कोर्ट में गूंजा इंसाफ—भिखारी नहीं, पूर्व वकील था ‘बाबा’, जज ने खड़े होकर किया सम्मान

वाराणसी:
कचहरी में उस दिन सन्नाटा था। हर कोई अपनी जगह पर बैठा था, तभी दरवाजा खुला और अंदर दाखिल हुआ एक फटेहाल बूढ़ा भिखारी। उसकी ओर देखते ही लोग तिरस्कार से भर गए, लेकिन अगले ही पल जो हुआ, उसने सबको स्तब्ध कर दिया। कोर्ट के जज, जस्टिस अयान शंकर, अपनी कुर्सी से उठकर खड़े हो गए। यह दृश्य पूरे कोर्ट में पहली बार देखा गया।

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एक अनसुनी दास्तां

यह कोई साधारण भिखारी नहीं था। वाराणसी के मंदिर के बाहर हर रोज़ बैठने वाला ‘बाबा’ कभी शहर के नामी वकील, लक्ष्मण नारायण त्रिपाठी हुआ करते थे। किस्मत के एक भयानक मोड़ ने सब कुछ छीन लिया—अपनों के धोखे और सिस्टम की चूक ने उन्हें सड़क पर ला बैठाया। बेटे के अपराध का बोझ अपने सिर लेकर बाबा ने सब कुछ खो दिया, लेकिन कभी हार नहीं मानी।

कोर्ट में टूटा सन्नाटा

जज साहब ने बाबा को सम्मानपूर्वक कोर्ट में बुलाया, उनकी बात सुनी और उनकी पुरानी पहचान की कागज़ात देखे। जैसे-जैसे सच्चाई सामने आई, वकीलों और पत्रकारों की आंखें नम हो गईं। बाबा की कहानी ने साबित कर दिया कि कभी-कभी इंसाफ की राह में सबसे बड़ा दुश्मन सिस्टम की गलती और अपनों का धोखा होता है।

इंसाफ की जीत

बाबा के बेटे राघव की हेराफेरी कोर्ट में उजागर हुई। जज साहब ने बाबा को निर्दोष करार दिया, उनका वकालत लाइसेंस बहाल किया और सरकार को सार्वजनिक माफी मांगने का आदेश दिया। कोर्ट के बाहर लोग अब उन्हें सम्मान की नजर से देखने लगे। जो कभी हंसते थे, आज उनके पैर छू रहे थे।

समाज को आईना

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन हज़ारों लोगों की कहानी है जो सिस्टम की चूक का शिकार होते हैं। बाबा की हिम्मत, जज साहब की इंसानियत और इंसाफ के लिए लड़ाई आज पूरे शहर के लिए मिसाल बन गई।

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