि वह इस बार चुप नहीं रहेगा। उसने शेरू की आंखों में झलकती वफादारी को महसूस किया और समझ गया कि उसे अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।

जेल के अधिकारियों ने दारोगा शर्मा से सवाल किए। शर्मा ने कहा कि वह उस रात छुट्टी पर था, लेकिन राहुल को यकीन नहीं हुआ। उसे पता था कि शर्मा झूठ बोल रहा है। तभी एक सिपाही वर्मा ने कहा, “सर, एक नया गवाह आया है जिसने बताया है कि शर्मा उस रात वहां था।”

भाग 5: नया गवाह

नए गवाह ने कहा कि उसने एक आदमी को देखा था जो बिलकुल शर्मा जैसा दिखता था, वह राहुल के घर से निकल रहा था। यह सुनकर बड़े अधिकारी ने तुरंत जांच शुरू करने का आदेश दिया। राहुल का दिल तेजी से धड़कने लगा।

जांच के दौरान, पुलिस ने उंगलियों के निशान फिर से देखे। यह पता चला कि वे राहुल के नहीं, बल्कि दारोगा शर्मा के थे। यह सब सुनकर राहुल की आंखों में आंसू आ गए। उसे लगा जैसे उसकी जिंदगी में एक नई रोशनी आई है।

भाग 6: सच्चाई का सामना

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह साफ हो गया कि दारोगा शर्मा ही असली गुनहगार था। उसने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी ताकि राहुल को फंसाया जा सके। अब राहुल के खिलाफ लगे सभी आरोप हटाए जाने लगे।

शर्मा को गिरफ्तार किया गया और उस पर आरोप लगाया गया कि उसने राहुल को फंसाने के लिए सबूत तैयार किए थे। इस दौरान राहुल ने अपने कुत्ते की वफादारी को महसूस किया। शेरू ने उसे कभी नहीं छोड़ा, और अब वह उसे सच की ओर ले जा रहा था।

भाग 7: आजादी का अहसास

अंततः, राहुल को रिहा कर दिया गया। जेल के दरवाजे खुलते ही शेरू बाहर खड़ा था, उसकी दुम जोर से हिल रही थी। राहुल ने बाहर आकर जमीन पर घुटने मोड़ दिए और शेरू को गले लगा लिया। “हमने कर दिखाया, मेरे दोस्त,” उसने कहा।

राहुल ने अब खुला आसमान देखा, और उसे एहसास हुआ कि वह अब पहले से ज्यादा मजबूत हो चुका है। उसने अपने कुत्ते की वफादारी को समझा और यह महसूस किया कि सच्चाई हमेशा अपना रास्ता ढूंढ लेती है।

भाग 8: नई शुरुआत

अब राहुल एक नया जीवन शुरू करने के लिए तैयार था। उसने तय किया कि वह अपने शहर में वापस जाएगा और एक नई शुरुआत करेगा। उसने अपने दोस्तों से मिलकर फिर से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।

राहुल ने अपने अनुभवों से सीखा कि प्यार और वफादारी सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। उसने अपने कुत्ते शेरू को हमेशा अपने पास रखा और उसकी वफादारी को कभी नहीं भुलाया।

अंत

दोस्तों, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार को बोलने की जरूरत नहीं होती और वफादारी को कचहरी या समय की चिंता नहीं होती। कभी-कभी सच्चाई किसी बड़े गवाह की जगह से नहीं आती। सच्चाई तो उस कुत्ते से आती है जो याद रखता है। अगर यह कहानी आपके मन को अच्छी लगी हो तो इसे लाइक करें, अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए और सब्सक्राइब करना ना भूलें। हम ऐसी ही दिल को छू लेने वाली हिम्मत और वफादारी की कहानियां लाते रहेंगे। शुक्रिया!

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